मिर्च की 40-60 दिनों की अवस्था में इस छिड़काव से होगी अच्छी बढ़वार

This spray will give good growth at 40-60 days stage of chilli
  • मिर्च उद्यानिकी फसलों में से एक प्रमुख फसल है और इसकी खेती ड्रिप सिंचाई प्रणाली व सीधी बाढ़ सिंचाई दोनों विधियों द्वारा की जाती है।

  • बाढ़ सिंचाई के लिए उर्वरक प्रबंधन: रोपाई के 40-60 दिन पर 25 किलो यूरिया + 25 किलो डी ए पी + 25 किलो म्यूरेट ऑफ पोटास + 12 किलो मेग्नेशियम सल्फेट/ एकड़ + फास्फोरस एवं पोटाश बक्टेरिया 2 किलो प्रति एकड़ उपयोग करें।

  • ड्रिप सिंचाई प्रणाली के लिए उर्वरक प्रबंधन: रोपाई के 40-60 दिन पर फास्फोरस तथा पोटाश बैक्टीरिया @ 250 मिली एकड़ + कैल्शियम 5 किलों + 13:00:45 – एक किलो प्रति दिन प्रति एकड़ + 00:52:34 एक किलो प्रति दिन प्रति एकड़ + यूरिया 500 ग्राम प्रति दिन प्रति एकड़ + सल्फर 90% WDG 200 ग्राम प्रति दिन प्रति एकड़ ड्रिप में चलाएं।

रोग व कीट सुरक्षा तथा अच्छे फल-फूल विकास हेतु निम्नलिखित छिड़काव करें

  • बवेरिया बेसियाना 1 किलो + प्रोपरजाइट 57% ईसी 400 मिली या स्पिरोमेसिफेन 22.9% SC @ 200 मिली + होमोब्रेसिइनोइड्स 0.04% @ 100 मिली + मिक्सोल 250 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।

  • दूसरा छिड़काव एक सप्ताह बाद स्पिनोसेड 45% SC 75 मिली + एमिनो एसिड 250 ग्राम + सूडोमोनास 0.5 किलो + बेसिलस सबटिलिस 500 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

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टमाटर में टोस्पो वायरस का हो रहा प्रकोप, जल्द करें उपचार

Tomato spotted wilt
  • टॉस्पो वायरस टमाटर की फसल में मुख्यतः होने वाला विषाणु जनित रोग हैं इसका मुख्य कारण खराब पोषण प्रबंधन है और यह थ्रिप्स द्वारा फैलाया जाता हैl खराब पोषण प्रबंधन से तात्पर्य अमोनियम उर्वरक उपयोग, अमीनो अम्लों का अधिक उपयोग, मुर्गी खाद का उपयोग आदि से हैl

  • इसके कारण पत्तियां मुड़ जाती है और पत्तियों पर काले धब्बे व फलों पर पीले, हरे धब्बे नजर आते हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों का सही अनुप्रयोग और टोस्पो वायरस को फ़ैलाने वाले वाहक को नियंत्रित करके इसे प्रबंधित किया जा सकता हैl

  • पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए, सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव कर सकते हैं साथ ही टमाटर की फसल में थ्रिप्स को नियंत्रित करने के लिए नीचे दिए गए कीटनाशक का छिडकाव करें।

  • फिप्रोनिल 5% SC 400 ग्राम या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26 % Od 240 मिली या स्पिनोसेड 45% SC 75 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करेंl

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प्याज में बढ़ रहे चारे के प्रकोप को रोकना है जरूरी, जानें नियंत्रण के उपाय

Herbicides to control weeds in onion crop
  • प्याज एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है जो खरीफ के साथ-साथ रबी मौसम में भी उगाई जाती है। खरीफ और रबी प्याज की खेती मुख्य रूप से हल्की से मध्यम मिट्टी में उगाई जाती है, जो कि डैक्टिलोक्टेनियम एजिपियम, एलुसिन इंडिका, साइनोडोन डैक्टाइलॉन, साइपरस रोटंडस और पार्थेनियम हिस्टरोफोरस जैसे खरपतवारों से प्रतिस्पर्धा का सामना करती है।

  • पेंडिमेथालिन 38.7% CS @ 700 मिली प्रति एकड़ का उपयोग रोपाई के 3 दिनों के अंदर प्याज की फसल में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए कर सकते हैं।

  • ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC 100 मिली + प्रोपाक्योजाफोप 10 EC % @ 300 मिली प्रति एकड़ का संयुक्त छिड़काव रोपाई के बाद 20-25 दिन में और 30-35 दिन होने पर करने से खरपतवार का अच्छा नियंत्रण और अधिक उपज मिलती है।

