गोमूत्र का फसलों एवं मिट्टी को मिलता है काफी लाभ

Cow urine benefits of crops and soil
  • गोमूत्र एक प्रकार से जैविक कीटनाशक, जैविक कवकनाशी एवं पौध वृद्धि नियामक की तरह कार्य करता है।

  • रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी की जो उर्वरा शक्ति प्रभावित हुई है गोमूत्र उसमें सुधार करने में सहायता करता है।

  • इसके उपयोग से भूमि के लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु बढ़ते हैं जिससे भूमि प्राकृतिक रूप में बनी रहती है।

  • मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ जाती है एवं यह मिट्टी का कटाव रोकने में सहायक होता है।

  • गोमूत्र में नाइट्रोजन, गंधक, अमोनिया, कॉपर, यूरिया, यूरिक एसिड, फास्फेट, सोडियम, पोटेशियम, मैंगनीज, कार्बोलिक एसिड इत्यादि पाये जाते हैं जो मिट्टी के सुधार एवं फसल उत्पादन में बहुत मददगार होते हैं।

कृषि से जुड़े ऐसे ही घरेलू नुस्खे एवं अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

करेले की फसल को रस चूसक कीटों के प्रकोप से ऐसे बचाएं

How to protect Bitter gourd crop from sucking pests
  • करेले की फसल सभी मौसम में लगायी जाने वाली सब्ज़ियाँ वर्गीय फसल है। रस चूसक कीटों का करेले की फसल पर आक्रमण फसल के जीवन चक्र में कभी भी हो सकता है।

  • इन कीटों में थ्रिप्स, एफिड, जैसिड, मकड़ी, सफ़ेद मक्खी आदि शामिल हैं। ये सभी कीट फसलों की पत्तियों का रस चूसकर फसल को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं।

रस चुसक कीटो के नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग करें 

  • थ्रिप्स नियंत्रण: प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या एसीफेट 75% SP @ 300 ग्राम/एकड़ लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 250 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • एफिड/जैसिड नियंत्रण: एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • सफ़ेद मक्खी नियंत्रण: डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामिड 50% WG @ 60 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।

  • मकड़ी नियंत्रण: प्रॉपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पायरोमैसीफेन 22.9% SC @ 250 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

अच्छी उपज प्राप्ति के लिए मिर्च की नर्सरी लगाते समय बरतें ये सावधानियां

Precautions to be taken while planting chilli nursery
  • मिर्च की नर्सरी तैयार करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि जिस जगह पर नर्सरी लगाई जा रही है वह पूरी तरह से साफ होनी चाहिए और वहां पानी ठहराव नहीं होना चाहिए।

  • अच्छी फसल उगाने के लिए पौधे का स्वस्थ होना जरूरी होता है। इसलिए पौधशाला की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ होने चाहिए।

  • पौधशाला में नमी अधिक होने पर पद गलन रोग की आशंका बनी रहती है।

  • इसलिए पहले नर्सरी की मिट्टी और बीजों का उपचार करें, उसके बाद ही बुआई करें।

  • हर सप्ताह खरपतवार और अवांछनीय पौधों को हटा दें साथ ही आवश्यकता के अनुसार नर्सरी की सिंचाई करें।

अपनी मिर्च व अन्य फसलों के खेत मेरे खेत विकल्प से जरूर जोड़ें। स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

फसल उत्पादन में लौह तत्व का महत्व

Importance of Iron in Crop Production
  • फसल वृद्धि और बेहतर उत्पादन के लिए लौह तत्व (Fe) को एक बहुत आवश्यक तत्व माना जाता है।

  • पौधे में कई एन्ज़इम्स होते हैं जो पौधे में ऊर्जा स्थान्तरण तथा नाइट्रोजन के फिक्ससेशन के लिए उपयोगी होते हैं।

  • लौह (आयरन) तत्व की कमी आमतौर पर अधिक pH वाली मिट्टी में देखी जाती है क्योंकि ऐसी मिट्टी में लौह तत्व पौधे को उपलब्ध नहीं हो पाता है।

  • आयरन की कमी के कारण नई पत्तियों में हरित लवक की कमी हो जाती है।

  • आयरन की कमी के कारण पत्तियां नीचे से हल्की-पीली या चितकबरी रंग की होना शुरु हो जाती हैं, साथ ही चित्तकबरापन मध्य शिराओं के ऊपर व नीचे की ओर बढ़ने लगता है।

  • इसकी कमी को @150-200 ग्राम/एकड़ की दर से चिलेटेड आयरन का घोल बनाकर, छिड़काव करके दूर कर सकते हैं।

कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें। उपर्युक्त बताये गए बीजों की खरीदी के लिए एप के बाजार विकल्प पर जाएँ।

Share

मिर्च ड्रिप किट में शामिल ये उत्पाद मिर्च की फसल को देंगे संपूर्ण पोषण

These products included in the Chilli Drip Kit will give full nutrition to the chili crop

  • किसान मिर्च की फसल में ड्रिप इरीगेशन के साथ समृद्धि किट का भी उपयोग कर सकते हैं।

  • ग्रामोफ़ोन ने घुलनशील कृषि उत्पादों का मिर्च ड्रिप किट तैयार किया है। यह किट पूर्णतः घुलनशील एवं ड्रिप के लिए पूर्णतया उपयुक्त है। इस किट का वजन 1.8 किलो है और यह एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।

