मिर्च की नर्सरी में यह दूसरा छिड़काव पौध को कई रोगों से बचाएगा

This second spray in chilli nursery will save the plant from many diseases
  • मिर्च की नर्सरी की 25-30 दिन की अवस्था पौध अंकुरण के बाद की दूसरी महत्वपूर्ण अवस्था होती है।

  • इस अवस्था में नर्सरी में पौध गलन एवं तना गलन जैसी समस्या होती है एवं रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स एवं मकड़ी का प्रकोप होता है।

  • इस दूसरे छिड़काव के बाद पौध की रोपायी की जाती है और अगर रोप स्वस्थ होगी तभी फसल उत्पादन बहुत अच्छा होगा।

इस अवस्था में दो प्रकार से छिड़काव किया जा सकता है

  • रासायनिक उपचार: थ्रिप्स एवं मकड़ी का प्रकोप होने पर एबामेक्टिन 1.9% EC@ 15 मिली/पंप की दर से छिड़काव करें, एवं किसी भी तरह के कवक जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए मेटलैक्सिल-एम 4% + मैनकोज़ब 64% WP @ 60 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार: कीटों के प्रकोप से बचने के लिए बवेरिया @ 5 -10 ग्राम/लीटर की दर से छिड़काव करें एवं किसी भी तरह के कवक जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5-10 ग्राम/लीटर की दर से छिड़काव करें।

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इस किट से करें सोयाबीन के बीजों का उपचार, होगी अच्छी पैदावार

Soybean Seed Treatment Kit
  • सोयाबीन की फसल में बुआई के पहले बीज़ उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इसके लिए ग्रामोफोन ने सोयाबीन “बीज उपचार किट” प्रस्तुत किया है।

  • इस किट में कवकनाशी, कीटनाशक एवं सोयाबीन के लिए आवश्यक बैक्टेरिया राइज़ोबियम का समावेश किया गया है।

  • कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कोज़ेब 63% डब्ल्यूपी @ 2.5 ग्राम/किलो बीज़ + थियामेथेक्सोम 30% FS@ 5 ml/किलोबीज़ + राइज़ोबियम @ 5 ग्राम/किलो बीज़, बीज़ उपचार के लिए उपयोगी हैं।

यह किट निम्न प्रकार से सोयाबीन की फसल के लिए कार्य करती है

  • मिट्टी जनित रोगों का नियंत्रण: मिट्टी जनित कवक व जीवाणु से बीज व तरुण पौधों की रक्षा करता है जिससे बीज जमीन में सुरक्षित रहते हैं।

  • अंकुरण में सुधार: बीजों को उचित कवकनाशी से उपचारित करने से उनकी सतह कवकों के आक्रमण से सुरक्षित रहती है, जिससे उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है!

  • कीटों से सुरक्षा: कीटनाशक से बीज़ उपचार करने से अंकुरण के समय जमीनी कीटों से सुरक्षा एवं उगने के बाद चूसक कीटों से सुरक्षा होती है।

कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें।

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मिर्च की नर्सरी में जरूरी है यह पहला छिड़काव

What are the benefits of first spraying in chilli nursery
  • मिर्च की नर्सरी में बुआई के बाद 10-15 दिनों की अवस्था में छिड़काव करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इस छिड़काव के द्वारा पौध गलन और जड़ गलन जैसे रोग मिर्च की फसल में नहीं लगते हैं।

  • मिर्च की नर्सरी की प्रारंभिक अवस्था में लगने वाले कीटों का आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है।

  • इस अवस्था में मिर्च की नर्सरी में इन उत्पादों का उपयोग बहुत लाभकारी होता है।

  • नर्सरी की 10-15 दिनों की अवस्था में उपचार: यह अवस्था अंकुरण की प्रारभिक अवस्था है अतः इस अवस्था में दो प्रकार से छिड़काव किया जा सकता है।

  • कीटो के प्रकोप से बचने के लिए थायमेथोक्सम 25% WP@ 10 ग्राम/पंप या बवेरिया @ 5 -10 ग्राम/लीटर की दर से छिड़काव करें एवं किसी भी तरह के कवक जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W 30 ग्राम/पंप या ट्राइकोडर्मा + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5-10 ग्राम/लीटर नर्सरी की अच्छी बढ़वार के लिए ह्यूमिक एसिड @ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।

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गर्मियों में खेत से खरपतवार के बीजों को ऐसे करें खत्म

How to destroy weed seeds from the field in summer
  • गर्मियों में फसल ना लगी होने के कारण खेत खाली रहते हैं।

  • यह समय खेत को खरपतवार से मुक्त करने के उपाय का सही समय है।

  • इसके लिए गहरी जुताई करके खेत को समतल कर लें।

  • जब गर्मियों में खेत में गहरी जुताई की जाती है तो तेज़ धुप होने के कारण खरपतवार के बीज़ जो मिट्टी में दबे रहते हैं वह नष्ट हो जाते हैं।

  • इसके अलावा खाली खेत में डीकॉमपोज़र का उपयोग करके खरपतवार के बीजों को नष्ट किया जा सकता है।

  • इस प्रकार अगली फसल को खरपतवार से मुक्त रख कर उगाया जा सकता है।

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ऐसे करें अपने खाली खेत में पंचगव्य का उपयोग

