Why use Magnesium on cotton crop

  • कपास के पौधे में भोजन बनाने की प्रक्रिया में मैग्नीशियम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह क्लोरोफिल का महत्वपूर्ण घटक होता है इसके अलावा मैग्नीशियम पौधे में होने वाली विभिन्न एन्जायमिक क्रियाओ में तथा पौधे के उत्तको को बनाने में मुख्य भूमिका निभाता है |
  • कपास की फसल में मैग्नीशियम की कमी के लक्षण बुवाई के 25-30 दिनों बाद पौधे की निचली पत्तियों पर दिखाई देते है, मैग्नीशियम की कमी से ग्रसित पत्तियाँ बैंगनी से लाल रंग की तथा पत्तियों की शिराये हरे रंग की दिखाई देती है |
  • कपास की फसल को मैग्नेशियम की कमी से बचाने के लिए मैग्नेशियम को 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई के समय बेसल डोज के साथ मिलाकर दिया जाता है |
  • कपास की फसल में मैग्नीशियम की कमी को दूर करने के लिये मेग्नेशियम सल्फेट @ 70-80 ग्राम प्रति एकड़ की दर  से एक सप्ताह के अंतराल में दो बार स्प्रे किया जाता है |

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Weed Management in Coriander

 

धनिया में फसल-खरपतवार प्रतिस्पर्धा की क्रांतिक अवधि 35-40 दिन है । इस अवधि में खरपतवारों की निंदाई नहीं करते है तो धनिया की उपज 40-45 प्रतिशत कम हो जाती है । धनिया में खरपतवरों की अधिकता या सघनता व आवश्यकता पड़ने पर निम्न में से किसी एक खरपतवानाशी दवा का प्रयोग कर सकते है ।
खरपतवार नाशी का तकनीकी नाम खरपतवार नाशी का व्यपारिक नाम दर सक्रिय तत्व(ग्राम/एकड़ .) खरपतवार नाशी की कुल मात्रा मि.ली /एकड़ .) पानी मात्रा ली/ ह. उपयोग का समय (दिन)
पेडिमिथलीन स्टाम्प 30 ई.सी 400 1200 240-280 0-2
पेडिमिथलीन स्टाम्प एक्स्ट्रा 38.7 सी.एस. 360 800 240-280 0-2
क्विजोलोफॉप इथाईल टरगासुपर 5 ई.सी. 20 40 240-280 15-20

 

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Maize:- Basis for Selection of Variety

 

6240 + सिनजेंटा 5 किलो / एकड़ 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 cm. खरीफ और जायद नारंगी पीला उत्कृष्ट नोक, बोल्ड कर्नेल के साथ समान और आकर्षक पौधे, बहुत सारी जगहों के लिए अनुकूलित हाइब्रिड किस्म, प्रबंधन के लिए अच्छा। 6240 से अधिक उपज देता है क्योंकि यह बीज कीटनाशक तथा फफूंदनाशक आदि से उपचारित किया हुआ आता हैं |    
सिनजेंटा एस 6668 5 किलो / एकड़ 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 cm. खरीफ और जायद नारंगी उच्च प्रबंधन के साथ सिंचित क्षेत्रो के लिए उपयुक्त, आकर्षक नारंगी कर्नेल और दाने टिप तक भरे रहते हैं, बड़े भुट्टे उच्च उपज
पायनियर 3401 5 किलो / एकड़ 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 cm. खरीफ और जायद नारंगी पीला शेलिंग प्रतिशत 80-85 % तक होता हैं एक भुट्टे में 16-20 लाइन होती हैं, नारंगी रेशे, भुट्टे में दाने शीर्ष तक भरे रहते हैं, लम्बी अवधि लगभग 110 दिन, उपज लगभग 30-35 क्विंटल

 

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Qualities of selected Maize Variety

 

