मध्य प्रदेश के किसानों को अगले तीन साल में सब्सिडी पर दिए जाएंगे 2 लाख सोलर पंप

2 lakh solar pumps to be given on subsidy to farmers of MP in next three years

बिजली के वैकल्पिक स्रोत को सरकार खूब बढ़ावा दे रही है। इसी कड़ी में किसानों को बिजली के लिए सौर उर्जा का इस्तेमाल करने हेतु कुसुम योजना की शुरुआत की गई है। इसके साथ साथ राज्य सरकार सब्सिडी पर सोलर पंप मुहैया करवाने सम्बन्धी योजनाओं को भी शुरू कर रही है।

बात मध्य प्रदेश की करें तो यहाँ आने वाले तीन सालों में 2 लाख सोलर पंप किसानों को देने का लक्ष्य रखा गया है। ग़ौरतलब है की सोलर पंप लगाए जाने से राज्य के किसान भाइयों को बेहतर सिंचाई का लाभ मिलेगा। प्रदेश के किसानों की सोलर पंप लगाने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। राज्य में मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना के अंतर्गत किसानों के लिए वर्तमान समय तक 14 हजार 250 सोलर पंप लगाए भी जा चुके हैं। आने वाले समय में यह संख्या और ज्यादा बढ़ेगी और 2 लाख सोलर पंप स्थापित किये जाएंगे।

स्रोत: किसान समाधान

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मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग मिलेगा? किसानों को होगा लाभ

Basmati rice of Madhya Pradesh will get a GI tag

मध्यप्रदेश के 13 जिलों के लगभग 80,000 किसानों द्वारा उगाये जाने वाली बासमती चावल को मध्यप्रदेश सरकार जीआई टैग दिलाने की कोशिश में। इसके लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से सोमवार को मुलाकात की है। इस मुलाक़ात में उन्होंने राज्य में कई बासमती चावल के लिए जीआई टैग देने में केंद्रीय कृषि मंत्री को सहयोग करने को कहा है।

क्या होता है जीआई टैग?
जीआई टैग दरअसल एक विशिष्ट भौगोलिक संकेत है जो किसी भी उत्पाद के विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति स्थान को इंगित करता है।

राज्य के 13 जिले जिनमें बासमती चावल की खेती की जाती है वे हैं आलंद, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर, दतिया, गुना, विदिशा, शिवपुरी, रायसेन, सीहोर, जबलपुर, होशंगाबाद और नरसिंहपुर। मुख्यमंत्री ने कृषि मंत्री के साथ हुई बैठक में कहा, ‘‘इन 13 जिलों में उत्पादित चावल को जीआई टैग से इनकार करना राज्य के किसानों और उनकी आजीविका के साथ अन्याय होगा।’’

स्रोत: नवभारत टाइम्स

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अभी और हो सकते हैं टिड्डी दल के हमले, खाद्य एवं कृषि संगठन ने एक महीने सतर्क रहने को कहा

After 27 years in MP, large locust attack, Threat on Moong crop of 8000 crores

खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने टिड्डी दल के हमले से संबंधित अलर्ट जारी किया है। इस अलर्ट में कहा गया है की “देश को अगले एक महीने तक सतर्क रहने की जरुरत है।” एफएओ की तरफ से यह अलर्ट ऐसे समय जारी किया गया है, जब देश पिछले 26 साल के सबसे बड़े टिड्डियों के हमले झेल रहा है। इस बड़े हमले से बचाव के लिए सरकार की तरफ से कई प्रयास किये जा रहे हैं जिसमे ड्रोन और हेलीकॉप्टर जैसे आधुनिक उपकरणों व प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल भी शामिल है।

ग़ौरतलब है की टिड्डियों के हमले से पश्चिमी सीमा पर अवस्थित राज्य राजस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा और बिहार जैसे राज्य भी इससे प्रभावित हुए हैं। एफएओ की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि मानसून की बारिश के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा से उत्तरी राज्यों की ओर गया टिड्डियों का दल फिर से राजस्थान की तरफ लौट सकता है।

स्रोत: नवभारत टाइम्स

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20 राज्यों में मौसम विभाग का अलर्ट, हो सकती है भारी बारिश, जानिए मौसम का पूर्वानुमान

Take precautions related to agriculture during the weather changes

धीरे धीरे पूरे देश में मानसून सक्रिय हो रहा है। मुंबई तथा गुजरात में मानसून की तेज बारिश की शुरुआत हो गई है वहीं मध्य और उत्तर भारत के कई राज्यों में भी बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले 24 घंटे में देश भर के 20 से अधिक राज्यों में भारी बारिश हो सकती है और खासकर के बिहार और झारखंड में आकाशीय बिजली गिर सकती है।

अगले 24 घंटों में मुंबई समेत कोंकण और गोवा में मूसलाधार बारिश जारी रह सकती है। अगर बात करें, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश और पश्चिमी राजस्थान कि तो वहां मौसम शुष्क ही बना रहेगा।

