करेले की फसल में अंकुरण प्रतिशत बढ़ाने के लिए क्या उपाय करें?

What measures should be taken to increase germination percentage in bitter gourd crops
  • जायद सीजन में कई किसान करेले की फसल लगाते हैं।
  • इस मौसम में तापमान में परिवर्तन होता है और तापमान बढ़ जाता है।
  • तापमान में बढ़ोतरी के कारण करेले की फसल में बीजो का पूरी तरह अंकुरण नहीं हो पाता है।
  • इसके कारण किसान की उपज बहुत प्रभावित होती है।
  • इस प्रकार की समस्या के निवारण के लिए करेले के बीज़ो को बीज उपचार करके ही बुआई करें।
  • बुआई के बाद 10-15 दिनों में करेले की फसल में फास्फोरस घोलक जीवाणु @ 500 ग्राम/एकड़ के साथ विगेरमैंक्स जेल @ 1 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दें।
  • इन दोनों उत्पादों के उपयोग से करेले की फसल में अंकुरण प्रतिशत बढ़ता है।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

तरबूज की फसल में झुलसा रोग का नियंत्रण कैसे करें?

How to control blight disease in watermelon crop

तरबूज के पौधे पर झुलसा रोग के लक्षण 

? झुलसा रोग के कारण तरबूज की पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं,

? तने पर लंबे, दबे हुए एवं बैंगनी-काले रंग के विक्षत धब्बे बन जाते हैं। ये बाद में आपस में मिल जाते हैं और पूरे तने को चारों और से घेर लेते हैं।

?फलियों पर लाल या भूरे रंग के अनियमित धब्बे दिखाई देते हैं। रोग की गंभीर अवस्था में तना कमजोर होने लगता है।

क्या हैं उपचार के उपाय?

?रासायनिक प्रबधन: मैनकोज़ेब 75% WP @ 600 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

?जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

स्मार्ट खेती करने से मिलेगी किसान भाइयों को समृद्धि

Farmers will get prosperity by doing smart farming
  • स्मार्ट खेती से आशय यह है की किसान खेती करने के नए तरीके एवं खेती को लाभ पहुंचाने वाले उत्पादों का उपयोग करे।
  • कुछ ऐसी ही खेती ग्रामोफ़ोन एप के माध्यम से किसान भाई करते हैं।
  • स्मार्ट खेती के अंतर्गत कीट, रोग एवं पोषण संबधी फसल की आवश्यकता को टेक्नोलॉजी के माध्यम से पूरा किया जाता है।
  • इस प्रकार की खेती में मोबाइल एप्लीकेशन, वृहद आंकड़े, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीनों का उपयोग होता है।
  • कृषि में सूचना संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग किसान की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • युवा कृषक पारंपरिक खेती की जगह स्मार्ट खेती तकनीक अपनाकर अपनी खेती में व्यापक सुधार कर रहे हैं।
  • स्मार्ट खेती के माध्यम से किसान की लागत कम एवं उपज ज्यादा होती है।

ग्रामोफ़ोन एप के माध्यम से आप भी कर सकते हैं स्मार्ट खेती। आज ही अपने खेत को “मेरी खेती” विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें।

Share

गर्मियों के मौसम में लोबिया की फसल को चारे के रूप में करें उपयोग

Benefits of planting cowpea crop as fodder in summer
  • गर्मियों के मौसम में पशुओं के लिए हरे चारे का इंतजाम करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में पशुपालकों को इस समय लोबिया की बुआई करनी चाहिए।
  • लोबिया पशुओं के लिए पौष्टिक चारे के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • लोबिया सबसे तेज बढ़ने वाला दलहनी चारा फसल है।
  • लोबिया के अधिक पौष्टिक व पाचकता से भरपूर होने के कारण ही इसे घास के साथ मिलाकर बोने से इसकी पोषकता बढ़ जाती है।
  • लोबिया सब्ज़ी के रूप में भी उपयोग की जाती है। ख़ास कर के इसका उपयोग बरसात में होता है क्योंकि इस समय हरी सब्जियों की उपलब्धता कम हो जाती है।
  • इस समय हरी सब्जी के लिए लोबिया का उत्पादन किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाता है।
  • लोबिया दलहनी फसल है तो यह मिट्टी में नाइट्रोज़न नामक पोषक तत्व की उपलब्धता को बहुत बढ़ाती है।

