- ज्ञात हो कि कड़कनाथ मुर्गा मध्यप्रदेश के झाबुआ की पहचान है।
- इन मुर्गों को कालीमासी के नाम से भी जाना जाता है।
- भारत सरकार से कड़कनाथ को जीआई टैग भी मिल चुका है।
- यह मुर्गा काले रंग, काले खून, काले हड्डी और काले मांस के साथ लजीज स्वाद के लिए पहचाना जाता है।
- यह मुर्गा फैट और कोलेस्ट्रॉल-फ्री भी होता है।
- कड़कनाथ में आयरन एवं प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है, जबकि कॉलेस्ट्राल और फैट की मात्रा अन्य प्रजाति के मुर्गों से काफी कम पाई जाती है।
- बाजार में इसका रेट अन्य प्रजातियों के मुर्गों से काफी अधिक होता है।
इस योजना से महिलाएं 10 लाख रुपए का लोन लेकर शुरू कर सकती हैं अपना बिजनेस
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। ऐसी ही एक योजना है पीएनबी महिला उद्यमी निधि योजना जो महिलाओं को अपना बिजनेस शुरू करने के लिए प्रेरित करता है।
इस योजना के अंतर्गत कम ब्याज दर एवं कम शर्तों पर ऋण दिए जाते हैं। इससे 10 लाख रुपए तक का ऋण लिया जा सकता है। इस ऋण का उपयोग नया बिजनेस शुरू करने के लिए और साथ ही साथ पहले से मौजूद किसी बिजनेस को बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है।
इस योजना से लिए गए ऋण को 5 से 10 साल बाद वापिस किया जाना होता है। इसमें सिर्फ महिलाएं ही आवेदन कर सकती हैं और हितग्राही महिला का बिजनेस में 51% मालिकाना हक होना जरूरी होता है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareआज से बदल जाएगा मध्य प्रदेश का मौसम, जानें मौसम पूर्वानुमान
मध्य प्रदेश समेत मध्य भारत के कई क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश की गतिविधियां आज से थम जायेगी। दरअसल आज से वेदर सिस्टम उत्तर एवं मध्य भारत से आगे बढ़ते हुए अब उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में पहुंचेगा और बारिश का दौर भी मध्य और उत्तरी भारत से खत्म हो जाएगा।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareअगर जानवरों में आ रहे हों ये लक्षण तो यह TB रोग का हो सकता है प्रकोप
- जिस प्रकार मनुष्य में TB रोग होता है ठीक उसी प्रकार जानवरों में भी यह रोग होता है।
- इस रोग के कारण पशु कमजोर और सुस्त हो जाते हैं। कभी-कभी तो इसके कारण पशुओं के नाक से खून निकलने लगता है और सूखी खांसी भी हो सकती है।
- इसके कारण पशुओं में खाने के रूचि भी काफी कम हो जाती है तथा फेफड़ों में सूजन भी हो जाती है।
- इस रोग से ग्रसित पशुओं को बाकी स्वस्थ पशुओं से दूर रखना चाहिए।
- पशुओं में इसके लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएँ।
तरबूज की उपज के लिए राजस्थान के दो रियासतों में क्यों छिड़ गई थी युद्ध?
तरबूज की खेती आजकल कई किसान करते हैं और इससे अच्छा लाभ भी उन्हें मिलता है। पर क्या आप जानते हैं की तरबूज की खेती की वजह से इतिहास में एक बार दो रियासतों के बीच युद्ध छिड़ गई थी? जी हाँ ये वाक्या दरअसल राजस्थान में सन 1644 ईस्वी में पेश आया था जब तरबूज की फसल के लिए बीकानेर और नागौर रियासतों के बीच युद्ध छिड़ गई और इसमें हजारों सैनिकों की जान भी चली गई थी।
बीकानेर और नागौर रियासत की सीमा पर उगे तरबूज की फसल के लिए दो खेत मालिकों के बीच हुई कहासुनी इस युद्ध के शुरुआत का कारण बनी। दरअसल बीकानेर रियासत के आखिरी गांव में तरबूज की फसल लगाई गई। इस तरबूज की बेल फैलते-फैलते दूसरी रियासत के गांव में चली गई। जब तरबूज के फल उगने लगे तब इसी फल पर दावेदारी के लिए यह युद्ध हुई। इस युद्ध में जीत बीकानेर रियासत की हुई और नागौर के सैनिक बुरी तरह हार गए थे।
स्रोत: न्यूज़ 18
Shareमध्यप्रदेश के मंडियों में 12 मार्च को क्या रहा अलग अलग फसलों का भाव
मंडी | फसल | मॉडल भाव प्रति क्विंटल |
रतलाम | लहसुन देसी 35 मिमी + | 4300 |
रतलाम | लहसुन देसी 40 मिमी + | 4801 |
अलोट | सोयाबीन | 5200 |
अलोट | गेहूँ | 1620 – 1751 |
अलोट | चन्ना | 4203 – 4891 |
अलोट | मैथी | 5600 |
अलोट | सरसो | 5051 – 5075 |
अलोट | असालिया | 5601 |
अलोट | धनिया | 6461 – 6701 |
अलोट | प्याज | 650 1420 |
रतलाम | प्याज | 951 |
अलोट | लहसुन | 1225 – 5151 |
हरसूद | सोयाबीन | 5200 – 5225 |
हरसूद | सरसो | 4651 – 4700 |
हरसूद | गेहूँ | 1681 |
हरसूद | चन्ना | 4735 |
हरसूद | तुवर | 6080 |
हरसूद | मुंग | 5600 |
रतलाम | गेहूँ लोकवान | 1795 |
रतलाम | इटालियन चना | 4960 |
रतलाम | मेथी | 5600 |
रतलाम | पीला सोयाबीन | 5152 |
रतलाम | गेहूँ शरबती | 2925 |
रतलाम | गेहूं लोकवान | 1865 |
रतलाम | गेहूं मिल | 1730 |
रतलाम | मक्का | 1300 |
