धानुका, कृषि क्षेत्र की बड़ी कम्पनी ने ग्रामोफ़ोन के साथ मिलाया हाथ

This large agricultural company joined hands with Gramophone

प्रमुख कृषि-रसायन कंपनी धानुका एग्रीटेक लिमिटेड और किसानों का सच्चा साथ ग्रामोफ़ोन ने हाथ मिला लिया है। कृषि क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता और विश्वस्तरीय तकनीकों के साथ टेक प्लेटफॉर्म ग्रामोफ़ोन के माध्यम से कंपनी किसानों तक अपनी पहुंच बढ़ाने और उन्हें उनकी फसलों के लिए किफ़ायती समाधान उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है।

बहरहाल यह साझेदारी एग्रोनोमि इंटेलीजेन्स के माध्यम से कृषि इनपुट जैसे बीज, फसल सुरक्षा एवं फसल पोषण उत्पादों की सुविधाजनक डिलीवरी को सुनिश्चित करेगी। ग्रामोफ़ोन ने लास्ट माइल डिलीवरी को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय युवा ग्रामीण उद्यमियों के साथ भी साझेदारी की है। धानुका जैसी कंपनियां देश भर के किसानों से रियल टाईम डेटा भी जुटा रही हैं। इससे किसानों को सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता के उत्पाद उपलब्ध करवाकर उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद की जा सकेगी।

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सरसों की मुख्य किस्मों की जानकारी और विशेषताएं

Information and characteristics of improved varieties of mustard

प्रमाणित उन्नत किस्म के सरसों के बीज फसल से तेल की मात्रा का प्रतिशत बढ़ा देते हैं इसीलिए अगर प्रमाणित किस्मों का चुनाव करके बुआई की जाए तो अधिक लाभ होता है।

सरसों की कुछ प्रमाणित किस्में निम्र हैं

पीताम्बरी (RYSK-05-02): यह सरसों की एक संकर किस्म है और इसकी कुल उपज 614 किलो/एकड़ होती है। यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है और इसे पकने में 110 से 115 दिन लगते हैं।

पूसा सरसों 27 (EJ 17): यह सरसों की एक संकर किस्म है और इसकी कुल उपज 575-660 किलो/एकड़ तक रहती है। इसमें तेल प्रतिशत 40-45% होता है। यह एक सिंचित किस्म एवं मिश्रित फसल लगाने के लिए उपयुक्त है।

LET-43 (PM30): सरसों की इस संकर किस्म से करीब 625-895 किलो/एकड़ तक की उपज ली जा सकती है एवं इसमें तेल प्रतिशत 36-39.4% तक होता है। इसमें यूरिक एसिड कम मात्रा में पाया जाता है।

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अच्छी उपज प्राप्ति के लिए सरसों की इन नई विकसित किस्मों की करें बुआई

Sow these newly developed varieties of mustard to get good yield

सरसों एक मुख्य तिलहनी फसल है और अगर इसकी प्रमाणित किस्मों का चुनाव बुआई के लिए किया जाये तो उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

सरसो की प्रमाणित किस्मे निम्र हैं

  1. RGN-73: यह सरसों की एक संकर किस्म है और इसकी कुल उपज 802 किलो/एकड़ होती है। इस किस्म में तेल प्रतिशत 40% तक रहती है। पूर्ण सिंचित एवं ठंडे मौसम वाले क्षेत्र में उगाने के लिए यह किस्म अनुकूल है।
  2. NRC HB 101: सरसों की इस संकर किस्म की कुल उपज 550 से 600 किलो/एकड़ तक रहती है एवं इसमें तेल प्रतिशत 35 से 42% तक होता है। यह किस्म पूर्ण सिंचित एवं देर से बुआई के लिए उपयुक्त होती है।
  3. NRCHB506: सरसों की यह किस्म भी एक संकर किस्म है और इसकी कुल उपज 600 से 1000 किलो/एकड़ की होती है। इस किस्म में तेल प्रतिशत 39-43% होता है और यह पूर्ण सिंचित एवं अधिक अनुकूलित है।
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प्याज़ की नर्सरी में 20 दिनों में करें छिड़काव प्रबंधन

