लहसुन के भाव में तेजी जारी, उच्च भाव पहुंचे 16000 रुपये के पार

garlic Mandi bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
धार बदनावर औसत 3600 8701
धार बदनावर लहसुन 1675 11061
भोपाल भोपाल लहसुन 2500 9200
मन्दसौर दलौदा लहसुन 4000 16201
इंदौर इंदौर लहसुन 1000 15200
इंदौर इंदौर लहसुन-जैविक 6700 6700
रतलाम जावरा औसत 8703 8703
रतलाम जावरा लहसुन 4401 13890
नीमच मनसा नया माध्यम 2800 4100
मन्दसौर मन्दसौर लहसुन 2000 10700
मन्दसौर पिपल्या लहसुन 3200 11400
मन्दसौर पिपल्या लहसुन-जैविक 5400 5400
रतलाम रतलाम देसी 4300 8702
रतलाम रतलाम लहसुन 4001 7001
शाजापुर साजापुर देसी 3919 4652
शाजापुर साजापुर लहसुन 3731 7526
राजगढ़ सारंगपुर औसत 4000 4000
मन्दसौर शामगढ़ लहसुन 2200 11201
मन्दसौर सीतामऊ लहसुन 4700 7500
उज्जैन उज्जैन लहसुन 4000 8000

स्रोत: एगमार्कनेट

ताज़ातरीन मंडी भाव व कृषि क्षेत्र की सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज का लेख पसंद आया हो तो  इसे शेयर करना ना भूलें।

Share

तरबूज और खरबूज की फसल में पिंचिंग प्रक्रिया का क्या है महत्व?

Pinching in watermelon and muskmelon crop
  • किसान भाइयों तरबूज और खरबूज की फसल से अच्छी गुणवत्ता वाली उपज प्राप्त करने के लिए पिंचिंग एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। 

  • लताओं की अतिवृद्धि को रोकने हेतु एवं फलों के अच्छे विकास के लिए लताओं में पिंचिंग की प्रक्रिया की जाती है।

  • इस प्रक्रिया में जब बेल पर पर्याप्त फल लग जाते है तब लताओं के शीर्ष को तोड़ दिया जाता है परिणामस्वरूप लताओं की वानस्पतिक वृद्धि रुक जाती है। 

  • लताओं की वृद्धि रोकने से फलों के आकार और गुणवत्ता में सुधार होता है।

  • यदि एक बेल पर अधिक फल लगे हों तो छोटे और कमजोर फलों को हटा दें ताकि मुख्य फल की वृद्धि अच्छी हो सके।

  • अनावश्यक शाखाओं को हटाने से तरबूज और खरबूज के फलों को पूरा पोषण प्राप्त होता है और वह जल्दी बड़े होते हैं। 

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

आधे भारत में तेज बारिश की संभावना, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

अलग-अलग मौसम प्रणालियों के प्रभाव से विदर्भ, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश सहित पूर्वी मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार और गंगीय पश्चिम बंगाल में अगले तीन दिनों के दौरान बारिश की गतिविधियां जारी रहेगी। इन राज्यों में कहीं-कहीं ओलावृष्टि की भी संभावना है, ओलावृष्टि के साथ तेज हवाएं भी चलेगी तथा बिजली की गरज चमक भी दिखाई देगी जिससे फसलों को नुकसान पहुंच सकता है। परंतु पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों सहित पश्चिमी मध्य प्रदेश से गुजरात और राजस्थान सहित महाराष्ट्र के पश्चिमी जिलों का मौसम साफ और शुष्क रहेगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

मौसम संबंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। आज की जानकारी पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें।

Share

मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के उच्च भाव 5700 रुपए के पार

soybean mandi Bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
आलीराजपुर आलीराजपुर सोयाबीन 4300 4405
बड़वानी अंजड़ पीला 4010 4011
धार बदनावर सोयाबीन 4100 4100
शाजापुर बड़ोद सोयाबीन 4510 4600
खरगोन भीकनगांव सोयाबीन 1700 4461
राजगढ़ ब्यावरा सोयाबीन 4195 5100
दमोह दमोह पीला 4060 4100
धार धार सोयाबीन 4175 4500
इंदौर गौतमपुरा सोयाबीन 4200 4200
इंदौर गौतमपुरा सोयाबीन 4000 4510
डिंडोरी गोरखपुर पीला 4100 4225
खंडवा हरसूद पीला 4100 4200
इंदौर इंदौर पीला 3900 3900
इंदौर इंदौर सोयाबीन 4350 4350
सागर जैसीनगर सोयाबीन 4200 4200
झाबुआ झाबुआ सोयाबीन 4275 4450
आलीराजपुर जोबट पीला 4200 4200
आलीराजपुर जोबट सोयाबीन 4200 4275
धार कुक्षी सोयाबीन 4450 4650
शाजापुर नलकेहड़ा पीला 3800 4538
छिंदवाड़ा पंधुरना सोयाबीन 4325 4325
धार राजगढ़ पीला 4251 4251
शाजापुर साजापुर पीला 5700 5700
शिवपुरी शिवपुरी सोयाबीन 4105 4180

