How to protect Brinjal from Fruit Borer

  • इस कीट के द्वारा नुकसान रोपाई के तुरन्त बाद से लेकर अंतिम तुड़ाई तक होती है।
  • यह उपज को 70% तक कम कर सकता है।
  • गर्म वातावरणीय दशा में फल एवं तना छेंदक इल्ली की संख्या में अधिक वृद्धि होती है।
  • प्रारंभिक अवस्था में छोटी गुलाबी इल्ली टहनी एवं तने में छेंद  करके प्रवेश करती है। जिसके कारण पौधे की शाखाएँ सूख जाती है।
  • बाद की अवस्था में इल्ली फलों में छेंद कर प्रवेश करती है और गूदे को खा जाती है।

प्रबंधन:

  • फेरोमोन ट्रैप @ 5/एकड़ की दर से खेत में लगाईये |
  • एक ही खेत में लगातार बैंगन की फसल न लेते हुये फसल चक्र अपनाये।
  • छेद हुये फलों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • कीट को नियंत्रित करने के लिए रोपाई के 35 दिनों के बाद से पखवाड़े के अंतराल पर साइपरमेथ्रिन 10% ईसी @ 300ml/एकड़ या लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 5% ईसी @ 200-250 ml/एकड़ की दर फसल पर छिड़काव करें।
  • कीट के प्रभावशाली रोकथाम के लिये कीटनाशक के छिड़काव के  पूर्व छेंद किये गये फलों की तुड़ाई कर लें।

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Practice at time of transplanting for chilli crop

  • वर्षा आधारित क्षेत्रों में कतार से कतार की दूरी 60 से.मी. रखे एवं पौध से पौध की दूरी 15 से.मी. रखें।
  • सिंचित क्षेत्रों में हल्की मिट्टी में कतार से कतार की दूरी 75 से.मी. एवं पौध से पौध की दूरी 45 से.मी. रखें।
  • सिंचित क्षेत्रों के लिए भारी मिट्टी में कतार से कतार की दूरी एवं पौध से पौध की दूरी 60-60 से.मी. रखें।
  • एक स्थान पर 2-3 पौध रोपे।

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How to Control Stem Borer in Sweet Corn

  • यह मीठी मक्का का प्रमुख और अधिक हानि पहुँचाने वाला कीट है|
  • तना छेदक कीट की इल्ली मक्के के तने के बीच घुसकर सुरंग बना देती है|
  • यह इल्ली तने में घुसकर ऊतकों को खाती रहती है| इस कारण पौधो में जल और भोजन का संचरण नहीं हो पाता है| पौधा धीरे-धीरे पीला पड़कर सूखने लग जाता है| अंत में पौधा सूखकर मर जाता है|
  • प्रबंधन-
  • फसल की बुवाई के 15 -20 दिन बाद फ़ोरेट 10%जी 4 किलो/एकड़ या फिप्रोनिल 0.3% जी 5 किलो/एकड़ को 50 किलो रेत में मिलाकर जमीन में दे एवं साथ ही सिंचाई करें|
  • यदि दानेदार कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया गया हैं तो नीचे दिए गए किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करें|
    • बुवाई के 20 दिनों बाद बाइफेंथ्रीन 10% EC 200 मिली प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें| या
    • बुवाई के 20 दिनों बाद फिप्रोनिल 5% SC 500 मिली प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें | या
    • करटाप हाईड्रो क्लोराईड 50% SP 400 ग्राम /एकड़ का स्प्रे करें|
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Basis for selection of Cotton variety:-

मिट्टी के प्रकार के आधार पर :-

  • हल्की से मध्यम मिट्टी के लिए :- नीयो  (रासी)।
  • भारी मिट्टी के लिए :-Rch 659 BG II, मैग्ना (रासी), मोक्ष बीजी-II (आदित्य), सुपर कॉट Bt-II (प्रभात)

