मूंग की फसल में ऐन्थ्रेक्नोज धब्बा रोग की पहचान एवं बचाव के उपाय

Identification and prevention measures of Anthracnose spot in Green gram crop
  • एन्थ्रेक्नोज धब्बा रोग के संक्रमण के कारण मूंग बीज के अंकुरण के तुरंत बाद पौध झुलस जाती है।

  • पत्तियों और फलियों पर गोल, गहरे, काले केंद्र युक्त चमकीले लाल नारंगी रंग के धब्बे हो जाते हैं।

  • रोगज़नक़ बीज और पौधे के अवशेष पर जीवित रहता है।

  • रोग वायु-जनित बीजाणु के माध्यम से क्षेत्र में फैलता है।

  • प्रभावित पौधे के अवशेष को हटा दें और नष्ट कर दें।

  • खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाकर बीमारी के फैलने से रोकें।

  • बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP से 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।

  • इस रोग के निवारण के लिए मैनकोज़ेब 75% WP@ 500 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिड@ 500 ग्राम /एकड़ के रूप में उपयोग करें।

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कई विशेष गुणों वाले मिर्च के इन उन्नत किस्म के बीजों की करें खेती

Advanced varieties of chilies and their properties

सीजेंटा HPH 12: इसके पौधे मजबूत होते हैं, पार्श्व शाखाओं के साथ इनके पौधों की ऊंचाई में 80-110 सेमी होती है। इसकी पहली फल परिपक्वता 50-55 दिनों में होती है। इसके फल चिकने, हरे रंग के होते हैं, जो परिपक्वता के समय आकर्षक गहरे लाल रंग के हो जाते हैं। फलों की औसत लंबाई 7-8 सेमी व मोटाई 1 सेंटीमीटर होती है। इनमे अच्छी सुगंध के साथ उच्च तीखापन होता है और ये आयात निर्यात के लिए उपयुक्त होते हैं।

स्टार फील्ड 9211 एवं स्टार फील्ड शार्क-1: इनकी पत्तियां मोटी होती हैं। इस किस्म की पहली फल परिपक्वता 60-65 दिनों में होती है, फलों का रंग गहरा हरा, परिपक्व फलों का रंग गहरा लाल होता है, फल की लम्बाई 8-9 सेंटीमीटर होती है एवं फल की मोटाई 0.8-1.0 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है। इस किस्म का फल सुखाकर बेचने के लिए उपयुक्त होता है। यह कवक जनित रोगों के लिए प्रतिरोधी होते हैं।

US एग्री 720: इस किस्म की पहली फल परिपक्वता 60-65 दिनों में होती है, फलों का रंग गहरा हरा, परिपक्व फलों का रंग गहरा लाल होता है, फल की लम्बाई 18-20 सेंटीमीटर व मोटाई 1-2 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है और फल का वजन अच्छा होता है।

नुनहेम्स इन्दु 2070: इस किस्म के पौधे उत्कृष्ट माध्यमिक शाखाओं के साथ मज़बूत होते है एवं इसकी पहली फल परिपक्वता 50-55 दिनों में हो जाती है। इसके फल का रंग चमकीला होता है वहीं फल की लम्बाई 8-10 सेंटीमीटर व मोटाई 0.8-1.0 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है। इस किस्म का फल सुखाकर बेचने के लिए उपयुक्त होता है।

एडवांटा AK-47: इस किस्म में पौधा आधा सीधा होता है, पहली फल परिपक्वता 60-65 दिनों में होती है, फल का रंग गहरा लाल एवं गहरा हरा होता है, लंबाई 6-8 सेंटीमीटर एवं मोटाई 1.1-1.2 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है, इसके फल को गिला एवं सुखाकर दोनों प्रकार से बेचा जा सकता है। यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है।

BASF आर्मर: इस किस्म में पौधा आधा सीधा व मजबूत होता है। इसकी पहली फल परिपक्वता 50-55 दिनों में होती है, फल का सतह भाग अर्द्ध झुर्रीदार होते हैं, ताज़े हरे फल की तुड़ाई 8-10 दिनों के अंतराल से होती रहती है एवं फल की मोटाई लंबाई 9X1 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है, यह लाल सुर्ख करके बेची जाती है। यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है।

दिव्या शक्ति (शक्ति-51): इस किस्म में पौधा मजबूत और अधिक शाखाओं वाला होता है। इस किस्म की पहली फल परिपक्वता 42-50 दिनों में हो जाती है, फल का रंग गहरा हरा होता है, लंबाई 6-8 सेंटीमीटर व मोटाई 0.7-0.8 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन अधिक होता है, यह अत्यधिक गर्म और गहरे लाल रंग की होती है। इसके फल सूखने पर इसे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए 100% प्रतिरोधी होती है।

