देश के विभिन्न मंडियों में 16 जून को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

मंडी

कमोडिटी

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

रतलाम

प्याज़

3

4

रतलाम

प्याज़

5

7

रतलाम

प्याज़

8

9

रतलाम

प्याज़

10

12

रतलाम

लहसुन

5

9

रतलाम

लहसुन

9

24

रतलाम

लहसुन

21

35

रतलाम

लहसुन

33

75

रतलाम

आलू

16

रतलाम

टमाटर

35

40

रतलाम

हरी मिर्च

25

32

रतलाम

तरबूज

8

10

रतलाम

खरबूजा

12

14

रतलाम

आम

38

रतलाम

आम

30

रतलाम

आम

35

45

रतलाम

केला

22

रतलाम

पपीता

12

16

रतलाम

अनार

80

100

कोचीन

अनन्नास

50

कोचीन

अनन्नास

49

कोचीन

अनन्नास

56

कानपुर

प्याज़

5

7

कानपुर

प्याज़

10

कानपुर

प्याज़

11

13

कानपुर

प्याज़

13

14

कानपुर

लहसुन

10

कानपुर

लहसुन

15

20

कानपुर

लहसुन

30

32

कानपुर

लहसुन

35

70

विजयवाड़ा

आलू

25

विजयवाड़ा

करेला

30

विजयवाड़ा

भिन्डी

25

विजयवाड़ा

बैंगन

20

विजयवाड़ा

फूलगोभी

40

विजयवाड़ा

अदरक

40

विजयवाड़ा

पत्ता गोभी

30

विजयवाड़ा

गाजर

40

विजयवाड़ा

खीरा

30

विजयवाड़ा

शिमला मिर्च

50

विजयवाड़ा

टमाटर

45

विजयवाड़ा

हरी मिर्च

35

विजयवाड़ा

प्याज़

25

वाराणसी

प्याज़

10

12

वाराणसी

प्याज़

13

14

वाराणसी

प्याज़

14

15

वाराणसी

प्याज़

10

12

वाराणसी

प्याज़

14

15

वाराणसी

प्याज़

15

16

वाराणसी

लहसुन

10

15

वाराणसी

लहसुन

15

20

वाराणसी

लहसुन

20

25

वाराणसी

लहसुन

25

35

वाराणसी

आलू

14

16

वाराणसी

अदरक

34

35

वाराणसी

आम

28

35

वाराणसी

अनन्नास

20

30

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भिंडी की फसल में हरा तेला कीट की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय!

👉🏻किसान भाइयों हरा तेला कपास, भिंडी, बैंगन, आदि फसलों का प्रमुख कीट है।

👉🏻यह कीट देखने में हरे-पीले रंग के होते हैं। शीर्ष पर काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। इस कीट का प्रकोप, लम्बे समय तक अधिक बादल छाने व वातावरण में अधिक नमी होने पर तेजी से होता है। शिशु एवं प्रौढ़ कीट पत्तियों से रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। 

क्षति के लक्षण:- 

पत्तियों का पीला पड़ना, पत्तियों का मुड़ना, किनारे से पत्तियों का लाल होना या किनारों में झुलसना, हॉपर बर्न, पौधे का विकास रुकना आदि। 

नियंत्रण के उपाय:-

(मीडिआ)इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 100 मिलीलीटर या (लांसर गोल्ड) एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी @ 400 ग्राम  + सिलिको मैक्स @ 50 मिलीलीटर, प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।

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जानिए, कपास की फसल में पोषक तत्व प्रबंधन कब करें?

👉🏻प्रिय कपास उत्पादक किसान भाई, हमारे देश में कपास की कम पैदावार का एक मुख्य कारण मिट्टी की उर्वरता का कम होना है। जहां पर उचित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग किया गया है, वहां काफी अच्छी पैदावार देखी गयी है। आइये जानते हैं की कपास की फसल में कब और कितनी मात्रा में पोषक तत्व प्रबंधन करें:-

कपास की बुवाई के 15-20 दिन बाद:- यूरिया 40 किलोग्राम + डीएपी 50 किलोग्राम + ज़िंक सल्फेट (ग्रोमोर) 5 किलोग्राम + सल्फर 90% डब्ल्यूजी (ग्रोमोर) 5 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी के माध्यम से दें।

बुवाई के 25-30  दिन बाद:- NPK 19:19:19 @1 किलोग्राम + नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001% एल) @ 300 मिलीलीटर @ 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। 

बुवाई के 40-45 दिन बाद:- यूरिया @ 30 किलोग्राम + एमओपी @ 30 किलोग्राम + मैग्नीशियम सल्फेट @10 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी के माध्यम से दें।

बुवाई के 60-70 दिन बाद:- फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए NPK 00:52:34 @ 1 किलोग्राम + प्रो-एमिनोमैक्स (अमीनो एसिड) @ 250 मिली, प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 

बुवाई के 80-110 दिन बाद:- डोडे के विकास एवं बेहतर गुणवत्ता के लिए NPK 00:00:50 @ 1 किलोग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

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जून के दूसरे पखवाड़े में किए जाने वाले प्रमुख कृषि कार्य

