मध्यप्रदेश मंडियों में क्या चल रहे टमाटर के भाव?

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे ब्यावर, देवास, इंदौर, खरगोन एवं मंदसौर आदि में क्या चल रहे हैं टमाटर के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में टमाटर के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

बड़वानी

बड़वानी

1200

1200

राजगढ़

ब्यावरा

900

1800

छिंदवाड़ा

छिंदवाड़ा

500

700

सागर

देवरी

1700

2000

सागर

देवरी

1200

2010

देवास

देवास

400

1000

देवास

देवास

500

1200

धार

धार

1900

2000

धार

धार

1950

2500

गुना

गुना

1000

1100

देवास

हाटपिपलिया

1200

1400

हरदा

हरदा

1800

2400

इंदौर

इंदौर

800

2400

खरगोन

खरगोन

500

800

खरगोन

खरगोन

500

800

धार

कुक्षी

1000

1600

धार

कुक्षी

1000

1800

धार

मनावर

1600

1800

मंदसौर

मंदसौर

1400

2700

खंडवा

पंधाना

800

820

सागर

सागर

1200

2000

इंदौर

सांवेर

1550

1850

बड़वानी

सेंधवा

700

1200

बड़वानी

सेंधवा

1500

2000

झाबुआ

थांदला

800

1000

हरदा

टिमर्नी

1200

2500

स्रोत: एगमार्कनेट प्रोजेक्ट

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देखिये, भिंडी की सबसे बेहतरीन 6 किस्में

भिंडी की उन्नत खेती के लिए उसकी उन्नत किस्मों का चयन करना आवश्यक है। किसानों को अधिक पैदावार के लिए अपने क्षेत्र की प्रचलित भिंडी की किस्मों का चयन करना चाहिए। इसके साथ साथ उन किस्मों की विशेषताओं और उपज की जानकारी होना भी आवश्यक है। किसानों की जानकारी के लिए भिंडी की उन्नत किस्मों की विशेषताएं इस प्रकार हैं – 

यूपीएल मोना 002:-

पहली तुड़ाई बुवाई के 42 से 45 दिनों पर होती है।

फलों की लंबाई 12 से 14 सेंटीमीटर की होती है।  

फलों का रंग गहरा हरा होता है। 

लीफ कर्ल वायरस और पीत शिरा मोज़ेक वायरस रोग के लिए सहनशील हैं। 

पौधों में शाखाएं 2 से 4 होती हैं। 

यूपीएल राधिका:- 

पहली तुड़ाई बुवाई के 42 से 45 दिनों पर होती है।

फलों की लंबाई 12 से 14 सेंटीमीटर की होती है।

फल का रंग गहरा हरा होता है। 

लीफ कर्ल वायरस और पीत शिरा मोज़ेक वायरस रोग के लिए सहनशील है। 

पौधों में शाखाएं 2 से 4 होती हैं। 

यूपीएल वीनस प्लस  

पहली तुड़ाई बुवाई के 40 से 45 दिनों पर होती है।

फलों की लंबाई 12 से 14 सेंटीमीटर की होती है।

फल का रंग गहरा हरा होता है। 

लीफ कर्ल वायरस और पीत शिरा मोज़ेक वायरस रोग के लिए सहनशील है। 

पौधों में शाखाएं 2 से 3 होती हैं। 

हाइवेज सोना  

पहली तुड़ाई बुवाई के 45-48 दिनों पर होती है।

फलों की लंबाई 12 से 16 सेंटीमीटर की होती है। 

लीफ कर्ल वायरस और पीत शिरा मोज़ेक वायरस रोग के लिए सहनशील है। 

पौधों में शाखाएं 2 से 4 होती हैं।   

नुन्हेम्स शिवांश  

पहली तुड़ाई बुवाई के  45 से 50 दिनों पर होती है।

फलों की लंबाई 12 से 14 सेंटीमीटर की होती है।

लीफ कर्ल वायरस और पीत शिरा मोज़ेक वायरस रोग के लिए सहनशील है। 

पौधों में शाखाएं 2 से 4 होती हैं।   

नुन्हेम्स सिंघम

पहली तुड़ाई बुवाई के 45-48 दिनों पर होती है।

फलों की लंबाई 12 से 14 सेंटीमीटर की होती है। 

फल का रंग गहरा हरा होता है। 

पौधों में शाखाएं 2 से 4 होती हैं।  

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बैंगन में आने वाली प्रमुख समस्याओं का समाधान पाएं सिर्फ एक छिड़काव से

बैंगन में फुदका कीट, वायरस रोग, कीट शीर्ष एवं फल छेदक जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। इसके अलावा बैंगन में भारी नुकसान पहुंचाने वाले रोग जैसे पत्ती धब्बा एवं फल सड़न से भी उपज काफी प्रभावित होती है। ऐसे में इस खास छिड़काव से बैंगन की फसल को स्वस्थ और सुरक्षित रखा जा सकता है।

