फसलों में एमिनो एसिड का महत्व

  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाला एक प्राकृतिक अवयव है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक होता है।
  • यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, जिससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती है, जो फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती है।
  • यह मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है।
  • यह जड़ों के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है।
  • यह पौधों के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
  • एमिनो एसिड पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ावा देता है।
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हेलिकोवरपा आर्मीजेरा का नियंत्रण कैसे करें?

  • हेलिकोवरपा आर्मीजेरा एक बहुत ही हानिकारक एवं बहुभक्षीय कीट है जिसे फल व फली छेदक कीट के रूप में भी जाना जाता है।
  • इस कीट का प्रकोप सभी फसलों पर होता है, मुख्य रूप से इसका प्रकोप चना, मटर, कपास, अरहर, भिन्डी, टमाटर व गोभी में अधिक देखा गया है।
  • हेलिकोवरपा आर्मीजेरा (फल व फली छेदक कीट) की केवल सुण्डियां ही नुकसान पहुंचाती हैं। इस कीट का प्रकोप फसल की शुरूआती अवस्था से ही शुरू हो जाता है।
  • यह कीट पहले पौधे के नरम भागों को और बाद में फल एवं बीज को खाता है।
  • इस कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC@ 80 मिली/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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बवेरिया बेसियाना का फसलों में महत्व

Beauveria bassiana
  • बवेरिया बेसियाना एक जैविक कीटनाशक है। यह दरअसल एक प्रकार का फफूंद है जिसका उपयोग सभी फसलों में लगने वाले सभी प्रकार के कीटों के नियंत्रण के लिए किया जाता है।
  • बवेरिया बेसियाना का उपयोग विभिन्न प्रकार की लेपिडोप्टेरा वर्ग की सुंडियों जैसे चने की सुंडी, बालदार सुंडी, रस चूसने वाले कीट, एफिड, फुदको, सफेद मक्खी, दीमक तथा मकड़ी आदि के नियंत्रण के लिए किया जाता है।
  • यह कीटों की सभी अवस्थाएं जैसे अण्डे, लार्वा, प्यूपा, ग्रब और निम्फ इत्यादि पर आक्रमण करके उनको ख़त्म कर देता है।
  • बवेरिया बेसियाना का उपयोग छिड़काव के रूप में किया जा सकता है क्योंकि यह फसल की पत्तियों पर चिपक कर वहाँ पर अपनी क्रिया द्वारा पत्तियों पर उपस्थित रस चूसक कीटों एवं सुंडी वर्गीय कीटों को खत्म करने का काम करता है।
  • इसका उपयोग मिट्टी उपचार में भी किया जा सकता है क्योंकि यह मिट्टी में जाकर वहाँ उपस्थित मिट्टी जनित कीटों के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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कपास की 60 से 80 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन

Spray management in cotton crop
  • कपास की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग-अलग प्रकार की इल्लियों एवं रस चूसक कीटों का प्रकोप भारी नुकसान पहुँचाते हैं।
  • इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित एवं जीवाणु जनित बीमारियाँ भी कपास की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करती है।

इनके प्रबंधन के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग किया जाता है

  • इल्ली के प्रबंधन के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या मोनोक्रोटोफॉस 36% SL @ 400 मिली/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • रस चूसक कीट के प्रबंधन हेतु डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC @ 250 मिली/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • रोग प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या कसुंगामायसीन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से छिड़काव करें।
  • पोषण प्रबंधन के लिए एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ + 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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मिर्च की 60 से 80 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन

  • मिर्च एक कीट प्रिय पौधा है और इसी कारण मिर्च की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग-अलग प्रकार की इल्लियों एवं रस चूसक कीटों का प्रकोप होता है।
  • इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित एवं जीवाणु जनित बीमारियाँ भी मिर्च की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं।

इनके प्रबंधन के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग करें 

  • रस चूसक कीट प्रबंधन के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली।एकड़ का उपयोग करें।
  • इल्ली के प्रबंधन हेतु प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इसके जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • रोग प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या कसुंगामायसीन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • इसके जैविक उपचार के रूप में सूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • पोषण प्रबंधन: मिर्च की फसल में अच्छी वृद्धि के लिए एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ + 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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मक्का की फसल में एफिड एवं ईयर हेड बग का प्रबंधन