खरीफ फसलों  के लिए भूमि की तैयारी एवं किस्मों का चुनाव –

  • इस सप्ताह खेत की अच्छे से जुताई करके खेत को समतल कर लें और अपने क्षेत्र के अनुसार किस्मों का चुनाव करें। 

  •  धान की फसल की नर्सरी को मुख्य खेत में रोपाई कर सकते हैं ,जो किसान भाई सीधे  बीज बुआई करना चाहते हैं, वे जून के अंत तक कम अवधि की किस्मों का चुनाव कर सकते हैं।

  •  कद्दू वर्गीय फसलों में रस चूसक कीट एवं फफूंद जनित रोगों से सुरक्षा के लिए आवश्यक छिड़काव करें। 

  •  मिर्च की नर्सरी को किसान भाई इस सप्ताह  मुख्य खेत में रोपाई कर  सकते हैं। 

  • किसान भाई खेत में अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट खेत में समान रूप से विखेर दें, जिससे यह समय से डिकम्पोज़ हो सके।

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खरीफ सीजन में लगाई जाने वाली मक्का की उन्नत किस्में

  • 6240 (सिंजेटा ):- 80-85 दिन की फसल अवधि, यह परिपक्वता के बाद भी हरी रहती हैं, जिसकी वजह से यह चारे के लिए उपयुक्त किस्म मानी जाती है। इसकी अधिक उपज, दाने सेमी डेंट प्रकार के होते हैं, जो भुट्टे में अंत तक भरे रहते हैं, प्रतिकूल वातावरण में भी उग जाता है  तना और जड़ गलन एवं गेरुआ रोग बीमारियों के लिए  प्रतिरोधक हैं।  

  • 3401(पायनियर):-  दाने भरने की क्षमता अधिक लगभग 80-85 % हर भुट्टे में 16-20 लाइनें होती हैं। अंत तक भुट्टे भरे होते हैं, लंबी अवधि की फसल 110 दिन, अधिक उपज 30-35 कुंतल तक होती है।

  • 8255 (धान्या ):- 115-120 दिन  की फसल अवधि “नमी तनाव के लिए सहिष्णु, चारे के उद्देश्य के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है अच्छी तरह से ढकने वाला भुटे का आवरण और उत्कृष्ट स्थिरता , 26000 पौधा / एकड़ पौध संख्या पर भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन”।

  • NK-30  (सिंजेटा):- 100-120 दिन  की फसल अवधि उष्णकटिबंधीय वर्षा के लिए अनुकूल, तनाव / सूखा आदि की स्थिति को सहन करने की क्षमता, उत्कृष्ट टिप भरने के साथ गहरे नारंगी रंग के दाने, उच्च उपज, चारा के लिए अनुकूल है।

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मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi rates

आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे झाबुआ, श्योपुर, पन्ना, विदिशा, मन्दसौर, राजगढ़, अशोकनगर आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

क्रमांक

जिला

मंड़ी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

1

विदिशा

लटेरी

1,850

1975

2

अशोकनगर

ईसागढ़

1,880

2,250

3

सागर

शाहगढ़

1,875

1,955

4

विदिशा

लटेरी

2,375

2,450

5

अनुपपूर

जैथरी

1,850

1,850

6

मन्दसौर

शामगढ़

1,890

2,035

7

विदिशा

लटेरी

2,000

2,255

8

झाबुआ

झाबुआ

2,050

2,050

9

श्योपुर

श्योपुरबड़ोद

1,865

2,021

10

पन्ना

अजयगढ़

1,900

1,930

11

राजगढ़

पचौरी

1,900

2,121

स्रोत: राष्ट्रीय कृषि बाजार

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ऐसे करें, सोयाबीन की फसल के लिए खेत की तैयारी

👉🏻प्रिय किसान, सोयाबीन की फसल के लिए 3 वर्ष में कम से कम एक बार ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अवश्य करनी चाहिये। 

👉🏻वर्षा प्रारंभ होने पर 2 या 3 बार कल्टीवेटर तथा हैरो चलाकर खेत को तैयार कर लेना चाहिये। अंत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। इससे हानि पहुंचाने वाले कीटों की सभी अवस्थाएं नष्ट होगी। ढेला रहित और भुरभुरी मिट्टी वाले खेत सोयाबीन के लिये उत्तम होते हैं।

👉🏻खेत की तैयारी के समय गोबर की खाद @ 4-5 टन + सिंगल सुपर फॉस्फेट @ 50 किलो प्रति एकड़ की दर से बुवाई से पहले खेत में मिलाना चाहिए।  

👉🏻बुवाई के समय DAP @ 40 किलो + म्यूरेट ऑफ़ पोटाश @ 30 किलो + 2 किलो फॉस्फोरस (घुलनशील बैक्टीरिया) + पोटाश गतिशील बैक्टीरिया का कन्सोर्टिया + 1 किलो राइज़ोबियम कल्चर को प्रति एकड़ की दर से खेत में सामान रूप से मिला देना चाहिए। 

👉🏻खाद एवं उर्वरकों की मात्रा मृदा परीक्षण रिपोर्ट, स्थान एवं किस्मों के अनुसार भिन्न हो सकती है। 