How to use Panchagavya in an empty field
  • पंचगव्य एक जैविक उत्पाद है। फसलों एवं खाली खेत में इसका उपयोग करने से फसलों एवं मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।

  • पंचगव्य का खाली खेत की मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीटों, कवक एवं जीवाणुओं को ख़त्म करने का महत्वपूर्ण कार्य करता है।

  • पंचगव्य मिट्टी सुधारक की तरह कार्य करता है।

  • पंचगव्य की 3 लीटर मात्रा एक एकड़ के लिए पर्याप्त होता है।

  • इसके अलावा पंचगव्य के 3% घोल को फल पेड़-पौधों और फसल पर छिड़काव करके प्रयोग किया जा सकता है। 3 लीटर पंचगव्य एक एकड़ खड़ी फसल के लिए पर्याप्त होता है।

  • पंचगव्य के 3% घोल को सिंचाई के पानी के साथ उपयोग किया जा सकता है।

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गिलकी की फसल में सफ़ेद मक्खी का नियंत्रित कैसे करे

  • इस कीट के शिशु एवं वयस्क दोनों ही अवस्था गिलकी की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते है।

  • यह पत्तियों का रस चूस कर पौधे के विकास को बाधित कर देता है एवं पौधे पर सूटी मोल्ड के जमाव का कारण भी बनता है।

  • इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में गिलकी की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है।

  • फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण से फसलों की पत्तियां सूख कर गिर जाती है।

  • इस कीट के निवारण के लिए डायफेनथुरोंन 50% SP@ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामाइड 50% WG@ 60मिली/एकड़ या एसिटामेप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10% EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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मिर्च की नर्सरी में पौध गलन होने पर अपनाएं बचाव के ये उपाय

What causes the problem of Damping off chilli nursery?
  • खेत की मिट्टी में अत्यधिक नमी एवं मध्यम तापमान पौध गलन रोग के विकास के मुख्य कारक होते हैं।

  • मिर्च के पौधे में इस रोग को आर्द्र विगलन या डम्पिंग ऑफ के नाम से भी जाना जाता है।

  • इस रोग का प्रकोप मिर्च नर्सरी की अवस्था में देखा जाता है।

  • इस रोग में रोगजनक सबसे पहले पौधे के कालर भाग मे आक्रमण करता है।

  • अतंतः कालर भाग गल जाता है और पौधे गल कर मर जाते हैं।

  • इस रोग के निवारण के लिए बुआई के समय स्वस्थ बीज का चयन करना चाहिये।

  • इससे बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 30 ग्राम/पंप या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 50 ग्राम/पंप या मैनकोज़ेब 64% + मेटालेक्सिल 8% WP @ 60 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।

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करेले में जब आए फूल अवस्था तब जरूर अपनाएं ये उपाय

Nutrition management at flowering stage in Bitter gourd crop
  • करेले की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण फूल गिरने की समस्या होती है।

  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण फसल का उत्पादन बहुत प्रभावित होता है।

  • करेले की फसल में अधिक फूल वृद्धि के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों के मिश्रण का @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पिक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

ये भी पढ़ें: करेले की फसल को रस चूसक कीटों के प्रकोप से ऐसे बचाएं

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कपास पोषण प्रबंधन किट का ऐसे उपयोग करें, मिलेंगे कई फायदे

Cotton Poshan Kit
  • ग्रामोफोन की कपास पोषण किट मिट्टी एवं ड्रिप उपचार दोनों के लिए ही उपयोगी है।

  • इस किट का उपयोग कपास की फसल के बुआई के बाद अंकुरण हो जाने के बाद कर सकते हैं। अगर अंकुरण के बाद इस किट का उपयोग नहीं कर पाएं तो कपास की वृद्धि अवस्था में भी इसका उपयोग कर सकते है।

  • इस किट का मिट्टी में भुरकाव करके उपयोग किया जा सकता है।

  • इस किट का उपयोग कपास की फसल में ड्रिप के माध्यम से जड़ों के पास भी दिया जा सकता है।

  • यह किट पूर्णतः जल में घुलनशील होती है।

  • इस किट के उत्पाद कपास की फसल पर कोई विषैला प्रभाव नहीं छोड़ते हैं।

अपनी हर फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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कपास पोषण किट से कपास को दें बेहतर प्रारंभिक विकास

Cotton Poshan Kit
  • कपास की फसल की अच्छी पैदावार एवं उत्पादन को बढ़ाने के लिए ग्रामोफोन लेकर आया है कपास पोषण किट।

  • यह किट कपास की फसल की प्रारम्भिक वृद्धि अवस्था में सभी प्रकार के आवश्यक पोषक तत्वों को उपलब्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • ग्रामोफोन की कपास पोषण किट मिट्टी उपचार एवं ड्रिप उपचार दोनों के लिए ही उपयोगी है।

  • मिट्टी उपचार के लिए इस किट का 7.25 किलो/एकड़ (केलबोर, मैक्समायको, मेक्सरुट) की दर से एवं ड्रिप के लिए 1.1 किलो प्रति एकड़ (एक्सपोलरर ग्लोरी, एग्रोमिन गोल्ड, मैक्सरुट, वीगरमेक्स जेल) की दर से उपयोग किया जा सकता है।

  • कपास पोषण किट का उपयोग, फसल के अंकुरण के पश्चात दूसरी वृद्धि अवस्था तक किया जा सकता है।

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