- यह प्याज़ की मुख्य तीन किस्में हैं जो रबी सीजन की किस्म के नाम से जानी जाती हैं।
- ओनियन | जिंदल | पुना फुरसुंगी | अग्रिम :- यह किस्म गोल आकार की होती है और इसकी सतह पर मामूली लालिमा होती है। इसका रंग हल्का लाल होता है तथा इनकी परिपक्वन अवस्था 110-120 दिनों की होती है। इस किस्म की बीज़ दर 3 किलो/एकड़ होती है और भंडारण क्षमता 8-9 माह की होती है।
- ओनियन | पंच गंगा| पूना फुरसुंगी :-यह किस्म गोल आकार की होती है और इसकी सतह पर मामूली लालिमा होती है। इसका रंग हल्का लाल होता है तथा इनकी परिपक्वन अवस्था 80-90 दिनों की होती है। इस किस्म की बीज़ दर 2.5-3 किलो/एकड़ होती है तथा भंडारण क्षमता 4 माह की होती है।
- ओनियन | प्रशांत | फुरसुंगी :- यह किस्म गोल आकार की होती है और इसकी सतह पर मामूली लालिमा होती है। इसका रंग हल्का लाल होता है तथा इनकी परिपक्वन अवस्था 110-120 दिनों की होती है। इस किस्म की बीज़ दर 3 किलो/एकड़ होती है और भंडारण क्षमता 5-6 माह की होती है।
कई लाभकारी खूबियों वाली इन तीन प्याज की किस्मों का करें चयन
- यह प्याज़ की मुख्य तीन किस्में हैं जो सितम्बर माह में नर्सरी की तैयारी करने के लिए उपयुक्त हैं। ये तीनों हीं पछेती खरीफ की किस्म के नाम से भी जानी जाती हैं।
- ओनियन | पंच गंगा | सरदार :- इस किस्म के फल का आकार ग्लोब की तरह होता है एवं रंग लाल होता है। इनकी परिपक्वन अवस्था 80 से 90 दिनों की होती है और बीज़ दर 2.5-3 किलो/एकड़ होती है। इस किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता 5-6 माह की होती है एवं यह एक उच्च उत्पादन क्षमता वाली किस्म है।
- ओनियन | पंच गंगा| सुपर :- इस किस्म के फल का आकार ग्लोब की तरह होता है एवं रंग लाल होता है। इनकी परिपक्वन अवस्था 100-110 दिनों की होती है तथा भंडारण क्षमता 2-3 माह की होती है।
- ओनियन | प्राची |सुपर:- इस किस्म के फल का आकार अंडाकार गोल तथा रंग आकर्षक काला लाल होता है। इनकी परिपक्वन अवस्था 95-100 दिनों की होती है और बीज़ दर 2.5-3 किलो/एकड़ होती है। इस किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता 2 माह की होती है।
ग्रामोफ़ोन की समृद्धि किट बनी किसान के समृद्धि की वजह, मुनाफ़ा 62500 से हो गया 175000
ग्रामोफ़ोन का मुख्य लक्ष्य किसानों को समृद्ध करना है और इस कार्य में ग्रामोफ़ोन के समृद्धि किट महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये किट ना सिर्फ फसल को बेहतर पोषण और अच्छी बढ़वार देते हैं बल्कि खेत की मिट्टी की संरचना में भी सुधार करते हैं। इसी वजह से एक बार समृद्धि किट का इस्तेमाल करने के बाद इसका असर दूसरी फसल को भी मिलता है। इन समृद्धि किट का इस्तेमाल बहुत सारे किसान कर रहे हैं और इन्हीं में से एक किसान हैं रामनिवास परमार।
देवास के रहने वाले किसान रामनिवास परमार की सोयाबीन की फसल को ग्रामोफ़ोन की सोया समृद्धि किट ने इतना अच्छा पोषण दिया की फसल से प्राप्त मुनाफ़ा पहले से 180% बढ़ गया और फसल से प्राप्त उपज की क़्वालिटी इतनी बढ़िया हुई की मंडी में इसका मूल्य भी अन्य किसानों की उपज से अधिक मिला।
रामनिवास की ही तरह सैंकड़ो किसान इन किट का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसका लाभ ले रहे हैं। अगर आप भी रामनिवास की तरह समृद्धि किट का इस्तेमाल कर अपनी कृषि में इसी प्रकार का बड़ा अंतर लाना चाहते हैं और स्मार्ट किसान बनना चाहते हैं तो आप भी ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप या तो टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल करें या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन करें।
