- सोयाबीन की फसल में तना मक्खी/तना छेदक के प्रकोप का मुख्य कारण फसल का बहुत घना बोया जाना, कीटनाशकों का सही समय एवं सही मात्रा में उपयोग न होना और फसल चक्र ना अपनाना होता है।
- सोयाबीन की फसल में तना मक्खी के इल्ली का प्रकोप की शुरूआती अवस्था में ही नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है।
- तना मक्खी के नियंत्रण के लिए बवे कर्ब का छिड़काव समय समय पर करना बहुत आवश्यक होता है।
- सोयाबीन की फसल में तना मक्खी के नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का छिड़काव आवश्यक है।
- थियामेंथोक्साम 25% WG @ 100 ग्राम/एकड़ + फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG @ 100 ग्राम/एकड़ + बवेरिया बेसियाना @250 ग्राम/एकड़ या फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ + बवेरिया बेसियाना @250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
खराब फसल देख मुख्यमंत्री ने दिया फसल बीमा का आश्वासन
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की खराब हुई फ़सलों का जायजा लिया और कहा कि जब किसान संकट में हो तो ऐसे में मैं बैठ नहीं सकता। उन्होंने फसल बीमा की तारीख बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी साथ ही उन्होंने कहा संकट की इस घड़ी में किसानों की पूरी मदद करेंगे।
प्रदेश के खातेगांव क्षेत्र मे खराब हुई सोयाबीन की फसल देखने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि फसल बीमा 31 अगस्त तक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। मैं किसानों के साथ हूं। दो-तीन दिन में फ़सलों का ज्यादा नुकसान हुआ है। ऐसे में किसान संकट में हैं और मैं घर पर नहीं बैठ सकता था, इसीलिए यहां आया हूं। कल दूसरे जिलों में भी जाकर फ़सलों की स्थिति देख लूंगा।
स्रोत: नई दुनिया
Shareमध्य प्रदेश समेत कई राज्यों होगी मूसलाधार बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान
देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून की बारिश हो रही है और मौसम विभाग ने कहा है कि बारिश की प्रक्रिया अभी कुछ दिन जारी रहेगी। बीते 24 घंटों के दौरान छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के पूर्वी तथा मध्य भागों में भीषण मॉनसून वर्षा दर्ज की गई है।
अगर बात करें अगले 24 घंटों की तो मौसम विभाग के अनुसार आने वाले 24 घंटों के दौरान छत्तीसगढ़ में बारिश की गतिविधियाँ कम हो जाएंगी। हालांकि अगले 12 घंटों तक अच्छी बारिश कुछ स्थानों पर बनी रहेगी। मध्य प्रदेश के मध्य और पूर्वी हिस्सों में मूसलाधार वर्षा जारी रहने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareजैविक कवकनाशकों का महत्त्व
- जैविक कवकनाशक रोगकारक कवकों की वृद्धि को रोकते है या फिर उन्हें मारकर पौधों को रोग मुक्त कर देते हैं।
- यह पौधों की रासायनिक प्रक्रियाओं को उत्तेजित कर पौधे में रोगरोधी क्षमता को बढ़ाते हैं।
- इसके प्रयोग से रासायनिक दवाओं, विशेषकर कवकनाशी पर निर्भरता कम होती है।
- यह मिट्टी में उपयोगी कवकों की संख्या में वर्द्धि करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
- जैविक कवकनाशकों का उपयोग करने से फसलों में पोषक तत्वों की अधिकता पायी जाती है।
- इनका उपयोग मिट्टी उपचार द्वारा किया जाता है। ये कीटनाशकों, वनस्पतिनाशकों से दूषित मिट्टी के जैविक उपचार (बायोरिमेडिएशन) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
देश की पहली निजी मंडी मध्यप्रदेश में स्थापित करवाना चाहते हैं सीएम शिवराज
अभी कुछ ही महीने पहले केंद्र सरकार ने नया मंडी अधिनियम बनाया है और निजी मंडी बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। अब इसी विषय पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “केन्द्र सरकार द्वारा नया मंडी अधिनियम बनाए जाने के बाद देश में सबसे पहले निजी मंडी मध्यप्रदेश में स्थापित हो, इसके लिए प्रदेश में तैयार किए गए मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम (संशोधन) विधेयक-2020 के पारित होने के पश्चात उस पर तत्परता से अमल किया जाएगा। यह अधिनियम प्रदेश के किसानों एवं व्यापारियों दोनों के लिए लाभदायक होगा।”
मुख्यमंत्री ने ये बातें मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम (संशोधन) विधेयक-2020 के प्रावधानों पर चर्चा करते हुए कही। इस बैठक में किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल, किसान कल्याण तथा कृषि विकास राज्य मंत्री श्री गिर्राज दण्डौतिया, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव श्री के.के. सिंह, प्रमुख सचिव श्री अजीत केसरी उपस्थित थे।
स्रोत: कृषक जगत
Shareबीज उपचार का रबी फसलों के लिए महत्व
- छोटे दाने की फसलों, सब्जियों, बड़े बीज़ एवं कंद वाली फसलें जैसे आलू, लहसुन, प्याज़ आदि में बीज जनित रोंगो के नियंत्रण हेतु बीज उपचार बहुत प्रभावकारी होता है।
- मृदा जनित कवक, जीवाणु व सूत्रकृमि से बीज व तरुण पौधों को बचाने के लिए बीजों को कवकनाशी रसायन से उपचारित किया जाता है, जिससे बीज जमीन में सुरक्षित रहते हैं। बीज उपचार करने से रसायन बीज के चारों ओर रक्षक लेप के रूप में चढ़ जाता है।
- बीजों को उचित कवकनाशी से उपचारित करने से उनकी सतह कवकों के आक्रमण से सुरक्षित रहती है, जिससे उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है और भण्डारण के दौरान भी उपचारित सतह के कारण उनकी अंकुरण क्षमता बनी रहती है।
- भंडार में रखने से पूर्व बीज को किसी उपयुक्त कीटनाशक से उपचारित कर देने से भंडारण के दौरान एवं बुआई के बाद मिट्टी भी बीजों को सुरक्षित रखता है। कीटनाशक का चयन संबंधित फसल बीज के प्रकार और भंडारण अवधि के आधार पर किया जाता है।
मिर्च की फसल में सफेद ग्रब का प्रबंधन कैसे करें?
