हरी खाद का इस्तेमाल आपकी खेती और खेत दोनों के लिए है लाभकारी

Use of green manure is beneficial for both your farming and field
  • मिट्टी की उर्वरता एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए हरी खाद का प्रयोग बहुत पहले से होता आ रहा है।

  • हालांकि कृषि कार्य के लिए फसलों के अंतर्गत क्षेत्रफल बढ़ने के कारण हरी खाद के प्रयोग में निश्चय ही कमी आई है।

  • गोबर की खाद जैसे अन्य कार्बनिक स्रोतों की सीमित आपूर्ति से आज हरी खाद का महत्व और भी बढ़ गया है।

  • हरी खाद के लिए उगाई जाने वाली फसल का चुनाव भूमि जलवायु तथा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए।

  • हरी खाद भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • हरी खाद ऑर्गेनिक पदार्थों का बहुत अच्छा स्रोत होती है और यह ह्यूमस से भरपूर होती है।

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सब्जियों की पौध तैयार करते समय इन बातों का रखें ध्यान

How to prepare vegetable seedlings
  • अधिकतर सब्जी वाली फसलों की बुआई से पहले नर्सरी में पौध तैयार की जाती है जैसे कि टमाटर, गोभी, प्याज, मिर्च आदि।

  • इन फसलों के बीज़ छोटे व पतले होते हैं। इनकी स्वस्थ व उन्नत पौध तैयार कर लेना ही आधी फसल उगाने के बराबर होता है।

  • नर्सरी का स्थान ऊंचाई पर होना चाहिए जहां से पानी का निकास उचित हो एवं यह खुले स्थान में होना चाहिए जहां सूर्य की पहली किरण पहुंचे।

  • इसके लिए भूमि दुमट बलुई होनी चाहिए जिसका पीएच मान लगभग 6.5 हो।

  • नर्सरी की क्यारियाँ 15-20 से. मी. ऊँची उठी होनी चाहिए | इनकी चौड़ाई लगभग 1 मीटर तथा लंबाई 3 मीटर होनी चाहिए जो कि सुविधा के अनुसार घटाई-बढ़ाई जा सकती है |

  • बीज़ की बुआई के बाद समय समय पर क्यारियों की हल्की सिंचाई करते रहनी चाहिए।

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छिड़काव सिंचाई से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां एवं इसके लाभ

Sprinkler Irrigation
  • छिड़काव सिंचाई दरअसल सिंचाई की उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें पानी फसलों पर पानी बारिश की बूंदों के बौछार की तरह डाली जाती है।

  • इसमें पानी पाइप तंत्र के माध्यम से पम्पिंग द्वारा वितरित किया जाता है, फिर स्प्रे हेड के माध्यम से हवा और पूरी मिट्टी की सतह पर छिड़का जाता है जिससे भूमि पर गिरने वाला पानी छोटी बूँदों में बंट जाता है।

  • फव्वारे छोटे से बड़े क्षेत्रों में कुशलता से फैल जाते हैं तथा सभी प्रकार की मिट्टी पर उपयोग किये जा सकते हैं।

  • इस प्रक्रिया के द्वारा सिंचाई करने से भूमि पर जल भराव नहीं होता है जिससे मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता बहुत बढ़ जाती है।

  • जिन जगहों पर भूमि ऊंची-नीची रहती है वहां पर जमीनी सिंचाई संभव नहीं हो पाती है। ऐसी जगहों पर बौछारी सिंचाई यानी छिड़काव सिंचाई बहुत फायदेमंद साबित होती है।

  • इस विधि से सिंचाई करने से उत्पादन भी अच्छा होता है एवं जल सरक्षण भी होता है।

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समृद्धि किट के उपयोग से मिर्च को मिली चमत्कारिक शुरुआती बढ़वार, देखें वीडियो

Chilli gets miraculous early growth using Chilli Samriddhi Kit

बहुत सारे किसान मिर्च की खेती कर रहे हैं। फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान बहुत सारे फसल पोषण उत्पादों का भी इस्तेमाल करते हैं। पर ग्रामोफ़ोन के मिर्च समृद्धि किट के इस्तेमाल से आप अपनी मिर्च की फसल को ऐसा पोषण दे सकते हैं जिससे बेहतरीन फसल बढ़वार के साथ साथ अच्छे उत्पादन की भी संभावना बढ़ जाती है।

वीडियो में आप देखेंगे की पिछले साल कैसे मिर्च समृद्धि किट के ड्रिप वाले किट का इस्तेमाल कर मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के हाथोला गांव के निवासी किसान कैलाश मुकाती जी ने चमत्कारिक शुरूआती बढ़वार ली। आप भी इस किट का इस्तेमाल कर के अच्छी बढ़वार प्राप्त कर सकते हैं। पूरा वीडियो देखें और मिर्च समृद्धि किट ऑर्डर करने के लिए एप के ग्राम बाजार सेक्शन पर जाएँ।

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करेले की फसल को कई लाभ पहुंचाता है मैग्नीशियम सल्फेट

What is the benefit of magnesium sulfate in bitter gourd crops
  • मैग्नीशियम के उपयोग से करेले की फसल की हरियाली बढ़ती है।

  • इससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी तीव्र हो जाती है जिससे उच्च पैदावार मिलती है और फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है।

  • मैग्नीशियम पोषक तत्वों को धीरे-धीरे फसल को प्रदान करता है जिससे करेले की फसल के पूरे फसल चक्र में पोषक तत्व मिलते रहते हैं।