नियंत्रण के उपाय

इनके नियंत्रण के लिए, सोलोमोन (बीटा-साइफ्लुथ्रिन 08.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% ओडी) @ 80 मिली या सुपरकिलर 25 (साइपरमेथ्रिन 25% ईसी) @ 80 मिली + धानुस्टीन (कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी) @ 120 ग्राम + नोवामैक्स @ 300 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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कपास की फसल से अधिक उत्पादन लेने के लिए करें जरुरी छिड़काव

कपास की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए, यह छिड़काव करना बहुत ही आवश्यक होता है। कपास की फसल जब 100 से 120 दिन की हो, 00:00:50, @ 800 ग्राम + ट्राई डिसॉल्व मैक्स 200 ग्राम + बोरान @ 150 ग्राम प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

जानें इन उन्नत उत्पादों की विशेषताएं-

00:00:50:- इसमें उच्च पोटेशियम तत्व पाया जाता है, जो पानी में आसानी से घुलनशील है, जो कि ड्रिप सिंचाई एवं पर्णीय छिड़काव के लिए सबसे अच्छा है। पौटेशियम की सही उपस्थिति पौधो की रोगरोधी क्षमता एवं उत्पादकता के लिए जरुरी है। यह मजबूत कपास का वजन एवं गुणवत्ता को बढ़ाता है। जिससे उच्च गुणवत्ता वाला कपास प्राप्त होता है। 

ट्राई डिसॉल्व मैक्स:- यह एक जैव उत्तेजक है। इसमें जैविक कार्बन, पोटेशियम, कैल्शियम, अन्य प्राकृतिक स्थिरक आदि तत्व पाए जाते हैं। यह कपास की गुणवत्ता को बढ़ाने के साथ स्वस्थ फसल वृद्धि में मदद करता है। साथ ही यह विभिन्न पोषक तत्वों की मात्रा को भी बढ़ाता है।

बोरॉन:- कपास की फसल के विकास के सभी चरणों में बोरॉन की आवश्यकता होती है। लेकिन विशेष रूप से डेंडु विकास के दौरान बोरान की उपस्थिति जरूरी होती है। बोरोन से फूलों में परागण की क्रिया, परागनली का निर्माण,और कपास बनने में सहायता करता है और रेशे की गुणवत्ता को बढ़ाता है। 

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मटर की बंपर उपज देने वाली उन्नत किस्में एवं उनकी विशेषताएं

मटर रबी मौसम की प्रमुख दलहनी फसल है। मटर बोने का सबसे उत्तम समय सितम्बर मध्य से अक्टूबर का महीना होता है। मटर के दानों का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है, जिनमें इसके हरे कच्चे दानों का इस्तेमाल सब्जी और खाने में किया जाता है। इसके अलावा इन दानों को सुखाकर उनसे कई तरह की खाद्य सामग्री बनाई जाती है।

किस्म का नाम – गोल्डन जीएस – 10

ब्रांड का नाम – यूपीएल

फली का प्रकार: पेंसिल आकार की फलियां

फसल अवधि  –  70-75 दिन 

बीजों की संख्या (फली में) – 8-10 बीज

तुड़ाई की संख्या – 2-3 बार 

औसत उपज – 9-10 टन प्रति हेक्टेयर

सहिष्णुता: पाउडरी मिल्ड्यू 

विशेष विशेषताएं: फली के अंदर के बीज एक समान और स्वाद में मीठे होते हैं।

किस्म का नाम – सुपर अर्केल

ब्रांड का नाम – मालव 

अवधि  – 65-70 दिन

बीजों की संख्या (फली में)  – 8-10 बीज

औसत उपज – हरी फली की उपज 4-5 टन/हेक्टेयर

बीज: झुर्रीदार और मीठा

किस्म का नाम – अर्केल

ब्रांड का नाम – मालव 

अवधि  – 60-70 दिन

बीजों की संख्या (फली में)  – 6-8 बीज

औसत उपज – हरी फली की उपज 4-5 टन/हेक्टेयर

बीज: झुर्रीदार और मीठा

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मिर्च की फसल में काले थ्रिप्स पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

क्षति के लक्षण:-

मिर्च एवं शिमला मिर्च की फसल के लिए काली थ्रिप्स एक घातक कीट बन गई है। इसे पहली बार 2015 में बेंगलुरु, कर्नाटक में देखा गया था। यह कीट पहले पत्ती की निचली सतह से रस चूसते हैं और फिर धीरे धीरे टहनी, फूल एवं फल पर हमला करते हैं। फूलों की अवस्था में फूलों को प्रभावित करके फलों के विकास को रोक देते हैं। फूलों को नुकसान पहुंचाने की वजह से “फ्लावर थ्रिप्स” भी कहा जाता है। इनका प्रकोप बढ़ने से क्षतिग्रस्त पत्तियां पीली होकर गिर जाती हैं।

