ऐसे करें अपने खाली खेत में पंचगव्य का उपयोग

How to use Panchagavya in an empty field
  • पंचगव्य एक जैविक उत्पाद है। फसलों एवं खाली खेत में इसका उपयोग करने से फसलों एवं मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।

  • पंचगव्य का खाली खेत की मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीटों, कवक एवं जीवाणुओं को ख़त्म करने का महत्वपूर्ण कार्य करता है।

  • पंचगव्य मिट्टी सुधारक की तरह कार्य करता है।

  • पंचगव्य की 3 लीटर मात्रा एक एकड़ के लिए पर्याप्त होता है।

  • इसके अलावा पंचगव्य के 3% घोल को फल पेड़-पौधों और फसल पर छिड़काव करके प्रयोग किया जा सकता है। 3 लीटर पंचगव्य एक एकड़ खड़ी फसल के लिए पर्याप्त होता है।

  • पंचगव्य के 3% घोल को सिंचाई के पानी के साथ उपयोग किया जा सकता है।

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गिलकी की फसल में सफ़ेद मक्खी का नियंत्रित कैसे करे

  • इस कीट के शिशु एवं वयस्क दोनों ही अवस्था गिलकी की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते है।

  • यह पत्तियों का रस चूस कर पौधे के विकास को बाधित कर देता है एवं पौधे पर सूटी मोल्ड के जमाव का कारण भी बनता है।

  • इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में गिलकी की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है।

  • फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण से फसलों की पत्तियां सूख कर गिर जाती है।

  • इस कीट के निवारण के लिए डायफेनथुरोंन 50% SP@ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामाइड 50% WG@ 60मिली/एकड़ या एसिटामेप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10% EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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मिर्च की नर्सरी में पौध गलन होने पर अपनाएं बचाव के ये उपाय

What causes the problem of Damping off chilli nursery?
  • खेत की मिट्टी में अत्यधिक नमी एवं मध्यम तापमान पौध गलन रोग के विकास के मुख्य कारक होते हैं।

  • मिर्च के पौधे में इस रोग को आर्द्र विगलन या डम्पिंग ऑफ के नाम से भी जाना जाता है।

  • इस रोग का प्रकोप मिर्च नर्सरी की अवस्था में देखा जाता है।

  • इस रोग में रोगजनक सबसे पहले पौधे के कालर भाग मे आक्रमण करता है।

  • अतंतः कालर भाग गल जाता है और पौधे गल कर मर जाते हैं।

  • इस रोग के निवारण के लिए बुआई के समय स्वस्थ बीज का चयन करना चाहिये।

  • इससे बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 30 ग्राम/पंप या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 50 ग्राम/पंप या मैनकोज़ेब 64% + मेटालेक्सिल 8% WP @ 60 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।

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करेले में जब आए फूल अवस्था तब जरूर अपनाएं ये उपाय

Nutrition management at flowering stage in Bitter gourd crop
  • करेले की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण फूल गिरने की समस्या होती है।

  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण फसल का उत्पादन बहुत प्रभावित होता है।

  • करेले की फसल में अधिक फूल वृद्धि के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों के मिश्रण का @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पिक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

ये भी पढ़ें: करेले की फसल को रस चूसक कीटों के प्रकोप से ऐसे बचाएं

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कपास पोषण प्रबंधन किट का ऐसे उपयोग करें, मिलेंगे कई फायदे

Cotton Poshan Kit
  • ग्रामोफोन की कपास पोषण किट मिट्टी एवं ड्रिप उपचार दोनों के लिए ही उपयोगी है।

  • इस किट का उपयोग कपास की फसल के बुआई के बाद अंकुरण हो जाने के बाद कर सकते हैं। अगर अंकुरण के बाद इस किट का उपयोग नहीं कर पाएं तो कपास की वृद्धि अवस्था में भी इसका उपयोग कर सकते है।

  • इस किट का मिट्टी में भुरकाव करके उपयोग किया जा सकता है।

  • इस किट का उपयोग कपास की फसल में ड्रिप के माध्यम से जड़ों के पास भी दिया जा सकता है।

  • यह किट पूर्णतः जल में घुलनशील होती है।

  • इस किट के उत्पाद कपास की फसल पर कोई विषैला प्रभाव नहीं छोड़ते हैं।

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कपास पोषण किट से कपास को दें बेहतर प्रारंभिक विकास

Cotton Poshan Kit
  • कपास की फसल की अच्छी पैदावार एवं उत्पादन को बढ़ाने के लिए ग्रामोफोन लेकर आया है कपास पोषण किट।

  • यह किट कपास की फसल की प्रारम्भिक वृद्धि अवस्था में सभी प्रकार के आवश्यक पोषक तत्वों को उपलब्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • ग्रामोफोन की कपास पोषण किट मिट्टी उपचार एवं ड्रिप उपचार दोनों के लिए ही उपयोगी है।

