जायद मूंग की फसल में ऐसे करें झुलसा रोग का नियंत्रण

How to control Blight in Summer moong crop
  • अंगमारी (झुलसा): इस रोग में पत्तियों पर गहरे भूरे धब्बे पड़ जाते हैं। तनें पर बने विक्षत धब्बे लंबे, दबे हुये एवं बैंगनी-काले रंग के होते हैं। ये धब्बे बाद में आपस में मिल जाते हैं और पूरे तने को चारों और से घेर लेते हैं। फलियों पर लाल या भूरे रंग के अनियमित धब्बे दिखाई देते हैं। रोग की गंभीर अवस्था में तना कमजोर होने लगता है।
  • रासायनिक प्रबधन: मैनकोज़ेब 75% WP@ 600 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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मूंग की 25-30 दिनों की फसल अवस्था में जरूर अपनाएँ ये प्रबंधन उपाय

How to manage green gram crop in 25-30 days
  • मूंग की फसल की 25-30 दिनों की अवस्था में कीट प्रकोप, कवक रोगों का प्रकोप, एवं वृद्धि एवं विकास से संबंधित कई प्रकार की समस्याएं आती हैं।
  • इन सभी समस्याओं के निवारण के लिए मूंग की फसल में 25-30 दिनों में फसल प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • कीट प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए बायफैनथ्रिन 10% EC @ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें। इसके साथ क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कवक रोगों के नियंत्रण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कवक रोगों के जैविक नियंत्रण के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • मूंग की फसल में अच्छी फूल वृद्धि एवं विकास के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
  • यह छिड़काव अप्रैल माह की अमावस्या के दिन अवश्य करें।

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फसलों, सब्जियों एवं फलों को कीटों से सुरक्षित रखता है जैविक कीटनाशक

Organic insecticide protects crops
  • जैविक कीटनाशक फफूंद एवं बैक्टीरिया, विषाणु तथा वनस्पति पर आधारित उत्पाद है।
  • यह फसलों, सब्जियों एवं फलों को कीटों से सुरक्षित रखते हैं।
  • साथ ही यह फसलों के उत्पादन को बढ़ाने में सहयोग प्रदान करते हैं।
  • जीवों एवं वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद होने के कारण जैविक कीटनाशक भूमि में अपघटित हो जाते हैं।
  • जैव कीटनाशक से स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को कोई क्षति नहीं होती है।
  • इनका कोई भी अंश मिट्टी अवशेष के रूप नहीं रहता है। यही कारण कि उन्हें पारिस्थितिकी मित्र के रूप में जाना जाता है।
  • जैविक कीटनाशक केवल लक्षित कीटों को ही नियंत्रित करते हैं।
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नीम लेपित यूरिया के उपयोग से फसलों को मिलेंगे कई लाभ

Crops will get many benefits from the use of Neem Coated Urea
  • नीम लेपित यूरिया ऐसा यूरिया होता है जिस पर नीम को लेपित करके तैयार किया जाता है।
  • नीम लेपित या कोटेड यूरिया बनाने के लिए यूरिया के ऊपर नीम के तेल का लेप कर दिया जाता है।
  • यह लेप नाइट्रीफिकेशन अवरोधक के रूप में काम करता है। नीम लेपित यूरिया धीमी गति से प्रसारित होता है।
  • इसके कारण फसलों की आवश्यकता के अनुरूप नाइट्रोजन पोषक तत्व की उपलब्धता होती है और फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
  • नीम लेपित यूरिया सामान्य यूरिया की तुलना में लगभग 10% कम लगता है, जिससे 10% तक यूरिया की बचत की जा सकती है।

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टमाटर की फसल में लीफ माइनर रोग का नियंत्रण कैसे करें?

How to control leaf miner disease in tomato

टमाटर के पौधे पर लीफ माइनर रोग के लक्षण

? लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) कीट बहुत ही छोटे होते हैं और पत्तियों के अंदर जाकर सुरंग बनाते हैं।

? इससे पत्तियों पर सफेद धारी जैसी लकीरें दिखती हैं। इसके वयस्क कीट हल्के पीले रंग के एवं शिशु कीट बहुत छोटे तथा पैर विहीन पीले रंग के होते हैं। कीट का प्रकोप पत्तियों पर शुरू होता है।

?यह कीट पत्तियों में सर्पिलाकार सुरंग बनाता है पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधा होती है। अंततः पत्तियां गिर जाती हैं।

क्या है उपचार के उपाय?