How to prepare onion nursery
  • प्याज़ की नर्सरी में बुआई के बीस दिनों के अंदर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • यह छिड़काव कवक जनित बीमारियों तथा कीटों के नियंत्रण एवं अच्छी वृद्धि के लिए किया जाता है।
  • इस समय छिड़काव करने से प्याज़ की नर्सरी को अच्छी शुरुआत मिलती है।
  • कवक जनित रोगो के प्रबंधन हेतु मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 8% WP @ 60 ग्राम/पंप की दर छिड़काव करें।
  • कीट प्रबंधन के लिए फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 5 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
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नाइट्रोजन कृषि के लिए हैं एक अमूल्य तत्व

Nitrogen valuable ingredients for agriculture
  • नाइट्रोजन मिट्टी में जैविक एवं अजैविक दोनों रूपों में पाया जाता है।
  • मिट्टी में नाइट्रोजन 95% पाया जाता है परन्तु मिट्टी में इसकी बहुत कमी पायी जाती है।
  • मिट्टी में जो नाइट्रोजन पाया जाता है वह कार्बनिक रूप में पाया जाता है जिसका उपयोग मिट्टी द्वारा एवं फसल द्वारा नहीं किया जाता है।
  • मिट्टी एवं फसल द्वारा केवल अकार्बनिक रूप में नाइट्रोजन का उपयोग किया जाता है।
  • नाइट्रोजन के स्त्रोत में अमोनियम नाइट्रेट (NO3), अमोनियम सल्फेट, अमोनियम क्लोराइड, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया, यूरिया अमोनियम नाइट्रेट आदि शामिल है और यह सभी अकार्बनिक नाइट्रोजन के प्रकार हैं।
  • जब मिट्टी या फसल को इसकी आवश्यकता होती है तो यह पौधों को बहुत लाभ पहुँचता है। यह मिट्टी में घुलकर मिट्टी की सरचना में भी सुधार करता है।
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होमोब्रेसिनोलाइड का फसलों के लिए क्या है महत्त्व?

Importance of Homobrassinolide for Crops
  • होमोब्रेसिनोलाइड फसल के लिए बहुत ही लाभकारी उत्पाद है। होमोब्रेसिनोलाइड पौधों में तनाव को कम करके तनाव के प्रति सहनशीलता बढ़ाने में मदद करता है। 
  • जब फसल तनाव के प्रति सहनशील हो जाती है तो फसल की पैदावार बढ़ती है।
  • होमोब्रेसिनोलाइड फसल में दानो की संख्या, दानो का वज़न और प्रति पौधे उपज बढ़ाने में भी बहुत सहायक होता है।
  • होमोब्रेसिनोलाइड एंजाइम एवं प्रोटीन संश्लेषण के माध्यम से चयापचय गति विधि को बढ़ावा देता है। 
  • होमोब्रेसिनोलाइड प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ावा देता है एवं पौधे में भोजन बनने की क्रिया को तेज़ करने में सहायक होता है। 
  • होमोब्रेसिनोलाइड का उपयोग फूल या फल लगने की पूर्व अवस्था में छिड़काव के रूप में किया जाता है।
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बुआई पहले बीज उपचार की विधि एवं सावधानियां