सिचाई के आधार पर :-

  • वर्षा आधारित:- जादु (कावेरी), मोक्ष बीजी 2 (आदित्य)।
  • अर्ध सिंचित: – नीयो, मैग्ना (रासी), मनीमेकर (कावेरी), सुपर कॉट Bt- II (प्रभात)।
  • सिंचित: – Rch 659 BG II (रासी), जादू (कावेरी)।

पौधे के बढने के स्वभाव के  आधार पर: –

  • सीधी बढने वाली किस्मे: – जादु (कावेरी), मोक्ष बीजी-II (आदित्य), भक्ति (नुजिवीडु)।
  • फैलने वाली किस्मे:-  Rch 659 BG-II (रासी), सुपर कॉट Bt- II (प्रभात)।

फसल समय अवधि के आधार पर : –

  • अगेती किस्में (140-150 दिन)
    • Rch 659 BG-II (रासी)।
    • भक्ति (नुजिवीडु)।
    • सुपर कॉट Bt- II (प्रभात)।

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How to get more profit from cotton crop

कपास की फसल अन्तरसस्य फसलों के लिए अच्छी मानी जाती हैं क्योंकि कपास की फ़सल शुरुआत में धीरे-धीरे बढ़ती हैं एवं खेत में लम्बे समय तक रहती हैं जो अन्य अंतर सस्य फसलों के लिए अच्छा माना जाता हैं। अन्तरसस्य का मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त फसल के साथ कपास की फसल की अधिकतम उपज प्राप्त करना होता है | सामान्यतः कपास के साथ दलहनी फसलें लगाई जाती है।

सिंचित क्षेत्रों के लिए अन्तरसस्य फसलें:-

  • कपास + मिर्च (1: 1)
  • कपास + प्याज़ (1: 5)
  • कपास + सोयाबीन (1: 2)
  • कपास + सनहीम (हरी खाद के रूप में) (1: 2)

अन्तरसस्य फसलें वर्षा क्षेत्रों आधारित में लगाने के लिए :-

  • कपास + प्याज़ (1: 5)
  • कपास + मिर्च (1: 1)
  • कपास + मूंगफली (1: 3)
  • कपास + मूंग  (1: 3)
  • कपास + सोयाबीन (1: 3)
  • कपास + मटर (1: 2)

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Irrigation Management for chilli crop

  • रोपाई के तुरन्त बाद एवं यूरिया छिड़काव के पहले सिचाई करें।
  • अच्छी वृद्धि, फूल और फलों के विकास के लिए समय पर सिंचाई आवश्यक हैं।
  • रोपाई के पहले महीने, एक हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती  हैं |
  • हल्की मिट्टी होने पर गर्मियों में, हर एक दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
  • सिंचाई के समय या वर्षा के दौरान इस बात का अवश्य ध्यान रखे की किसी भी दशा में खेत में पानी जमा न होने पाए उचित जल निकास का प्रबंधन  इस फसल के लिए अति आवश्यक हैं।

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Spray Schedule in nursery

 

अच्छी पैदावार के लिए नर्सरी का ठीक से तैयार होना अति आवश्यक है अगर नर्सरी में पौध रोग रहित एवं स्वस्थ रहेगी तभी खेत में रोपाई के बाद तैयार मिर्च का पौधा भी मजबूत रहेगा इसलिए नर्सरी में पौधे की उचित देखभाल अवश्य करे | अच्छी पौधे तैयार करने हेतु ग्रामोफोन मिर्च की नर्सरी में तीन बार स्प्रै करने की सलाह देता हैं जो इस प्रकार है