रतलाम | शंकर चन्ना | 5100 |
रतलाम | इतालवी चन्ना | 5000 |
रतलाम | डॉलर चन्ना | 6800 |
रतलाम | तुवर | 1604 |
रतलाम | उड़द | 3000 |
रतलाम | मटर | 5500 |
रतलाम | पीला सोयाबीन | 5015 |
सेलाना मंडी- रतलाम | सोयाबीन | 5100 |
रतलाम | गेहूँ | 1876 |
रतलाम | चन्ना | 4565 |
रतलाम | डॉलर चन्ना | 7000 |
रतलाम | मटर | 3299 |
रतलाम | मसूर | 7000 |
रतलाम | मेधी दाना | 5699 |
रतलाम | कापस | 6452 |
रतलाम | मक्का | 1331 |
रतलाम | रायड़ा | 4901 |
पिपरिया | गेहूँ | 1460 – 1695 |
पिपरिया | चन्ना | 4430 -4980 |
पिपरिया | मक्का | 124 – 1310 |
पिपरिया | मुंग | 4000-6725 |
पिपरिया | बाजरा | 971-1020 |
पिपरिया | तुवर | 4600-7141 |
पिपरिया | धन | 2300-2830 |
पिपरिया | मसूर | 4020-5152 |
मध्य प्रदेश के इन जिलों में अगले 48 घंटे में हो सकती है बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान
पिछले 24 घंटे से मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में बारिश की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। यह गतिविधियां आज और कल भी जारी रह सकती हैं। कल के बाद से ये गतिविधियां थम जाएंगी। इसके साथ ही सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक हल्की बारिश जारी रह सकती है। विदर्भ सहित केरल और दक्षिणी तमिलनाडु में भी छिटपुट बारिश के आसार बन रहे हैं।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareइस साल समर्थन मूल्य पर सबसे ज्यादा गेहूँ की खरीदी करेगा मध्य प्रदेश
केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की बैठक में देश के अलग अलग राज्यों द्वारा एमएसपी पर गेहूँ खरीदने हेतु लक्ष्य तय किये गये। इस बैठक में मध्य प्रदेश को 135 लाख टन गेहूँ खरीदने का लक्ष्य दिया गया है। बता दें कि यह लक्ष्य देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है।
मध्य प्रदेश के बाद पंजाब को 130 लाख टन गेहूँ खरीदने का लक्ष्य दिया गया है। अन्य राज्यों में हरियाणा को 80 लाख टन, उत्तर प्रदेश को 55 लाख टन, राजस्थान को 22 लाख टन, उत्तराखंड को 2.20 लाख टन, गुजरात को 1.5 लाख टन और बिहार को 1 लाख टन गेहूँ खरीदने का लक्ष्य दिया गया है।
स्रोत: कृषक जगत
Shareमध्यप्रदेश सरकार का बड़ा फैसला, अब सस्ते हो जाएंगे कृषि यंत्र
कम्बाइन हार्वेस्टर, ट्रेक्टर, पॉवर टिलर व अन्य कृषि यंत्रों के दाम बहुत ज्यादा होते हैं और इन यंत्रों पर टैक्स भी काफी लगता है जिस कारण बहुत सारे किसान इसका उपयोग करने में असमर्थ रहते हैं। किसानों की इस समस्या को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है।
दरअसल मध्यप्रदेश सरकार कृषि यंत्रों पर लिए जाने वाले भारी भरकम टैक्स को कम करने का निर्णय लिया है। इस मसले पर हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया की कृषि यंत्रों पर लिए जाने वाले टैक्स को अब 9% घटा दिया गया है | बता दें की पहले मध्यप्रदेश में कृषि यंत्रों की खरीदी पर किसानों को 10% टैक्स देना पड़ता था पर अब इसे घटा कर महज 1% कर दिया गया है |
स्रोत: किसान समाधान
Shareग्रामोफ़ोन सुपर फसल प्रोग्राम ने विपरीत परिस्थितियों में भी किसान को दिलाई अच्छी उपज
खेत की मिट्टी उपजाऊ हो तभी किसान खुशहाल रह सकता है और इसी मिट्टी के स्वास्थ का आकलन कर किसानों को कृषि सहायता पहुँचाने हेतु ग्रामोफ़ोन ने सुपर फसल प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इस प्रोग्राम से सैकड़ों किसानों को लाभ हुआ है। इससे ना सिर्फ अच्छी उपज की प्राप्ति हुई बल्कि खेत की मिट्टी की उर्वरता भी अच्छी हुई।
धार जिले के किसान श्री मुकेश कुशवाहा ने इस प्रोग्राम की मदद से मिट्टी परीक्षण करवाया और मिट्टी में मौजूद कमियों को दूर किया। ऐसा करने से उनकी कृषि लागत में काफी कमी आई और उत्पादन भी अच्छा हुआ। इस साल मौसम की मार के कारण ज्यादातर किसानों की सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई पर मुकेश जी ने ग्रामोफ़ोन के मार्गदर्शन में 10 क्विंटल/एकड़ की अच्छी उपज प्राप्त की। मुकेश जी ने अपनी 3 एकड़ के खेत से कुल 30 क्विंटल उपज की प्राप्ति की।
मुकेश जी की यह कहानी सभी किसान भाइयों के लिए एक प्रेरणादायी है। दूसरे किसान भाई भी मुकेश जी की तरह ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ सकते हैं और अपनी कृषि को बेहतर कर सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप या तो टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल करें या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन करें।
Share