मूंग की फसल में इन उपायों को अपनाने से होगी फूल वृद्धि

What are the preventions to follow for flower growth in green gram crop
  • मूंग की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण फूल गिरने की समस्या होती है।

  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण फसल उत्पादन बहुत प्रभावित होता है।

मूंग में अधिक फूल वृद्धि के लिए निम्र उत्पादों का छिड़काव करें

  • इस समस्या के निवारण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पिक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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तरबूज की फसल में मकड़ी के प्रकोप का ऐसे करें नियंत्रण

How to control mites in watermelon crop
  • मकड़ी छोटे एवं लाल रंग के कीट होते है जो तरबूज की फसल के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल, कली एवं टहनियों आदि पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।

  • तरबूज के जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उन पौधे पर जाले दिखाई देते हैं।

  • यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं जिसके कारण अंत में पौधा मर भी जाता है।

रासायनिक प्रबंधन: प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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डम्पिंग ऑफ रोग से फसलों को होता है काफी नुकसान, जानें इसका निदान

Dumping of disease causes great damage to crops, know its prevention
  • यह रोग किसी भी फसल के शुरुआती दौर में अंकुरण के समय लगता है।

  • इस रोग के कारण जड़ गलने लग जाती है और पौधे नष्ट होने लग जाते हैं।

  • मौसम की अनुकूलता, अधिक नमी एवं तापमान में परिवर्तन इस रोग का मुख्य कारण है।

  • इसके प्रबंधन के लिए थियोफैनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालेक्सिल 4% + मेंकोजेब 64% WP@ 500 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से उपयोग करें।

फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले घातक रोगों से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन दबा के अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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मिर्च की नर्सरी की तैयारी के पहले मिट्टी का सौरीकरण जरूर करें, जानें विधि

How to do solarization of soil before preparation of Chilli nursery
  • मिर्ची की नर्सरी मई माह के शुरुआती सप्ताह में लगायी जाती है।

  • इसके लिए खेत के चयन व खेत की तैयारी आदि का कार्य अप्रैल माह में करना बहुत आवश्यक होता है।

  • मिर्च की नर्सरी लगाने के लिए सबसे पहले मिट्टी का सौरीकरण करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इस क्रिया में हल और पाटा चलाकर मिट्टी को ऊपर नीचे करके उसके बाद मिट्टी को पानी से गीला करना होता है।

  • इसके बाद लगभग 5-6 सप्ताह के लिए पूरे नर्सरी क्षेत्र पर 200 गेज (50 माइक्रोन) की पारदर्शी पॉलीथीन फैलाना होता है।

  • पॉलिथीन के किनारों को गीली मिट्टी की सहायता से ढंकना चाहिए जिससे हवा का प्रवेश पॉलीथिन के अंदर न होने पाए।

  • 5-6 सप्ताह के बाद पॉलीथिन शीट को हटा देना चाहिए।

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करेले की फसल में आएगी पौध गलन की समस्या, कर लें निवारण की तैयारी

How to manage plant rotting problem in bitter gourd crop
  • पौध गलन रोग अक्सर तापमान अचानक गिरने या फिर बढ़ने के कारण होता है और इसके फंगस जमीन में पनपते हैं।

  • यह एक मिट्टी जनित रोग है जो करेले के पौधे के तने को काला कर देता है जिससे तना गल जाता है। इस रोग में तने के मध्य भाग से चिपचिपा पानी निकलने लगता है जिसके कारण मुख्य पोषक तत्व पौधे के ऊपरी भाग तक नहीं पहुंच पाते हैं और इस वजह से पढ़े मर जाते हैं।

  • इनके निवारण के लिए एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाजोल 18.3% SC@ 300 मिली/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • ध्यान रखें की फसल की बुआई हमेशा मिट्टी उपचार एवं बीज़ उपचार करके ही करें।

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करेले की फसल में बुआई के 10-15 दिनों में फसल प्रबंधन है जरूरी

