गेहूँ और चावल की कीमतों पर केंद्र सरकार देगी रियायत

Central government will give concession on the prices of wheat and rice
  • कोरोना विश्व महामारी के इस मुश्किल दौर से निपटने के लिए सरकार ने कुछ बड़े कदम उठाये हैं। 
  • जनता को परेशानी ना हो इसका ध्यान रखते हुए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में देश के 80 करोड़ लोगों को सस्ती दर पर अनाज देने का फैसला किया गया है। 
  • सरकार ने 80 करोड़ लोगों को 27 रूपये प्रति किलो वाला गेहूं मात्र ₹2 प्रति किलोग्राम में और 37 रूपये प्रति किलो वाला चावल 3 रूपये प्रति किलोग्राम में देने का फैसला किया है। 
  • इस पर 1 लाख 80 हजार करोड़ रूपये खर्च होंगें जो तीन महीने के लिए राज्यों को एडवांस में दिया गया है।
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21 दिन के लॉकडाउन में सरकार ने किसानों की परेशानियों का रखा ख्याल, दी विशेष छूट

इस वक़्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से परेशान है। भारत में भी इस वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच केंद्र सरकार ने 21 दिन का देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया है। इसका अर्थ हुआ की 21 दिनों तक पूरे देश में बाजार, दफ्तर, यातायात के साधन आदि बंद रहेंगे। इस खबर के आने के बाद किसान भाइयों के बीच असमंजस की स्थिति बन गई थी। पर सरकार ने लॉकडाउन में भी किसानों के लिए विशेष छूट देकर इस असमंजस की स्थिति को खत्म कर दिया है।

दरअसल किसान भाइयों को उर्वरक और बीज जैसे कई कृषि उत्पादों की जरुरत पड़ती रहती है। ऐसे में अगर लॉकडाउन की वजह से उन्हें ये उत्पाद नहीं मिलते तो उन्हें बड़ी परेशानी झेलनी पड़ जाती। सरकार ने किसानों की इन्हीं परेशानियों को ध्यान में रखते हुए बीज और उर्वरक जैसे उत्पादों की खरीदी पर छूट दी है। इसका अर्थ यह हुआ की अपनी कृषि आवश्यकताओं को किसान भाई लॉकडाउन के दौरान भी आसानी से पूरा कर पाएंगे।

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बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि: बिहार सरकार ने की प्रभावित किसानों के लिए सब्सिडी की घोषणा

फरवरी और मार्च में हुई बेमौसम की बारिश तथा ओलावृष्टि की वजह से यूपी और बिहार में अधिकांश फ़सलों को नुकसान पहुंचा। इस बारिश ने फ़सलों को नुकसान पहुँचाकर कई किसानों की उम्मीदों को तोड़ कर रख दिया। बहरहाल इस मामले में अब बिहार के किसानों के लिए एक राहत की खबर आई है।

बता दें की सीएम नीतीश कुमार ने हाल ही में यह घोषणा की है कि सरकार प्रभावित फ़सलों के लिए प्रति हेक्टेयर 13,500 रुपये का मुआवजा प्रदान करेगी। इस उद्देश्य के लिए पहले ही 60 करोड़ रुपये का कोष स्वीकृत किया जा चुका है। इस राशि का उपयोग उन किसानों को कृषि इनपुट सब्सिडी प्रदान करने के लिए किया जाएगा, जिनकी फसल 24 से 26 फरवरी की बेमौसम बारिश से खराब हो गई थी। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बेमौसम बारिश ने 31,000 हेक्टेयर से अधिक फ़सलों को नुकसान पहुंचाया है।

राज्य के कृषि मंत्री प्रेम कुमार के अनुसार, एक बार दावों का सत्यापन पूरा हो जाने के बाद, 25 दिनों के भीतर सब्सिडी प्रदान की जाएगी। यह अनुदान सिंचित खेत के लिए 13,500 रुपये प्रति हेक्टेयर और असिंचित खेत के लिए 6,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से भुगतान किया जाएगा। हालांकि, यह सब्सिडी अधिकतम दो हेक्टेयर भूमि के लिए ही प्रदान की जाएगी।

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सोशल मीडिया के जरिए किसानों को शिक्षित कर रही है सरकार: नरेंद्र सिंह तोमर

हम इंटरनेट और सोशल मीडिया के युग में हैं। लगभग हर कंपनी या संगठन अपने ग्राहकों से जुड़ने के लिए इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रही है। अब इसी कड़ी में अब सरकार राष्ट्र के किसानों के साथ जुड़ने के लिए भी कई सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का भी उपयोग कर रही है।

कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बाबत कहा कि सरकार देश भर में किसानों को शिक्षित करने के लिए फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब आदि का उपयोग कर रही है। भारत में खेती के विकास पर बोलते हुए, तोमर ने कहा कि “सरकार ने किसानों के लाभ के लिए लगभग 100 मोबाइल एप संकलित किए हैं। ये एप ICAR, कृषि विज्ञान केंद्र और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित किए गए हैं।”