आधुनिक और स्मार्ट खेती से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहे ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

वर्मी वाश के उपयोग से कृषि में मिलते हैं कई सारे लाभ

The use of VermiWash gives many benefits to crops
  • वर्मीवाश एक तरल पदार्थ होता है जो केंचुए द्वारा स्रावित हार्मोन्स, पोषक तत्वो एवं एन्ज़ाइमयुक्त होता है। इसमें रोग रोधक गुण पाए जाते हैं।
  • इसमें ऑक्सिन एवं साइटोकाईनिन हार्मोन्स और विभिन्न एन्ज़ाइम भी पाए जाते हैं, साथ ही इसमें नाइट्रोजन फिक्सिंग जीवाणु जोटोबैक्टर और फॉस्फोरस घोलक जीवाणु भी पाए जाते हैं।
  • वर्मीवाश का उपयोग फसलों मैं रोगरोधी और कीटनाशक दोनों ही रूप में किया जाता है।
  • वर्मीवाश के उपयोग से फसलों में अधिक उत्पादन और अच्छी गुणवत्ता युक्त उपज प्राप्त होती है जिससे बाजार में किसानों को फसलों के अच्छे दाम प्राप्त होते हैं।
  • वर्मीवाश के उपयोग से किसान की लागत में कमी आती है और उत्पादन बढ़ जाता है।

आधुनिक और स्मार्ट खेती से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहे ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

वर्मी कम्पोस्ट बनाते समय अपनाई जाने वाली सावधानियां

Precautions to be taken while preparing vermicompost
  • वर्मी बेडों में केंचुआ छोड़ने से पूर्व कच्चे माल (गोबर व आवश्यक कचरा) का आंशिक विच्छेदन जरूर करें। इस प्रक्रिया में 15 से 20 दिन का समय लगता है और इसे करना अति आवश्यक होता है।
  • वर्मी बेडों में भरे गये कचरे में कम्पोस्ट तैयार होने तक 30 से 40 प्रतिशत नमी बनाये रखें। कचरे में नमी कम या अधिक होने पर केंचुए ठीक तरह से कार्य नहीं करते हैं।
  • वर्मी बेड में ताजे गोबर का उपयोग कदापि न करें। ताजे गोबर में गर्मी अधिक होने के कारण केंचुए मर जाते हैं अतः उपयोग से पहले ताजे गोबर को 4 व 5 दिन तक ठंडा अवश्य होने दें।
  • केंचुआ खाद बनाने के दौरान किसी भी तरह के कीटनाशकों का उपयोग न करें।
  • कचरे का पी. एच. उदासीन (7.0 के आसपास) रहने पर केंचुए तेजी से कार्य करते हैं। अतः वर्मीकम्पोस्टिंग के दौरान कचरे का पी.एच. उदासीन बनाये रखे। इसके लिए कचरा भरते समय उसमें राख अवश्य मिलाएं।

आधुनिक और स्मार्ट खेती से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहे ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