  • इस किट में एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया, ज़िंक सोलुब्लाइज़िंग बैक्टीरिया, ट्राइकोडर्मा विरिडी, मायकोराइज़ा, वीगरमैक्स जेल जैसे नैनो तकनीक पर आधारित उत्पाद हैं।

  • ये उत्पाद मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि करते हैं और सफेद जड़ के विकास को बढ़ाते है। पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में भी ये मदद करते हैं जिसके कारण बेहतर वानस्पतिक विकास में मदद मिलती है।

कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें। उपर्युक्त बताये गए बीजों की खरीदी के लिए एप के बाजार विकल्प पर जाएँ।

Share

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के साथ अब बिना मिट्टी के करें खेती

Benefits of growing crops with hydroponics technology
  • हाइड्रोपोनिक्स एक ऐसी तकनीक है जिसमें बिना मिट्टी के भी खेती की जा सकती है।

  • इस तकनीक में बहुत कम खर्च में फसल तैयार हो जाती है।

  • इसमें किसी भी मौसम में कोई भी फसल लगायी जा सकती है।

  • हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में, पौधों द्वारा आवश्यक पोषक तत्वों को आसानी से पूरा किया जा सकता है।

  • इस तकनीक में पानी में अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

करेले की फसल में थ्रिप्स कीट का प्रकोप होने पर ऐसे करें नियंत्रण

How to control thrips in bitter gourd crop
  • थ्रिप्स छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते हैं। यह पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक मात्रा में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।

  • अपने तेज मुखपत्र के साथ ये कीट पत्तियों, कलियों एवं फूलों का रस चूसते हैं।

  • इसके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों पर भूरी हो जाती हैं या फिर विकृत हो जाती हैं और ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।

  • थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

एकीकृत खेती करने से किसानों को मिलते हैं कई प्रकार के फायदे

Integrated Farming and its benefits
  • यह एक ऐसी तकनीक है जिससे किसान पूरे वर्ष आमदनी ले सकते है।

  • किसानों की आय बढ़ाने के लिए एकीकृत (इंटीग्रेटेड) फार्मिंग सिस्टम प्रणाली काफी लाभकारी है।

  • एकीकृत खेती का मूल यह है कि किसान की जमीन का अधिकतम इस्तेमाल किया जाए।

  • इस तकनीक में किसान खेती के साथ साथ मछली पालन, पशुपालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन आदि भी कर सकते हैं।

  • इसमें एक घटक दूसरे घटक के उपयोग में लाया जाता है।

  • एकीकृत खेती से अधिक मुनाफा कमा सकते है साथ ही कृषि लागत भी कम कर सकते हैं।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

गर्मियों में सब्जियों की खेती करें तो इन बातों का रखें ख़ास ख्याल

If you cultivate vegetables in summer take special care of these things
  • ग्रीष्मकाल में जिस प्रकार तापमान में बढ़ोतरी होती है इसके कारण सब्जी वर्गीय फसलों को बहुत नुकसान पहुँचता है।

  • गर्मियों में सब्जियां उगाने के लिए पहले से तैयार किये गये पौधों का उपयोग करना चाहिए।

  • सब्जी वर्गीय फसलों को गर्मियों में नेट या पॉली हाउस में लगाने से फसलों में नुकसान कम होता है।

  • ध्यान रखें की सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो ताकि तापमान बढ़ने के बाद भी फसल में पानी की कमी के कारण तनाव की स्थिति ना हो पाए।

  • फूल एवं फल वृद्धि के लिए समय समय पर बेहतर पोषण देने के उपाय करते रहना चाहिए।

  • गर्मियों में कद्दू वर्गीय फसलें जैसे मिर्च, टमाटर, बैंगन आदि की बुआई कर सकते हैं।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

कपास की फसल से लें जबरदस्त उपज, कपास समृद्धि किट का करें उपयोग

Cotton Samriddhi Kit

  • ‘कपास समृद्धि किट’ आपकी कपास की फसल का सुरक्षा कवच बनेगा। इस किट में आपको वो सब कुछ एक साथ मिलेगा जिसकी जरूरत कपास की फसल को होती है।

  • खेत की अंतिम जुताई के समय ग्रामोफोन ‘कपास समृद्धि किट’ को 5 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिलाकर डालें और उसके बाद हल्की सिंचाई कर दें।

  • इस किट में लाभकारी बैक्टीरिया, कवकों एवं पोषक तत्वों का मिश्रण है इसका उपयोग खेत में बुआई के समय भुरकाव करने से फसल का विकास बहुत अच्छा होता है एवं पौधों को बहुत सी बीमारियों से बचाया जा सकता है। यह किट मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाने में सहायता करती है।

  • आप कपास समृद्धि किट का इस्तेमाल ड्रिप के साथ भी कर सकते हैं इसके लिए कपास की ड्रिप समृद्धि किट है जो जल में पूर्णतः घुलनशील है एवं ड्रिप के लिए उपयोगी है।

कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें। उपर्युक्त बताये गए बीजों की खरीदी के लिए एप के बाजार विकल्प पर जाएँ।

Share