Shareनर्सरी में बुआई के लिए उपयुक्त हैं पछेती खरीफ की ये तीन प्याज किस्में
- ओनियन | जिंदल | एडवांस | एन 53
- ओनियन | जिंदल | नासिक लाल | एन 53
- ओनियन | मालव | एन 53
- उपर्युक्त तीन नाम दरअसल प्याज़ की मुख्य तीन किस्मों की हैं जो सितम्बर माह में नर्सरी की तैयारी करने के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं।
- ये तीनों किस्म पछेती खरीफ की किस्म के नाम से भी जानी जाती हैं।
- इसके फल का आकार ग्लोब की तरह होता है एवं इसका रंग ईट की तरह लाल होता है।
- इनकी परिपक्वन अवस्था 90 से 100 दिनों की होती है।
- इनकी बीज़ दर 3 किलो/एकड़ होती है।
- इन तीनों किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता 5 से 6 माह की होती है एवं यह किस्में थ्रिप्स तथा ब्लाइट के लिए प्रतिरोधी होती हैं।
किसानों के एक-एक खेत का सर्वे कर, की जायेगी फसल क्षति की भरपाई
मध्यप्रदेश में जून माह में अच्छी बारिश हुई पर जुलाई माह में कई स्थानों में बारिश का अभाव रहा जिसके चलते फ़सलों में कीट-रोग के प्रकोप हो गया। इस वजह से सोयाबीन, उड़द जैसी फ़सलों को काफी नुकसान हुआ है। इसके बाद अगस्त में तेज बारिश के चलते कई जिलों में बाढ़ एवं जल भराव के कारण फसलें ख़राब हुई है। फसल क्षति की ख़बरों के बीच प्रदेश के सीएम श्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि एक-एक खेत का सर्वे ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ किया जाये, कोई भी प्रभावित सर्वे से न छूटे।
उन्होंने आगे कहा कि चाहे उन्हें कर्ज लेना पड़े, वे किसानों के नुकसान की भरपाई, राहत की राशि और फसल बीमा से करेंगे । मुख्यमंत्री ने जिला-प्रशासन को निर्देश दिए कि सर्वे का काम शीघ्र करें और किसी भी प्रकार की हड़बड़ी न हो इसका भी विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि कोई भी प्रभावित किसान फ़सलों के सर्वे के बाद राहत और बीमा राशि से वंचित नहीं रहे।
स्रोत: किसान समाधान
Shareकपास की फसल में कवक जनित रोगों का प्रकोप
- वर्तमान में अति वर्षा की स्थिति बनी हुई है और इसी कारण से कपास की फसल में कवक जनित एवं जीवाणु जनित रोगों का बहुत अधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है।
- इन रोगों के कारण कपास के पत्ते पीले पड़ रहें हैं साथ ही पौधों में जड़ गलन एवं तना गलन जैसी समस्या भी सामने आ रही है।
- इन रोगों के निवारण के लिए समय पर उचित प्रबंधन बहुत आवश्यक है क्योंकि कपास की फसल वर्तमान स्थिति में परिपक्वन की अवस्था में है और इस समय कपास की फसल में किसी भी प्रकार के रोगों के कारण उत्पादन बहुत प्रभावित हो सकता है।
- कवक जनित रोगों के प्रबंधन के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@500 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्त्रोबिन 25% WG@ 150 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC @ 200 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जीवाणु जनित रोगों के प्रबंधन लिए स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W@ 24 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- इसी के साथ जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
बीज उपचार करते समय बरती जाने वाली सावधानियां
- बीज़ उपचार करते समय प्रति एकड़ बीज की जितनी मात्रा की आवश्यकता हो उतनी ही मात्रा लें।
- उपयोग किये जाने वाले कीटनाशक, कवकनाशक की सुझाई गयी मात्रा का ही उपयोग करें।
- जिस दिन बुआई करनी हो उसी दिन बीज उपचार करें।
- बीज उपचार करने के बाद बीज भडारित करके ना रखें।
