मिर्च की दोहरे उद्देश्य वाली कुछ खास किस्में

  • एडवांटा AK-47- इस किस्म का पौधा आधा सीधा होता है एवं इस किस्म की पहली फल तुड़ाई बुबाई के 60-65 दिनों में होती है फल का रंग गहरा लाल एवं गहरा हरा होता है, फल की लम्बाई 6-8 सेंटीमीटर होती है एवं फल की मोटाई 1.1-1.2 सेंटीमीटर होती है, इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है l यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी किस्म है। 

  • नुन्हेम्स इन्दु 2070 – इस किस्म का पौधा छाता नुमा अधिक शाखाओं वाला सेहतमंद होता है। फल की लम्बाई – मोटाई 8.0-10 x 0.8-1.0 सेमी होती है। लम्बे यातायात एवं भण्डारण के लिए उपयुक्त ठोस फल। सूखे लाल एवं ताज़ा हरे दोनों प्रयोजनों के लिए उपयुक्त लम्बे समय तक लाल रंग बरकरार रहने की मध्यम प्रतिरोधक क्षमता वाली l 

  • नुन्हेम्स मिर्च यूएस 720 – इस किस्म का पौधा सीधा एवं अच्छा होता है। इस किस्म की पहली तुड़ाई प्रत्यारोपण के 60-65 दिनों में होती है। हरी मिर्च का रंग गहरा हरा एवं पकने पर गहरा लाल होता है। फल की लम्बाई 18-20 सेंटीमीटर होती है एवं फल की मोटाई 1-2 सेंटीमीटर होती है इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है। फल अच्छा एवं वज़न में भी अधिक होता है। 

  • स्टार फील्ड 9211 एवं स्टार फील्ड शार्क-1 इन किस्मों की पत्तियां मोटी होने के साथ साथ अच्छा पौधा होता है। इस किस्म की पहली तुड़ाई रोपण के 60-65 दिनों में होती है। फलों का रंग गहरा हरा, पके फलों का रंग गहरा लाल होता है फल की लम्बाई 8-9 सेंटीमीटर होती है एवं फल की मोटाई 0.8-1.0 सेंटीमीटर होती है यह किस्में बहुत तीखी होती हैं। इस किस्म का फल सुखाकर बेचने के लिए उपयुक्त होता है फफूंदी जनित रोगो के प्रति प्रतिरोधी किस्म है।

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लंबे फल वाली मिर्च की उन्नत किस्में लगाएं, अधिक मुनाफा पाएं

  • नुन्हेम्स मिर्च यूएस 720: इस किस्म का पौधा सीधा व अच्छा होता है। इसकी पहली तुड़ाई प्रत्यारोपण के 60-65 दिनों में होती है। इसका रंग गहरा हरा व पकने पर गहरा लाल हो जाता है। फल की लम्बाई 18-20 सेंटीमीटर व मोटाई 1-2 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है। फल अच्छा व वज़न में भी अधिक होता है।  

  • हायवेज सोनल: इस किस्म का पौधा सीधा होता है। इसकी पहली तुड़ाई प्रत्यारोपण के 50-55 दिनों में होती है। पके फल लाल व अपरिपक्व फल का रंग पीलापन लिए हुए हरा होता है। फल की लंबाई 14.5 सेंटीमीटर व मोटाई 0.3 मिमी होती है। इस किस्म में तीखापन मध्यम होता है। यह किस्म सुखाने के लिए उपयुक्त है। यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी है।

  • हायवेज सानिया 03: इस किस्म का पौधा सीधा होता है। इसकी पहली तुड़ाई रोपाई के 50-55 दिनों में होती है। पके फल लाल व अपरिपक्व फल का रंग पीलापन लिए हरा होता है। फल की लम्बाई 15-17 सेंटीमीटर व मोटाई 0.3 मिलीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है। यह किस्म सुखाने के लिए उपयुक्त होती है। यह अच्छी उपज देने वाली एक हाइब्रिड किस्म है। 

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देरी से तैयार होने वाली कपास की उन्नत किस्में !