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धान की फसल में बढ़ेगा चारे का प्रकोप, जल्द करें प्रबंधन

Weed outbreak will increase in Paddy Crop

धान की खेती में चारे यानी खरपतवार प्रकोप का नियंत्रण सबसे कठिन गतिविधियों में से एक है। अगर इसे ठीक से नियंत्रित नहीं किया गया तो 50% तक फसल का नुकसान हो सकता है।

निम्नलिखित खरपतवारनाशी धान की फसल में खरपतवारों को नियंत्रित करने में आपकी मदद कर सकते हैं।

  • प्रिटिलाक्लोर 50% ईसी @ 400 मिली/एकड़ (4-5 सेंटीमीटर गहरे खड़े पानी में समान रूप से फैला हुआ) का छिड़काव करें या प्रिटिलाक्लोर 30.7% ईसी 600 मिली को 15-20 किलो रेत में मिलाकर नर्सरी और धान की सीधी बुवाई दोनों में उचित नमी पर बुवाई के 48 घंटे के भीतर प्रति एकड़ प्रसारित करें या

  • पाइरोज़ोसल्फ़्यूरॉन एथिल 10% WP @ 40 ग्राम/एकड़ (3-5 दिन) का छिड़काव करें या

  • बिसपिरिबक-सोडियम 40% EC 80 मिली/एकड़ (15-20 दिन) की दर से स्प्रे करें।

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प्याज में टिप बर्न की समस्या से होगा नुकसान, ऐसे करें रोकथाम

Why do onion plants show tip burn problems?
  • प्याज की फसल में टिप बर्न की समस्या मुख्यतः फसल विकास के समय दिखाई देती हैं। जब फसल परिपक्व अवस्था के करीब होती है तब टिप यानी ऊपरी सिरे के जलने की प्रक्रिया स्वाभाविक हो सकती है, लेकिन युवा पौधों में टिप बर्न कई कारणों से हो सकता है। संभावित कारणों में मिट्टी में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी, फफूंद संक्रमण या रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स आदि का प्रकोप हो सकता है।तेज हवा, सूरज की अधिक रोशनी, मिट्टी में लवण की अधिकता और अन्य पर्यावरणीय कारक भी प्याज के शीर्ष को जला सकते हैं।

  • भूरे रंग, सूखे शीर्ष वाले पत्तों के उपर्युक्त सभी संभावित कारणों को देखते हुए, यह तय करना कठिन हो सकता है कि पौधे को क्या प्रभावित कर रहा है। याद रखें यदि आपने उपरोक्त सभी बातों का ध्यान रखा है तो समस्या कवक से संबंधित हो सकती है।

  • टिप बर्न की समस्या से उपाय के लिए उपरोक्त सभी बातों का ध्यान रखें। रस चूसक कीट पर्ण सुरंगक व थ्रिप्स कीटों से बचाव के लिए नीम ऑइल 10000 पीपीएम वाला 200 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

  • फिप्रोनिल 5% SC 400 मिली + टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG 500 ग्राम + ट्रायकन्टेनाल 0.1% EC 100 मिली प्रति एकड़ पानी में घोलकर छिड़काव करेंl

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गोभी वर्गीय फसलों में इन कीटों के प्रकोप से होगा नुकसान, जानें बचाव के उपाय

Integrated pest management of Diamondback Moth in cole crops
  • फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकोली और अन्य गोभी वर्गीय फसलों का प्रमुख कीट है डाइमंड बैक मॉथ।

  • इस कीट की इल्लियाँ पत्ते के हरे पदार्थ को खुरचकर खाती हैं तथा खाई गई जगह पर केवल सफ़ेद झिल्ली रह जाती है जो बाद में छिद्रों में बदल जाती हैं और धीरे धीरे पूरे फसल को क्षति पहुँचाती हैं l

  • यह कीट उपज में 50-80% तक कमी ला सकता हैं l इसका प्रकोप सितम्बर से अक्टूबर और मार्च से अप्रैल माह में अधिक दिखाई देता हैंl

प्रबंधन:

  • ट्रैप फसल के रूप में फूलगोभी, पत्तागोभी की प्रत्येक 25 पंक्तियों के बाद सरसों की 2 पंक्तियाँ लगाएंl सरसों की एक कतार गोभी बोने से 15 दिन पहले और दूसरी गोभी की बुआई के 25 दिन बाद बोई जाती है। खेत की पहली और अंतिम कतार सरसों की ही होनी चाहिए।

