- वर्तमान में अति वर्षा की स्थिति बनी हुई है और इसी कारण से कपास की फसल में कवक जनित एवं जीवाणु जनित रोगों का बहुत अधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है।
- इन रोगों के कारण कपास के पत्ते पीले पड़ रहें हैं साथ ही पौधों में जड़ गलन एवं तना गलन जैसी समस्या भी सामने आ रही है।
- इन रोगों के निवारण के लिए समय पर उचित प्रबंधन बहुत आवश्यक है क्योंकि कपास की फसल वर्तमान स्थिति में परिपक्वन की अवस्था में है और इस समय कपास की फसल में किसी भी प्रकार के रोगों के कारण उत्पादन बहुत प्रभावित हो सकता है।
- कवक जनित रोगों के प्रबंधन के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@500 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्त्रोबिन 25% WG@ 150 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC @ 200 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जीवाणु जनित रोगों के प्रबंधन लिए स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W@ 24 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- इसी के साथ जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
बीज उपचार करते समय बरती जाने वाली सावधानियां
- बीज़ उपचार करते समय प्रति एकड़ बीज की जितनी मात्रा की आवश्यकता हो उतनी ही मात्रा लें।
- उपयोग किये जाने वाले कीटनाशक, कवकनाशक की सुझाई गयी मात्रा का ही उपयोग करें।
- जिस दिन बुआई करनी हो उसी दिन बीज उपचार करें।
- बीज उपचार करने के बाद बीज भडारित करके ना रखें।
- दवाई की मात्रा या बीजों पर दवाई को लेपित करने के लिए आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग ना करें।
- बीज उपचार करने के लिए फसल के अनुसार सुझाई गयी दवाई का ही उपयोग करें।
मिट्टी की समृद्धि एवं सुधार में ग्रामोफ़ोन समृद्धि किट की उपयोगिता
- प्याज़, लहसुन एवं आलू जैसी फसलों से अच्छी पैदावार पाने के लिए ग्रामोफोन लेकर आया है प्याज़, लहसुन एवं आलू समृद्धि किट।
- ये किट भूमि सुधारक की तरह कार्य करती है।
- यह किट चार आवश्यक बैक्टीरिया NPK एवं ज़िंक को मिलाकर बनाया गया है, जो की मिट्टी में NPK की पूर्ति करके फसल की वृद्धि में सहायता करते हैं एवं ज़िंक का जीवाणु मिट्टी में मौजूद अधुलनशील जिंक को घुलनशील रूप में फसल को प्रदान करने का कार्य करता है।
- इस किट में जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मृदा जनित रोगजनकों को मारता है जिससे जड़ सड़न, तना गलन आदि जैसे गंभीर बीमारियों से पौधे की रक्षा होती हैं।
- इस किट में समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड ह्यूमिक एसिड एवं मायकोराइज़ा जैसी सामग्री का संयोजन है जो मिट्टी की विशेषताओं और गुणवत्ता में काफी सुधार करेगा, साथ ही मायकोराइज़ा सफेद जड़ के विकास में मदद करेगा।
- इसमें मौजूद ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सुधार करके प्याज़/लहसुन/ आलू की फसल के बेहतर वनस्पति विकास में सहायता करता है।
- यह किट पुरानी फसलों के अवशेषों को उपयोगी खाद में परिवर्तित करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है।
इन राज्यों में गरज के साथ बारिश की है संभावना, जानें आगामी 24 घंटे का मौसम पूर्वानुमान
देश भर में मौसम का मिजाज बदल रहा है और मौसम विभाग ने देश के कई राज्यों में बारिश का अलर्ट जारी है। 5 सितंबर से पूरे उत्तर प्रदेश में बादल छाए रहने के साथ हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग के अनुसार तटीय कर्नाटक में भी मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है।
मॉनसून ट्रफ का पश्चिमी सिरा राजस्थान के बीकानेर और जयपुर पर जबकि मध्य में ग्वालियर और सतना तथा पूरब में डाल्टनगंज और शांतिनिकेतन होते हुए दक्षिणी असम तक बनी हुई है। मध्य प्रदेश पर बना चक्रवाती सिस्टम उत्तर-पश्चिमी दिशा में बढ़ गया है।
अगले 24 घंटों के मौसम पूर्वानुमान की बात करें तो जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश, दक्षिणी छत्तीसगढ़, मध्य महाराष्ट्र, उत्तरी तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में कुछ स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareडीकंपोजर का उपयोग कब एवं कैसे करें?
