मिर्च की फसल में चिनोफोरा ब्लाइट रोग की पहचान एवं रोकथाम के उपाय

क्षति के लक्षण 

इस रोग का कारक चिनोफोरा कुकुर्बिटारम है, रोग के कवक आमतौर पर पौधे के ऊपरी हिस्से, फूल ,पत्तियों,नई शाखाओं और फलों को संक्रमित करते हैं। प्रारम्भिक अवस्था में पानी से लथपथ क्षेत्र पत्ती पर विकसित होते हैं। प्रभावित शाखा सूख कर लटक जाती है | अधिक संक्रमण में  फल भूरे से काले रंग के हो जाते है,संक्रमित भाग पर कवक की परत देखी जा सकती है। 

जैविक प्रबंधन:- कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम या मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 1 % डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

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देश की विभिन्न मंडियों में 22 अगस्त को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

रतलाम

अदरक

30

32

रतलाम

आलू

20

23

रतलाम

टमाटर

26

34

रतलाम

हरी मिर्च

50

56

रतलाम

भिन्डी

14

18

रतलाम

नींबू

22

25

रतलाम

फूलगोभी

20

25

रतलाम

पत्ता गोभी

18

20

रतलाम

बैंगन

13

14

रतलाम

करेला

35

36

रतलाम

कटहल

12

14

रतलाम

खीरा

14

16

रतलाम

शिमला मिर्च

36

40

रतलाम

केला

20

25

रतलाम

अनार

50

60

रतलाम

सेब

85

रतलाम

पपीता

30

34

लखनऊ

कद्दू

24

लखनऊ

पत्ता गोभी

25

30

लखनऊ

शिमला मिर्च

45

60

लखनऊ

हरी मिर्च

55

60

लखनऊ

भिन्डी

20

लखनऊ

नींबू

48

लखनऊ

खीरा

26

लखनऊ

अदरक

50

लखनऊ

गाजर

32

लखनऊ

मोसंबी

30

32

लखनऊ

आलू

19

लखनऊ

प्याज़

9

10

लखनऊ

प्याज़

11

13

लखनऊ

प्याज़

15

लखनऊ

लहसुन

20

25

लखनऊ

लहसुन

30

40

लखनऊ

लहसुन

45

50

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

17

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

16

गुवाहाटी

प्याज़

20

गुवाहाटी

प्याज़

23

गुवाहाटी

लहसुन

15

20

गुवाहाटी

लहसुन

20

25

गुवाहाटी

लहसुन

25

32

गुवाहाटी

लहसुन

35

38

गुवाहाटी

लहसुन

15

20

गुवाहाटी

लहसुन

22

25

गुवाहाटी

लहसुन

25

32

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

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मध्यप्रदेश मंडियों में क्या चल रहे टमाटर के भाव?

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे अलीराजपुर, बड़वाह, बड़वानी, देवास, धार, गुना, हाटपिपलिया, हरदा, खरगोन और खंडवा आदि में क्या चल रहे हैं टमाटर के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में टमाटर के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अलीराजपुर

अलीराजपुर

1500

2000

अलीराजपुर

अलीराजपुर

1500

2500

खरगोन

बड़वाह

850

1450

बड़वानी

बड़वानी

1250

1250

बड़वानी

बड़वानी

1000

1000

छिंदवाड़ा

छिंदवाड़ा

500

600

सागर

देवरी

500

900

सागर

देवरी

500

900

देवास

देवास

400

800

देवास

देवास

400

1000

धार

धार

1900

1960

धार

धार

2000

3000

गुना

गुना

300

600

देवास

हाटपिपलिया

1400

1800

देवास

हाटपिपलिया

1600

2000

हरदा

हरदा

1600

1850

हरदा

हरदा

1400

1800

इंदौर

इंदौर

600

2000

खंडवा

खंडवा

600

1500

खरगोन

खरगोन

500

1500

खरगोन

खरगोन

500

800

धार

कुक्षी

1000

2000

धार

मनावर

2400

2600

मंदसौर

मंदसौर

2200

2700

बैतूल

मुलताई

500

1000

बैतूल

मुलताई

800

1000

खंडवा

पंधाना

800

860

मुरैना

पोरसा

1200

1200

धार

राजगढ़

1000

1500

सागर

सागर

1000

1200

सागर

सागर

1200

1600

इंदौर

सांवेर

1800

2000

इंदौर

सांवेर

1650

2050

बड़वानी

सेंधवा

800

1400

शिवपुरी

शिवपुरी

1200

1200

हरदा

सिराली

4000

4000

झाबुआ

थांदला

800

1200

स्रोत: एगमार्कनेट प्रोजेक्ट

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रजनीगंधा के फूलों से कमाएं लाखों रूपए, जानें खेती का सही तरीका