  • मैग्नीशियम की कमी के कारण पत्तियों की शिरा पर हल्के हरे रंग के धब्बे बन जाते हैं।

  • इसकी कमी से फसल अपरिपक्व अवस्था में ही नष्ट हो जाती है इसीलिए इस प्रकार की सभी समस्याओं से बचने के लिए मैग्नीशियम से दें करेले की फसल को सुरक्षा।

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मिर्ची की फसल से अच्छी उपज प्राप्ति का जांचा परखा नुस्खा है मिर्च समृद्धि किट

Chilli Samriddhi Kit is a tried and tested product to get good yield from chilli crop

  • ‘मिर्च समृद्धि किट’ आपकी मिर्च की फसल का सुरक्षा कवच बनेगा। इस किट में आपको वो सब कुछ एक साथ मिलेगा जिसकी जरूरत मिर्च की फसल को होती है।

  • खेत की अंतिम जुताई के बाद ग्रामोफोन के ‘मिर्च समृद्धि किट’ को 5 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिलाकर उपयोग करें और फिर हल्की सिंचाई कर दें।

  • इस किट में लाभकारी बैक्टीरिया, कवक एवं पोषक तत्वों का मिश्रण है।

  • इसका उपयोग खेत में बुआई के समय भुरकाव के रूप में करने से फसल का अनुकरण बहुत अच्छा होता है एवं पौधा बहुत सी बीमारियों से भी बचाया जा सकता है।

  • यह किट मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाने में सहयता करती है।

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कम पानी में भी सब्जी वर्गीय फसल से ले सकते हैं अच्छा उत्पादन

How to make water available in vegetable crops during water shortage in the summer season
  • गर्मियों के मौसम में सब्जी वर्गीय फसलों की बहुत ज्यादा मांग होती है।

  • पर किसानों के पास सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं होता है इस कारण किसान सब्ज़ी वर्गीय फसलों से ज्यादा लाभ प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

  • सिंचाई के पानी की कमी होने पर भी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए सब्जियों वाली फसलों की सीधे धूप वाली जगह पर बुआई नहीं करनी चाहिए।

  • फसल की सिंचाई की व्यवस्था इस प्रकार करनी चाहिए की कम पानी में भी फसल का उत्पादन अच्छे से हो पाए।

  • ड्रिप सिचाई, फव्वारा सिचाई या बागवानी पानी के बर्तन से भी सीधे पौधे की जड़ों के पास पानी दिया जा सकता है।

  • इस प्रकार कम पानी में भी अच्छी फसल उगाई जा सकती है।

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जैविक कवकनाशी व जैविक कीटनाशक के प्रयोग से मिलते हैं कई कृषि संबंधित लाभ

Use of organic fungicides and organic pesticides gives many agricultural benefits
  • जैविक कवकनाशी तथा जैविक कीटनाशक कीटों, फफूंदों, जीवाणुओं एवं वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद है।

  • यह फसलों, सब्जियों एवं फलों को कीटों एवं व्याधियों से सुरक्षित कर उत्पादन बढ़ाने में सहयोग करते हैं।

  • जीवों एवं वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद होने के कारण, जैविक कीटनाशक एवं फफूंद नाशक लगभग एक माह में भूमि में मिलकर अपघटित हो जाते हैं तथा उनका कोई अवशेष नहीं रहता। यही कारण है कि इन्हें पारिस्थितिकी मित्र के रूप में भी जाना जाता है।

  • जैविक उत्पादों के प्रयोग के तुरन्त बाद फलियों, फलों, सब्जियों की कटाई कर प्रयोग में लाया जा सकता है।

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फसलों में नाइट्रोजन की कमी से नजर आएंगे ये लक्षण

nitrogen deficiency in crops
  • नाइट्रोजन की कमी से पौधों की पत्तियों का रंग हल्का पीला होने लगता है।

  • साथ ही इसकी कमी से पौधों का विकास भी रुक जाता है।

  • पौधों की निचली पत्तियां झड़ने लगना भी इसकी कमी का एक लक्षण है।

  • इसकी कमी से पौधों में कल्ले एवं फूल भी कम निकलते हैं।

  • नाइट्रोजन की कमी से फसल समय से पहले पक जाती है, पौधे लंबे एवं पतले दिखाई देते हैं।

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अगली फसल में नहीं होगा मकड़ी का प्रकोप, अपनाएँ ये बचाव उपाय

How do farmers protect the next crop from mites outbreak
  • किसान अपनी फसल में मकड़ी के प्रकोप को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। यदि पिछली फसल में मकड़ी का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में हुआ हो तो इसका असर नई फसल में भी दिखाई देता है।

  • पिछली फसल के अवशेषों को खेत में नहीं छोड़ना चाहिए, ऐसा करने से मकड़ी का हमला खेत की नई फसल में नहीं होता है।

  • दरअसल यही अवशेष नई फसल में मकड़ी के प्रकोप का कारण बनते हैं।

  • इसलिए फसल को मकड़ी से बचाने के लिए पिछली फसल के अवशेषों को खेत से दूर एक गड्ढा खोदकर उसमे डाल दें।

  • इसके बाद फसल अवशेषों पर डिकमपोज़र का छिड़काव करें एवं गड्ढे को मिट्टी से ढक दें।

  • इस प्रकार यह अवशेष खाद में परिवर्तित हो जाएंगे।

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