जिंक तत्व का कृषि में क्या है महत्व?

What is the importance of zinc in agriculture
  • जिंक (Zn) फसल के अच्छे उत्पादन के लिए सबसे महत्व पूर्ण कारक माना जाता है एवं भारत में उपज की कमी के लिए चौथा सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना जाता हैं | यह आठ आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
  • ज़िंक की कमी से फसल की पैदावार और गुणवत्ता बहुत हद तक प्रभावित होती है और फसल की उपज में 20% तक की कमी आ जाती हैं।
  • जिंक पौधे के विकास के लिए अहम होता है। यह पौधों में, कई एंजाइमों और प्रोटीनों के संश्लेण में प्रमुख भूमिका निभाता है।
  • इसके साथ साथ ज़िंक वृद्धि हार्मोन के निर्माण में भी महत्वर्ण योगदान करता है जिसके परिणाम स्वरुप इंटर्नोड का आकार बढ़ता है।
  • इसकी कमी प्रायः क्षारीय, पथरीली मिट्टी में होती है।
  • इसकी कमी के कारण नई पत्तियाँ छोटे आकार की एवं शिराओं के मध्य का हिस्सा चितकबरे रंग का हो जाता है।
  • भूमि में जिंक सल्फेट 20 किलो ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करके इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
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फिर बढ़ रही हैं प्याज की कीमतें, जानें हर साल कीमतों में तेजी आने की क्या है वजह

Onion prices are increasing again, know what is the reason for the rise in prices every year

प्याज की कीमतें एक बार फिर बढ़ने लगी हैं। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार की तरफ से पिछले दिनों प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस प्रतिबंध के माध्यम से सरकार प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाना चाहती है।

बहरहाल प्याज की कीमतों में हर साल इसी समय तेजी आने लगती है और ये कीमतें नवंबर में आसमान छूने लगती है। अब सवाल उठता है की हर साल इस सीजन में प्याज इतना महंगा क्यों हो जाता है ?

दरअसल देशभर में जिस तरह से पूरे साल प्याज पैदा होती है, उससे इसकी फसल लगातार ही बाजार में उपलब्ध होती रहती है। सितंबर में अक्सर इसकी फसल पर सूखे या बारिश की मार का असर नजर आता है जिससे इसके आवक पर प्रभाव पड़ता है।

स्रोत: न्यूज़ 18

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सरसों की बुआई एवं उर्वरक प्रबंधन संबंधी जानकारी

Mustard sowing and Essential fertilizers
  • सरसों की बुआई सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक की जाती हैं।
  • सामन्यतः सरसों के लिए कतार से कतार की दूरी 30-45 सेमी रखते हैं तथा पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी रखी जाती है। 
  • खेत की तैयारी के समय 6-8 टन गोबर की खाद डालें और DAP@ 40 किलो, यूरिया@ 25 किलो, पोटाश@ 30 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में बुआई के समय उपयोग करें। 
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मौसम विभाग ने भारी बारिश की संभावना जताते हुए जारी किया येलो अलर्ट

Weather Report

आने वाले कुछ दिनों में मानसून अंतिम चरण में पहुँचने वाला है। अंतिम चरण में पहुंचने से पहले मानसून देश के कई राज्यों में पुनः सक्रिय हो गया है। मौसम विभाग की तरफ से राजस्थान में आगामी शुक्रवार से अगले 3 से 4 दिनों तक भारी बारिश की संभावना जताई गई है और येलो अलर्ट भी जारी कर दिया गया है।

इसके अलावा भारतीय मौसम विभाग ने आने वाले कुछ घंटों में मध्यप्रदेश, विदर्भ, बिहार और झारखंड में आंधी-तूफान के साथ बारिश की संभावना जताई है। इसके साथ ही असम, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, मेघालय, तटीय आंध्र प्रदेश, ओडिशा, कच्छ, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बादलों के तेज गरज व चमक और तूफान के साथ बारिश की संभावना जताई गई है।

स्रोत: कृषि जागरण

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अमरुद में उकठा रोग के लक्षण एवं निवारण के उपाय

Symptoms and prevention of Wilt Disease in Guava
  • उकठा रोग में पत्तियों का रंग हल्का पीला हो जाता है साथ ही साथ शीर्ष शाखाओं की पत्तियाँ घुमावदार होकर मुड़ जाती हैं। 
  • पत्तियां पीली से लाल में बदल जाती हैं और समय से पहले झड़ जाती हैं।
  • नई पत्तियों का निर्माण नहीं हो पाता है एवं टहनियाँ खाली हो जाती हैं और अंत में सूख जाती हैं।
  • बाग में उचित स्वच्छता का बहुत ध्यान रखे एवं संक्रमित पेड़ों को उखाड़ दें। 
  • इस रोग के निवारण के लिए ट्राइकोडर्मा विरिडी 5 -10 ग्राम या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 2.5-5 ग्राम प्रति 5 किलो दर से गोबर खाद में मिलाकर, पौधा लगाते समय तथा 10 किलोग्राम प्रति गढ्ढा या पुराने पौधों में गुड़ाई कर डालें। 
  • ट्राइकोडर्मा विरिडी 5-10 ग्राम या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 2.5-5  ग्राम प्रति लीटर  पानी में मिलकर पौधे पर छिड़काव करें। 
  • अमरूद के पौधे के चारों ओर थाले बनाएं और उसमें कार्बेन्डाजिम 45% WP@ 2 ग्राम/लीटर पानी या कॉपर हाइड्रॉक्साइड 50% WP @ 2.5 ग्राम/लीटर पानी में घोल कर उससे थाले में डेचिंग करें।
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प्याज की सभी किस्मों के निर्यात पर केंद्र सरकार ने लगाया प्रतिबंध

