- ट्रायाकॉन्टेनॉल पौधे की वृद्धि का एक प्राकृतिक नियामक है जिसका उपयोग फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- यह जड़, फूल एवं पत्तियों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- फसलों को इसकी बहुत कम मात्रा की आवश्यकता होती है।
- यह फसलों के उन भागों पर अपनी क्रिया करते हैं जो जड़ विकास, फल विकास, फूल उत्पादन, आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- जो फसलें छोटी रह जाती हैं उनके विकास में ट्रायाकॉन्टेनॉल सहायक होते हैं और उन फसलों के तने की लंबाई में वृद्धि करके फसल की बेहतर बढ़वार में मदद करते हैं।
- कोशिका विभाज़न को प्रेरित कर बीजों में उत्पन्न प्रसुप्ति को तोड़ने में भी यह सहायक होते हैं।
पशुपालन से किसानों की आय बढ़ाने हेतु सरकार ने लांच किया ई-गोपाला ऐप
किसानों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करने एवं उनकी आय में वृद्धि हेतु सरकार द्वारा कई योजनाओं की शुरुआत की जा रही है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में मछली उत्पादन, डेयरी, पशुपालन और कृषि में अध्ययन एवं अनुसंधान से संबंधित पीएम मत्स्य सम्पदा योजना, ई-गोपाला ऐप और कई अन्य योजनाओं का शुभारम्भ किया है।
इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिए गए अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि आज इन सभी योजनाओं के शुभारम्भ का उद्देश्य हमारे गांवों को सशक्त बनाना और 21वीं सदी में आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है।
ई-गोपाला ऐप के माध्यम से पशुधन का प्रबंधन किया जाएगा। इस प्रबंधन में गुणवत्तापूर्ण प्रजनन सेवाओं की उपलब्धता और पशु पोषण के लिए किसानों का मार्गदर्शन करना, उचित पशु चिकित्सा दवा का उपयोग करते हुए जानवरों का उपचार आदि की जानकारी मिलेगी।
स्रोत: किसान समाधान
Shareमटर की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले करें बीज़ उपचार
- जिस प्रकार बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार बुआई के पूर्व बीज उपचार भी बहुत आवश्यक होता है।
- बीज उपचार करने से बीज जनित रोगों का नियंत्रण होता है साथ ही बीजों का अंकुरण भी अच्छा होता है
- बीज उपचार हम रासायनिक एवं जैविक दो विधियो से कर सकते हैं।
- रासायनिक उपचार: बुआई से पहले मटर के बीजो को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो + PSB @ 2 ग्राम/किलो बीज़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर बीज उपचार करें।
देश के कई हिस्से में हो सकती है बारिश, जानें अपने राज्य का मौसम पूर्वानुमान
देश के कई हिस्से में अभी भी मानसून सक्रिय जिसकी वजह से कई राज्यों में बारिश के आसार बने हुए हैं। कई राज्यों में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले कुछ घंटों में देश के कई राज्यों में भारी बारिश की संभावना है।
मौसम विभाग के अनुसार पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, विदर्भ, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, रायलसीमा, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। इसके अलावा पूर्वी मध्य अरब सागर के ऊपर बने चक्रवात के कारण पूर्वोत्तर और प्रायद्वीपीय भारत में अगले 4 से 5 दिनों में भारी बारिश की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareजल्दी पकने वाली मटर की किस्में
मास्टर हरिचंद्र PSM-3 एवं सीडएक्स PSM-3
यह मटर की दो मुख्य किस्में हैं जिनको PSM-3 किस्म के नाम से भी जाना जाता है। इनकी फसल अवधि 60 दिनों की होती है और तुड़ाई 1 बार होती है। PSM-3 एक जल्दी पकने वाली किस्म है जिसे आर्केल एंड जीसी 141 के क्रॉस से विकसित किया गया है। इस किस्म के पौधे बौने होते हैं तथा पत्ते गहरे हरे होते हैं। इस किस्म की फली 6-8 बीजों से भरी होती है। इसकी पैदावार 3 टन/एकड़ तक होती है।
मास्टर हरिचंद्र AP3
इस किस्म की फसल अवधि 60-70 दिनों की होती है तुड़ाई 1 बार होती है। इसकी फली 6-8 बीजों से भरी होती है। यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है और बुआई के 70 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। अगर यह अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में बोई जाए तो यह औसतन 2 टन/एकड़ की पैदावार देगी।
Shareमटर की इन दो अर्केल किस्मों का करें चुनाव और पाएं उच्च उत्पादन
