- आलू की फसल में होने वाला यह रोग फफूंद जनित होता है।
- इस रोग का प्रभाव आलू के कंद पर बहुत अधिक मात्रा में देखे जाते हैं।
- आलू के कंदो पर गहरे भूरे रंग के स्कैब उभरते हैं जो हाथ से छूने पर दरदरे महसूस होते हैं।
- इस रोग से ग्रसित आलू के कंद खाने योग्य नहीं रहते हैं।
- इस रोग के निवारण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- इस रोग के प्रभावी के नियंत्रण के लिए बुआई से पहले बीज उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।
गोभी की फसल में हरी इल्ली के प्रकोप से होगा नुकसान, जानें निवारण विधि
- हरी इल्ली गोभी की फसल में होने वाला एक मुख्य कीट है जो फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
- इसका लार्वा 25-30 मिमी लंबा, पांच आड़ी-पीली लाइनों के साथ पीले हरे रंग का होता है।
- इसकी बाहरी त्वचा पर छह जोड़ी काले और पीले धब्बे होते हैं।
- इस कीट की इल्लियाँ पत्तों में गोलाकार छेद कर फसल को हानि पहुंचाते हैं।
- कभी कभी यह इल्ली पत्तों को किनारे से भी खाना शुरू कर देते हैं या फिर पत्तों के बीच में से भी नुकसान पहुंचाता है।
- इस इल्ली के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
जैविक उत्पादों का करें उपयोग, फसल एवं मिट्टी को मिलेंगे कई लाभ
- जैविक उत्पाद के उपयोग से फसल अपने अवशेषों को नहीं छोड़ते है एवं इनसे वातावरण प्रदूषण भी नहीं होता है।
- जैविक उत्पाद मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की क्रियाशीलता को बढ़ाते हैं।
- यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाते है एवं मिट्टी की जल धारण क्षमता भी बढ़ाते हैं।
- जैविक उत्पाद रासायनिक उत्पादों की तुलना में कम कीमत एवं कम मात्रा में उपयोग होते हैं।
- यह उत्पाद फसलों की जड़ों का मिट्टी में प्रसार करने में बहुत मददगार होते हैं।
प्याज़ एवं लहसुन की फसल को सफेद गलन रोग से ऐसे बचाएं
सफेद गलन (व्हाइट रॉट): प्याज व लहसुन में सफेद गलन रोग स्लेरोशियम सेपी वीरम या स्क्लेरोशियम रोल्फ साई नामक फफूंद द्वारा होता है।
इस रोग के लक्षण जमीन के समीप प्याज/लहसुन का ऊपरी भाग गल जाता है तथा संक्रमित भाग पर सफेद फफूंद और जमीन के ऊपर हल्के भूरे रंग के सरसों के दाने की तरह सख्त संरचना बन जाती है, जिन्हें स्केलेरोशिया कहते हैं। संक्रमित पौधे मुरझा जाते हैं तथा बाद में सूख जाते हैं।
रासायनिक उपचार: इस रोग के निवारण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ या 250 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से पौधों के पास जमीन से दें।
Share50-60 दिनों की हो गई हो प्याज़ की फसल तो जरूर अपनाएं ये फसल सुरक्षा उपाय
- प्याज़ की 50-60 दिनों की फसल में कीटों के प्रकोप एवं कवक रोगों से बचाव के साथ साथ पोषक तत्वों की पूर्ति की भी जरूरत पड़ती है।
- कीटों से सुरक्षा के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रोगों से सुरक्षा के लिए क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- प्याज़ की फसल में 50-60 दिनों में पोषण प्रबंधन करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ + पोटाश@ 25 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
- प्याज़ की फसल में पोषक तत्व प्रबधन छिड़काव के रूप में करने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व @ 250 मिली/एकड़ के रूप में करें।
लहसुन की 50 दिनों की फसल अवस्था में ऐसे करें उर्वरको की पूर्ति
- लहसुन की फसल से अच्छे उत्पादन के लिए उर्वरकों का प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- सही समय पर उर्वरकों की पूर्ति करने से लहसुन की फसल में कंद का निर्माण बहुत अच्छा होता है।
- लहसुन की फसल में 50 दिनों में उर्वरक प्रबंधन करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ + पोटाश@ 20 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
टमाटर की फसल में पौधों की बँधायी करते समय बरतें ये सावधनियां
- टमाटर की खेती में पौधों की बँधायी प्रक्रिया काफी फ़ायदेमंद साबित होती है।
- टमाटर की खेती में पौधों की बँधायी के लिए बांस के डंडे, लोहे के पतले तार और सुतली की आवश्यकता होती है।
- मेड़ के किनारे-किनारे दस फीट की दूरी पर दस फीट ऊंचे बांस के डंडे खड़े कर दिए जाते हैं। इन डंडों पर दो-दो फीट की ऊंचाई पर लोहे का तार बांधा जाता है।
- इसके बाद पौधों को सुतली की सहायता से तार से बांध दिया जाता है जिससे ये पौधे ऊपर की ओर बढ़ते हैं। इन पौधों की ऊंचाई आठ फीट तक हो जाती है।
- इससे न सिर्फ पौधा मज़बूत होता है बल्कि फल भी बेहतर होता है। साथ ही फल सड़ने से भी बच जाता है।
- टमाटर की खेती में पौधों की बँधायी के समय इस बात का विशेष ध्यान रखे की पौधे टूटे ना।
25-30 दिनों की गेहूँ की फसल में जरूर अपनाएं सुरक्षा के ये उपाय
- गेहूँ की फसल की 25 से 30 दिनों की अवस्था में फसल सुरक्षा हेतु पोषक तत्वों की पूर्ति करना बहुत आवश्यक होता है।इस अवस्था में पोषक तत्वों का प्रबंधन दो तरीकों से किया जाता है। ये दो तरीके हैं मिट्टी उपचार एवं छिड़काव प्रबंधन।
- मिट्टी उपचार के रूप में यूरिया@ 40 किलो/एकड़ + जिंक सल्फेट@ 5 किलो/एकड़ + सल्फर 90% WG@ 5 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
- ज़मीन के अंदर पाए जाने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए थियामेंथोक्साम 25% WG@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के लिए उपयोग करें।
- छिड़काव के रूप में जिब्रेलिक एसिड @ 300 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड @ 100 ग्राम/एकड़ या अमीनो एसिड @ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- 19:19:19 @ 1 किलो/एकड़ या 20:20:20 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
45 दिनों की आलू की फसल में छिड़काव कर रोगों व कीटों के प्रकोप को रोकें
- आलू की 40-45 दिनों की फसल में कंद बनने की शुरुआत होने लगती है।
- रबी के मौसम की फसल होने के कारण कवक जनित रोग एवं कीट प्रकोप बहुत होता है।
- कीट निवारण के लिए बायफैनथ्रिन 10% EC@ 300 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
- कवक जनित रोगों के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
- पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ + सूक्ष्मपोषक तत्व@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
भिंडी की फसल में फूल वृद्धि के लाभकारी उपाय
- भिंडी की फसल में फूल अवस्था में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- इस अवस्था में भिंडी की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण फूल गिरने की समस्या बढ़ जाती है।
- अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण फसल की उपज पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
- इस समस्या के निवारण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- फूल गिरने से रोकने के लिए होमब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पिक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।