Use of zinc in maize crop
  • ईयर हेड: ईयर हेड बग का निम्फ और वयस्क रूप अनाज के भीतर से रस चूसते हैं। जिसके कारण दाने सिकुड़ जाते हैं और काले रंग में बदल जाते हैं।
  • एफिड: यह एक छोटा कीट है जो पौधों से चूसकर फसल को नुकसान पहुँचाता है। यह बड़ी संख्या में पत्तों के नीचे रहकर पौधों को नुकसान पहुँचाता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं।
  • प्रोफेनोफॉस 50% EC@ 500 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रिड 20% SP @100 ग्राम/एकड़ या एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़।
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मक्का की फसल में सैनिक कीट का प्रबंधन

Management of Fall Armyworm in Maize
  • यह कीट दिन में मिट्टी के ढेलों, पुआल के ढेर आदि में छिप जाता है और रात भर फसलों को खाता रहता है। प्रभावित खेत/फसल में इसकी संख्या काफी देखी जा सकती है।
  • यह कीट बहुत तेज़ी से फसलों को खाता है और काफी कम समय में पूरे खेत की फसल को खाकर ख़त्म कर सकता है। अतः इस कीट का प्रबंधन/नियंत्रण आवश्यक है।
  • जिन क्षेत्रों में सैनिक कीट की संख्या अधिक है उस खेत में इसका प्रबंधन/नियंत्रण तत्काल किया जाना बहुत आवश्यक है।
  • छिड़काव:- लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 5% EC 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC 100 मिली/एकड़ या क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 1.15% WP @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जिन खेतो में इसका प्रकोप थोड़ी कम मात्रा में हो वहां किसान खेत के मेड पर या खेत की बीच में पुआल के छोटे छोटे ढेर लगा कर रखें। जब बहुत अधिक धुप पड़ती है तब आर्मी वर्म (सैनिक कीट) छाया की खोज में इन पुआल के ढेर में छिप जाता है। शाम को इन पुआल को इकट्ठा करके जला देना चाहिए।
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सोयाबीन की फसल में एन्थ्रेक्नोज/पोड ब्लाइट की रोकथाम

Anthracnose / Pod Blight in Soybean
  • इसका संक्रमण फसल की परिपक्वता के समय मुख्यतः तने पर दिखाई देता है और इससे पत्तियों पर अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देते हैं।
  • प्रबंधन के लिए टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ और कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ और थायोफिनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार हेतु ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
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टमाटर की फसल में पछेती अंगमारी की रोकथाम

Late Blight in Tomato Crop
  • टमाटर की फसल में पछेती अंगमारी एक बहुत गंभीर रोग होता है।
  • यह एक कवक जनित रोग है और इस रोग के लक्षण सबसे पहले टमाटर की पत्तियों पर दिखाई देते हैं।
  • पत्तियों की ऊपरी सतह पर बैगनी भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं एवं पत्तियों की निचली सतह पर भूरे सफ़ेद रंग के धब्बे हो जाते हैं।
  • इसके संक्रमण के कारण पत्तियां सूख जाती हैं और धीरे-धीरे यह कवक पूरे पौधे पर फैल जाता है।
  • इसके प्रबंधन के लिए एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 ग्राम/एकड़ या मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 8% WP@ 600 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्त्रोबिन 25% WG@ 150 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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सोयाबीन की फसल में फूल आने की अवस्था में फसल प्रबंधन

Crop Management in Soybean in the flowering stage
  • सोयाबीन की फसल में फूल आने की अवस्था में फसल प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • सोयबीन की फसल में यदि बहुत अधिक बारिश हो तब भी और कम बारिश हो तब भी फूल आने की अवस्था में कीट जनित एवं कवक जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक होता है।
  • अधिक बारिश के कारण फूल गिरने लगते एवं कम बारिश के कारण पौधा तनाव में आ जाता है, और इसी कारण फूलों का निर्माण नहीं हो पाता है।
  • रोग प्रबंधन के लिए टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ या कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कीट प्रबंधन के लिए एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ के साथ क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC@ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • वर्द्धि एवं विकास: पोषक तत्वों की पूर्ति उचित मात्रा में हो एवं सही समय पर हो तो फूल अच्छे बनते है एवं अच्छे फूल बनने के कारण फल अच्छे बनते है इसलिए फूल आने की अवस्था में 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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