किसानों का सच्चा साथी ग्रामोफ़ोन भी पिछले चार वर्षों से किसानों का मार्गदर्शन कर रहा है। हमारे कृषि विशेषज्ञ हमारे मोबाइल एप और विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से किसानों को बहुमूल्य सुझाव देते रहते हैं। किसान अपनी फ़सलों में किसी भी समस्या का समाधान पाने के लिए हमें हमारे टोल-फ्री नंबर पर भी कॉल कर सकते हैं।

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भारत में कृषि विकास हेतु विश्व बैंक देगा $80 मिलियन का कर्ज 

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। इसका मतलब यह हुआ की कृषि में सुधार से अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। यही कारण है कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों से कृषि क्षेत्र पर अधिक से अधिक ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में, हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की कृषि को विकसित करने के लिए विश्व बैंक के साथ $80 मिलियन के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

यह राशि मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश के विभिन्न ग्राम पंचायतों में जल प्रबंधन में सुधार और कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर खर्च की जाएगी। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना को 428 ग्राम पंचायतों को कवर करने वाले राज्य के 10 जिलों में निष्पादित किया जाएगा। इसका लाभ लगभग 400,000 छोटे किसानों को मिलेगा।

यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद होगी, क्योंकि राज्य के कई तराई क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की कमी है और किसान मुख्य रूप से वर्षा के जल पर निर्भर रहते हैं। जलवायु परिवर्तन और बारिश में लगातार कमी हिमाचल प्रदेश में उगाए जाने वाले फलों के उत्पादन को प्रभावित कर रही है, जिसमें इसके प्रतिष्ठित सेब भी शामिल हैं। यह कदम किसानों की आय को दोगुना करने के केंद्र सरकार के मिशन में योगदान देने में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है।

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प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना: किसानों को मिलेगी 3,000 रूपये महीने की पेंशन

हमारे देश में बहुत सारे किसानों को भिन्न भिन्न वजहों से आर्थिक संकट झेलना पड़ता है। जब किसान बूढ़े हो जाते हैं तो यह संकट और ज्यादा बढ़ जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना शुरू की गई। इस योजना के अंतर्गत बुढ़ापे में किसानों को 3000 रूपये की पेंशन दी जायेगी।

कौन कर सकते हैं आवेदन?

प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना के अंतर्गत 18 से 40 वर्ष के मध्य आने वाले किसान रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। आपकी उम्र 18 वर्ष है तो आपके इसके अंतर्गत हर माह महज 55 रुपये जमा करना होगा। अगर आपकी उम्र 40 वर्ष है तो आपको इसके लिए 200 रुपये देने होंगे। 

इस योजना से अभी तक 19 लाख किसान जुड़ गए हैं। इसके अंतर्गत सरकार भी आपका आधा प्रीमियम जमा करेगी। इसका मतलब हुआ की जितनी किस्त आप इस योजना में जमा करेंगे उतनी ही रकम सरकार भी जमा करेगी।

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जानें सरसों एवं चना का समर्थन मूल्य और पंजीकरण संबंधी जानकारी

सरसों एवं चना की फसल की कटाई का समय आ गया है ऐसे में केंद्र सरकार की तरफ से इन दोनों फसलों का समर्थन मूल्य निर्धारित कर दिया गया है। चने का समर्थन मूल्य जहाँ 4875 रुपये रखा गया है वहीं सरसों का समर्थन मूल्य 4425 रुपये निर्धारित किया गया है। 

पंजीयन संबंधी जानकारी

  • पंजीयन के लिए किसान को अपने उँगलियों के निशान देने होंगे।
  • इसके अलावा आवश्यक दस्तावेज़ों में आधार कार्ड, जनआधार कार्ड/भामाशाह कार्ड, फसल से जुड़े दस्तावेज़ के लिए गिरदावरी, बैंक पासबुक की फोटोप्रति, गिरदावरी के पी-35 का क्रमांक एवं दिनांक उपलब्ध करवाने होंगे। 
  • बता दें की एक मोबाइल नम्बर से सिर्फ एक किसान का पंजीकरण हो सकता है। पंजीयन के लिए किसान को 31 रुपये का भुगतान करना होगा।
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कम ज़मीन पर ज्यादा उत्पादन पाने वाले छोटे किसानों पर बनाई जायेगी फ़िल्में 

केंद्र सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार ने मिलकर वैसे किसानों पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया है जो अपने छोटे जमीनों पर खेती कर लाखों का मुनाफ़ा कमाते हैं। इसके पीछे का उद्देश्य बाकी के छोटे किसानों को भी ऐसा करने के लिए उत्साहित करना है ताकि वे भी अपने खेतों में उन्नत खेती कर के अच्छा उत्पादन प्राप्त करें।

बता दें की गुजरात की एक संस्था को फिल्म निर्माण का यह कार्य दिया गया है जो आने वाले महीने में श्योपुर से इसकी शुरुआत करेगा।