- दवाई की मात्रा या बीजों पर दवाई को लेपित करने के लिए आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग ना करें।
- बीज उपचार करने के लिए फसल के अनुसार सुझाई गयी दवाई का ही उपयोग करें।
मिट्टी की समृद्धि एवं सुधार में ग्रामोफ़ोन समृद्धि किट की उपयोगिता
- प्याज़, लहसुन एवं आलू जैसी फसलों से अच्छी पैदावार पाने के लिए ग्रामोफोन लेकर आया है प्याज़, लहसुन एवं आलू समृद्धि किट।
- ये किट भूमि सुधारक की तरह कार्य करती है।
- यह किट चार आवश्यक बैक्टीरिया NPK एवं ज़िंक को मिलाकर बनाया गया है, जो की मिट्टी में NPK की पूर्ति करके फसल की वृद्धि में सहायता करते हैं एवं ज़िंक का जीवाणु मिट्टी में मौजूद अधुलनशील जिंक को घुलनशील रूप में फसल को प्रदान करने का कार्य करता है।
- इस किट में जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मृदा जनित रोगजनकों को मारता है जिससे जड़ सड़न, तना गलन आदि जैसे गंभीर बीमारियों से पौधे की रक्षा होती हैं।
- इस किट में समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड ह्यूमिक एसिड एवं मायकोराइज़ा जैसी सामग्री का संयोजन है जो मिट्टी की विशेषताओं और गुणवत्ता में काफी सुधार करेगा, साथ ही मायकोराइज़ा सफेद जड़ के विकास में मदद करेगा।
- इसमें मौजूद ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सुधार करके प्याज़/लहसुन/ आलू की फसल के बेहतर वनस्पति विकास में सहायता करता है।
- यह किट पुरानी फसलों के अवशेषों को उपयोगी खाद में परिवर्तित करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है।
इन राज्यों में गरज के साथ बारिश की है संभावना, जानें आगामी 24 घंटे का मौसम पूर्वानुमान
देश भर में मौसम का मिजाज बदल रहा है और मौसम विभाग ने देश के कई राज्यों में बारिश का अलर्ट जारी है। 5 सितंबर से पूरे उत्तर प्रदेश में बादल छाए रहने के साथ हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग के अनुसार तटीय कर्नाटक में भी मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है।
मॉनसून ट्रफ का पश्चिमी सिरा राजस्थान के बीकानेर और जयपुर पर जबकि मध्य में ग्वालियर और सतना तथा पूरब में डाल्टनगंज और शांतिनिकेतन होते हुए दक्षिणी असम तक बनी हुई है। मध्य प्रदेश पर बना चक्रवाती सिस्टम उत्तर-पश्चिमी दिशा में बढ़ गया है।
अगले 24 घंटों के मौसम पूर्वानुमान की बात करें तो जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश, दक्षिणी छत्तीसगढ़, मध्य महाराष्ट्र, उत्तरी तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में कुछ स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareडीकंपोजर का उपयोग कब एवं कैसे करें?
- डीकंपोजर का उपयोग तीन प्रकार से किया जा सकता है।
- इसे खाली खेत में बुवाई पूर्व, कचरे के ढेर में, बुआई बाद खड़ी फसल में इस्तेमाल कर सकते हैं।
- जब खेत में से फसल की कटाई हो चुकी हो तब इसका उपयोग करना चाहिए। इसके उपयोग के लिए किसान भाई पाउडर रूप वाले डिकम्पोज़र की 4 किलो मात्रा प्रति एकड़ की दर खेत की मिट्टी या गोबर में मिलाकर भुरकाव करें।
- छिड़काव के बाद खेत में थोड़ी नमी की मात्रा बनाये रखें। छिड़काव के 10 से 15 दिनों के बाद नयी फसल की बुआई कर सकते हैं।
- डिकम्पोज़र का उपयोग गोबर और अन्य अवशेषों के ढेर को घरेलू खाद में तब्दील करने के लिए बहुत सारे लोग करते हैं। इसके लिए सबसे पहले एक कंटेनर में 100-200 लीटर पानी रखें और उसमें 1 किलो गुड़ मिलाएं। फिर इसमें 1 लीटर या 1 किलो प्रति टन कचरे के हिसाब से डीकंपोजर अच्छी तरह से मिलाएं और उसे अच्छे से हिलाएं।
- इसके अलावा बुआई बाद खड़ी फसल में भुरकाव के रूप भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