स्रोत: एगमार्कनेट

ताज़ातरीन मंडी भाव व कृषि क्षेत्र की सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज का लेख पसंद आया हो तो  शेयर करना ना भूलें।

Share

कैसे बनते हैं किसान उत्पादक संगठन, जानें पूरी प्रक्रिया और इससे मिलने वाले लाभ

Farmer Producer Organization

एक अकेले किसान को अगर खेती में कुछ बड़ा करने को कहा जाए तो यह काम उसके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा। पर यही काम अगर 10-15 या इससे भी ज्यादा किसान साथ मिलकर करें तो यह आसानी से किया जा सकता है और इसका लाभ सभी किसानों को मिलता है। मिलजुल कर काम करने के इसी प्रक्रिया को FPO यानी “किसान उत्पादक संगठन” के नाम से जाना जाता है।

इस “किसान उत्पादक संगठन” के माध्यम से किसानों को खेती के मशीनों से लेकर खाद-बीज व अन्य कृषि क्षेत्र के उत्पाद सस्ती दरों पर मिल जाते हैं। इससे खर्च में बेतहाशा वृद्धि नहीं होती और मुनाफा ज्यादा होता है। आज के वक़्त में छोटे किसान अगर “किसान संगठन” से जुड़कर काम करें तो उनको बहुत ज्यादा लाभ होता है। अगर आप भी ऐसे संगठन से जुड़ना चाहते हैं, तो इसके लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर संपर्क करें।

अगर आप किसी संगठन से जुड़ने के बजाय खुद का एक FPO बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है। इसके लिए आपको आधार कार्ड, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, जमीन के कागजात, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी आदि की जरूरत पड़ती है।

किसान उत्पादक संगठन बनाने के लिए आपको सबसे पहले किसानों का एक समूह बनाना होता है जिसमे कम से कम 11 सदस्य जरूर होने चाहिए। समूह बनाने के बाद आपको अपने किसान संगठन का एक नाम सोचकर कंपनी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करना होता है। FPO से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए आप किसान उत्पादक संगठन की आधिकारिक वेबसाइट पर जरूर जाएं।

स्रोत: कृषि जागरण

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

Share

टमाटर की फसल में लीफ माइनर के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

Symptoms and control of leaf miner in tomato crop

वयस्क कीट हलके पीले रंग का एवं मैगट बहुत छोटी पैरविहीन व पीले रंग की होती है वहीं सुरंग में प्युपा बनता है। 

लक्षण: इस कीट के शिशु पत्तियों के हरे भाग को खाकर इनमें टेढ़ी मेढ़ी सफ़ेद सुरंग बना देते हैं और प्रभावित पत्तियों पर सफ़ेद सर्पिलाकार धारियां दिखाई देती हैं। इससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण कम हो जाता है। अधिक प्रकोप पर पत्तियां सूखकर गिर जाती हैं। 

नियंत्रण: ग्रसित पत्तियों को निकालकर नष्ट करे दें तथा नियंत्रण के लिए टफगोर (डायमिथोएट 30 ईसी)@ 396 मिली/एकड़ या मीडिया (इमिडाक्लोप्रिड 17.80% एस एल) @ 60 मिली /एकड़, इसके 2 दिन बाद, नोवामैक्स  (जिबरेलिक ऍसिड 0.001% एल) @ 30 मिली प्रति एकड़ के दर से छिड़काव करें।

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें और शेयर करना ना भूलें।

Share

भिंडी की फसल में हरा तेला कीट के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

Symptoms and control of jassids in okra crop

यह कीट हरे पीले रंग के होते हैं। इसके शिशु व प्रौढ़ पत्तियों की निचली सतह पर रहकर रस चूसते हैं। इसका प्रकोप मार्च से सितंबर माह तक होता है। रस चूसने की वजह से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, और किनारों के ऊपर की ओर मुड़ कर कप का आकार बना लेती हैं। अधिक संक्रमण पर पत्तियां जल जाती हैं एवं मुरझा कर सूख जाती हैं।

ऐसे करें नियंत्रण: 

  • बीज की बुआई के पूर्व, थियानोवा सुपर (थियामेथॉक्सम 30% एफएस) @ 5 मिली, प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें।

  • खड़ी फसल में समस्या दिखाई देने पर, थियानोवा -25 ( थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी) @ 80 ग्राम, 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें और शेयर करना ना भूलें।

