जिंक (Zn) फसल के अच्छे उत्पादन के लिए सबसे महत्व पूर्ण कारक माना जाता है एवं भारत में उपज की कमी के लिए चौथा सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना जाता हैं | यह आठ आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
ज़िंक की कमी से फसल की पैदावार और गुणवत्ता बहुत हद तक प्रभावित होती है और फसल की उपज में 20% तक की कमी आ जाती हैं।
जिंक पौधे के विकास के लिए अहम होता है। यह पौधों में, कई एंजाइमों और प्रोटीनों के संश्लेण में प्रमुख भूमिका निभाता है।
इसके साथ साथ ज़िंक वृद्धि हार्मोन के निर्माण में भी महत्वर्ण योगदान करता है जिसके परिणाम स्वरुप इंटर्नोड का आकार बढ़ता है।
इसकी कमी प्रायः क्षारीय, पथरीली मिट्टी में होती है।
इसकी कमी के कारण नई पत्तियाँ छोटे आकार की एवं शिराओं के मध्य का हिस्सा चितकबरे रंग का हो जाता है।
भूमि में जिंक सल्फेट 20 किलो ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करके इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।