फसलों के लिए काफी लाभदायक होता है बोरान, जानें इसके फायदे

Importance of Boron For Crops
  • फसलों को वृद्धि करने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

  • इन पोषक तत्वों में बोरान एक प्रमुख आवश्यक पोषक तत्व है जो फसलों के लिए काफी लाभदायक होता है।

  • बोरान का उपयोग करने से फल फटता नहीं है।

  • बोरान पौधों में जल शोषण की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।

  • यह पौधों में परागण एवं प्रजनन क्रियाओं में सहायक की भूमिका निभाता है।

  • बोरान पौधों में कैल्शियम एवं पोटेशियम के अनुपात को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

  • बोरान के प्रयोग से दलहनी फ़सलों की जड़ ग्रंथियों का विकास सुचारू रूप से होता है।

  • यह दलहनी फसलों की फलियों को स्वस्थ बनाने और फलियों में दाने की संख्या बढ़ाने का काम करता है।

  • कंद वाली फसलों में बोरान कंद को आकर्षक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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कपास की इन उन्नत बीज किस्मों का करें चयन और पाएं बम्पर उत्पादन

Select these advanced seed varieties of cotton and get bumper production

कपास की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए इसकी खेती में इसके उन्नत किस्म के बीजों का उपयोग बहुत जरूरी होता है। आइये जानते हैं कपास की कुछ उन्नत किस्म के बीजों के बारे में।

Rasi RCH 659 BG II: कपास की इस किस्म से मजबूत पौधा तथा बड़े आकार के बॉल (गुलर/डोडे) होते हैं जिसका वज़न 5.5 से 5.9 ग्राम तक होता है। इस किस्म की फसल अवधि 145-160 दिनों की होती है। मध्यम अवधि एवं अधिक उत्पादन वाली यह एक अच्छी संकर किस्म है जो भारी मिट्टी में आसानी से लगाई जा सकती है। इसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी 4 फुट एवं पौधे से पौधे की दूरी 1.5 फीट रखनी होती है। 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर एवं मई- जून माह में बुआई के लिए यह उपयुक्त किस्म है।

Rasi – Neo: यह मध्यम अवधि एवं अधिक उत्पादन वाली संकर किस्म है। यह मध्यम सिंचित क्षेत्र एवं हल्की से मध्यम मिट्टी वाले खेतों के लिए अच्छी गुणवत्ता और व्यापक अनुकूलन वाली किस्म है। इस किस्म की फसल अवधि 140-150 दिनों की होती है। यह रस चूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी आदि के प्रति सहनशील होती है। इसमें बॉल बड़े आकार के तथा 5.5 से 5.9 ग्राम वजनी होते हैं। इसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी और पौधे की पौधे से दूरी 5×1.5 या 4×2 या 4×2.5 फीट रखनी होती है। यह 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली एवं मई-जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है।

Nuziveedu – Bhakti: यह किस्म 155-160 दिन की होती है तथा मध्यम सिंचाई एवं भारी मिट्टी वाले खेतों के लिए अच्छी होती है। इसमें रसचूसक कीटों के प्रति सहनशीलता होती है और अमेरिकन बोलवर्म तथा गुलाबी बोलवर्म के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी होती है। इसके बॉल मध्यम आकार के एवं 5 ग्राम तक वजनी होते हैं। इसमें पंक्ति की पंक्ति से दूरी और पौधे की पौधे से दूरी – 3×1.5 फीट रखनी होती है। 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली यह किस्म मई-जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त है।

Prabhat seed – Super Cot PCH-115Bt-II: यह किस्म 140-150 दिनों की होती है और मध्यम सिंचित व भारी मिट्टी वाले खेतों के लिए उपयुक्त है। इसका तना सख्त और पौधा लंबा होता है तथा यह मध्य भारत क्षेत्र के लिए अनुशंसित हैं। यह किस्म रस चूसक कीट के प्रति प्रतिरोधक होती है। इसके बॉल बड़े आकार के एवं 5.5 – 6 ग्राम तक वजनी होते हैं। इसमें पंक्ति की पंक्ति से और पौधे की पौधे से दूरी – 4×1.5 फीट रखनी होती है। 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली यह किस्म मई- जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त है।

Rasi – Magna: यह 140-150 दिनों की तथा मध्यम सिंचित क्षेत्र एवं भारी मिट्टी वाले खेतों के लिए एक अच्छी किस्म है। इसमें रस चूसक कीट के प्रति सहिष्णुता होती है और इसके बॉल बड़े आकार के तथा 6.59 ग्राम से कम वजनी होते हैं। इसमें पंक्ति से पंक्ति और पौधों से पौधे की दूरी 5×1.5 या 4 x 2 फीट रखनी होती है। इस किस्म में अधिक कपास प्राप्त होता है। यह 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली किस्म है एवं मई-जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त है।