क्रमांक . किस्मो के नाम बीज दर प्लांट स्पेसिंग बुवाई की गहराई बुवाई का समय दानो का रंग अधिक जानकारी
1 ADV 759 8 किलो/एकड़ 60 सेमी x 22.5 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 सेमी.. खरीफ-115-120 दिन, रबी -125-135 दिन अधिक उपज क्षमता, समान रूप से लंबा भुट्टा, टिप तक भरने के साथ साथ बड़े दाने, पंक्तियों की संख्या 14, वर्षा आधारित क्षेत्र के लिए उपयुक्त
2 PAC 751 एलीट 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 सेमी. खरीफ-115-120 दिन, रबी -125-135 दिन नारंगी पीला रेनफेड क्षेत्र के लिए उपयुक्त, समान छोटे अनाज के साथ नारंगी पीले चमकदार दाने, उच्च शैलिंग प्रतिशत  (85%)। 18-20 पंक्तियों की संख्या, पौधे की ऊँचाई 5.5-6.5 फीट (मध्यम), उपज – 30 क्विंटल/एकड़ चौड़ी पत्तियां, भुट्टे परिपक्व होने के बाद भी पौधे हरे रहते हैं जोकि चारे के लिए उपयुक्त हो।
3 6240 सिनजेंटा 5 किग्रा / एकड़ 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 सेमी खरीफ और जायद (80-85 दिन) नारंगी पीला चारे के लिए उपयुक्त किस्म, अधिक उपज, दाने टिप तक भरे होते हैं, सेमी-डेंट प्रकार के दाने,  पौधे परिपक्व होने पर भी हरे ही रहते हैं। लगभग सभी जगह के लिए अनुकूलन। अच्छी उपज, डंठल और जड़ सड़न रोग तथा रस्ट के प्रति प्रतिरोध किस्म |

 

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Nursery Management in Chilli

अच्छी पैदावार के लिए नर्सरी का ठीक से तैयार होना अति आवश्यक है अगर नर्सरी में पौध रोग रहित एवं स्वस्थ रहेगी तभी खेत में रोपाई के बाद तैयार मिर्च का पौधा भी मजबूत रहेगा इसलिए नर्सरी में पौधे की उचित देखभाल अवश्य करे | अच्छी पौधे तैयार करने हेतु ग्रामोफोन मिर्च की नर्सरी में तीन बार स्प्रै करने की सलाह देता हैं जो इस प्रकार है

  • पहला स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8 ग्राम/पम्प + एमिनो एसिड 20 मिली/पम्प (पत्तियों का रस चूसने वाले कीटो के नियंत्रण में सहायक) |
  • दुसरा स्प्रे – मेटलैक्सिल-M (मेफानोक्सम) 4% + मैनकोज़ब 64% डब्ल्यूपी 30 ग्राम/पम्प + 19:19:19 @ 100 ग्राम/पम्प ( डम्पिंग ऑफ के नियंत्रण में सहायक ) |
  • तीसरा स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8-10 ग्राम/पम्प + हुमिक एसिड 10-15 ग्राम/पम्प
  • समयानुसार अन्य कीट व रोग लगने पर उनका नियंत्रण करें |

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Importance of Magnesium in Plants

  • मैग्नीशियम पौधों में होने वाली फोटोसिंथेसिस (पौधों की खाना बनाने की प्रक्रिया) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा यह पत्तियों के हरेपन का प्रमुख तत्व है। मैग्नीशियम (Mg) सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है,जो पौधों में कई एंजाइम गतिविधियों और पादप ऊतकों को बनाने में महत्वपूर्ण  भूमिका निभाता है।
  • मैग्नीशियम की मात्रा मिट्टी में औसतन 0.5 – 40  ग्राम / किलोग्राम तक होती है, परन्तु वर्तमान समय में अधिकांशतः मिट्टी में मैग्नीशियम की मात्रा 3 -25  ग्राम / किलोग्राम तक पायी जाती है |
  • मैग्नेशियम की कमी के पहले लक्षण नीचे की पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते है, पत्तियों की शिराएं गहरे रंग एवं शिराओं के बीच का भाग पीले  लाल रंग का हो जाता है ।
  • भूमि में नाइट्रोजन की कमी, मैग्नेशियम की कमी को बढ़ा देती है ।
  • खेत की तैयारी करते समय बेसल डोज के साथ 10 किलोग्राम/एकड़ की दर से मैग्नीशियम सल्फेट ( 9.5 %) की मात्रा को मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाकर दे|
  • मैग्नेशियम की कमी को दूर करने के लिये 70-80 ग्राम/एकड़  की दर से मैग्नेशियम सल्फेट का घोल बनाकर दो बार सप्ताहिक अंतराल से पत्तियों पर छिड़काव करें।
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Soybean Field preparation

