कोबाल्ट की कमी से जानवरों को हो सकती हैं ये परेशानियां

Which disease occurs in animals due to cobalt deficiency
  • जुगाली करने वाले पशुओं के लिये कोबाल्ट अति आवश्यक होता है।
  • यह शरीर में बहुत ही सीमित मात्रा में पाया जाता है और इसकी कमी मुख्यत: खाद्य पदार्थों में इसलिये होती है क्योंकि जिस मिट्टी में खाद्यान्नों को उगाया गया है, उस मिट्टी में भी इसकी कमी रहती है।
  • यह विटामिन बी12 के संश्लेषण में मदद करता है जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण एवं वृद्धि में मदद मिलती है।
  • कोबाल्ट की कमी से भूख न लगना कमजोरी, पाइका, दस्त लगना तथा बांझपन जैसी समस्याएं पशुओं में हो सकती है।

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मिट्टी में मौजूद विद्युत चालकता की जानकारी रखें और पाएं बेहतर उपज

What is the meaning of Electrical conductivity
  • मिट्टी की विद्युत चालकता (ईसी) एक अप्रत्यक्ष माप है जो मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों के साथ बहुत गहरा संबंध रखता है। विद्युत चालकता मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता का एक संकेत है।
  • विद्युत चालकता (ईसी) पर मिट्टी की क्षारीयता एवं अम्लीयता का मापन भी बहुत निर्भर करता है।
  • मिट्टी में लवणों की अधिक सांद्रता पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया पर हानिकारक प्रभाव छोड़ती है।
  • विद्युत चालकता स्तर का बहुत कम होना कम उपलब्ध पोषक तत्वों को इंगित करते हैं, और बहुत अधिक ईसी स्तर पोषक तत्वों की अधिकता का संकेत देते हैं।
  • कम ईसी वाले अक्सर रेतीली मिट्टी में कम कार्बनिक पदार्थ के स्तर के साथ पाए जाते हैं, जबकि उच्च ईसी स्तर आमतौर पर मिट्टी में उच्च मिट्टी सामग्री (अधिक क्ले) के साथ पाए जाते हैं।
  • मिट्टी के कणों की बनावट, लवणता और नमी मिट्टी के गुण हैं जो ईसी स्तर को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।

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अपने खेत की मिट्टी के गुणों की इस प्रकार करें पहचान

What are the qualities of good soil

✔️ अच्छी मिट्टी इस प्रकार की मिट्टी को कहा जाएगा जिसका pH मान आदर्श हो और मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा बहुत संतुलित हो।

? अच्छी मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए सर्वोत्तम होती है।

? इस प्रकार की मिट्टी के कणों में बहुत अधिक जल धारण क्षमता होती है।

? यह पानी की पर्याप्त मात्रा को रोके रहती है और इसमें वायु संचार भी भली-भाँति होती रहती है।

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फूल गोभी की उन्नत खेती के लिए ऐसे करें नर्सरी की तैयारी

How to prepare nursery for Cauliflower
  • फूलगोभी की रोपाई से पूर्व इसके बीजों की बुआई नर्सरी में की जाती है।
  • जब गोभी की नर्सरी तैयार की जा रही हो तब इस बात का ध्यान रखें की निदाई, पानी, निराई आदि की प्रक्रिया आसानी से हो सके।
  • जिस खेत में भारी मिट्टी होती है वहाँ पर जल भराव की समस्या से बचने के लिए बेड की ऊंचाई अधिक रखी जानी चाहिए।
  • बुआई से पहले गोभी के बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 मिली/किलो बीज से बीज उपचार करें।
  • नर्सरी में बीजों के बुआई के पूर्व नर्सरी में मिट्टी उपचार करना भी बहुत आवश्यक होता है। इससे मिट्टी जनित रोगों की रोकथाम होती है।
  • मिट्टी उपचार के लिए फिप्रोनिल 0.3% GR@ 25 ग्राम/नर्सरी और ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 25 ग्राम/नर्सरी और सी वीड + एमिनो + मायकोराइज़ा@ 25 ग्राम/नर्सरी की दर से उपचारित करें।
  • यह भी ध्यान रखें की बुआई के समय भूमि में पर्याप्त नमी जरूर हो।

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गर्मियों के मौसम इस तरह नष्ट करें सफेद लट्ट के अंडे