देश में त्यौहारों का सीज़न शुरू हो गया है। इस दौरान लोग पूजा और सजावट के लिए बड़ी मात्रा में फूलों की खरीदी करते हैं। इसके अलावा फूलों का उपयोग तेल, अगरबत्ती, गुलदस्ता, माला एवं इत्र बनाने में भी किया जाता है। दूसरी ओर उद्योगिक क्षेत्र में भी इनका प्रयोग साबुन, कॉस्मेटिक और यहां तक कि हर्बल प्रॉडक्ट्स और औषधी के रूप में भी किया जाता है।

ऐसे में किसान बागवानी करके लाखों रूपए की कमाई कर सकते हैं। गेंदा, गुलाब, गुड़हल, चंपा और कमल जैसे फूलों का बाजार तो काफी सीमित है, लेकिन रजनीगंधा के फूलों का व्यवसाय सालभर होता है। बाजारों में भी हमेशा इनकी मांंग बनी रहती हैं। ऐसे में रजनीगंधा फूलों की खेती करना ज्यादा फायदे का सौदा है।

ऐसे करें रजनीगंधा फूलों की खेती

महकते फूलों की बढ़िया उपज पाने के लिए खुली जगह और सूरज के प्रकाश वाली जगह चुनें। इसकी फसल की सिंचाई के लिए अधिक खर्चा नहीं आता है, साथ ही कम देखभाल की जरूरत होती है। खेती के 10 से 12 दिन के बीच सिंचाई और महीने में एक बार निराई-गुड़ाई के बाद खेत फूलों से भर जाता है। बता दें कि इसकी खेती से पहले जलवायु व मिट्टी को समझना बहुत जरूरी है, ताकि उसी हिसाब से फसल को खाद पानी दी जा सके। पहाड़ी इलाकों में इसकी खेती जून से लेकर जुलाई तक होती है, वहीं मैदानी इलाकों में सिंतबर के महीने में इसकी खेती होती है।

स्रोत: एबीपी

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi rates

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बदनावर, देवास, डिण्डोरी,  झाबुआ, खातेगांव और मंदसौर आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

धार

बदनावर

2100

2200

खरगोन

भीकनगांव

2295

2454

भिंड

भिंड

2320

2320

ग्वालियर

डबरा

2338

2338

देवास

देवास

2040

2691

डिण्डोरी

डिण्डोरी

2000

2200

धार

गंधवानी

2250

2250

रेवा

हनुमना

2150

2150

झाबुआ

झाबुआ

2050

2200

सागर

केसली

2210

2220

शिवपुरी

खानियाधना

2110

2170

देवास

खातेगांव

2290

2400

देवास

खातेगांव

1900

2356

शिवपुरी

खटोरा

2015

2015

टीकमगढ़

पृथ्वीपुर

2260

2310

सतना

सतना

2210

2260

होशंगाबाद

सेमरी हरचंद

2100

2200

सागर

शाहगढ़

2200

2200

शाहडोल

शाहडोल

2100

2105

श्योपुर

श्योपुरबडोद

2233

2233

श्योपुर

श्योपुरकलां

2050

2050

मंदसौर

सीतमऊ

2105

2210

श्योपुर

विजयपुर

2190

2230

स्रोत: एगमार्कनेट

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मिर्च की फसल में डाई बैक रोग की पहचान एवं रोकथाम के उपाय