जायद सीजन में खीरे की खेती से कमाएं बंपर मुनाफा

Earn bumper profits from cucumber cultivation in Zaid Season
  • खीरा गर्मियों में लगाई जाने वाली एक बहुत महत्वपूर्ण फसल है।
  • इस मौसम में दलहनी फसलों के अलावा यदि कोई सबसे ज्यादा लाभ देने वाली फसल है तो वह है खीरा जिसकी खेती कर किसान भारी मुनाफा कमा सकते हैं।
  • खीरे के लिए आवश्यक उन्नतशील प्रजातियों का चयन करें। इनमें स्वर्ण पूर्णा, स्वर्ण अगेती, कल्याणपुर हरा, पन्त खीरा-1, फाइन सेट, जापानी लांग ग्रीन आदि शामिल हैं।
  • जायद सीजन में खीरे की फसल लगाने के लिए बीज प्रति एकड़ 300-350 ग्राम लगता है।
  • जायद के खीरे की फसल की बुआई मार्च के माह में कर लेनी चाहिए। अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए समय समय पर आवश्यक उर्वरकों का प्रयोग अवश्य करें।
  • सावधानी पूर्वक समय से सिंचाई करते रहना चाहिए। पानी की उपलब्धता वाले खेतों का चयन करना चाहिये।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

फसल चक्र अपनाने से मिलते हैं कई फायदे, पढ़ें पूरी जानकारी

What is crop rotation and its benefits
  • मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के लिए विभिन्न फसलों को किसी निश्चित क्षेत्र पर, एक निश्चित क्रम से, किसी निश्चित समय में बोने को फसल चक्र कहते है।
  • इसका उद्देश्य पौधों के भोज्य तत्वों का सदुपयोग तथा भूमि की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक दशाओं में संतुलन स्थापित करना है।
  • किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए फसल चक्र एक बहुत महत्वपूर्ण कारक होता है।
  • फसल चक्र के प्रकार फसल बोये जाने वाले मौसम पर निर्भर करते हैं। इनमें खरीफ के मौसम का फसल चक्र, रबी के मौसम का फसल चक्र, जायद के मौसम का फसल चक्र शामिल है।

आधुनिक और स्मार्ट खेती से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहे ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

टमाटर की फसल में जड़ ग्रंथि निमेटोड से होगा नुकसान

Damage from root knot nematode in tomato
  • जड़ ग्रंथि निमेटोड छोटे ‘ईलवर्म’ होते हैं जो मिट्टी में रहते हैं।
  • अक्सर ये नेमाटोड टमाटर की जड़ों में प्रवेश करते हैं और जैसे-जैसे इनकी संख्या बढ़ती जाती है, छोटी जड़ें नष्ट होती जाती हैं, और अनियमित आकार की गठाने बन जाती हैं।
  • यह कीट टमाटर की फसल में नर्सरी अवस्था में ज्यादा आक्रमण करता है।
  • इसके कारण टमाटर की फसल पूरी तरह से खराब हो जाती है।
  • बचाव हेतु कारबोफुरान 3% GR@ 8-10 किलो/एकड़ या कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 50% SP की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में पॅसिलोमायसिस लीनेसियस @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

फल छेदक कीट से बैंगन की फसल का ऐसे करें बचाव

How to protect brinjal crop from fruit borer
  • इस कीट के मादा रूप हल्के पीले सफ़ेद रंग के अंडे पत्तियों की निचली सतह पर एवं तने, फूल  कलिकाओं या फलों के निचले भाग पर देती हैं।
  • अंडे से निकली हुई इल्ली 15-18 मिमी. लम्बी हल्के सफ़ेद रंग की होती है, जो व्यस्क होने पर हल्के गुलाबी रंग में परिवर्तित हो जाती है।
  • यह प्रारंभिक अवस्था में छोटी इल्ली रहती है, जो तने में छेद करके तने के अंदर प्रवेश करती है जिसके कारण पौधे की शाखाएँ सुख जाती हैं।
  • बाद में इल्ली फलों में छेद कर प्रवेश करती है और गुदे को खा जाती है।
  • इसकी लार्वा अवस्था का जीवन चक्र पूरा हो जाने पर ये तने, सुखी शाखाओं या गिरी हुई पत्तियों पर प्यूपा का निर्माण करती है।
  • इसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 ग्राम/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share