👉🏻किसान भाइयों, मध्य प्रदेश में कपास की फसल मई जून माह में सिंचित एवं असिंचित अवस्थाओं में लगाई जाती है। कपास की किस्मों की सामान्यतः फसल अवधि 140 -180 दिन के मध्य होती है। 

👉🏻आज हम इस लेख के माध्यम से आपको मध्य प्रदेश में लगाई जाने वाली कुछ अधिक अवधि (155 -180 दिन) वाली कपास की उन्नत किस्मों व उनकी महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में जानेंगे। 

👉🏻नुजीवीडू गोल्डकोट:-  इसके डेंडु का आकार मध्यम और कुल वज़न 5 ग्राम होता है। इसकी फसल अवधि 155 से 160 दिन की होती है, जो भारी मिट्टी के लिए उत्तम है। 

👉🏻अंकुर स्वदेशी 5:- इसके डेंडु का आकार बड़ा, कुल वज़न 3.50-4 ग्राम और फसल अवधि 160 से 180 दिन की होती है। जो भारी मिट्टी के लिए उत्तम व प्रतिकूल स्थिति में अधिक उपज के साथ आसानी से पकने वाली किस्म है।

👉🏻कावेरी जादू:- इसके डेंडु का आकार मध्यम व कुल वज़न 6-6.5 ग्राम होता है। फसल अवधि 155 से 170 दिन की होती है। जो हल्की मध्यम मिट्टी और नज़दीकी बुवाई के लिए उत्तम है। इसमें बोलवर्म का प्रकोप कम से कम होता है ।

👉🏻मेटाहेलिक्स आतिश:- इसके डेंडु का आकार बड़ा, कुल वज़न 5.5-6.5 ग्राम  और पौधे मध्यम से लंबा व झाड़ीदार होता है। इस फसल की अवधि 160 से 170 दिन की होती है। फसल के लिए हल्की मध्यम मिट्टी के लिए उत्तम है।

किसान भाइयों यह किस्में लगाएं बंपर उत्पादन पाएं।

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कपास की बुवाई के पूर्व डीकम्पोजर अपनाएं और उत्पादन बढ़ाएं

decomposer before sowing cotton

👉🏻किसान भाइयों, डीकम्पोजर एक प्रकार का जैव उर्वरक है जो मृदा की उर्वरा शक्ति सुधारने का कार्य करता है। 

👉🏻जब खेत में से फसल की कटाई हो चुकी हो तब इसका उपयोग करना चाहिए। 

👉🏻किसान भाई पाउडर के रूप में डीकम्पोजर 4 किलो प्रति एकड़ की दर से खेत की मिट्टी या गोबर में मिलाकर भुरकाव कर सकते हैं।  

👉🏻भुरकाव के बाद खेत में थोड़ी नमी की मात्रा बनाएं रखें। छिड़काव के 10 से 15 दिनों के बाद कपास की फसल की बुवाई कर सकते हैं।

👉🏻चूंकि ये सूक्ष्म जीव पुरानी फसलों के अवशेषों को खाद में बदलने का काम करते हैं, इसलिए इनकी पाचन प्रक्रिया एनएरोबिक से एरोबिक में बदल जाती है, जो रोगकारक एवं हानिकारक जीवों को नष्ट कर देती है। 

👉🏻जैव संवर्धन और एंजाइमी कटैलिसीस की सहक्रियात्मक क्रिया के द्वारा पुराने अवशेषों को स्वस्थ, समृद्ध, पोषक-संतुलित खाद में बदल देती है।

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मिर्च की नर्सरी में आवश्यक है मिट्टी का उपचार

👉🏻किसान भाइयों, नर्सरी में मिट्टी का उपचार करके मिर्च की बुवाई करने से मिर्च की रोप बहुत अच्छी एवं रोग मुक्त होती है। 

👉🏻10 किलो सड़ी हुई खाद के साथ DAP @ 1 किलो और मैक्सरूट @ 50 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से नर्सरी बेड का मिट्टी उपचार करें। 