How to control white grub eggs in the summer season in crops
  • सफ़ेद लट्ट या ग्रब सफेद रंग का कीट होता है जो खेत में सुप्तावस्था में ग्रब के रूप में रहता है। आमतौर पर प्रारंभिक रूप में ये जड़ों में नुकसान पहुंचाते हैं।
  • सफेद ग्रब के प्रकोप के लक्षण फसलों पर देखे जा सकते है, जैसे कि पौधे का एक दम से मुरझा जाना, पौधे की बढ़वार रूक जाना और बाद में पौधे का मर जाना इसका मुख्य लक्षण है।
  • इस कीट का नियंत्रण जून माह में और जुलाई के शुरुआती सप्ताह में कर लेना चाहिए।
  • इसके लिए गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें एवं मेट्राजियम (kalichakra) 2 किलो + 50-75 किलो FYM/कम्पोस्ट के साथ मिलकर प्रति एकड़ की दर से खाली खेत में भुरकाव करें।
  • लेकिन यदि फसल की अपरिपक्व अवस्था में भी इस कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा हो तो सफेद ग्रब के नियंत्रण के लिए रासायनिक उपचार भी किया जा सकता है।
  • इसके लिए फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 500 मिली/एकड़ या क्लोथियानिडिन 50.00% WG @ (डोन्टोटसु) 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरपायरीफोस 20% EC@ 1 लीटर/एकड़ की दर से मिट्टी में मिला कर उपयोग करें।

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तरबूज की फसल में गिर रहे हों फूल तो जरूर अपनाएं ये बचाव के उपाय

What to do to avoid falling of flowers in watermelon crop
  • कद्दू वर्गीय फसल होने के कारण तरबूज की फसल के फूल अवस्था में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • तरबूज की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण फूल गिरने की समस्या होती है।
  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण फसल उत्पादन बहुत प्रभावित होता है।
  • इस समस्या के निवारण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पिक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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जायद मूंग की फसल में ऐसे करें झुलसा रोग का नियंत्रण

How to control Blight in Summer moong crop
  • अंगमारी (झुलसा): इस रोग में पत्तियों पर गहरे भूरे धब्बे पड़ जाते हैं। तनें पर बने विक्षत धब्बे लंबे, दबे हुये एवं बैंगनी-काले रंग के होते हैं। ये धब्बे बाद में आपस में मिल जाते हैं और पूरे तने को चारों और से घेर लेते हैं। फलियों पर लाल या भूरे रंग के अनियमित धब्बे दिखाई देते हैं। रोग की गंभीर अवस्था में तना कमजोर होने लगता है।
  • रासायनिक प्रबधन: मैनकोज़ेब 75% WP@ 600 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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मूंग की 25-30 दिनों की फसल अवस्था में जरूर अपनाएँ ये प्रबंधन उपाय

How to manage green gram crop in 25-30 days
  • मूंग की फसल की 25-30 दिनों की अवस्था में कीट प्रकोप, कवक रोगों का प्रकोप, एवं वृद्धि एवं विकास से संबंधित कई प्रकार की समस्याएं आती हैं।
  • इन सभी समस्याओं के निवारण के लिए मूंग की फसल में 25-30 दिनों में फसल प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • कीट प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए बायफैनथ्रिन 10% EC @ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें। इसके साथ क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कवक रोगों के नियंत्रण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कवक रोगों के जैविक नियंत्रण के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • मूंग की फसल में अच्छी फूल वृद्धि एवं विकास के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
  • यह छिड़काव अप्रैल माह की अमावस्या के दिन अवश्य करें।

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फसलों, सब्जियों एवं फलों को कीटों से सुरक्षित रखता है जैविक कीटनाशक

Organic insecticide protects crops
  • जैविक कीटनाशक फफूंद एवं बैक्टीरिया, विषाणु तथा वनस्पति पर आधारित उत्पाद है।
  • यह फसलों, सब्जियों एवं फलों को कीटों से सुरक्षित रखते हैं।
  • साथ ही यह फसलों के उत्पादन को बढ़ाने में सहयोग प्रदान करते हैं।
  • जीवों एवं वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद होने के कारण जैविक कीटनाशक भूमि में अपघटित हो जाते हैं।
  • जैव कीटनाशक से स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को कोई क्षति नहीं होती है।
  • इनका कोई भी अंश मिट्टी अवशेष के रूप नहीं रहता है। यही कारण कि उन्हें पारिस्थितिकी मित्र के रूप में जाना जाता है।
  • जैविक कीटनाशक केवल लक्षित कीटों को ही नियंत्रित करते हैं।
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नीम लेपित यूरिया के उपयोग से फसलों को मिलेंगे कई लाभ

Crops will get many benefits from the use of Neem Coated Urea
  • नीम लेपित यूरिया ऐसा यूरिया होता है जिस पर नीम को लेपित करके तैयार किया जाता है।
  • नीम लेपित या कोटेड यूरिया बनाने के लिए यूरिया के ऊपर नीम के तेल का लेप कर दिया जाता है।
  • यह लेप नाइट्रीफिकेशन अवरोधक के रूप में काम करता है। नीम लेपित यूरिया धीमी गति से प्रसारित होता है।
  • इसके कारण फसलों की आवश्यकता के अनुरूप नाइट्रोजन पोषक तत्व की उपलब्धता होती है और फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
  • नीम लेपित यूरिया सामान्य यूरिया की तुलना में लगभग 10% कम लगता है, जिससे 10% तक यूरिया की बचत की जा सकती है।

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