अनार की खेती से किसान ने लिखी सफलता की इबारत

त्रिलोक तोषनीवाल नामक इस किसान ने अपने गांव जैदा की 8 बीघा पथरीली ज़मीन को जी तोड़ मेहनत कर खेती करने लायक बनाया और फिर अनार व अन्य फलों के पौधे लगाकर 15 से 20 लाख की वार्षिक कमाई की। अब सफलता की इसी कहानी को फिल्म के रूप में पेश किया जाएगा।

अमरुद की खेती ने बदली किसानों की किस्मत

मध्यप्रदेश के ज्वालापुर और सोंईकलां क्षेत्र में बहुत सारे किसानों ने कई वर्षों पहले पारंपरिक खेती की राह छोड़ कर अमरूद की फसल पर ध्यान केंद्रित किया था और इसका फल अब वहां नजर आने लगा है। यहाँ 5 से 8 बीघा ज़मीन वाले किसान अमरूद से 8 से 10 लाख रुपए की वार्षिक कमाई कर रहे हैं। इनकी सफलता की कहानी भी अब फिल्म का शक्ल लेगी।

कराहल की महिला किसानों ने की उन्नत खेती

मध्यप्रदेश के कराहल में महिलाओं ने खेती की शक्ल बदल दी। आमतौर पर यहाँ तोरई, सरसों और ज्वार-बाजरा की खेती होती थी पर अब यहाँ किसान और महिला किसानों ने दलहनी फसल और सब्ज़ियाँ उगाकर अपनी आय काफी बढ़ा ली है। अब यहाँ सालाना 10-12 लाख तक की कमाई महिला किसान कर पा रही हैं। बहरहाल इन महिलाओं की सफलता पर भी फिल्म बनने वाली है।

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‘कृषि में महिलाएं’ विषय पर हैदराबाद में दो दिवसीय राज्य स्तरीय बैठक

भारत में कृषि क्षेत्र में विशेष रूप से महिलाएं बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। परंतु न केवल समाज के द्वारा बल्कि स्वयं महिलाओं के द्वारा भी कृषि क्षेत्र में उनके योगदान को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। 

कृषि क्षेत्र में महिलाओं के इसी योगदान को उभारने के लिए, 6 मार्च से हैदराबाद में एक राज्य-स्तरीय बैठक आयोजित की जा रही है। इस दो दिवसीय बैठक का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत में महिलाओं, विशेष रूप से कृषि क्षेत्र की महिलाओं को होने वाली समस्याओं पर ध्यानाकर्षित करवाना है। यहां कृषि संबंधित कई क्षेत्रों के विशेषज्ञ अपने शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा यहाँ आपको विभिन्न किसान यूनियनों, अकादमिक संस्थानों और चर्चा में भाग लेने वाले वैज्ञानिकों के प्रतिनिधि भी मिलेंगे।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस आयोजन के बारे में बात करते हुए, तेलंगाना रायथू संघम के उपाध्यक्ष, अरीबंदी प्रसाद राव ने कहा कि “महिलाएं कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और यही समय है जब हम कृषि क्षेत्र में उनको आने वाली समस्याओं की पहचान करें और उन्हें दूर करें।”

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किसानों के लिए खुशख़बरी: 15 मार्च से हटेगा प्याज के निर्यात पर लगा बैन

पिछले साल प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए प्याज के निर्यात पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिए थे, पर अब परिस्थितियां बदल गई हैं क्योंकि इस बार प्याज की अच्छी पैदावार होने का अनुमान है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर लगा बैन हटाने का निर्णय लिया है।

इस बाबत विदेश व्यापार महानिदेशालय की तरफ से सोमवार को एक अधिसूचना जारी की गई है जिसके अनुसार, आगामी 15 मार्च से प्याज निर्यात पर लगा बैन निरस्त कर दिया गया है। इसके साथ साथ प्याज के लिए निर्धारित न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त भी अब खत्म कर दी गई है।

इस अधिसूचना में यह कहा गया है कि नियमों में बदलाव के साथ प्याज की सभी किस्मों (बैंगलोर रोज और कृष्णापुरम किस्म को छोड़ कर) को वर्तमान ‘निषिद्ध’ श्रेणी की सूची से हटाकर अब ‘मुक्त’ श्रेणी की सूची में डाला गया है। इस अधिसूचना के बाद 15 मार्च से प्याज निर्यात पर लगा प्रतिबंध निरस्त हो जाएगा। इसके साथ साथ अब प्याज के निर्यात पर किसी प्रकार के कोई लेटर ऑफ क्रेडिट या फिर न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त पूरी करने की भी जरुरत नहीं होगी।

सरकार के इस फैसले से किसानों को लाभ मिलेगा । इस बार किसानों को प्याज का अच्छा उत्पादन हुआ है और निर्यात पर से प्रतिबंध हटने की वजह से उन्हें प्याज की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है। 

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