  • मिट्टी उपचार के लिए इस किट का 7.25 किलो/एकड़ (केलबोर, मैक्समायको, मेक्सरुट) की दर से एवं ड्रिप के लिए 1.1 किलो प्रति एकड़ (एक्सपोलरर ग्लोरी, एग्रोमिन गोल्ड, मैक्सरुट, वीगरमेक्स जेल) की दर से उपयोग किया जा सकता है।

  • कपास पोषण किट का उपयोग, फसल के अंकुरण के पश्चात दूसरी वृद्धि अवस्था तक किया जा सकता है।

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फसलों के लिए काफी लाभदायक होता है बोरान, जानें इसके फायदे

Importance of Boron For Crops
  • फसलों को वृद्धि करने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

  • इन पोषक तत्वों में बोरान एक प्रमुख आवश्यक पोषक तत्व है जो फसलों के लिए काफी लाभदायक होता है।

  • बोरान का उपयोग करने से फल फटता नहीं है।

  • बोरान पौधों में जल शोषण की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।

  • यह पौधों में परागण एवं प्रजनन क्रियाओं में सहायक की भूमिका निभाता है।

  • बोरान पौधों में कैल्शियम एवं पोटेशियम के अनुपात को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

  • बोरान के प्रयोग से दलहनी फ़सलों की जड़ ग्रंथियों का विकास सुचारू रूप से होता है।

  • यह दलहनी फसलों की फलियों को स्वस्थ बनाने और फलियों में दाने की संख्या बढ़ाने का काम करता है।

  • कंद वाली फसलों में बोरान कंद को आकर्षक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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कपास की इन उन्नत बीज किस्मों का करें चयन और पाएं बम्पर उत्पादन

Select these advanced seed varieties of cotton and get bumper production

कपास की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए इसकी खेती में इसके उन्नत किस्म के बीजों का उपयोग बहुत जरूरी होता है। आइये जानते हैं कपास की कुछ उन्नत किस्म के बीजों के बारे में।

Rasi RCH 659 BG II: कपास की इस किस्म से मजबूत पौधा तथा बड़े आकार के बॉल (गुलर/डोडे) होते हैं जिसका वज़न 5.5 से 5.9 ग्राम तक होता है। इस किस्म की फसल अवधि 145-160 दिनों की होती है। मध्यम अवधि एवं अधिक उत्पादन वाली यह एक अच्छी संकर किस्म है जो भारी मिट्टी में आसानी से लगाई जा सकती है। इसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी 4 फुट एवं पौधे से पौधे की दूरी 1.5 फीट रखनी होती है। 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर एवं मई- जून माह में बुआई के लिए यह उपयुक्त किस्म है।

Rasi – Neo: यह मध्यम अवधि एवं अधिक उत्पादन वाली संकर किस्म है। यह मध्यम सिंचित क्षेत्र एवं हल्की से मध्यम मिट्टी वाले खेतों के लिए अच्छी गुणवत्ता और व्यापक अनुकूलन वाली किस्म है। इस किस्म की फसल अवधि 140-150 दिनों की होती है। यह रस चूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी आदि के प्रति सहनशील होती है। इसमें बॉल बड़े आकार के तथा 5.5 से 5.9 ग्राम वजनी होते हैं। इसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी और पौधे की पौधे से दूरी 5×1.5 या 4×2 या 4×2.5 फीट रखनी होती है। यह 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली एवं मई-जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है।

Nuziveedu – Bhakti: यह किस्म 155-160 दिन की होती है तथा मध्यम सिंचाई एवं भारी मिट्टी वाले खेतों के लिए अच्छी होती है। इसमें रसचूसक कीटों के प्रति सहनशीलता होती है और अमेरिकन बोलवर्म तथा गुलाबी बोलवर्म के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी होती है। इसके बॉल मध्यम आकार के एवं 5 ग्राम तक वजनी होते हैं। इसमें पंक्ति की पंक्ति से दूरी और पौधे की पौधे से दूरी – 3×1.5 फीट रखनी होती है। 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली यह किस्म मई-जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त है।

Prabhat seed – Super Cot PCH-115Bt-II: यह किस्म 140-150 दिनों की होती है और मध्यम सिंचित व भारी मिट्टी वाले खेतों के लिए उपयुक्त है। इसका तना सख्त और पौधा लंबा होता है तथा यह मध्य भारत क्षेत्र के लिए अनुशंसित हैं। यह किस्म रस चूसक कीट के प्रति प्रतिरोधक होती है। इसके बॉल बड़े आकार के एवं 5.5 – 6 ग्राम तक वजनी होते हैं। इसमें पंक्ति की पंक्ति से और पौधे की पौधे से दूरी – 4×1.5 फीट रखनी होती है। 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली यह किस्म मई- जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त है।