- सफ़ेद ग्रब सफेद रंग का कीट है जो खेत में सुप्तावस्था में ग्रब के रूप में रहता है।
- आमतौर पर प्रारंभिक रूप में ये जड़ों में नुकसान पहुंचाते हैं। सफेद ग्रब के प्रकोप मिर्च के पौधे एकदम से मुरझा जाते हैं, पौधे की बढ़वार रूक जाती है और बाद में पौधा मर जाता है।
- इस कीट के नियंत्रण हेतु मेट्राजियम (kalichakra) 2 किलो + 50-75 किलो FYM/कम्पोस्ट के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से खाली खेत में भुरकाव करें।
- लेकिन यदि मिर्च की फसल की अपरिपक्व अवस्था में भी इस कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा हो तो सफेद ग्रब के नियंत्रण के लिए रासायनिक उपचार भी किया जा सकता है।
- इसके लिए फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 500 मिली/एकड़, क्लोथियानिडिन 50.00% WG @ (डोन्टोटसु) 100 ग्राम/एकड़ को मिट्टी में मिला कर उपयोग करें।
मध्यप्रदेश के कई जिलों में होगी भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
आने वाले कुछ दिनों में मध्यप्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग के अनुसार मध्य प्रदेश के 6 जिलो में भारी बारिश हो सकती है और इसे लेकर अलर्ट भी जारी कर दिया गया है। राज्य के उमरिया, कटनी, जबलपुर, पन्ना, दमोह, सागर जिले में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इन जिलों में गरज-चमक के साथ अति भारी बारिश होने का साथ बिजली गिरने की संभावना है।
इसके अलावा रीवा संभाग के जिलों के साथ-साथ 10 अन्य जिलों में भी गरज-चमक के साथ तेज बारिश होने का अनुमान मौसम विभाग ने जताया गया है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में बिजली गिरने की भी चेतावनी दी गई है।
मध्यप्रदेश के अनुपपुर, डिंडोरी, शहडोल, सिवनी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, मंडला, बालाघाट, छतरपुर, टीकमगढ़ में भी भारी वर्षा तथा गरज चमक के साथ बिजली चमकने और गिरने की संभावना जताई गई है। इन जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।
स्रोत: ज़ी न्यूज़
Shareसोयाबीन की फसल में पीलेपन की समस्या का क्या है समाधान?
- सोयाबीन की फसल में बहुत अधिक मात्रा में पीलेपन की शिकायत होती है।
- सोयाबीन के पत्तों का पीलापन सफ़ेद मक्खी के कारण होने वाले वायरस एवं मिट्टी के पीएच और अन्य पोषक तत्वों की कमी, कवक जनित बीमारियों सहित कई अन्य कारकों के कारण हो सकता है।
- सोयाबीन की फसल को एवं इसकी उपज को कोई नुकसान पहुँचाये बिना इस समस्या के प्रबंधन के उपाय करना बहुत आवश्यक है।
- सोयाबीन की फसल में नए एवं पुराने पत्ते और कभी-कभी सभी पत्ते हल्के हरे रंग या पीले रंग के हो जाते हैं, टिप पर क्लोरोटिक हो जाती है एवं गंभीर तनाव में पत्तियां मर भी जाती है। इसकी वजह से पूरे खेत में फसल पर पीलापन दिखाई दे सकता है।
- इस समस्या में कवक जनित रोगों के समाधान लिए टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- जैविक उपचार के लिए ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- पोषण की कमी की पूर्ति के लिए 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- कीट प्रकोप के कारण यदि पीलापन हो तो एसिटामिप्रीड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मिर्च के पौधों के पत्ती मुड़ने की समस्या और निवारण के उपाय
- सफेद मक्खी जैसे रस चूसक कीट मिर्च के पौधों में पत्ते मुड़ने की समस्या के वाहक होते हैं।
- सफेद मक्खी वायरस फैलाने का कार्य करती है जिससे चुरा-मुरा (लीफ कर्ल वायरस) के नाम से जाना जाता है। इस वायरस के कारण भी पत्तियाँ क्षतिग्रस्त होती हैं।
- इसके कारण परिपक्व पत्तियों पर उभरे हुऐ धब्बे बन जाते हैं एव पत्तियां छोटी कटी – फटी सी हो जाती हैं।
- इसके कारण पत्तियाँ सूख सकती हैं या गिर भी सकती हैं एवं मिर्च की फसल के विकास को भी अवरुद्ध कर सकती हैं।
- वायरस जनित इस समस्या के लिए प्रीवेंटल BV @ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
- वायरस के वाहक कीटों के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP @ 400 ग्राम/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 250 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ या बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।