- डीकंपोजर का उपयोग तीन प्रकार से किया जा सकता है।
- इसे खाली खेत में बुवाई पूर्व, कचरे के ढेर में, बुआई बाद खड़ी फसल में इस्तेमाल कर सकते हैं।
- जब खेत में से फसल की कटाई हो चुकी हो तब इसका उपयोग करना चाहिए। इसके उपयोग के लिए किसान भाई पाउडर रूप वाले डिकम्पोज़र की 4 किलो मात्रा प्रति एकड़ की दर खेत की मिट्टी या गोबर में मिलाकर भुरकाव करें।
- छिड़काव के बाद खेत में थोड़ी नमी की मात्रा बनाये रखें। छिड़काव के 10 से 15 दिनों के बाद नयी फसल की बुआई कर सकते हैं।
- डिकम्पोज़र का उपयोग गोबर और अन्य अवशेषों के ढेर को घरेलू खाद में तब्दील करने के लिए बहुत सारे लोग करते हैं। इसके लिए सबसे पहले एक कंटेनर में 100-200 लीटर पानी रखें और उसमें 1 किलो गुड़ मिलाएं। फिर इसमें 1 लीटर या 1 किलो प्रति टन कचरे के हिसाब से डीकंपोजर अच्छी तरह से मिलाएं और उसे अच्छे से हिलाएं।
- इसके अलावा बुआई बाद खड़ी फसल में भुरकाव के रूप भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
करोड़ों किसानों को मिली पीएम किसान की छठी किस्त, नवंबर तक पौने दो करोड़ और किसान होंगे लाभान्वित
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अगस्त महीने में लगभग 8 करोड़ 81 लाख लाभार्थियों को लाभ मिल पाया है। इन किसानों के बैंक खातों में 2000 रूपये की छठी क़िस्त जमा कर दी गई है।
अगर आपके बैंक खाते में इस योजना का पैसा नहीं आया है, तो एक बार अपना रिकॉर्ड ज़रूर चेक कर लें। ताकि अगर उसमें कोई गलती हो, तो समय रहते सुधार कर लें। किसान इस बात पर ध्यान दें कि उनके आधार, अकाउंट नंबर और बैंक अकाउंट नंबर में किसी तरह की गलती तो नहीं है। अगर रिकॉर्ड में किसी तरह की गलती होगी, तो आपको योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा।
इस साल नवंबर तक लगभग पौने दो करोड़ और किसानों को योजना का पैसा भेजा जाएगा। इसका मतलब है कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत पैसे आने की संभावना अभी खत्म नहीं हुई है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareटमाटर की फसल में जड़ ग्रंथि सूत्रकृमि का प्रकोप
- नेमाटोड्स जड़ों पर आक्रमण करते हैं एवं जड़ में छोटी गाँठ बनाते हैं।
- सूत्रकृमि से ग्रसित पौधों की वृद्धि रुक जाती है एवं पौधा छोटा ही रह जाता है।
- इसका अधिक संक्रमण होने पर पौधा सुखकर मर जाता है और पत्तियों का रंग हल्का पीला हो जाता है।
- इससे बचाव के लिए इसकी प्रतिरोधक किस्मों को उगाना चाहिए, भूमि की गहरी जुताई करनी चाहिए, नीम खली 80 किलो प्रति एकड़ की दर से उपयोग करना चाहिए।
- इसके अलावा कार्बोफ्युरोन 3% GR 8 किलो प्रति एकड़ की दर से देना चाहिए।
- पेसिलोमाइसिस लिनेसियस (नेमेटोफ्री) बीज उपचार के लिए 10 ग्राम/किलोग्राम बीज, 50 ग्राम/मीटर वर्ग से नर्सरी उपचार करें।
- पेसिलोमाइसिस लिनेसियस (नेमेटोफ्री) 1 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
