- राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान- लखनऊ के वैज्ञानिकों ने कपास की सफेद मक्खी प्रतिरोधी किस्म विकसित की है|
- शोधकर्ताओं ने पौधों की जैव-विविधता से 250 पौधों की पहचान करके ऐसे प्रोटीन अणुओं का पता लगाया जो सफेद मक्खी के लिए विषैले होते है|
- प्रयोगशाला में सफेद मक्खी को जब कीटनाशक प्रोटीन के सम्पर्क में लाया गया तो उसके जीवन चक्र में विपरीत बदलाव आये|
- पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के अधीन केन्द्र में अप्रैल से अक्टूबर के मध्य इस किस्म का परीक्षण किया जायेगा |
- सफेद मक्खी रोधी जिन गुणों को कपास में शामिल किया गया है, यदि प्रक्षेत्र में किये गए परीक्षणों में भी उन्हें प्रभावी पाया जाता है, तो इस किस्म को किसानों को खेती के लिए दिया जा सकता है|
लॉकडाउन में बड़ी राहत: किसानों के घर से सरकार करेगी रबी फसलों की ख़रीद
कोरोना संकट की वजह से चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन के कारण किसानों को कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल वर्तमान समय रबी फसलों कटाई और सरकारी ख़रीद का है और अब इस विषय पर लॉकडाउन के दौरान सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देने की पहल की है।
इस समस्या से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने एक अहम फैसला किया है। पंजाब सरकार रबी फ़सलों की ख़रीद के दौरान मंडियों में होने वाले भीड़भाड़ को रोकने के लिए गांवों में जाकर फसल ख़रीद की तैयारी कर रही है। इस दौरान उन गांवों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो मंडियों से लगभग 1 से 2 किमी की दूरी पर स्थित हैं।
पंजाब सरकार द्वारा कृषि एवं खाद्य विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वह जल्द ही गांवों के किसानों के घर जाकर गेहूं की ख़रीद करने का तरीका ढूंढ निकालें। मंडियों से दूर स्थित गांवों के किसान को मदद पहुंचाने के लिए किसानों के घर मुलाजिमों को भेजने का सुझाव दिया गया है।
Shareसमर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद स्थगित
- कोरोना महामारी के कारण देश में लॉक डाउन के चलते वैसे तो केंद्र सरकार के द्वारा किसानों को कृषि कार्यों एवं फसल बेचने आदि के लिए छूट दी गई है परन्तु अभी भी राज्य सरकारों द्वारा फसल खरीदी शुरू नहीं की जा सकी है, इसका मुख्य कारण यह है की सरकार एक साथ एक जगह पर ज्यादा भीड़ एकत्रित नहीं होने देना चाहती |
- पहले ही राजस्थान में समर्थन मूल्य पर खरीदी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है| अब मध्यप्रदेश सरकार ने भी समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद स्थगित करने का फैसला लिया है |
- पहले सामान्य हालात में मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद 1 अप्रैल 2020 से की जानी थी | इसके लिए किसान पहले ही ई-उपार्जन से पंजीयन कर चुके हैं |
- परन्तु अभी राज्य शासन कोविड-19 संक्रमण की स्थिति को ध्यान में रखकर एक अप्रैल 2020 से प्रारंभ किये जा रहे गेहूँ उपार्जन कार्य को आगामी आदेश तक स्थगित कर दिया है।
लॉकडाउन पर ICAR के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों हेतु दिए सलाह को अपनाएँ और रहें सुरक्षित
देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए लॉकडाउन लगा हुआ है ऐसे में किसान भाइयों को इस वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए सरकार की तरफ से कई दिशा निर्देश लगातार जारी किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भी रबी फसलों की कटाई एवं मड़ाई हेतु एडवाइजरी जारी किये हैं।
फ़सलों की कटाई एवं मड़ाई हेतु सलाह
गेहूं की कटाई हेतु कम्बाइन कटाई मशीन का उपयोग तथा इनके आवागमन की अनुमति सरकार ने दी है। इन मशीनों के रखरखाव के साथ साथ फसल की कटाई में लगे श्रमिकों की सावधानी एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।
गेहूं के अलावा सरसों, मसूर, मक्का, मिर्ची और गन्ने जैसे फसलों की भी कटाई एवं तुड़ाई चल रही है। ऐसी स्थिति में समस्त किसानों एवं कृषि श्रमिकों को कटाई एवं तुड़ाई के कार्यों के पहले, कार्यों के दौरान एवं कार्यों के उपरांत व्यक्तिगत स्वच्छता तथा सामाजिक दूरी को सुनिश्चित करना अति आवश्यक है। इस दौरान समस्त किसानों एवं कृषि श्रमिकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे मास्क पहन कर काम करें तथा बीच-बीच में साबुन से हाथ धोते रहें।
Shareदेश पर मंडरा रहे बड़े जल संकट को बेहतर जल प्रबंधन से कर सकते हैं दूर
हमारा देश आने वाले सालों में भीषण जल संकट का सामना कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है की भारत में लोग पानी का महत्व नहीं समझ रहे हैं और इसकी खूब बर्बादी कर रहे हैं। ऐसे में पानी की इसी बर्बादी के कारण आने वाले समय में देश के लगभग 60 करोड़ लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।
वर्तमान की बात करें तो लगभग दो लाख लोगों की एक बड़ी आबादी को स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण वे या तो अपनी जान गंवा रहे हैं या फिर गंभीर रोगों से ग्रसित हो रहे हैं।
