- भिन्डी की फसल सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है ।
- पर भिन्डी की बुआई से पहले खेत में अच्छे से जुताई करना जरूरी होता है।
- बात करें पोषण प्रबंधन की तो भिन्डी की फसल में बुआई के समय पोषण प्रबंधन रासायनिक और जैविक दो तरीकों से दिया जाता है।
- रासायनिक प्रबंधन: DAP @ 75 किलो/एकड़ + MOP@ 30 किलो/एकड़ की दर से भुरकाव करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ + NPK बैक्टीरिया@ 100 ग्राम/एकड़ + सीवीड, एमिनो, ह्यूमिक एसिड, मायकोराइज़ा @ 2 किलो/एकड़ + ज़िंक सोलुब्लाइजिंग बैक्टीरिया @ 100 ग्राम/एकड़ की दर मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
किसानों के लिए खुशख़बरी, गेहूँ समेत कई फ़सलों की बढ़ा दी गई है एमएसपी
सरकार ने देश के सभी किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए गेहूं समेत अन्य फ़सलों के न्यूतनम समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट के माध्यम से इसकी जानकारी दी है।
पीएम मोदी ने इस विषय पर कहा, ‘किसानों के कल्याण के लिए कार्य करना हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है। अन्नदाताओं के हित में काम करने की हमारी प्राथमिकताओं के अनुरूप कैबिनेट ने एमएसपी बढ़ाने का एक और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इससे करोड़ों किसान लाभान्वित होंगे। अधिक एमएसपी जहां किसानों को सशक्त करेगी, वहीं उनकी आय दोगुनी करने में भी मदद करेगी।’
कितना बढ़ा समर्थन मूल्य?
- गेहूँ का समर्थन मूल्य 50 रूपए बढ़ाकर 1975 रूपए,
- जौ का 75 रू बढ़ाकर 1600 रू,
- चने का 225 रू बढ़ाकर 5100 रू,
- मसूर का 300 रू बढ़ाकर 5100 रू,
- सरसों का 225 रू बढ़ाकर 4650 रू,
- कुसुम्भ का 112 रू बढ़ाकर 5327 रू/ क्विण्टल कर दिया गया है।
स्रोत: नई दुनिया
Shareभिन्डी की उन्नत खेती के लिए बुआई पूर्व ऐसे करें बीज़ उपचार
- जिस प्रकार बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार बुआई के पूर्व बीज उपचार बहुत आवश्यक होता है।
- बीज उपचार करने से बीज जनित रोगों का नियंत्रण होता है साथ ही अंकुरण भी अच्छा होता है।
- बीज उपचार हम रासायनिक और जैविक दो विधियो से कर सकते हैं।
- रासायनिक उपचार: बुआई से पहले कवक जनित रोगों से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WS @ 3 मिली/किलो बीज की दर से बीज़ उपचार करें।
- कीट जनित रोगों एवं कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 48% FS @ 4 मिली/किलो बीज या थियामेंथोक्साम 30% FS @ 4 मिली/किलो बीज की दर से बीज़ उपचार करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो + PSB @ 2 ग्राम/किलो बीज़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर बीज उपचार करें।
- इस प्रकार बीजों को अच्छी तरह से उपचारित करके ही लगाना चाहिए एवं बुआई के समय भूमि में पर्याप्त नमी भी बनाये रखना चाहिए।
भिन्डी की फसल बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार कैसे करें?
- जिस खेत में भिंडी के बीज की बुआई की जानी चाहिए उस खेत का बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।
- खेत का मिट्टी उपचार मिट्टी जनित कीटों एवं कवकों से पौध की रक्षा करने लिए किया जाता है।
- पुरानी फसलों के जो अवशेष खेत में रह जाते है वे अवशेष हानिकारक कवकों एवं कीटों के उत्पन्न होने का कारण बनते हैं। इन्ही कवकों एवं कीटों के नियंत्रण लिए बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।
- FYM @ 10 टन/एकड़ और कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया @4 किलो/एकड़ और ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
ग्रामोफ़ोन की खास पेशकश समृद्धि किट का उपयोग फसल में कैसे एवं कब करें
- ग्रामोफ़ोन की खास पेशकश समृद्धि किट का उपयोग बुआई के समय मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है।
- अगर बुआई के समय समृद्धि किट का उपयोग नहीं कर पाएं हैं तो इसका उपयोग बुआई के 15 दिनों के अंदर किया जा सकता है।
- इसका उपयोग बुआई के बाद पहली उर्वरक खुराक के साथ किया जा सकता है।
- बुआई के 15 दिनों में उपयोग करते समय एक बात का विशेष ध्यान रखे की समृद्धि किट के साथ सल्फर का उपयोग ना किया जाए।
- ग्रामोफ़ोन की खास पेशकश समृद्धि किट को मुख्य रूप से आलू, प्याज़, लहसुन, मटर के लिए खास रूप से तैयार किया गया है।
- समृद्धि किट को खेत की 50 -100 किलो मिट्टी में मिलाकर भुरकाव के रूप में उपयोग करें।
ग्रामोफ़ोन समृद्धि किट के उपयोग से किसान के प्रॉफिट में हुआ 100% का इज़ाफा