प्याज की नर्सरी में पौध गलन रोग
- खरीफ के मौसम में बारिश के कारण भूमि में अत्यधिक नमी होने के साथ मध्यम तापमान की वजह से इस रोग का प्रकोप होता है।
- प्याज़ के पौधे मे आर्द्र विगलन (डम्पिंगऑफ) रोग का प्रकोप प्याज़ नर्सरी की अवस्था में देखा जाता है।
- इस रोग में रोगजनक सबसे पहले पौध के काँलर भाग मे आक्रमण करता है।
- अतंतः काँलर भाग विगलित हो जाता है और पौध गल कर मर जाते हैं।
- इस रोग के निवारण के लिए बुआई के समय स्वस्थ बीज का चयन करना चाहिये।
- इसके अलावा कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 30 ग्राम/पंप या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 50 ग्राम/पंप या मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 8% WP @ 60 ग्राम/पंप की दर से छिडकाव करें।
किसान विकास पत्र में डबल हो जाएगा आपका पैसा, पढ़ें पूरी जानकारी
डाकघर की तरफ से दी जाने वाली एक छोटी बचत योजना का नाम है किसान विकास पत्र। इसके अंतर्गत किसान अपनी छोटी बचत का निवेश करके अपने पैसे को दोगुना बना सकते हैं।
इस योजना के तहत, आप केवीपी (किसान विकास पत्र) खरीदने के लिए 1,000 रुपये का न्यूनतम निवेश कर सकते हैं और निवेश पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है। हालांकि 50,000 रुपये से अधिक के किसी भी निवेश के लिए, पैन डिटेल देना अनिवार्य होता है।
इस योजना के अंतर्गत कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक है, निवेश कर सकता है। इस योजना के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है।
स्रोत: जागरण
Shareमध्यप्रदेश में 20 सितम्बर तक सक्रिय रहेगा मानसून, इन जिलों में होगी भारी बारिश
मध्यप्रदेश के लगभग सभी जिलों में पिछले दिनों लगातार हुई बारिश ने जमकर तबाही मचाई है। इस तबाही की वजह से अबतक 11 हजार लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है और 10 की मौत हो चुकी है। इसकी वजह से करीब 7 लाख हेक्टर की फसलों को नुकसान हुआ और राहत बचाव कार्य जारी है। सबसे ज्यादा नुकसान होशंगाबाद, विदिशा, सीहोर, रायसेन और राजगढ़ जिले में हुआ है।
बहरहाल अभी भी बारिश का दौर थमने का नाम नही ले रहा है। सोमवार को फिर मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। अलीराजपुर, बड़वानी, झाबुआ में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। रतलाम, नीमच, मंदसौर, धार में गरज-चमक के साथ तेज बौछारें पड़ सकती हैं।
मौसम विभाग की माने तो मानसून 20 सितंबर तक सक्रिय रहने के आसार हैं। अगर सितंबर महीने में 1 दिन भी बारिश न हो तो भी प्रदेश में इस साल पानी की कमी होने की आशंका नहीं है, हालांकि कम दबाव का क्षेत्र रविवार को पश्चिमी मध्य प्रदेश और उससे लगे पूर्वी राजस्थान पर पहुंच गया है। इस सिस्टम से पूर्वी राजस्थान से लगे प्रदेश के कुछ स्थानों पर बरसात हो सकती है।
स्रोत: एमपी ब्रेकिंग न्यूज़
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