वर्तमान में मानसून की अक्षीय रेखा बीकानेर, अजमेर, गुना, सतना, डाल्टनगंज और मालदा से गुज़र रही है। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश पर भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र सक्रिय है। इस सिस्टम से पूर्वी मध्य प्रदेश होते हुए विदर्भ तक एक ट्रफ बना हुआ है।

अगले 24 घंटों में मुंबई समेत कोंकण और गोवा में मूसलाधार वर्षा हो सकती है। इसके अलावा तटीय कर्नाटक, केरल, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, बिहार के उत्तरी भागों, दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है।

स्रोत: कृषि जागरण

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15 जुलाई है फसल बीमा करवाने की अंतिम तिथि, ऐसे करें आवेदन

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana

बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से अक्सर किसानों की फसल प्रभावित होती है। किसानों को होने वाले इन्हीं नुकसानों से बचाता है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। कृषि विभाग ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना की अधिसूचना जारी कर दी है। खरीफ-2020 और रबी 2020-21 सीजन के लिए मंगलवार को यह अधिसूचना जारी की गई है। इसके मुताबिक खरीफ-2020 के लिए फसल बीमा करवाने की अंतिम तिथि 15 जुलाई रखी गई है। 

कैसे करें आवेदन?

इसका आवेदन आप बैंक के माध्यम से और ऑनलाइन भी कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन देने के लिए https://pmfby.gov.in/ लिंक पर जाकर फॉर्म भरें। इसके आवेदन के लिए एक फोटो और पहचान पात्र हेतु पैन कार्ड, ड्रायविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड या आधार कार्ड की जरुरत होती है। इसके अलावा एड्रेस प्रूफ के लिए भी एक दस्तावेज़ जरूरी होता है जिसके लिए किसान को खेती से जुड़े दस्तावेज़ और खसरा नंबर दिखाने होते हैं। फसल की बुआई हुई है इसकी सत्यता हेतु प्रधान, पटवारी या फिर सरपंच का पत्र देना होता है। एक कैंसिल चेक भी देना होता है ताकि क्लेम की राशि खाते में सीधे आए। 

स्रोत: न्यूज़ 18

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अब टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं की ली जा रही है मदद

Locusts team knocked in Madhya Pradesh, Can cause heavy damage to crops

पिछले कई हफ़्तों से राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में पाकिस्तान से आये टिड्डी दल का हमला हो रहा हो। ऐसे में भारत में टिड्डी नियंत्रण अभियान के लिए कई कोशिश की गयी है जिसके कारण टिड्डियों के नियंत्रण में कामयाबी भी मिल रही है। इसी कड़ी में पिछले दिनों टिड्डी दल पर काबू करने के लिए हेलीकॉप्टर का भी उपयोग किया जा रहा है।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले दिनों स्प्रे उपकरण से युक्त एक बेल हेलीकॉप्टर को हरी झंडी दिखाई। हेलीकॉप्टर उत्तरलाई, बाड़मेर स्थित वायु सेना स्टेशन के लिए रवाना होगा, जहां वह शुरुआती तौर पर तैनात रहेगा और वहां से अलग अलग क्षेत्रों में होने वाले टिड्डी हमले पर नियंत्रण करेगा।

इस हेलीकॉप्टर को एक ही पायलट चलाएगा और इसमें एक बार में 250 लीटर कीटनाशक ले जाने की क्षमता है। यह हेलीकॉप्टर एक बार में 25 से 50 हेक्टेयर क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव कर देगा।

इससे पहले भारत ने टिड्डियों को कंट्रोल करने में कुछ ऐसा भी किया है जिसकी तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है। दरअसल भारत ने टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन का सहारा लिया है और ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश भी बन गया है।

स्रोत: कृषक जगत

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मध्यप्रदेश के किसानों को बिजली बिल में भारी छूट

मार्च महीने के आखिरी हफ्ते से शुरू हुए देशव्यापी लॉक डाउन की वजह से किसान भाइयों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान झेलना पड़ा है। इसको देखते हुए अलग–अलग राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार किसानों को आर्थिक सहयोग कर रही है। इस क्रम में मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को कृषि के साथ–साथ घरेलू बिजली बिल में राहत देने का फैसला लिया है।

इस छूट के अंतर्गत प्रदेश के ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ता जो संबल योजना के हितग्राही है एवं जिनके माह अप्रैल, 2020 में देयक की राशि 100 रूपये तक थी, उनके आगामी तीन माह अर्थात मई, जून एवं जुलाई, 2020 में देयक राशि 100 रूपये तक आने पर उनसे इन तीन माहों में मात्र 50 रूपये प्रति माह लिया जा रहा है।
इसके अलावा ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ता जिनके माह अप्रैल, 2020 में देयक की राशि 100 रूपये तक थी, उनके आगामी तीन माह अर्थात मई, जून एवं जुलाई, 2020 में देयक राशि 100 रूपये से 400 रूपये तक आने पर उनसे इन तीन माहों में मात्र 100 रूपये प्रति माह की राशि ली जा रही है।