डाई बैक:- मिर्च में डाई बैक एक प्रमुख समस्या है। यह रोग कोलेटोट्रिकम कैप्सिसि नामक फंगस की वजह से होता है। मिर्च के फल पर पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। जिस वजह से फल में सड़न होना शूरू हो जाती है। इस रोग के कारण कोमल टहनियों के सिरे पीछे की ओर से सड़ जाते हैं। शाखा या पौधे का पूरा शीर्ष मुरझा जाता है। प्रभावित टहनियों की सतह पर कई काले बिंदु बिखरे हुए दिखाई देते हैं। शीर्ष या कुछ किनारे की शाखाएं मृत हो जाती हैं, या फिर गंभीर संक्रमण की स्थिति में पूरा पौधा सूख जाता है। वहीं आंशिक रूप से प्रभावित पौधों में कम गुणवत्ता वाले फल लगते हैं। 

नियंत्रण के उपाय:- इसके नियंत्रण के लिए, स्कोर (डाइफेनोकोनाज़ोल 25% ईसी) @ 50 मिली प्रति 100 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। या इंडेक्स (माइक्लोबुटानिल 10% डब्ल्यू पी) @ 80 ग्राम + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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4 लाख रूपए की सब्सिडी पर शुरू करें बकरी पालन

Get a loan on a huge subsidy from bank for goat farming

ग्रामीण इलाकों में लोगों के बीच बकरी पालन सबसे ज्यादा लोकप्रिय व्यवसाय है। इस व्यवसाय से लोगों को कम लागत में दूध और मांस के जरिए बढ़िया मुनाफा प्राप्त होता है। वहीं इनके पालन में भी ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारें भी कई योजनाओं के माध्यम से बकरी पालन को बढ़ावा दे रही हैं। इसी कड़ी में नाबार्ड द्वारा बकरी पालन के लिए 2 लाख 50 हजार रूपए का अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा कुछ भारतीय बैंक भी हैं, जो बकरी पालन पर 4 लाख रूपए तक का अनुदान दे रही हैं, ताकि किसान और पशुपालकों की आर्थिक मदद की जा सके।

योजना के तहत बकरी पालन के लिये ऋण लेने वाले किसानों और पशुपालकों को हर वर्ष 11.20% की दर से ऋण का भुगतान करना होता है।  बता दें कि यह सुविधा सिर्फ अच्छी नस्ल की बकरियों के पालन के लिए ही दी जा रही है, जिसकी मदद से 10 बकरियों का फार्म शुरु किया जा सकता है। 

नाबार्ड के अंतर्गत अनुसूचित, जाति एवं अनुसूचित जनजाति के साथ बीपीएल श्रेणी के किसान और पशुपालकों को 33% तक सब्सिडी देने का प्रावधान है। वहीं ओबीसी श्रेणी के लिए अधिकतम 25% सब्सिडी दी जा रही है। बता दें कि ये सुविधा नाबार्ड से जुड़ी वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक एवं राज्य सहकारी बैंक सहित शहरी बैंकों आदि संस्थाओं द्वारा प्रदान की जा रही हैं। ऐसे में अगर आप भी बकरी पालन करने की सोच रहे हैं तो, जल्द सरकार की इस लाभकारी योजना का लाभ उठाएं।

स्रोत: एबीपी

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

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सोयाबीन की फसल में लगने वाली प्रमुख इल्लियां एवं उनके नियंत्रण के उपाय

सोयाबीन फली छेदक

यह कीट सोयाबीन की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है। इस कीट का आक्रमण सोयाबीन की फसल की शुरुआती अवस्था में ही हो जाता है। यह कीट पौधे के नरम भागों को सबसे पहले नुकसान पहुंचता है। उसके बाद सोयाबीन की फली, फिर बीज को नुकसान पहुंचाता है। यह इल्ली सोयाबीन की फली के अंदर घुसकर उसे नुकसान पहुंचाती है। 

चने की इल्ली

यह इल्ली पौधे के सभी हिस्सों पर आक्रमण करती है, लेकिन ये फूल और फली को खाना अधिक पसंद करते है। प्रभावित फली पर काला छिद्र दिखाई देता है, जिसमें से लार्वा भोजन करते दौरान फली से बाहर लटका हुआ दिखाई देता है। व्यस्क इल्ली पत्तियों के क्लोरोफिल को खुरच -खुरच कर खाती है, जिससे पत्तियाँ कंकाल में परिवर्तित हो जाती है। गंभीर संक्रमण की अवस्था में पत्तियां टूट कर गिरने लगती हैं, जिस कारण अंत में पौधा सूखकर मर जाता है।