👉🏻सफ़ेद ग्रब की समस्या से बचने के लिए उर्वरकों के पहले डोज़ के साथ कालीचक्र (मेटाराईजियम स्पीसीज) @ 2 किलो की मात्रा को 50 किलो गोबर की खाद/कम्पोस्ट के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें।

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जानिए, मिर्च की नर्सरी में कब करें दूसरा छिड़काव

👉🏻प्रिय किसान, मिर्च की फसल में रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स, माहू, सफेद मक्खी एवं फफूंद जनित रोग आर्द्र गलन, जड़ सड़न से सुरक्षा के लिए फसल की 25 – 30 दिनों की अवस्था में या रोपाई के 5 दिन पहले छिड़काव करना अतिआवश्यक है।

👉🏻जिससे की स्वस्थ पौध की मुख्य खेत में रोपाई की जा सके तथा पौधे का उचित वृद्धि-विकास हो सके।  

👉🏻जरुरी छिड़काव:- 1.अबासिन (एबामेक्टिन 1.9% ईसी) @ 15 मिली + संचार (मेटालैक्सिल 4 % +  मैनकोज़ेब 64% डब्ल्यूपी) @ 60 ग्राम + मैक्सरुट 15 ग्राम, प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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सोयाबीन में बीज उपचार कर स्वस्थ फसल पाएं

👉🏻किसान भाइयों, सोयाबीन की फसल में बुवाई से पहले बीजों का उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।

👉🏻सोयाबीन की फसल में बीज उपचार जैविक एवं रसायनिक दोनों विधियों से किया जा सकता है।  

👉🏻सोयाबीन में बीज उपचार फफूंदनाशी एवं कीटनाशी दोनों से किया जाता है। 

👉🏻फफूंदनाशी से बीज उपचार करने के लिए करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी) @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या वीटा वैक्स अल्ट्रा (कार्बोक्सिन 17.5%+ थायरम 17.5% एफएफ) @ 2.5 मिली/किलो बीज या कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी) @ 5-10 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित करें। 

👉🏻कीटनाशी से बीज उपचार करने के लिए थायो नोवा सुपर (थायोमिथोक्साम 30% एफएस) @ 4 मिली/किलो बीज या गौचो (इमिडाक्लोरोप्रिड 48% एफएस) @ 1.25 मिली/किलो बीज से बीज उपचार करें। 

👉🏻सोयाबीन फसल में नाइट्रोज़न स्थिरीकरण को बढ़ाने के लिए राइजोबियम [जैव वाटिका -आर सोया] @ 5 ग्राम किलो बीज से उपचारित करें।  

👉🏻फफूंदनाशी से बीज उपचार करने से सोयाबीन उकठा रोग, जड़ सड़न रोग से सुरक्षित रहती है। 

बीज का अंकुरण सही ढंग से होता है अंकुरण प्रतिशत बढ़ता है, फसल का प्रारंभिक विकास समान रूप से होता है।

👉🏻राइज़ोबियम से बीज़ उपचार सोयाबीन की फसल की जड़ो में गाठो (नॉड्यूलेशन) को बढ़ाता है एवं अधिक नाइट्रोज़न का स्थिरीकरण करती है।  

👉🏻कीटनाशकों से बीज उपचार करने से मिट्टी जनित कीटो जैसे-सफ़ेद ग्रब, चींटी, दीमक आदि से सोयाबीन की फसल की रक्षा होती है। 

👉🏻प्रतिकूल परिस्थितियों (कम/उच्च नमी) में भी अच्छी फसल प्राप्त होती है।

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ग्रीष्मकालीन मूंग की कटाई एंव गहाई

👉🏻मूंग की फसल 65-70 दिन में पक जाती है। अर्थात मार्च- अप्रैल माह में बोई गई फसल मई-जून माह में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

👉🏻फलियाँ पक कर, हल्के भूरे रंग की अथवा काली होने पर कटाई योग्य हो जाती है।

👉🏻पौधें में फलियाँ असमान रूप से पकती हैं, यदि पौधे की सभी फलियों के पकने की प्रतीक्षा की जाये तो ज्यादा पकी हुई फलियाँ चटकने लगती है। अतः फलियों की तुड़ाई हरे रंग से काला रंग होते ही 2-3 बार में कर लें और बाद में फसल को पौधें के साथ काट लें। 

👉🏻अपरिपक्वास्था में फलियों की कटाई करने से दानों की उपज एवं गुणवत्ता दोनों खराब हो जाते हैं। 

👉🏻हॅंसिए से फसल काटकर खेत में एक दिन सुखाने के उपरान्त खलियान में लाकर सुखाते है। सुखाने के उपरान्त डंडे से पीट कर या थ्रेसर का उपयोग कर गहाई कार्य किया जा सकता है।

👉🏻फसल अवशेष को रोटावेटर चलाकर भूमि में मिला दें ताकि यह हरी खाद का काम करें। इससे मृदा में लगभग 10 से 12 किलो प्रति एकड़ नाइट्रोजन की पूर्ति आगामी फसल के लिए हो जाती है।

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