Crop management in 10–15 days of sowing in bitter gourd crop
  • करेले की फसल की इस अवस्था में कीट प्रकोप, कवक रोगों का प्रकोप एवं वृद्धि तथा विकास से संबंधित समस्या आती है।

  • इन सभी समस्या के निवारण के लिए करेले की फसल में 10-15 दिनों में फसल प्रबंधन करना बहुत आवश्यक है।

  • कीट प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए एसिटामिप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से कवक रोगों के नियंत्रण के लिए छिड़काव करें।

  • कवक रोगों के जैविक नियंत्रण के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • अच्छी फसल वृद्धि एवं विकास के लिए विगरमैक्स जेल @ 400 ग्राम/एकड़ + 19:19:19 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव के रूप में उपयोग करें।

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ककड़ी की फसल में लीफ माइनर प्रकोप के लक्षण एवं बचाव की विधि

Characteristics and prevention of leaf miner in cucumber crop

ककड़ी की फसल में लीफ माइनर के प्रकोप के लक्षण

? लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) कीट आकार में बहुत ही छोटे होते हैं जो ककड़ी की फसल के पत्तियों के अंदर जाकर सुरंग बनाते हैं। इससे ककड़ी की पत्तियों पर सफेद धारी जैसी लकीरें बन जाती हैं।

? यह कीट ककड़ी पत्तियों में सर्पिलाकार सुरंग बनाता है इसके कारण ककड़ी के पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधित होती है। इसके कारण अंततः पत्तियां गिर भी जाती हैं।

क्या है बचाव की विधि?

? रासायनिक प्रबंधन: इस कीट के नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।

? जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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तांबे की कमी से पशुओं की हड्डियों में बढ़ जाती है कमजोरी

Importance of copper element in animals
  • ताम्बा पशुओं में ऐसे एंजाइम के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है जो कोशिकाओं की क्षति को रोकते या कम करते हैं।
  • इसकी कमी से पशु की हड्डियों में मजबूती कम हो जाती हैं जिससे विकृति उत्पन्न हो जाती है।
  • इसकी कमी के कारण पशुओं के बालों के रंग असामान्य हो जाते हैं। लाल गाय का रंग पीला हो जाता है एवं काले रंग की गाय का रंग मटमैला या स्लेटी हो जाता है।

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मूंग की फसल को पाउडरी मिल्ड्यू से होगा नुकसान, ऐसे करें बचाव

Management of powdery mildew in green gram crop
  • आमतौर पर यह रोग मूंग की पत्तियों को प्रभावित करता है और पत्तियों के निचले एवं ऊपरी भाग पर आक्रमण करता है।
  • इसके कारण मूंग की पत्तियों के ऊपरी एवं निचली सतह पर पीले से सफेद रंग का पाउडर दिखाई देता है।
  • इनके प्रबंधन के लिए एजेस्ट्रोबिन 11% + टेबूकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 मिली/एकड़ या एजेस्ट्रोबिन@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

अपनी मूंग समेत अन्य हर फसल के खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

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कोबाल्ट की कमी से जानवरों को हो सकती हैं ये परेशानियां

Which disease occurs in animals due to cobalt deficiency
  • जुगाली करने वाले पशुओं के लिये कोबाल्ट अति आवश्यक होता है।
  • यह शरीर में बहुत ही सीमित मात्रा में पाया जाता है और इसकी कमी मुख्यत: खाद्य पदार्थों में इसलिये होती है क्योंकि जिस मिट्टी में खाद्यान्नों को उगाया गया है, उस मिट्टी में भी इसकी कमी रहती है।
  • यह विटामिन बी12 के संश्लेषण में मदद करता है जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण एवं वृद्धि में मदद मिलती है।
  • कोबाल्ट की कमी से भूख न लगना कमजोरी, पाइका, दस्त लगना तथा बांझपन जैसी समस्याएं पशुओं में हो सकती है।

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