- मालव सुपर अर्केल
- मालव अर्केल
- यह मटर की दो मुख्य किस्मे है जिनको अर्केल किस्म के नाम से भी जाना जाता है।
- इनकी फसल अवधि 60-70 दिनों की होती है।
- इनकी तुड़ाई 2-3 बार की जा सकती है।
- इनके बीजों की संख्या (फली में) 6-8 रहती है।
- इस किस्म के पौधे बौने होते हैं एवं उच्च उत्पादन देते हैं। इनकी फलियां गहरे हरे रंग की होती है।
- यह किस्में पाउडरी मिल्डयू के लिए प्रतिरोधी होती है।
- इस किस्म की पहली तुड़ाई 55-60 दिनों में की जा सकती है एवं इसकी उपज 2 टन/एकड़ तक रहती है।
मध्यप्रदेश के 20 लाख किसानों के खातों में फसल बीमा के 4688 करोड़ रुपये भेजे जायेंगे
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 16 सितंबर को राज्य के करीब 20 लाख किसानों के खाते में करीब 4688 करोड़ रुपये डाले जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 16 सितंबर को एक बटन दबाकर यह राशि किसानों के खातों में भेजेंगे। यह साल 2019 के फसल बीमा की बकाया राशि है।
ख़बरों के अनुसार साल 2019 के फसल बीमा की बकाया ये पूरी राशि 16 से 18 सितंबर तक सभी 20 लाख किसानों तक पहुँच जाएगी। ग़ौरतलब है की खराब मौसम की वजह से फ़सलों के बर्बाद होने पर किसानों को किसी तरह का नुकसान ना हो, इसीलिए इस योजना के तहत किसानों के फ़सलों का बीमा कराया जाता है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareबेहतर उपज के लिए उपयोगी मटर की तीन पेंसिल किस्में
- मालव वेनेज़िया
- यूपीएल / एडवांता / गोल्डन जीएस – 10
- मालव MS10
- यह मटर की तीन मुख्य किस्में है जिनको पेंसिल किस्म के नाम से भी जाना जाता है।
- यह खाने में मीठी होती हैं।
- इनकी फसल अवधि 75-80 दिनों की होती है।
- इनकी तुड़ाई 2-3 बार की जा सकती है।
- इसके बीजों की संख्या (फली में) 8-10 रहती है।
- इस किस्म का पौधा मध्यम आकार का होता है एवं शाखाएँ फैली हुई होती हैं।
- यह 4 टन प्रति एकड़ उपज देती है एवं पाउडरी मिल्डयू के लिए प्रतिरोधी होती है।
रबी की इन तीन प्याज किस्मों की बुआई कर बेहतर उपज की तरफ कदम बढ़ाएं
- यह प्याज़ की मुख्य तीन किस्में हैं जो रबी सीजन की किस्म के नाम से जानी जाती हैं।
- ओनियन | इल्लोरा | गुलाब :- इस किस्म का आकार अंडाकार गोल तथा रंग आकर्षक गुलाबी होता है। इसकी परिपक्वन अवस्था 120-130 दिनों की होती है और बीज़ दर 2-3 किलो/एकड़ होती है। इस किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता 7 माह तक की होती है।
- ओनियन | मालव | रुद्राक्ष :- इस किस्म का आकार गोल तथा रंग हल्का लाल होता है। इसकी परिपक्वन अवस्था 100-110 दिनों की होती है तथा बीज़ दर 2.5-3 किलो/एकड़ है। इस किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता 6-8 माह की होती है।
- ओनियन | मालव | रुद्राक्ष | प्लस :- इस किस्म का आकार गोल तथा रंग हल्का लाल होता है। इसकी परिपक्वन अवस्था 90-100 दिनों की होती है तथा बीज़ दर 2.5-3 किलो/एकड़ है। इस किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता 6-8 माह की होती है।
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मंडी भाव: मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या है प्याज, गेहूं, चना, सोयाबीन का भाव
इंदौर के गौतमपुरा मंडी में प्याज़ का भाव 450 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है और बड़वानी जिले के सेंधवा मंडी में टमाटर का भाव 900 रूपये प्रति क्विंटल है। सेंधवा मंडी में ही पत्ता गोभी, फूलगोभी, बैंगन, भिण्डी और लौकी का भाव क्रमशः 900, 950, 900, 900, 750 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
उज्जैन जिले के खाचरौद मंडी की बात करें तो यहाँ गेहूं, चना और सोयाबीन का भाव क्रमशः 1550, 5151, 3550 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। इसके अलावा उज्जैन के ही बडनगर मंडी में गेहूं का मॉडल रेट 1880 रूपये प्रति क्विंटल, चना 4301 रूपये प्रति क्विंटल, डॉलर चना 6212 रूपये प्रति क्विंटल, मटर 6180 रूपये प्रति क्विंटल, मेथीदाना 5599 रूपये प्रति क्विंटल, लहसुन 7085 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का भाव 3680 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
स्रोत: किसान समाधान
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