  • बेहतर बीज अंकुरण के लिए, मिट्टी को अच्छी तरह से जुताई किया जाना चाहिए,
  • 2-3 साल में एक बार गहरी जुताई करवाए |
  • पिछली फसल की कटाई के बाद एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताई हैरो की सहायता से करे|
  • यदि मिट्टी में नमी की मात्रा कम हो, तो बुवाई से पूर्व सिंचाई के साथ खेत में प्रति एकड़ 4 किलोग्राम स्पीड कम्पोस्ट डालें और इसकी बुआई के लिए तैयार करें, आखिरी में पाटा चलाकर खेत को समतल बना लें।

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Chilli Nutrient Management

  • सामान्यतः किसान भाई 15 जून से 15 जुलाई तक मिर्च की रोपाई कर देते हैं |
  • रोपाई के पहले खेत की तैयारी के समय हमें FYM @10 टन/एकड़ की दर से मिलाना चाहिए |
  • पौध रोपण से पहले डीएपी 50 किलो + म्यूरेट ऑफ पोटास 50 किलो + माईक्रोन्यूट्रियंट 1 किलो/एकड़ + सल्फर 90% 6 किलो मिट्टी में मिलाये |  

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Nursery Preparation Method for CauliFlower

  • बीजो की बुआई क्यारियों में की जाती है | क्यारियों की ऊचाई 10 से 15 सेंटीमीटर तथा आकार 3*6 मीटर होना चाहिए |
  • दो क्यारियों के बीच की दुरी 70 सेंटीमीटर होनी चाहिये | जिससे अन्तरसस्य क्रियाये आसानी से की जा सके |
  • नर्सरी की क्यारियों की सतह भुरभुरी एवं समतल होनी चाहियें |
  • नर्सरी क्यारियों को बनाते समय गोबर की खाद 8-10 किलो/मीटर2 की दर से मिलाना चाहियें |
  • भारी भूमि में ऊची क्यारियों का निर्माण करके जल भराव की समस्या को दूर किया जा सकता है |
  • आद्रगलन बीमारी द्वारा पौध को होने वाली हानि से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी का 15-20 ग्राम/10 लि. पानी में घोल बनाकर अच्छी तरह से भूमि में मिलाना चाहियें | या थायोफिनेट मिथाइल का 0.5 ग्राम/मीटर2 की दर से ड्रेंचिंग करे |
  • पौधों को कीटो के आक्रमण से बचाने के लिए थायोमेथोक्सम का 0.3 ग्राम/मीटर2 की दर से नर्सरी तैयारी के समय डाले |

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Suitable varieties of Cauliflower

अच्छी किस्म सिर्फ अच्छी पैदावार ही नहीं बल्कि किसानो की कई समस्याओ को कम करती हैं जैसे अगर किस्मे किसी रोग के प्रति टॉलरेंस या सहिष्णु होती है तो किसानो के दवाओं एवं मजदूरो पर होने वाले खर्चे को कम करती हैं। गोबी की किस्मो का चुनाव करते समय हमें इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए की वह उस मौसम के लिए अनुकूल हो जिस समय आप उसे लगाना चाहते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम अभी आपको ऐसी दो किस्मो के बारे में बता रहे हैं जो अभी लगाने के लिए उपयुक्त मानी गई हैं |  

इम्प्रूव्ड करीना

यह जल्दी तैयार होने वाली किस्म हैं जो की बाजार के लिए उपयुक्त है इसकी बुवाई का उचित समय मई के पहले सप्ताह से अगस्त के आखरी सप्ताह तक हैं यह रोपाई के 55 – 60 दिनों में तैयार हो जाती हैं इसकी पत्तिया मुड़ी हुई होती हैं तथा फूल का वजन 1.2 किलो के लगभग होता जिसका सफ़ेद हैं फूल गुम्बद के जैसा होता है | इसके लिए धुप अच्छी होती हैं |

सुपर फर्स्ट क्रॉप:-

मध्यम तापमान और जलवायु में समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म हैं जिसे मार्च से अगस्त माह तक लगा सकते हैं यह सर्दियों में कठोर होता है और मध्यम तापमान पर भी अच्छे फूल का उत्पादन करता है सफ़ेद रंग का तथा संगठित फूल होता हैं जिसका वजन लगभग 800 ग्राम से 1 किलो तक होता हैं |फूल लगभग 60 दिनों में तैयार हो जाते हैं | लम्बी दूरी के बाजारों में पहुंचने के लिए यह किस्म अच्छी मानी जाती हैं |इसकी एक खासियत यह भी हैं की यहाँ ब्लैक रॉट रोग के प्रति सहिष्णु हैं |

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