स्रोत: किसान समाधान

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मध्यप्रदेश सरकार मंडी शुल्क कम करने की तैयारी में, जल्द आ सकता है संशोधन विधेयक

MP Government preparing to reduce Mandi Fees, Amendment bill may come soon

हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के किसानों को उनकी फसल की उपज का उचित मूल्य दिलाने के कई कार्य किये हैं। इनमें निजी मंडी की स्थापना और व्यापारियों को खेत व घर से उपज खरीदने की छूट देने का निर्णय भी शामिल है। अब इसी कड़ी में प्रदेश सरकार एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है।

मध्यप्रदेश सरकार मंडी शुल्क को कम करने की तैयारी में है। शिवराज सरकार ने मंडी अधिनियम में संशोधन के लिए जो अध्यादेश जारी किया था, उसको लेकर विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक लाने वाली है। इसमें मंडी में व्यापार करना और सरल बनाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक अपर मुख्य सचिव श्रम डॉ. राजेश राजौरा की अगुवाई वाली समिति मंडी अधिनियम में संशोधन का खाका तैयार कर रही है।

गौरतलब है की मंडियों में होने वाले सौदे में प्रति क्विंटल डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क लिया जाता है। पर सरकार जिन नए प्रावधानों को लाने की तैयारी में है उसके तहत इसे घटाया जा सकता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान मंडी में अपनी उपज लेकर आएं।

स्रोत: नई दुनिया

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फलोद्यान योजना के अंतर्गत किसानों को 3 साल में मिलेंगे 2.25 लाख रुपये

Under Falodyan Yojana, farmers will get Rs. 2.25 lakhs in 3 years

लघु सीमांत किसानों के लिए सरकार फलोद्यान योजना शुरू कर रही है। अगर किसान इस योजना में शामिल होते हैं, तो उन्हें तीन साल में सरकार की तरफ से लगभग सवा दो लाख रुपए का अनुदान मिलेगा। योजना के तहत किसान को एक एकड़ में 4 फलों की पौध लगानी होगी। किसान चाहे तो इसे अपने खेतों की मेड़ पर भी लगा सकते हैं। 1 एकड़ क्षेत्रफल के लिए किसान को 4 सौ फलों के पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे।

इस योजना के अंतर्गत शुरूआती साल में किसान को उद्यान लगाने के साथ उसकी देखरेख करने के एवज में मनरेगा के तहत 316 मानव दिवस की मजदूरी दी जाएगी। उद्यान की देखरेख में आने वाली सामग्री के लिए 35 हजार रुपए का अनुदान अलग से, तीन साल तक लगातार किसान को मिलता रहेगा।

इस योजना के अंतर्गत किसान क्षेत्रीय फल पपीता, अनार, जामुन, मुनगा, अमरूद, संतरा सहित वह फल लगा सकते है जिनके लिए उस स्थान विशेष का मौसम अनुकूल हैं। योजना में ऐसे कृषक परिवार जिसकी मुखिया कोई महिला या दिव्यांग हो, को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा योजना का लाभ बीपीएल कार्डधारी, इंदिरा आवास योजना के हितग्राही, अनुसूचित जाति, जनजाति के साथ लघु सीमांत किसान ले सकते हैं।

स्रोत: भास्कर

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मानसून इफेक्ट: दलहन, तिलहन फ़सलों के साथ कपास की बुआई में 104 फीसदी की बढ़ोतरी

Monsoon effect: 104% increase in cotton sowing with pulses, oilseed crops

देश भर में कई राज्य में जून महीने में मानसून से पहले ही प्री मानसून के कारण अच्छी बारिश हुई थी और अब मानसून भी बहुत सारे राज्यों में सक्रिय होता नजर आ रहा है। इसी मानसूनी इफेक्ट का नतीजा है की खरीफ फ़सलों की बुआई में 104.25 फीसदी की भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है।

खरीफ फ़सलों में दलहन के साथ तिलहन, कपास और मोटे अनाजों की बुआई बहुत अधिक हुई है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक वर्तमान समय में खरीफ फ़सलों की बुआई बढ़कर 315.63 लाख हेक्टेयर में हो गई है जो पिछले साल इस समय तक 154.53 लाख हेक्टेयर तक ही पहुँच पाई थी।

खरीफ फ़सलों में मुख्यतः धान की रोपाई 37.71 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले साल इस समय तक 27.93 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम रही थे। दलहन फसलों की बुआई भी बढ़कर 19.40 लाख हेक्टेयर में हो गई है जो पिछले साल इस समय तक महज 6.03 लाख हेक्टेयर थी। बात करें कपास की बुआई की तो यह भी बढ़कर 71.69 लाख हेक्टेयर हो गया है जो की पिछले साल इस समय तक महज 27.08 लाख हेक्टेयर ही हो पाया था।

स्रोत: आउटलुक एग्रीकल्चर

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