Kaveri – Jadoo: यह किस्म 155-170 दिनों की तथा सिंचित व असिंचित क्षेत्र एवं हल्की मध्यम मिट्टी वाले खेतों के लिए एक अच्छी किस्म है। यह सूखे और रस चूसक कीटों के प्रति सहनशील और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक होता है। इसके बॉल (डोडे) मध्यम आकार के तथा 6 से 6.5 ग्राम वजनी होते हैं। इसमें पंक्ति से पंक्ति और पौधों से पौधे से दूरी – 4×1.5 फीट रखनी होती है। इसमें 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर रखनी होती है एवं यह मई- जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त होती है।

Aditya – Moksha BG2: यह किस्म 140-150 दिनों की तथा सिंचित व असिंचित क्षेत्र एवं भारी मिट्टी वाले खेतों के लिए अच्छी होती है। इसके बॉल बड़े आकार के एवं 6 से 7 ग्राम वजनी होते हैं। इसका पौधा सीधा व तना खड़ा होता है अतः कम दूरी में बुआई लिए उत्तम है। इसमें पंक्ति से पंक्ति और पौधों से पौधे की दूरी – 4×2.5 फीट रखनी होती है। यह 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली एवं मई- जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है।

ANKUR | 3028 BG: इस संकर किस्म में पौधे की वृद्धि स्तंभ प्रकार होती है एवं उत्पादन अच्छा होता है। यह रस चूसक कीट के प्रति प्रतिरोधी एवं नज़दीक की बुआई के लिए उपयुक्त होती है। यह लबे रेशे और प्रतिकूल स्थिति में भी अधिक उपज देने वाली किस्म है। मानसून की बारिश में बुआई के लिए यह अनुकूलित किस्म है। यह 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली एवं यह मई- जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है।

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खेतों में सफेद लट का प्रकोप होने के ये होते हैं मुख्य कारण

white grub outbreak

  • खरीफ के मौसम में फसल एवं खेतो में सफ़ेद लट का प्रकोप काफी होता है।

  • इसके प्रकोप का कारण गर्मियों के समय ख़ाली खेत में उपयोग किये जाने वाला कच्चा गोबर है।

  • जिस गोबर का उपयोग किया जाता है वह पूरी तरह पकी हुई नहीं होती है।

  • इस गोबर में बहुत से हानिकारक कीट एवं कवक पाए जाते हैं जो की सफेद लट के आक्रमण का कारण होते है।

  • इस तरह के गोबर के ढेर पर सफ़ेद लट अवश्य अंडे देती है एवं जब गोबर को खेत में डाला जाता है तो सफ़ेद लट मिट्टी में जाकर फसलों को नुकसान पहुंचाने लगती है।

  • इस कीट के प्रकोप से बचाव के लिए गोबर को पूरी तरह सड़ाकर ही उपयोग करें, या गोबर की खाद का खाली खेत में भुरकाव के बाद डिकम्पोज़र का उपयोग अवश्य करें।

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कपास समृद्धि किट से कपास की फसल को दें संपूर्ण पोषण, ऐसे करें उपयोग

cotton samriddhi kit

  • कपास एक महत्वपूर्ण रेशा और नकदी फसल है।

  • इसकी बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।

  • कपास में बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार के लिए कपास समृद्धि किट का उपयोग करने से फसल का विकास बहुत अच्छा होता है।

  • इसलिए अंतिम जुताई के बाद बुआई के समय या मानसून की पहली बौछार के बाद ग्रामोफ़ोन की पेशकश ‘कपास समृद्धि किट’ की 4.2 किलो की मात्रा को 50 किलो अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिलाकर खेत में भुरकाव करें और इसके बाद हल्की सिंचाई कर दें।

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गोमूत्र का फसलों एवं मिट्टी को मिलता है काफी लाभ

Cow urine benefits of crops and soil
  • गोमूत्र एक प्रकार से जैविक कीटनाशक, जैविक कवकनाशी एवं पौध वृद्धि नियामक की तरह कार्य करता है।

  • रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी की जो उर्वरा शक्ति प्रभावित हुई है गोमूत्र उसमें सुधार करने में सहायता करता है।

  • इसके उपयोग से भूमि के लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु बढ़ते हैं जिससे भूमि प्राकृतिक रूप में बनी रहती है।

  • मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ जाती है एवं यह मिट्टी का कटाव रोकने में सहायक होता है।

  • गोमूत्र में नाइट्रोजन, गंधक, अमोनिया, कॉपर, यूरिया, यूरिक एसिड, फास्फेट, सोडियम, पोटेशियम, मैंगनीज, कार्बोलिक एसिड इत्यादि पाये जाते हैं जो मिट्टी के सुधार एवं फसल उत्पादन में बहुत मददगार होते हैं।

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करेले की फसल को रस चूसक कीटों के प्रकोप से ऐसे बचाएं