👉🏻बेड को चींटियों और दीमक से बचाने के लिए कार्बोफ्यूरान @ 15 ग्राम प्रति बेड के हिसाब से उपयोग करें इसके पश्चात बीज बुवाई करें। 

👉🏻बुवाई की प्रक्रिया पूरी करने के बाद आवश्यकतानुसार नर्सरी में सिंचाई करते रहें। 

👉🏻मिर्च की नर्सरी अवस्था में खरपतवार के निवारण के लिए आवश्यकता अनुसार निराई भी जरूर करें।

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मई माह में किये जाने वाले आवश्यक कृषि कार्य

Do these important agricultural work in the first fortnight of May

किसान भाइयों मई माह के प्रथम पखवाड़े में रबी फसल की कटाई, जायद फसल की निगरानी और जो किसान इस समय खेत खाली छोड़ देते हैं उनके लिए मिट्टी परीक्षण समेत कई अन्य सुरक्षात्मक कृषि कार्य करने का समय होता है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको मई माह के प्रथम पखवाड़े आवश्यक कृषि कार्यों की जानकारी देंगे। 

👉🏻टमाटर, मिर्च एवं अन्य सब्जियों की नर्सरी डालने का उचित समय 10-30 मई रहता है। नर्सरी की तैयारी के लिए अपने क्षेत्र के हिसाब से उन्नत किस्मों का चयन करें।

👉🏻खेत की गहरी जुताई कर खेत को खुला छोड़ दें, ताकि मिट्टी में उपस्थित कीट, कृमिकोष, व उनके अंडे, खरपतवार तथा फफूंदी जनित रोग फैलाने वाले रोगकारक नष्ट हो जाएँ। 

👉🏻इस महीने खेत खाली होने पर मिट्टी की जांच जरूर कराएं। मिट्टी परीक्षण से मिट्टी पीएच, विद्युत चालकता, जैविक कार्बन के साथ साथ मुख्य और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का पता लगाया जाता है, जिसे समयानुसार सुधारा जा सकता है। 

👉🏻कपास की खेती करने के लिए गहरी जुताई कर 3-4 बार हैरो चला दें ताकि मिट्टी के भुरभुरा होने के साथ जलधारण क्षमता भी बढ़ जाये। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जायेंगे।

👉🏻जिन किसान भाइयों के खेत में जायद फसलें जैसे मूंग, कद्दूवर्गीय सब्जियां आदि लगी हुई है वह समय समय पर खेत में निगरानी रख आवश्यकतानुसार उचित फसल संरक्षण उपाय अपनाएँ।

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मूंग की फसल में भभूतिया रोग की रोकथाम के उपाय

Measures for prevention of powdery mildew disease in moong crop

👉🏻किसान भाइयों मूंग की फसल में सफेद चूर्ण की समस्या होना पाउडरी मिल्ड्यू रोग या फिर भभूतिया के लक्षण हैं। 

👉🏻इस रोग में पत्तियों और अन्य हरे भागों पर सफेद चूर्ण दिखाई देता है जो बाद में हल्के रंग के सफेद धब्बेदार क्षेत्र में बदल जाता है। ये धब्बे धीरे-धीरे आकार में बढ़ जाते हैं और निचली सतह को भी ढकते हुए गोलाकार हो जाते हैं। 

👉🏻गंभीर संक्रमण में पर्णसमूह पीला हो जाता है जिससे समय से पहले पत्तियाँ गिर जाती हैं। 

👉🏻रोग संक्रमित पौधों में जल्दी परिपक्वता आ जाती है जिसके परिणामस्वरूप उपज में भारी नुकसान होता है। 

👉🏻इसके नियंत्रण के लिए पंद्रह दिन के अंतराल से हेक्ज़ाकोनाजोल 5% एससी [नोवाकोन] @ 400 मिली या मायक्लोबुटानिल 10% डब्ल्यूपी [इंडेक्स] @ 100 ग्राम या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एससी [कस्टोडिया] @ 300 मिली/एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 

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कपास की कम अवधि वाली किस्में लगाएं और बंपर पैदावार पाएं