  • वयस्क डीबीएम के लिए 3-4 प्रकाश पाश प्रति एकड़ लगाएं।

  • बैसिलस थुरिंजिनिसिस 200 ग्राम या स्पिनोसेड 45% SC 75 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें और 10-15 दिनों के अंतराल में इसे दोहराते रहें।

  • रासायनिक नियंत्रण: इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG 100 ग्राम या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC 60 मिली 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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बैंगन की फसल में फल एवं तना छेदक कीट का ऐसे करें नियंत्रण

How to control Fruit and Shoot Borer in brinjal crop
  • फल एवं तना छेदक बैंगन की फसल का एक अति हानिकारक कीट हैं। इसकी अत्यधिक नुकसान पहुंचाने वाली अवस्था लार्वा होती है, जो शुरूआती अवस्था में बड़ी पत्तियों, कोमल टहनियों व तने को नुकसान पहुंचाता है, और बाद में कलियों एवं फलों पर गोल छिद्र बना कर के अंदर की सतह को खोखला बना देता हैं l यह कीट बैंगन की फसल को 70 से 100% तक नुकसान पहुंचा सकता है।

  • इससे बचाव के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना चाहिए।

  • रोग ग्रस्त पौधों और फलों को उखाड़कर खेत से बाहर फेंक देंl

  • 10 फेरामोन ट्रैप प्रति एकड़ की दर से उपयोग करेंl

  • फसल में समयानुसार कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करेंl

  • रासायनिक नियंत्रण: इस कीट के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG 100 ग्राम या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC 60 मिली या स्पिनोसेड 45% SC 60 मिली या क्युँनालफॉस 25% EC 400 मिली 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ का छिड़काव करेंl

  • जैविक नियंत्रण: बवेरिया बेसियाना 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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मक्का की फसल में बढ़ रहा है एफिड प्रकोप, ऐसे करें नियंत्रण

How to control Aphid in Maize Crop
  • एफिड के शिशु व वयस्क रूप कोमल नाशपाती के आकार के काले रंग के होते हैं और ये समूह में पत्तियों की निचली सतह पर चिपके रहते हैं साथ ही पत्तियों का रस भी चूसते है।

  • पत्तियों के एफिड ग्रस्त भाग पीले होकर सिकुड़ कर मुड़ जाते हैं। अत्यधिक संक्रमण की अवस्था में पत्तियां सूख जाती है व धीरे-धीरे पूरा पौधा सूख जाता है।इसके अलावा फलों का आकार एवं गुणवत्ता भी कम हो जाती है।

  • माहू के द्वारा पत्तियों की सतह पर मधुरस का स्राव किया जाता है जिससे फंगस का विकास हो जाता है। इसके कारण पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है और अंततः पौधे की वृद्धि रुक जाती है।

  • इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 100 मिली/एकड़ या एसीफेट 75% SP @ 300 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्राइड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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सोयाबीन में एन्थ्रेक्नोज रोग के लक्षण व नियंत्रण के उपाय

Symptoms and control of anthracnose disease in soybean
  • एन्थ्रेक्नोज रोग का संक्रमण सोयाबीन के पौधे की फली पर अनियमित आकार के धब्बे के रूप में नजर आते हैं। यह रोग आमतौर पर परिपक्वता के समय, सोयाबीन के तने पर देखा जाता है। एन्थ्रेक्नोज सोयाबीन के ऊतकों के मरने का कारण बनती है। यह रोग आमतौर पर विकासशील तने और पत्तियों को संक्रमित करता है। इसके लक्षण, पत्तियों, तने, फल या फूलों पर विभिन्न रंगों के धब्बे या घाव (ब्लाइट) के रूप में देखे जा सकते हैं।

  • इस रोग के प्रकोप से बचने के लिए खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाएँ। बुआई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63%WP से, 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।

  • फसल में इस रोग का प्रकोप हो जाए तो इसके निवारण के लिए मैनकोज़ेब 75% WP @ 500 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 400 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 4 00 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिड @ 500 ग्राम/एकड़ के रूप में उपयोग करें।

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मिर्च में हो रहा है मकड़ी का प्रकोप, जल्द करें नियंत्रण

How to control Mites in chilli crop
  • यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते हैं जो मिर्च की फसल के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल, कली, एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं। जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उनपर जाले दिखाई देते हैं। यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर कमज़ोर कर देते हैं जिसकी वजह से पौधे की बढ़वार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

  • रासायनिक प्रबंधन: मिर्च की फसल में मकड़ी कीट के नियंत्रण के लिए प्रॉपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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