हमारे देश के ज्यादातर किसान आज भी पारंपरिक खेती करते हैं जिस वजह से उन्हें कम उत्पादन से ही संतोष करना पड़ता है। पर आज के आधुनिक दौर में जो किसान आधुनिक विधियों का इस्तेमाल खेती में करते हैं वे स्मार्ट किसान कहलाते हैं। ग्रामोफ़ोन भी किसानों को स्मार्ट तरीके से खेती करवाने के कार्य में पिछले 4 सालों से लगा हुआ है। ग्रामोफ़ोन एप की मदद से किसान अब स्मार्ट खेती कर रहे हैं और ज़बरदस्त लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं।
ऐसे ही किसानों में से एक हैं देवास जिले के किसान विनोद गुज्जर जी जिन्हें मूंग की खेती के दौरान ग्रामोफ़ोन एप से हर कदम पर मदद मिली। जैविक उत्पादों के मेल से बनी मूंग समृद्धि किट और अन्य कृषि उत्पाद की होम डिलीवरी हो या फिर फसल चक्र के दौरान कीट और रोगों की रोकथाम सम्बन्धी जानकारी। हर मौके पर उन्हें ग्रामोफ़ोन एप से उन्हें मदद मिलती रही।
विनोद जी के लिए ग्रामोफ़ोन का मूंग समृद्धि किट किसी वरदान की तरह साबित हुआ। किट के उपयोग से 5 एकड़ में बोई गई फसल की उपज पहले के 25 क्विंटल से बढ़कर 30 क्विंटल हो गई। उपज बढ़ने के साथ ही आय में 38% और प्रॉफिट में 100% का इज़ाफा भी हुआ।
अगर आप भी विनोद गुज्जर जी की तरह अपनी कृषि में इसी प्रकार का बड़ा अंतर लाना चाहते हैं और स्मार्ट किसान बनना चाहते हैं तो आप भी ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप या तो टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल करें या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन करें।
Shareलहसुन की फसल में बुआई के बाद 15 दिन में ऐसे करें पोषण प्रबंधन
- लहसुन की फसल में बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन करने से फसल में अंकुरण अच्छा होता है और बेहतर शुरुआत मिलती है।
- इस समय पोषण प्रबंधन करने से फसल को नाइट्रोज़न, जिंक एवं सल्फर जैसे मुख्य पोषक तत्व मिल जाते हैं।
- इस समय पोषण प्रबंधन करने के लिए यूरिया @ 25 किलो/एकड़ + ज़िंक सल्फेट @ 5 किलो/एकड़ + सल्फर 90% @ 10 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- इन सभी उत्पादों को अच्छी तरह से मिलाकर मिट्टी में बिखेर दें। ध्यान रखें की उपयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी होना बहुत आवश्यक है।
प्याज की नर्सरी में ऐसे करें पोषण प्रबंधन
- प्याज़ की रोपाई से पूर्व इसके बीजों की बुआई नर्सरी में की जाती है। नर्सरी में बेड का आकार 3’ x 10’ और 10-15 सेमी ऊंचाई में तैयार किए जाते हैं।
- प्याज़ की नर्सरी को अच्छी शुरुआत देने के लिए नर्सरी की बुआई के समय से ही पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- नर्सरी में बीज बोने से पहले FYM @ 10 किलो/नर्सरी की दर से उपचार करें।
- नर्सरी लगाते समय सीवीड, एमिनो, ह्यूमिक मायकोराइज़ा @ 25 ग्राम/नर्सरी से उपचारित करें।
- प्याज़ की नर्सरी की बुआई के सात दिनों के अंदर पोषण प्रबंधन किया जाता है। इस समय छिड़काव करने से प्याज़ की नर्सरी को अच्छी शुरुआत मिलती है।
- पोषण प्रबंधन के लिए ह्यूमिक एसिड@ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
राज्यसभा में कृषि विधेयक पारित, किसानों को अपनी उपज तय मंडियों से बाहर बेचने की मिली छूट
20 सितम्बर को राज्यसभा में दो कृषि विधेयकों को पारित कर दिया गया है। इसमें दो बिल हैं, पहला है कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक 2020 और दूसरा है कृषक कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020।
प्रस्तावित कानून से किसानों को अपने उत्पाद तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट दी जाएगी। इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है। इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई शुल्क नहीं ली जाएगी।
यह विधेयक किसानों को अपनी उपज बेचने में आने वाले खर्च को कम करेगा साथ ही उन्हें उपज के लिए बेहतर मूल्य दिलाने में भी मदद करेगा। इस विधेयक की मदद से जहां ज्यादा उत्पादन हुआ है उन क्षेत्र के किसान कम उत्पादन वाले दूसरे प्रदेशों में अपनी कृषि उपज बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे।
स्रोत: नवभारत टाइम्स
Shareप्याज़ की नर्सरी में बुआई के सात दिनों के अंदर छिड़काव प्रबंधन
- प्याज़ की नर्सरी की बुआई के सात दिनों के अंदर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- यह छिड़काव कवक जनित बीमारियों तथा कीट के नियंत्रण एवं पोषण प्रबंधन लिए किया जाता है। इस समय छिड़काव करने से प्याज़ की नर्सरी को अच्छी शुरुआत मिलती है।
- कवक जनित रोगों लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 30 ग्राम/पंप की दर छिड़काव करें।
- कीट प्रबंधन के लिए थियामेंथोक्साम 25% WG@ 10ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
- पोषण प्रबंधन ह्यूमिक एसिड @ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।