नियंत्रण के उपाय:-

👉🏻इसके नियंत्रण के लिए, लार्गो (स्पिनेटोरम 11.7 % एससी) @ 200 मिली + बवे कर्ब 250 ग्राम + नोवामैक्स 200 मिली + सिलिकोमैक्स 50 मिली, प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें

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रोजगार मिलना अब होगा बेहद आसान, बस करें ये जरूरी काम

बढ़ती बेरोजगारी को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। युवाओं को रोजगार के अवसर मिले इसके लिए एक खास योजना चलाई जा रही है। जिसका नाम ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ है। इस योजना का उद्देश्य युवाओं को प्रशिक्षण के जरिए आत्मनिर्भर बनाना है। बता दें कि सरकार द्वारा जारी किए हुए आंकड़ों के अनुसार अब तक 1 करोड़ 37 लाख से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। जिसके आधार पर 24 लाख 42 हजार से अधिक युवा रोजगार प्राप्त करके अपनी जीविका चला रहे हैं।

केंद्र की यह योजना देश के सभी राज्यों में चलाई जा रही है। इस योजना में युवाओं को अलग-अलग क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है। जहां सर्टिफिकेट के आधार पर युवा संबंधित क्षेत्र में अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं। केंद्र की इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक को पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

जानें आवेदन प्रक्रिया

आवदेन करने के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। यहां दिए गए Quick link में जाकर skill India पर क्लिक करें। इसके बाद विकल्प में दिख रहे ‘I want to Skill myself’ में आवेदनकर्ता की जानकारी सावधानीपूर्वक भर दें। फॉर्म भरने के बाद इसे सब्मिट कर दें। इस तरह रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाएगा। बता दें कि इस आधिकारिक वेबसाइट पर ही प्रशिक्षण केंद्र के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

स्रोत कृषि जागरण

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

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फसलों की उत्पादन बढ़ाने में पोटैशियम का महत्त्व

पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिये पोटैशियम आवश्यक पोषक तत्व है। पोटैशियम फसलों को सूखा, पाला तथा कीट बीमारी आदि से बचाने में मदद करता है। जिन फसलों को पोटैशियम की पूरी मात्रा मिलती है, उन्हें उपज देने के लिये अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार पोटैशियम के प्रयोग से फसल की जल उपयोग-क्षमता बेहतर होती है। पोटैशियम फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने वाला सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्व है। पोटैशियम फसलों में दाने का विकास के लिए भी बहुत आवश्यक है। फसल में प्रारम्भिक अवस्था से ही पोटैशियम की आवश्यकता होती है।  इससे तने का पूर्ण विकास हो जाता है, जिससे पौधा नहीं गिरता।

फसलों की निचली पत्तियों में किनारे से पीला पड़ना पोटैशियम के कमी के लक्षण हैं। पोटैशियम प्रयोग से यह समस्या नहीं आती है। पोटैशियम उत्पादन की गुणवत्ता को बढ़ाता है, अनाज के दानों की चमक, फलों का आकार, स्वाद व रंग भी पोटैशियम के कारण बढ़ता है फसल की आवश्यकतानुसार जमीन की तैयारी के समय पोटाश का उपयोग अति आवश्यक है। फसलों में छिड़काव के रूप में, 00:00:50, @ 5 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से भी उपयोग किया जा सकता है।

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कद्दू वर्गीय फसलों में मोज़ेक वायरस के लक्षण एवं रोकथाम के उपाय

कद्दू वर्गीय फसलों में मोजेक वायरस का फैलाव, माहू एवं यांत्रिक उपकरणों की वजह से होता है। जिसके लक्षण पत्तियों पर गहरे हरे और पीले रंग के एक विकृत मिश्रित धब्बों के रूप में देखे जा सकते हैं। इस वायरस के चलते पत्तियां पतली और झुर्रीदार हो जाती हैं। वहीं पत्तियों के आकार का कम होना, सिकुड़ना एवं किनारों से नीचे की ओर मुड़ना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं

👉🏻 जैविक निवारण के लिए, ब्रिगेड बी @ 1 किग्रा प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻 माहु के नियंत्रण के लिए, एडमायर @ 14 ग्राम  +  सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻 2 दिन बाद, प्रिवेंटल BV @ 100 ग्राम प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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खरीफ प्याज की फसल में रोपाई के 40-45 दिन की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन

प्याज की फसल में पौधे के विकास के साथ साथ कंद विकास के लिए मुख्य पोषक तत्वों के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है। जो बीमारी, कीट एवं प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। मिट्टी में इन पोषक तत्वों की कमी होने से फसलों पर इसके लक्षण दिखने लगते हैं।

 पोषक तत्व प्रबंधन – प्याज की फसल में पौधों के अच्छे वृद्धि विकास के साथ – साथ कंद का आकार बढ़ाने के  लिए, यूरिया @ 30 किग्रा + एग्रोमिन (जिंक 5% + आयरन 2% + मैंगनीज 1% + बोरॉन 1% + कॉपर 0.5%) @ 5 किग्रा + कोरोमंडल जिंक सल्फेट @ 5 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

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