  • पहला स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8 ग्राम/पम्प + एमिनो एसिड 20 मिली/पम्प (पत्तियों का रस चूसने वाले कीटो के नियंत्रण में सहायक) |
  • दुसरा स्प्रे – मेटलैक्सिल-M (मेफानोक्सम) 4% + मैनकोज़ब 64% डब्ल्यूपी 30 ग्राम/पम्प + 19:19:19 @ 100 ग्राम/पम्प ( डम्पिंग ऑफ के नियंत्रण में सहायक ) |
  • तीसरा स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8-10 ग्राम/पम्प + हुमिक एसिड 10-15 ग्राम/पम्प
  • समयानुसार अन्य कीट व रोग लगने पर उनका नियंत्रण करें |

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Suggestions for control of yellowing of Coriander Leaves

  • धनिया मसाले के रूप में प्रयोग की जाने वाली एक महत्वपूर्ण फसल हैं, जिसके सभी भाग तना,पत्ती एवं बीज का उपयोग किया जाता हैं।
  • अगर फसल प्रबंधन सही ना हो तो धनिये की फसल में पीलेपन की समस्या उत्पन्न हो जाती है, परिणामस्वरूप उत्पादन कम होता हैं तथा हरी पत्तियों की गुणवत्ता प्रभावित होती हैं |
  • पत्तियों में पीलेपन के कई कारण हो सकते हैं जैसे खेत में नाइट्रोजन की कमी, फसल पर बीमारियों और कीटों का प्रकोप आदि |
  • इसके प्रबंधन के लिए बेसल डोज (खेत की तैयारी के समय) में उर्वरको के साथ नाईट्रोजन स्थिरीकरण एवं फास्फोरस घुलनशील जीवाणु 2 किलो/एकड़ की दर से खेत में अच्छी तरह से मिला दें।
  • थायोफिनेट मिथाईल 70% डब्लूपी @ 250-300 ग्राम/एकड़ और क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी @ 500 मिली/एकड़ को सिंचाई के साथ दें।
  • उपरोक्त ड्रेंचिंग के बाद 19:19:19 का 500 ग्राम/एकड़ की दर से स्प्रे करना चाहिए।

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An Improved Variety of Soybean:- JS 20-34

  • जेएस 20-34 एक नई किस्म हैं जो JNKVV  द्वारा विकसित की गई हैं | इसकी उपज लगभग 8-10 क्विण्टल/एकड़ होती हैं |
  • इस किस्म की अंकुरण क्षमता अधिक होती हैं तथा यह विभिन्न रोगो के प्रति प्रतिरोधी होती हैं |
  • तापमान अप्रभावी, पौधा अधिक ऊंचाई का नहीं होता, पौधा चमकदार होता हैं, फली का रंग हल्का होता हैं |
  • यह  किस्म लगभग 87 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं |
  • यह कम और मध्यम वर्षा के लिए उपयुक्त है और हल्की से मध्यम मिट्टी के लिए उपयुक्त हैं |

 

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For the next 10 days, what will be the preparation of chillies

किसान भाईयों को मिर्च की नर्सरी में बीजो की बुवाई किये हुए लगभग 8-10 दिन हो गए हैं | अब आगे के 10 दिन क्या रहेगी कार्य माला जिससे किसान भाई अपनी नर्सरी को स्वस्थ रख सके |

  • पहला स्प्रे:- बुवाई के 10-12 दिन बाद थियामेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8 ग्राम/पम्प + एमिनो एसिड 20 मिली/पम्प (पत्तियों का रस चूसने वाले कीटो के नियंत्रण में सहायक) |
  • दूसरा स्प्रे:- बुवाई के 20 दिन बाद मेटलैक्सिल-M (मेफानोक्सम) 4% + मैनकोज़ब 64% डब्ल्यूपी 30 ग्राम/पम्प + 19:19:19 @100 ग्राम/पम्प ( डम्पिंग ऑफ के नियंत्रण में सहायक ) |
  • अन्य कीट व रोग लगने या खेती सम्बन्धी और कोई भी समस्या होने पर आप हमारे टोल फ्री न. 1800-315-7566 पर संपर्क कर सकते हैं |

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