क्या है इसका समाधान
ऐसा नहीं है की भारत में जल की कोई बड़ी समस्या है, पर भारत में जल प्रबंधन पर जोड़ नहीं दिया जाता है जिस कारण हर साल देश के कई राज्यों में बारिश के पानी को बह जाने दिया जाता है। यही कारण है की देश में कुछ जगहों पर बाढ़ तो कुछ जगहों पर सूखा देखने को मिलता है। सच तो यही है की भारत में जल का बेहतर प्रबंधन कर के ही आने वाली जल संकट की समस्या को रोका जा सकता है
कोरोना की आशंकाओं के बीच भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने फसल कटाई पर दी उपयोगी सलाह
कोरोना की आशंकाओं के बीच भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों को फसल कटाई पर कुछ उपयोगी सलाह दिए हैं। परिषद ने कहा है कि किसान गेंहू की कटाई अभी कुछ दिनों के लिए टाल सकते हैं। परिषद का मानना है की गेहूं की कटाई में 20 अप्रैल तक देरी की जा सकती है और इससे कोई नुकसान नहीं होगा।
इसके पीछे का कारण बताते हुए परिषद ने कहा की ज्यादातर क्षेत्रों में तापमान अभी भी औसत से नीचे है और इसीलिए कटाई में कुछ देरी की जा सकती है। ग़ौरतलब है की आमतौर पर, गेहूं की कटाई मार्च महीने के अंत से शुरू होती है।
Shareअप्रैल के पहले हफ्ते में किसानों को मिलेगी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की पहली किस्त
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश भर में चल रहे लॉकडाउन के बीच किसान भाइयों के लिए एक खुशख़बरी आई है। यह खुशख़बरी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत आई है। इस योजना के अंतर्गत आने वाले किसानों को इसकी पहली किस्त दिए जाने की तारीख घोषित कर दी गई है।
ख़बरों के अनुसार आगामी एक अप्रैल से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत पहली किस्त के भुगतान की शुरुआत कर दी जायेगी। ग़ौरतलब है की इस योजना के अंतर्गत सरकार किसानों को पूरे वर्ष के दौरान तीन समान किस्तों में 6000 रुपये देती है। भारत सरकार की तरफ से किसानों को आर्थिक मदद देने हेतु यह महत्वाकांक्षी योजना पिछले वर्ष आरम्भ की गई थी।
Shareकोरोना वायरस के मद्देनजर क्या है देश में खाद्य भंडारण की स्थिति?
- कोरोना वायरस से बचने के लिए 21 दिनों तक घोषित देश में तालाबंदी (लॉक डाउन) के इस कठिन समय में भारतीय खाद्य निगम के चेयरमैन ने बताया कि देश में इस वक्त सरकारी गोदामों में गेहूं, दाल, तेल और चीनी का भरपूर भंडार है।
- देश के पास पर्याप्त खाद्य भंडार, मौजूदा स्टॉक से ज़रूरतमंदों को 18 महीने तक आपूर्ति की जा सकती है।
- इस साल देश में रिकॉर्ड 291.10 लाख टन खाद्यान्न के उत्पादन का अनुमान लगाया गया है जो मेहनती किसानों के कारण संभव हो सका।
- इस विपदा के समय में ग्रामोफ़ोन परिवार सभी किसानों का आभार व्यक्त करता है।
मध्य प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि से फसल को हुए नुकसान पर सीएम ने दिया मदद का भरोसा
पिछले 24 घंटे में मध्य प्रदेश के करीब 20 जिले में बारिश के साथ भारी ओलावृष्टि हुई जिससे किसानों द्वारा लगाई गई फ़सलों को भारी नुकसान हुआ है। इस ओलावृष्टि की वजह से खेतों में सफ़ेद चादर बिछ गई। फ़सलों के नष्ट होने की वजह से लाखों किसान नुकसान झेलने को मजबूर हुए हैं।
एक तरफ पहले ही कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए चल रहे देशव्यापी लॉक डाउन से किसानों को परेशानी हो रही थी वहीं दूसरी तरफ अब इस ओलावृष्टि से किसानों को और ज्यादा परेशानी होती नजर आ रही है।
बहरहाल इस परेशानी के समय में किसान भाइयों को मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से मदद की उम्मीद है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस ओलावृष्टि को देखते हुए किसान भाइयों की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। सीएम शिवराज ने इस बाबत ट्वीट करते हुए किसानों को फ़िक्र ना करने को कहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में लिखा की “मेरे किसान भाइयों, प्रदेश के विभिन्न स्थानों में भारी बारिश के साथ ओले गिरने का समाचार मिला है। मैं स्थिति की लगातार मॉनिटरिंग कर रहा हूँ। आप चिंता मत कीजिए, फसल के नुकसान को लेकर परेशान मत होइये। मैं संकट की हर घड़ी में आपके साथ खड़ा हूँ, इससे भी बाहर निकालकर ले जाऊंगा।”
Shareकिसानों को राहत, अल्पकालीन फसली ऋण चुकाने की मियाद एक महीने बढ़ाई गई
कोरोना वैश्विक महामारी की वजह से देश भर में चल रहे लॉक डाउन से बहुत सारे लोगों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। हमारे किसान भाइयों को भी इसकी वजह से कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन्ही समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार ने किसानों द्वारा ली गई अल्पकालीन फसली ऋण के भुगतान की तिथि एक महीने आगे बढ़ा दी है।
केंद्र सरकार ने किसानों के लिए अल्पकालीन फसली ऋण के पुनर्भुगतान की अवधि 31 मई 2020 तक बढ़ाने का फैसला किया है। बता दें की अब किसान भाई 31 मई 2020 तक अल्पकालीन फसली ऋण को बगैर किसी दंडात्मक ब्याज के महज 4% सालाना ब्याज की दर पर भुगतान कर सकते हैं।
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