Central government imposes ban on export of all varieties of onion

प्याज के निर्यात को लेकर केंद्र सरकार ने नया फैसला किया है। इस फैसले के अनुसार प्याज की सभी किस्मों का निर्यात तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस बाबत अधिसूचना जारी करते हुए कहा है की “प्याज की सभी किस्मों के निर्यात को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाता है।”

बता दें की विदेश व्यापार महानिदेशालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। यह आयात और निर्यात से संबंधित मुद्दों की देख रेख करने वाली इकाई है। प्याज के निर्यात पर उस वक़्त प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया है जब प्याज की कीमतों में लगातार इज़ाफा हो रहा है।

स्रोत: डीएनए इंडिया

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भिंडी की उन्नत किस्में जिनकी खेती से मिलेगी अच्छी उपज

Advanced varieties of Okra whose cultivation will give good yield
  • आज हम बता रहे हैं भिंडी की कुछ मुख्य किस्में जिनकी खेती से किसान अच्छी उपज की प्राप्ति कर सकते हैं। 
  • ये किस्में हैं स्वर्ण | मोना | 002 |, ह्यवेज सोना, स्वर्ण | वीनस और कुमार सीड्स KOH 339. 
  • ये सभी हाइब्रिड किस्म हैं और इनके पौधे खड़ी अवस्था में होते हैं, पत्ते मध्यम कटे हुए होते हैं तथा इंटरनोड छोटे होते हैं। 
  • इन किस्मों की शाखाएं 2 से 4 होती है एवं 45-51 दिनों में फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है।
  • इन किस्मों के फलों का आकार 5 लकीरों के साथ 12 से 14 सेमी होता है तथा व्यास 1.5 से 1.8 सेमी होता है। 
  • इस किस्म में अच्छी शेल्फ लाइफ के साथ गहरे हरे रंग के कोमल फल होते जिनका वज़न 12 से 15 ग्राम होता है। 
  • यह सभी किस्में लीफ कर्ल वायरस एवं पित्त शिरा वायरस की प्रतिरोधी होती है।
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टमाटर के पौधे में कैल्शियम की कमी के लक्षण

Calcium deficiency Symptoms in tomato plant
  • पौधे के उतकों में कैल्शियम की बहुत कम गतिशीलता के कारण इसकी कमी के  लक्षण तेजी से पौधे में वृद्धि करते हुए दिखाई देते हैं।
  • कैल्शियम की कमी के लक्षण पत्तियों पर दिखाई देते हैं, इसके कारण पत्तियाँ पीली हो जाती हैं और धीरे-धीरे सूखने लगती हैं। कैल्शियम की कमी के लक्षण पत्तियों के आधार वाले भागों में दिखाई देते हैं।      
  • कैल्शियम की कमी के लक्षण पौधे के तने पर सूखे मृत धब्बो के रूप में दिखाई देते हैं।  
  • शुरुआत में ऊपरी पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है और बाद में पत्तियों के किनारे पीले रंग में परिवर्तित होने लगते हैं तथा अंत में पौधे मृत हो जाते हैं। 
  • कैल्सियम की कमी की वजह से फलों के ऊपर ब्लॉसम एन्ड रॉट के लक्षण दिखाई देते हैं।
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मौसम पूर्वानुमान: आने वाले तीन चार दिन तक इन राज्यों में हो सकती है भारी बारिश

weather forecast

मौसम विभाग की तरफ से जारी पूर्वानुमान में बताया गया है कि अगले तीन-चार दिनों तक देश के कई राज्यों में भारी बारिश होने की संभावना है। निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट वेदर के अनुसार, 14 और 15 सितंबर को महाराष्ट्र के साथ साथ पश्चिमी मध्य प्रदेश में भारी बारिश की संभावना है।

महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भारी बारिश का प्रभाव उत्तरी मध्य प्रदेश और दिल्ली में 16 से 18 सितंबर के बीच नजर आएगा। इन भागों में हल्की बारिश होने की संभावना है।

15 सितंबर से पश्चिमी राजस्थान से मॉनसून वापसी करेगा जबकि दिल्ली से इसकी वापसी 21 सितंबर को होगी। संभावना है कि 14 से 18 सितंबर के बीच मध्य भारत के राज्यों पर इसका प्रभाव रहेगा।

स्रोत: कृषि जागरण

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एमिनो एसिड का कृषि में क्या है महत्व?

Importance of amino acids in crops
  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाला  प्राकृतिक अवयव है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है
  • एमिनो एसिड पोधो  में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ावा देता है 
  • मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, जिससे  जड़ पूरी तरह से विकसित होती है , जो फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती है।
  • मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है  
  •  जड़ो के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है 
  • यह पौधों के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि  नियामक में से एक है।
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