Rasi – Magna: यह 140-150 दिनों की तथा मध्यम सिंचित क्षेत्र एवं भारी मिट्टी वाले खेतों के लिए एक अच्छी किस्म है। इसमें रस चूसक कीट के प्रति सहिष्णुता होती है और इसके बॉल बड़े आकार के तथा 6.59 ग्राम से कम वजनी होते हैं। इसमें पंक्ति से पंक्ति और पौधों से पौधे की दूरी 5×1.5 या 4 x 2 फीट रखनी होती है। इस किस्म में अधिक कपास प्राप्त होता है। यह 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली किस्म है एवं मई-जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त है।

Kaveri – Jadoo: यह किस्म 155-170 दिनों की तथा सिंचित व असिंचित क्षेत्र एवं हल्की मध्यम मिट्टी वाले खेतों के लिए एक अच्छी किस्म है। यह सूखे और रस चूसक कीटों के प्रति सहनशील और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक होता है। इसके बॉल (डोडे) मध्यम आकार के तथा 6 से 6.5 ग्राम वजनी होते हैं। इसमें पंक्ति से पंक्ति और पौधों से पौधे से दूरी – 4×1.5 फीट रखनी होती है। इसमें 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर रखनी होती है एवं यह मई- जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त होती है।

Aditya – Moksha BG2: यह किस्म 140-150 दिनों की तथा सिंचित व असिंचित क्षेत्र एवं भारी मिट्टी वाले खेतों के लिए अच्छी होती है। इसके बॉल बड़े आकार के एवं 6 से 7 ग्राम वजनी होते हैं। इसका पौधा सीधा व तना खड़ा होता है अतः कम दूरी में बुआई लिए उत्तम है। इसमें पंक्ति से पंक्ति और पौधों से पौधे की दूरी – 4×2.5 फीट रखनी होती है। यह 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली एवं मई- जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है।

ANKUR | 3028 BG: इस संकर किस्म में पौधे की वृद्धि स्तंभ प्रकार होती है एवं उत्पादन अच्छा होता है। यह रस चूसक कीट के प्रति प्रतिरोधी एवं नज़दीक की बुआई के लिए उपयुक्त होती है। यह लबे रेशे और प्रतिकूल स्थिति में भी अधिक उपज देने वाली किस्म है। मानसून की बारिश में बुआई के लिए यह अनुकूलित किस्म है। यह 600- 800 ग्राम/एकड़ बीज दर वाली एवं यह मई- जून माह में बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है।

कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें। उपर्युक्त बताये गए बीजों की खरीदी के लिए एप के बाजार विकल्प पर जाएँ।

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खेतों में सफेद लट का प्रकोप होने के ये होते हैं मुख्य कारण

white grub outbreak

  • खरीफ के मौसम में फसल एवं खेतो में सफ़ेद लट का प्रकोप काफी होता है।

  • इसके प्रकोप का कारण गर्मियों के समय ख़ाली खेत में उपयोग किये जाने वाला कच्चा गोबर है।

  • जिस गोबर का उपयोग किया जाता है वह पूरी तरह पकी हुई नहीं होती है।

  • इस गोबर में बहुत से हानिकारक कीट एवं कवक पाए जाते हैं जो की सफेद लट के आक्रमण का कारण होते है।

  • इस तरह के गोबर के ढेर पर सफ़ेद लट अवश्य अंडे देती है एवं जब गोबर को खेत में डाला जाता है तो सफ़ेद लट मिट्टी में जाकर फसलों को नुकसान पहुंचाने लगती है।

  • इस कीट के प्रकोप से बचाव के लिए गोबर को पूरी तरह सड़ाकर ही उपयोग करें, या गोबर की खाद का खाली खेत में भुरकाव के बाद डिकम्पोज़र का उपयोग अवश्य करें।

अपनी हर फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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कपास समृद्धि किट से कपास की फसल को दें संपूर्ण पोषण, ऐसे करें उपयोग

cotton samriddhi kit

  • कपास एक महत्वपूर्ण रेशा और नकदी फसल है।

  • इसकी बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।

  • कपास में बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार के लिए कपास समृद्धि किट का उपयोग करने से फसल का विकास बहुत अच्छा होता है।

  • इसलिए अंतिम जुताई के बाद बुआई के समय या मानसून की पहली बौछार के बाद ग्रामोफ़ोन की पेशकश ‘कपास समृद्धि किट’ की 4.2 किलो की मात्रा को 50 किलो अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिलाकर खेत में भुरकाव करें और इसके बाद हल्की सिंचाई कर दें।

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