Methods and precautions for seed treatment before sowing in crops
  • रबी फ़सलों में बीज़ उपचार निम्र प्रकार से किया जाता है। 
  • बीज़ को एक मिट्टी के बर्तन या एक पॉलीथीन शीट पर, फैला कर कवक नाशक एवं  कीट नाशक के सूखे या तरल रूप को बीजों पर अच्छे से बिखेर कर मिला दें। 
  • इस प्रकार के उपचार में एक बात का ध्यान रखे की रसायन अच्छे से बीजों पर चिपक जाये।
  • बीज़ उपचार की दूसरी विधि में रसायनों को बीजों पर चिपकाने वाले मिश्रण के साथ रसायनों को मिलाकर को उपचारित करें। 
  • बीज उपचार करते समय कुछ सावधानियाँ बरतना बहुत आवश्यक होता है।  
  • उपचार में सबसे पहले कवकनाशी का उपयोग करें एवं उसके बाद कीटनाशी का उपयोग करें और सबसे आखिर में किसी भी जैविक उत्पाद (PSB/राइजोबियम) का उपयोग करें।
  • उपयोग किये जाने वाले कीटनाशक, कवकनाशक की सुझाई गयी मात्रा का ही उपयोग करें।  
  • जिस दिन बुआई करनी हो उसी दिन बीज उपचार करें। 
  • बीज उपचार करने के बाद बीज को भंडारित करके ना रखें।
  • दवाई की मात्रा या बीजों पर रसायन को लेपित करने के लिए आवश्यकता अनुसार पानी का उपयोग करें। 
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आलू की फसल में बुआई के समय पोषण प्रबंधन करने के फायदे

Benefits of nutrition management in potatoes at the time of sowing
  • आलू की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता पड़ती है। आलू की फसल कन्द वाली फसल होती है इसी कारण आलू की फसल बहुत अधिक मात्रा में पोषक तत्व ग्रहण करती है।
  • पौधे की बेहतर बढ़वार एवं फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उचित समय पर उचित मात्रा में खाद प्रबंधन बहुत ही आवश्यक होता है।
  • बुआई के समय हम यूरिया (एसएसपी के साथ) @ 60 किलो/एकड़ + यूरिया (एसएसपी के बिना) @ 45 किलो/एकड़ की दर से बुआई के समय खाली खेत में भुरकाव करें।
  • इन सभी पोषक तत्वों के साथ ग्रामोफोन की पेशकश “आलू समृद्धि किट” का उपयोग आलू की फसल में पोषण प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।
  • इस किट का उपयोग मिट्टी उपचार द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए एवं मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवक को ख़त्म करने के लिए किया जाता है।
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मटर की फसल में बुआई के बाद 15 दिनों में पोषण प्रबंधन

How to manage nutrition in 15 days of sowing in Peas
  • जिस प्रकार मटर की बुआई के समय पोषण प्रबंधन किया जाता है ठीक उसी प्रकार बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन किया जाना बहुत आवश्यक होता है।
  • बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन करने से मटर की फसल को बहुत अच्छी शुरुआत मिलती है।
  • पोषण प्रबंधन मटर की फसल को कवक जनित एवं किट जनित रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने में सहायता प्रदान करता है।
  • इस समय पोषण प्रबंधन करने के लिए सल्फर 90% @ 5 किलो/एकड़ + जिंक सल्फ़ेट @ 5 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • यह ध्यान रखें की पोषण प्रबंधन के समय खेत में पर्याप्त नमी जरूर हो।
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बुआई के समय पोषण प्रबंधन कर भिन्डी की फसल को दें बेहतर शुरुआत

How to manage nutrition at the time of sowing in Okra crop
  • भिन्डी की फसल सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है ।
  • पर भिन्डी की बुआई से पहले खेत में अच्छे से जुताई करना जरूरी होता है।
  • बात करें पोषण प्रबंधन की तो भिन्डी की फसल में बुआई के समय पोषण प्रबंधन रासायनिक और जैविक दो तरीकों से दिया जाता है।
  • रासायनिक प्रबंधन: DAP @ 75 किलो/एकड़ + MOP@ 30 किलो/एकड़ की दर से भुरकाव करें।
  • जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ + NPK बैक्टीरिया@ 100 ग्राम/एकड़ + सीवीड, एमिनो, ह्यूमिक एसिड, मायकोराइज़ा @ 2 किलो/एकड़ + ज़िंक सोलुब्लाइजिंग बैक्टीरिया @ 100 ग्राम/एकड़ की दर मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
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