जीवामृत बनाने की विधि और उपयोग

जीवामृत:- जीवामृत मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ावा देकर उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है और प्रासंगिक पोषक तत्व भी प्रदान करता है। यह जैविक कार्बन और अन्य पोषक तत्वों का भी स्रोत है, किंतु इनकी मात्रा कम ही होती है। यह सूक्ष्म जीवों की गतिविधि के लिए एक प्राइमर की तरह काम करता है, और देशी केंचुए की संख्या को भी बढ़ाता है।

आवश्यक सामग्री: 10 किलो ताजा गोबर, 5-10 लीटर गोमूत्र, 50 ग्राम चूना, 2 किलो गुड़, 2 किलो दाल का आटा, 1 किलो बांध मिट्टी और 200 लीटर पानी l

जीवामृत तैयार करने की विधि : सामग्री को 200 लीटर पानी में मिलाकर अच्छी तरह से हिलाना चाहिए । इसके बाद इस मिश्रण को छायादार स्थान पर 48 घंटे के लिए किण्वन के लिए रख दें। इसे दो बार–एक बार सुबह और एक बार शाम – लकड़ी की छड़ से चलाना चाहिए। तैयार मिश्रण का प्रयोग सिंचाई के पानी के माध्यम से या सीधे फसलों पर करें। इसे वेंचुरी (फर्टिगेशन डिवाइस) का उपयोग करके ड्रिप सिंचाई के माध्यम से भी अनुप्रयुक्त किया जा सकता है।

जीवामृत के अनुप्रयोग : इस मिश्रण का प्रयोग प्रत्येक पखवाड़े में किया जाना चाहिए। इसके प्रयोग सीधे फसलों पर छिड़काव के जरिए या सिंचाई जल के साथ फसलों पर प्रयोग किया जाना चाहिए। फल वाले पौधों के मामले में, इसका अनुप्रयोग एक-एक पेड़ पर किया जाना चाहिए। इस मिश्रण को 15 दिनों के लिए भंडारित किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

See all tips >>