Plant short duration varieties of cotton Get bumper yield

👉🏻किसान भाइयों मध्य प्रदेश में कपास की फसल मई जून माह में सिंचित एवं असिंचित दोनों क्षेत्रों में बोयी जाती है। कपास की किस्मों की सामान्यतः फसल अवधि 140 -180 दिन के मध्य होती है l आज हम इस लेख के माध्यम से आपको मध्य प्रदेश में बोई जाने वाली कुछ कम अवधि (140 -150 दिन) वाली कपास की उन्नत किस्में एवं उनकी महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में चर्चा करेंगे। 

👉🏻आदित्य मोक्षा: इसके डेंडु का आकार मध्यम, कुल वज़न 6 ग्राम से लेकर 7 ग्राम के बीच, फसल अवधि 140 से 150 दिन, हल्की मध्यम मिट्टी के लिए उत्तम, यह किस्म सिंचित एवं असिंचित क्षेत्र में बुवाई के लिए उपयुक्त है।  

👉🏻नुजीवीडू भक्ति: इसके डेंडु का आकार मध्यम, कुल वज़न 5 ग्राम, फसल अवधि 140 दिन, भारी मिट्टी के लिए उत्तम, अमेरिकन बोलवर्म, गुलाबी बोलवर्म के लिए प्रतिरोधी, कीटों को दूर करने के लिए प्रभावी है। 

👉🏻प्रभात सुपर कोट:  इसके डेंडु का आकार बड़ा होता है, कुल वज़न 5.5 ग्राम से लेकर 6.5 ग्राम के बीच होता है, फसल अवधि 140 से 150 दिन, भारी काली मिट्टी के लिए उत्तम।  यह किस्म रस चूसक कीट के प्रति सहिष्णु, अच्छी गुणवत्ता, व्यापक अनुकूलन वाली है, इस किस्म में बॉल का निर्माण बहुत अच्छा होता है l

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मूंग की फसल में जीवाणु झुलसा रोग से बचाव के उपाय

How to prevent bacterial blight in green gram

👉🏻किसान भाइयों मूंग की फसल में जीवाणु झुलसा रोग के लक्षण पत्तियों की सतह पर भूरे, सूखे और उभरे हुए धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं।

👉🏻पत्तियों की निचली सतह पर ये धब्बे लाल रंग के पाये जाते हैं। 

👉🏻जब रोग का प्रकोप बढ़ता है तो धब्बे आपस में मिल जाते हैं और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं अतः समय से पहले पत्तियां गिर जाती हैं। 

👉🏻इसके नियंत्रण के लिए कसुगामाइसिन 3% एसएल [कासु बी] @ 300 मिली प्रति एकड़ या कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% डब्ल्यूपी  [कोनिका] @ 250 ग्राम प्रति एकड़ या हेक्ज़ाकोनाजोल 5% एससी [नोवाकोन] 400 मिली 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 

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यह घातक रोग बर्बाद कर देगी खरबूज की फसल, जल्द करें बचाव

Control of Anthracnose Spot Disease in musk melon

👉🏻किसान भाइयों एन्थ्रेक्नोज रोग से ग्रसित पौधों की पत्तियों पर सबसे पहले छोटे, अनियमित पीले या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है।

👉🏻यह धब्बे समय के साथ फैलते हैं और गहरे होकर पूरी पत्तियों को घेर लेते हैं।

👉🏻ये छोटे गहरे काले रंग के धब्बे फलों पर भी होते हैं जो धीरे-धीरे फैलते हैं।  

👉🏻नमी युक्त मौसम में इन धब्बों के बीच में गुलाबी बीजाणु बनते हैं। 

👉🏻इस रोग से बचाव के लिए कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम 37.5 [विटावैक्स पावर] @ 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।

👉🏻10 दिनों के अंतराल से मैंकोजेब 75% डब्ल्यू पी [एम 45 ] 500 ग्राम या कासुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% डब्ल्यूपी [कोनिका] @ 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

👉🏻जैविक उपचार के लिए ट्रायकोडर्मा विरिडी [राइजोकेयर] @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस [मोनास कर्ब] @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से  छिड़काव कर सकते हैं।

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