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गोमूत्र एक प्रकार से जैविक कीटनाशक, जैविक कवकनाशी एवं पौध वृद्धि नियामक की तरह कार्य करता है।
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रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी की जो उर्वरा शक्ति प्रभावित हुई है गोमूत्र उसमें सुधार करने में सहायता करता है।
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इसके उपयोग से भूमि के लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु बढ़ते हैं जिससे भूमि प्राकृतिक रूप में बनी रहती है।
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मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ जाती है एवं यह मिट्टी का कटाव रोकने में सहायक होता है।
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गोमूत्र में नाइट्रोजन, गंधक, अमोनिया, कॉपर, यूरिया, यूरिक एसिड, फास्फेट, सोडियम, पोटेशियम, मैंगनीज, कार्बोलिक एसिड इत्यादि पाये जाते हैं जो मिट्टी के सुधार एवं फसल उत्पादन में बहुत मददगार होते हैं।
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