हु वाज सानिया 03: इस किस्म में पौधा सीधा एवं पहली फल परिपक्वता 50-55 दिनों में हो जाती है। इसके परिपक्व फल लाल एवं अपरिपक्व फल पीले-हरे होते हैं। फल की लम्बाई 15-17 सेंटीमीटर एवं मोटाई 0.3 MM होती है। इस किस्म में तीखापन अधिक होता है और यह किस्म सुखाने के लिए उपयुक्त होती है।

कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उपर्युक्त बताये गए बीजों की खरीदी के लिए एप के बाजार विकल्प पर जाएँ।

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मूंग की फसल में फली छेदक की रोकथाम कैसे करें?

Control of fruit borer in green gram crop
  • फली छेदक या पोड बोरर मूंग की फसल का प्रमुख कीट है जो फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है।

  • यह कीट मूंग की फसल की फलियों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है। यह मूंग की फली में छेद करके दाने को खाकर बहुत नुकसान पहुंचता है।

  • इसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 39.35% SC @ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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लवणीय मिट्टी के कारण खेत की उपज क्षमता पर पड़ता है बुरा असर

Saline soil affects the yield potential of the farm
  • जिस मिट्टी में घुलनशील लवणों की अधिकता होती है उसे लवणीय मिट्टी कहा जाता है।

  • लवणीय मिट्टी के कारण बीज का अंकुरण एवं पौधे का विकास बहुत प्रभावित होता है।

  • इस तरह की मिट्टी की सतह पर कैल्शियम, मैग्नीशियम व पोटेशियम के क्लोराइड एवं सल्फेट आयन अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।

  • लवणीय मिट्टी में अधिक मात्रा में जल ग्रहण की समस्या होती है।

  • सामान्य तौर पर लवणीय मिट्टी में ऊपरी सतह पर सफेद पपड़ी बन जाती है।

  • लवणीय मिट्टी के कारण पौधों के विकास एवं उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

अपने खेत की मिट्टी की समस्याओं को पहचानें और पाएं निदान के उपाय, सुपर फसल प्रोग्राम से करवाएं मिट्टी परीक्षण।

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बीटी कपास से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी, गुण एवं विशेषताएं

Important information properties and characteristics related to BT cotton
  • बीटी कपास (BT cotton) एक आनुवांशिक संशोधित कपास है। यह मोनसेंटो नामक कम्पनी द्वारा उत्पादित है।

  • बीटी कपास अनुवांशिक परिवर्तित कपास की फसल है जिसमें बैसिलस थुरिंजिनिसिस बैक्टीरिया के एक या दो जीन फसल के बीज में आनुवंशिकीय अभियांत्रिकी तकनीक से डाल दिये गए है, जो पौधे के अन्दर क्रिस्टल प्रोटीन उत्पन्न करते हैं जिससे विषैला पदार्थ उत्पन्न होकर कीट को नष्ट कर देता है।

  • बीटी कपास कीट प्रतिरोधी किस्मे होती है।

  • बीटी कपास की फसल किसान द्वारा लगाई जाने पर फसल की लागत बहुत कम आती है।

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हरी खाद का इस्तेमाल आपकी खेती और खेत दोनों के लिए है लाभकारी

Use of green manure is beneficial for both your farming and field
  • मिट्टी की उर्वरता एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए हरी खाद का प्रयोग बहुत पहले से होता आ रहा है।

  • हालांकि कृषि कार्य के लिए फसलों के अंतर्गत क्षेत्रफल बढ़ने के कारण हरी खाद के प्रयोग में निश्चय ही कमी आई है।

  • गोबर की खाद जैसे अन्य कार्बनिक स्रोतों की सीमित आपूर्ति से आज हरी खाद का महत्व और भी बढ़ गया है।

  • हरी खाद के लिए उगाई जाने वाली फसल का चुनाव भूमि जलवायु तथा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए।

  • हरी खाद भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • हरी खाद ऑर्गेनिक पदार्थों का बहुत अच्छा स्रोत होती है और यह ह्यूमस से भरपूर होती है।

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सब्जियों की पौध तैयार करते समय इन बातों का रखें ध्यान

How to prepare vegetable seedlings
  • अधिकतर सब्जी वाली फसलों की बुआई से पहले नर्सरी में पौध तैयार की जाती है जैसे कि टमाटर, गोभी, प्याज, मिर्च आदि।