Share

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में होगी आफत की बारिश

know the weather forecast,

अगले तीन दिनों के दौरान मध्य भारत, पूर्वी भारत और दक्षिण भारत के तेलंगाना और उत्तरी आंध्र प्रदेश में बारिश जारी रहेगी। कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि भी हो सकती है। पहाड़ों पर 20 मार्च से 22 मार्च के बीच बर्फबारी हो सकती है। निचले इलाकों में बारिश होगी। उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत में मौसम शुष्क और गर्म ही बना रहेगा। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम मध्य प्रदेश में तापमान और बढ़ सकते हैं।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

मौसम संबंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। आज की जानकारी पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें।

Share

ड्रोन उड़ाने की मुफ्त ट्रेनिंग संग मिलेंगे 15 हजार रूपये, अब खेती में महिलाओं का होगा बोलबाला

NaMo Drone Didi Scheme

पिछले साल केंद्र सरकार ने महिलाओं को कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए “नमो ड्रोन दीदी योजना” शुरू की थी। इस योजना के माध्यम से महिलाओं को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग एकदम मुफ्त होती है और साथ ही महिलाओं को 15000 रुपये भी दिए जाते हैं। इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को ड्रोन ट्रेनिंग के अलावा खेती में इस्तेमाल होने वाली नई नई तकनीकों के बारे में भी बताया जाता है। इन तकनीकों में फसलों को कीटनाशक से बचाव, फसलों पर उर्वरकों का छिड़काव और खेत में बीजों की बुआई आदि की ट्रेनिंग दी जाती है।

बता दें की नमो ड्रोन दीदी योजना के अंतर्गत महिलाओं को ड्रोन उड़ाने की 15 दिन की ट्रेनिंग मिलती है। इस ट्रेनिंग के लिए महिला किसान को 15 हजार रुपए भी मिलते हैं। अगर कोई महिला इस योजना से जुड़ना चाहती है तो उसे किसी “महिला स्वयं सहायता समूह” जुड़ा होना जरूरी है, इसके अलावा महिला की आयु 18 वर्ष या फिर इसे अधिक होनी भी जरूरी है।

नमो ड्रोन दीदी योजना का लाभ लेने के लिए आपको इस योजना के आधिकारिक वेबसाइट https://www.india.gov.in/ पर जाना होगा। इस वेबसाइट पर आपको नया पंजीकरण (साइन अप) ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। सभी जानकारियों को सही सही भर कर और सभी जरूरी कागजात को अटैच कर, आप सबमिट बटन पर क्लिक कर सकते हैं और आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

Share

माहू, थ्रिप्स, जैसिड सबको ख़त्म करेगा ये जैविक कीटनाशक

This organic insecticide will kill aphids thrips jassids

वर्टिसिलियम लेकानी फफूंद पर आधारित जैविक कीटनाशक है। यह 1 प्रतिशत डब्लू पी, एवं 1.15 प्रतिशत डब्लू पी के फार्मुलेशन में उपलब्ध है। इस फफूंद का उपयोग विभिन्न प्रकार के फसलों में रस चूसने वाले कीट जैसे माहू, थ्रिप्स, जैसिड, मिलीबग इत्यादि के रोकथाम के लिए लाभकारी होता है। वर्टिसिलियम लेकानी सफेद रुई के समान दिखने वाली फफूद है। इससे संक्रमित कीटों के किनारों पर सफेद फफूंद की वृद्धि दिखाई देती है। इस फफूंद के बीजाणु (स्पोर्स) कुछ चिपचिपे प्रवृत्ति के होते हैं जिससे ये कीटों के ऊपरी आवरण पर चिपक जाते हैं। इसके प्रयोग से 15 दिन पहले एवं बाद में रासायनिक फफूंदनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वर्टिसिलियम लेकानी की सेल्फ लाइफ एक वर्ष है। 

उपयोग की विधी

इसके छिड़काव की मात्रा फसल घनत्व और पेड़ पर निर्भर करती है। यदि किसी भी फसल में चूसक कीटों का प्रकोप बार-बार हो रहा हो तो वर्टिसिलियम लेकानी का प्रयोग 15 से 20 दिनों के अन्तराल से करते रहना चाहिए, और ग्रीन हाउस फसलों में इसका प्रयोग 10 से 15 दिनों के अन्तराल से करने की सिफारिश की जाती है।

वर्टिसिलियम लेकानी को नीम और अन्य जैविक कीट और फफूंदनाशकों के साथ मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन इसको किसी रासायनिक फफूंदनाशक के साथ मिलाकर प्रयोग न करें।

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें और शेयर करना ना भूलें।

Share