How to protect Bitter gourd crop from sucking pests
  • करेले की फसल सभी मौसम में लगायी जाने वाली सब्ज़ियाँ वर्गीय फसल है। रस चूसक कीटों का करेले की फसल पर आक्रमण फसल के जीवन चक्र में कभी भी हो सकता है।

  • इन कीटों में थ्रिप्स, एफिड, जैसिड, मकड़ी, सफ़ेद मक्खी आदि शामिल हैं। ये सभी कीट फसलों की पत्तियों का रस चूसकर फसल को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं।

रस चुसक कीटो के नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग करें 

  • थ्रिप्स नियंत्रण: प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या एसीफेट 75% SP @ 300 ग्राम/एकड़ लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 250 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • एफिड/जैसिड नियंत्रण: एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • सफ़ेद मक्खी नियंत्रण: डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामिड 50% WG @ 60 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।

  • मकड़ी नियंत्रण: प्रॉपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पायरोमैसीफेन 22.9% SC @ 250 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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अच्छी उपज प्राप्ति के लिए मिर्च की नर्सरी लगाते समय बरतें ये सावधानियां

Precautions to be taken while planting chilli nursery
  • मिर्च की नर्सरी तैयार करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि जिस जगह पर नर्सरी लगाई जा रही है वह पूरी तरह से साफ होनी चाहिए और वहां पानी ठहराव नहीं होना चाहिए।

  • अच्छी फसल उगाने के लिए पौधे का स्वस्थ होना जरूरी होता है। इसलिए पौधशाला की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ होने चाहिए।

  • पौधशाला में नमी अधिक होने पर पद गलन रोग की आशंका बनी रहती है।

  • इसलिए पहले नर्सरी की मिट्टी और बीजों का उपचार करें, उसके बाद ही बुआई करें।

  • हर सप्ताह खरपतवार और अवांछनीय पौधों को हटा दें साथ ही आवश्यकता के अनुसार नर्सरी की सिंचाई करें।

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फसल उत्पादन में लौह तत्व का महत्व

Importance of Iron in Crop Production
  • फसल वृद्धि और बेहतर उत्पादन के लिए लौह तत्व (Fe) को एक बहुत आवश्यक तत्व माना जाता है।

  • पौधे में कई एन्ज़इम्स होते हैं जो पौधे में ऊर्जा स्थान्तरण तथा नाइट्रोजन के फिक्ससेशन के लिए उपयोगी होते हैं।

  • लौह (आयरन) तत्व की कमी आमतौर पर अधिक pH वाली मिट्टी में देखी जाती है क्योंकि ऐसी मिट्टी में लौह तत्व पौधे को उपलब्ध नहीं हो पाता है।

  • आयरन की कमी के कारण नई पत्तियों में हरित लवक की कमी हो जाती है।

  • आयरन की कमी के कारण पत्तियां नीचे से हल्की-पीली या चितकबरी रंग की होना शुरु हो जाती हैं, साथ ही चित्तकबरापन मध्य शिराओं के ऊपर व नीचे की ओर बढ़ने लगता है।

  • इसकी कमी को @150-200 ग्राम/एकड़ की दर से चिलेटेड आयरन का घोल बनाकर, छिड़काव करके दूर कर सकते हैं।

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मिर्च ड्रिप किट में शामिल ये उत्पाद मिर्च की फसल को देंगे संपूर्ण पोषण

These products included in the Chilli Drip Kit will give full nutrition to the chili crop

  • किसान मिर्च की फसल में ड्रिप इरीगेशन के साथ समृद्धि किट का भी उपयोग कर सकते हैं।

  • ग्रामोफ़ोन ने घुलनशील कृषि उत्पादों का मिर्च ड्रिप किट तैयार किया है। यह किट पूर्णतः घुलनशील एवं ड्रिप के लिए पूर्णतया उपयुक्त है। इस किट का वजन 1.8 किलो है और यह एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।

  • इस किट में एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया, ज़िंक सोलुब्लाइज़िंग बैक्टीरिया, ट्राइकोडर्मा विरिडी, मायकोराइज़ा, वीगरमैक्स जेल जैसे नैनो तकनीक पर आधारित उत्पाद हैं।

  • ये उत्पाद मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि करते हैं और सफेद जड़ के विकास को बढ़ाते है। पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में भी ये मदद करते हैं जिसके कारण बेहतर वानस्पतिक विकास में मदद मिलती है।

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हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के साथ अब बिना मिट्टी के करें खेती

Benefits of growing crops with hydroponics technology
  • हाइड्रोपोनिक्स एक ऐसी तकनीक है जिसमें बिना मिट्टी के भी खेती की जा सकती है।

  • इस तकनीक में बहुत कम खर्च में फसल तैयार हो जाती है।

  • इसमें किसी भी मौसम में कोई भी फसल लगायी जा सकती है।

  • हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में, पौधों द्वारा आवश्यक पोषक तत्वों को आसानी से पूरा किया जा सकता है।

  • इस तकनीक में पानी में अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है।

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