  • इन फसलों के बीज़ छोटे व पतले होते हैं। इनकी स्वस्थ व उन्नत पौध तैयार कर लेना ही आधी फसल उगाने के बराबर होता है।

  • नर्सरी का स्थान ऊंचाई पर होना चाहिए जहां से पानी का निकास उचित हो एवं यह खुले स्थान में होना चाहिए जहां सूर्य की पहली किरण पहुंचे।

  • इसके लिए भूमि दुमट बलुई होनी चाहिए जिसका पीएच मान लगभग 6.5 हो।

  • नर्सरी की क्यारियाँ 15-20 से. मी. ऊँची उठी होनी चाहिए | इनकी चौड़ाई लगभग 1 मीटर तथा लंबाई 3 मीटर होनी चाहिए जो कि सुविधा के अनुसार घटाई-बढ़ाई जा सकती है |

  • बीज़ की बुआई के बाद समय समय पर क्यारियों की हल्की सिंचाई करते रहनी चाहिए।

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छिड़काव सिंचाई से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां एवं इसके लाभ

Sprinkler Irrigation
  • छिड़काव सिंचाई दरअसल सिंचाई की उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें पानी फसलों पर पानी बारिश की बूंदों के बौछार की तरह डाली जाती है।

  • इसमें पानी पाइप तंत्र के माध्यम से पम्पिंग द्वारा वितरित किया जाता है, फिर स्प्रे हेड के माध्यम से हवा और पूरी मिट्टी की सतह पर छिड़का जाता है जिससे भूमि पर गिरने वाला पानी छोटी बूँदों में बंट जाता है।

  • फव्वारे छोटे से बड़े क्षेत्रों में कुशलता से फैल जाते हैं तथा सभी प्रकार की मिट्टी पर उपयोग किये जा सकते हैं।

  • इस प्रक्रिया के द्वारा सिंचाई करने से भूमि पर जल भराव नहीं होता है जिससे मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता बहुत बढ़ जाती है।

  • जिन जगहों पर भूमि ऊंची-नीची रहती है वहां पर जमीनी सिंचाई संभव नहीं हो पाती है। ऐसी जगहों पर बौछारी सिंचाई यानी छिड़काव सिंचाई बहुत फायदेमंद साबित होती है।

  • इस विधि से सिंचाई करने से उत्पादन भी अच्छा होता है एवं जल सरक्षण भी होता है।

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समृद्धि किट के उपयोग से मिर्च को मिली चमत्कारिक शुरुआती बढ़वार, देखें वीडियो

Chilli gets miraculous early growth using Chilli Samriddhi Kit

बहुत सारे किसान मिर्च की खेती कर रहे हैं। फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान बहुत सारे फसल पोषण उत्पादों का भी इस्तेमाल करते हैं। पर ग्रामोफ़ोन के मिर्च समृद्धि किट के इस्तेमाल से आप अपनी मिर्च की फसल को ऐसा पोषण दे सकते हैं जिससे बेहतरीन फसल बढ़वार के साथ साथ अच्छे उत्पादन की भी संभावना बढ़ जाती है।

वीडियो में आप देखेंगे की पिछले साल कैसे मिर्च समृद्धि किट के ड्रिप वाले किट का इस्तेमाल कर मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के हाथोला गांव के निवासी किसान कैलाश मुकाती जी ने चमत्कारिक शुरूआती बढ़वार ली। आप भी इस किट का इस्तेमाल कर के अच्छी बढ़वार प्राप्त कर सकते हैं। पूरा वीडियो देखें और मिर्च समृद्धि किट ऑर्डर करने के लिए एप के ग्राम बाजार सेक्शन पर जाएँ।

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करेले की फसल को कई लाभ पहुंचाता है मैग्नीशियम सल्फेट

What is the benefit of magnesium sulfate in bitter gourd crops
  • मैग्नीशियम के उपयोग से करेले की फसल की हरियाली बढ़ती है।

  • इससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी तीव्र हो जाती है जिससे उच्च पैदावार मिलती है और फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है।

  • मैग्नीशियम पोषक तत्वों को धीरे-धीरे फसल को प्रदान करता है जिससे करेले की फसल के पूरे फसल चक्र में पोषक तत्व मिलते रहते हैं।

  • मैग्नीशियम की कमी के कारण पत्तियों की शिरा पर हल्के हरे रंग के धब्बे बन जाते हैं।

  • इसकी कमी से फसल अपरिपक्व अवस्था में ही नष्ट हो जाती है इसीलिए इस प्रकार की सभी समस्याओं से बचने के लिए मैग्नीशियम से दें करेले की फसल को सुरक्षा।

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