तम्बाकू की इल्ली

इस कीट की इल्ली सोयाबीन की पत्तियों के क्लोरोफिल को खुरचकर खाती है, जिससे खाये गए पत्ते पर सफ़ेद पीले रंग की रचना दिखाई देती है। अत्यधिक प्रकोप होने पर ये तना, कलिया, फूल और फलों को भी नुकसान पहुंचाती है। जिस कारण अंत में पौधों पर सिर्फ डन्डीया ही दिखाई देती हैं। 

नियंत्रण के उपाय:-  इसके नियंत्रण के लिए, प्लेथोरा (नोवलूरॉन 05.25% + इंडोक्साकार्ब 4.50 % एससी) @ 350 मिली या फेम (फ्लुबेंडियामाइड 39.35% एससी) @ 60 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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देश की विभिन्न मंडियों में 21 अगस्त को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

कमोडिटी

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

रतलाम

अदरक

30

32

रतलाम

आलू

20

22

रतलाम

टमाटर

26

34

रतलाम

हरी मिर्च

50

56

रतलाम

भिन्डी

14

18

रतलाम

नींबू

22

25

रतलाम

फूलगोभी

25

30

रतलाम

पत्ता गोभी

35

40

रतलाम

बैंगन

13

14

रतलाम

करेला

35

36

रतलाम

कटहल

12

14

रतलाम

खीरा

14

16

रतलाम

शिमला मिर्च

36

40

रतलाम

केला

26

30

रतलाम

अनार

45

55

रतलाम

सेब

80

रतलाम

पपीता

30

34

रतलाम

केला

18

22

लखनऊ

भिन्डी

20

लखनऊ

हरी मिर्च

55

60

लखनऊ

शिमला मिर्च

45

55

लखनऊ

कद्दू

24

लखनऊ

नींबू

48

लखनऊ

खीरा

35

40

लखनऊ

अदरक

50

लखनऊ

गाजर

30

लखनऊ

मोसंबी

28

लखनऊ

केला

15

लखनऊ

आलू

18

19

लखनऊ

अनन्नास

25

28

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

17

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

16

गुवाहाटी

प्याज़

20

गुवाहाटी

प्याज़

21

गुवाहाटी

लहसुन

15

20

गुवाहाटी

लहसुन

20

25

गुवाहाटी

लहसुन

25

32

गुवाहाटी

लहसुन

35

38

गुवाहाटी

लहसुन

15

20

गुवाहाटी

लहसुन

22

25

गुवाहाटी

लहसुन

25

32

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

रतलाम

प्याज़

3

6

रतलाम

प्याज़

6

8

रतलाम

प्याज़

8

12

रतलाम

प्याज़

11

13

रतलाम

लहसुन

7

9

रतलाम

लहसुन

10

16

रतलाम

लहसुन

17

24

रतलाम

लहसुन

26

32

शाजापुर

प्याज़

7

9

शाजापुर

प्याज़

8

10

शाजापुर

प्याज़

11

13

शाजापुर

प्याज़

12

15

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे प्याज़ के ताजा भाव?

Onion Mandi Bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बदनावर, हरदा, कालापीपल, शुजालपुर और थांदला आदि में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में प्याज़ के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

धार

बदनावर

500

1350

हरदा

हरदा

500

600

हरदा

हरदा

600

700

होशंगाबाद

इटारसी

500

1200

जबलपुर

जबलपुर

1200

1600

शाजापुर

कालापीपल

100

1120

शाजापुर

कालापीपल

110

1210

खरगोन

खरगोन

500

1000

खरगोन

खरगोन

500

1500

मुरैना

मुरैना

1000

1000

होशंगाबाद

पिपरिया

400

1200

मंदसौर

शामगढ़

400

610

मंदसौर

शामगढ़

430

620

शाजापुर

शुजालपुर

800

800

मंदसौर

सीतमऊ

100

700

झाबुआ

थांदला

1000

1400

हरदा

टिमरनी

1000

1000

स्रोत: एगमार्कनेट

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

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