? रासायनिक प्रबंधन:  इस कीट के नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।

? जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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तरबूज की फसल में उकठा रोग से बचाव के तरीके

Wilt management in Watermelon
  • यह रोग जीवाणु एवं कवक जनित है जो तरबूज की फसल को नुकसान पहुँचाता है।
  • बैक्टीरियल विल्ट संक्रमण के लक्षण संक्रमित पौधों के सभी भागों पर देखे जा सकते हैं।
  • इसके कारण पत्तियां पीली हो जाती हैं, फिर पूरा पौधा सूख जाता है और मर जाता है।
  • तरबूज की फसल गोल घेरे में सूखना शुरू हो जाती है।
  • कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ छिड़काव के रूप में उपयोग करें।

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मूंग की फसल में मकड़ी के प्रकोप से होगा नुकसान, ऐसे करें नियंत्रण

How to control mites in green gram crop

? यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते है होते है जो मूंग की फसल के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल, कली एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।

? जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। यह किट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं जिससे अंत में पौधा मर भी जाता है।

? रासायनिक प्रबंधन: प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

? जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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बैगन की फसल में ऐसे करें सफेद मक्खी का नियंत्रण

White fly management in brinjal crop

? इस कीट के शिशु एवं वयस्क दोनों ही रूप बैगन की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं। ये पत्तियों का रस चूस कर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं एवं पौधे पर उत्पन्न होने वाली सूटी मोल्ड नामक जमाव का कारण भी बनते हैं। इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में बैगन की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है। फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण फसलों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।

? रासायनिक प्रबंधन: इस कीट के निवारण के लिए डायफेनथुरोंन 50% SP @ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामाइड 50% WG @ 60 मिली/एकड़ या एसिटामेप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10% EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

? जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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गिलकी की फसल में वायरस के प्रबंधन के उपाय

Management of virus in the sponge gourd crop

गिलकी की फसल में कैसे फैलता है वायरस?
? अधिक गर्मी एवं मौसम परिवर्तन के कारण गिलकी की फसल में वायरस फैलता है।

? इस वायरस का वाहक सफेद मक्खी है।

? यह पत्तियों पर बैठती है और एक से दूसरे खेत में आती जाती रहती है।

? इससे सब्जियों में वायरस का प्रकोप होता है।

क्या होते हैं वायरस प्रकोप के लक्षण?
? वायरस प्रकोप के लक्षण पौधे की सभी अवस्था में देखे जाते हैं।

? इसके कारण पत्तियों की शिरा पीली पड़ जाती है एवं पत्तियों की पर जाल जैसी संरचना बन जाती है।

क्या हैं उपचार के उपाय?
? रासायनिक प्रबधन: इसके निवारण के लिए एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC@ 250 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

? जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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करेले की फसल में अंकुरण प्रतिशत बढ़ाने के लिए क्या उपाय करें?

What measures should be taken to increase germination percentage in bitter gourd crops
  • जायद सीजन में कई किसान करेले की फसल लगाते हैं।
  • इस मौसम में तापमान में परिवर्तन होता है और तापमान बढ़ जाता है।
  • तापमान में बढ़ोतरी के कारण करेले की फसल में बीजो का पूरी तरह अंकुरण नहीं हो पाता है।
  • इसके कारण किसान की उपज बहुत प्रभावित होती है।
  • इस प्रकार की समस्या के निवारण के लिए करेले के बीज़ो को बीज उपचार करके ही बुआई करें।
  • बुआई के बाद 10-15 दिनों में करेले की फसल में फास्फोरस घोलक जीवाणु @ 500 ग्राम/एकड़ के साथ विगेरमैंक्स जेल @ 1 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दें।
  • इन दोनों उत्पादों के उपयोग से करेले की फसल में अंकुरण प्रतिशत बढ़ता है।

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