जानिए, मिट्टी उपचार क्यों जरूरी है एवं उपचार कैसे करें?

मिट्टी उपचार :- जिस खेत या क्यारी में बुवाई की जानी है, उस खेत में बुवाई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है। मिट्टी जनित कीटो एवं कवक से पौध की रक्षा करने लिए मिट्टी उपचार किया जाता है। पुरानी फसलों के खेत में रह गए अवशेष हानिकारक कवक एवं कीटों के उत्पन्न होने का कारण बनते हैं। इन्हीं कवक एवं कीटों से फसलों को बचाने के लिए बुवाई के पूर्व मिट्टी उपचार करना जरूरी है।

मिट्टी उपचार के लिए आवश्यक उत्पाद :-

कॉम्बैट (ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यूपी) @ 2 किलोग्राम या मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेंस 1.0% डब्ल्यूपी) @ 500-1000  ग्राम + कालीचक्र (मेटाराइज़ियम एनीसोपलीय 1.0% डब्ल्यूपी) @ 1-2 किग्रा  प्रति एकड़ के हिसाब से अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट के साथ मिला कर खेत में समान रूप से भुरकाव करें। कालीचक्र को किसी भी रासायनिक कवकनाशी के साथ मिश्रण न करें।

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गौवंश रक्षा के लिए मध्य प्रदेश को मिली 14 लाख वैक्सीन की सौगात

मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में लम्पी वायरस का कहर देखने को मिल रहा है। इस वायरस की वजह से हजारों गायों की मौत हो चुकी है। इन सबके बीच मध्य प्रदेश के पशुपालकों और किसानों के लिए एक राहत की खबर सामने आई है। केंद्र सरकार द्वारा राज्य को लंपी चर्म रोग से पशुओं के बचाव के लिए 14 लाख गोट पॉक्स वैक्सीन दी गई हैं।

कम समय में ज्यादा से ज्यादा पशुओं का टीकाकरण किया जा सके, इसके लिए राज्य के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और उज्जैन को मुख्य केंद्र बिंदु बनाया गया है। इसके साथ ही टीकाकरण के लिए संबंधित जिलों के पशु चिकित्सकों को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि युद्धस्तर पर गौवंश की रक्षा की जा सके। 

बता दें कि देश के कई राज्यों में लंपी वायरस स्किन रोग ने पशुधन को बहुत हानि पहुंचाई है। यह एक ऐसा संक्रामक रोग है, जो मच्छर, मक्खी, ततैया आदि के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। अब तक इस रोग पर काबू पाने के लिए सटीक इलाज का पता नहीं चल पाया था। हालांकि अब देसी वैक्सीन तैयार होने के बाद से लम्पी रोग को खत्म करने की उम्मीद की जा रही है।

स्रोत : कृषक जगत

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे सोयाबीन के भाव?

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बदनावर, बण्डा, बैरछा, छिंदवाड़ा, कालापीपल, खरगोन, मनावर, नीमच, खातेगांव, मंदसौर एवं रतलाम आदि में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में सोयाबीन के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

बड़वानी

अंजद

4180

4240

धार

बदनावर

3350

5700

होशंगाबाद

बाणपुरा

3371

4793

सागर

बण्डा

3805

4610

शाजापुर

बैरछा

3000

4680

खरगोन

भीकनगांव

3900

5001

सागर

बीना

3000

4750

बुरहानपुर

बुरहानपुर

3701

4751

राजगढ़

छापीहेड़ा

4000

4800

छिंदवाड़ा

छिंदवाड़ा

4480

5101

धार

गंधवानी

4750

4950

मंदसौर

गरोठ

4400

5500

डिण्डोरी

गोरखपुर

4700

4700

होशंगाबाद

इटारसी

3851

3851

सीहोर

जावर

2701

4752

शाजापुर

कालापीपल

3400

4770

खरगोन

खरगोन

3900

4785

देवास

खातेगांव

3000

4903

देवास

खातेगांव

3000

5420

हरदा

खिरकिया

3400

4896

विदिशा

लटेरी

2000

4750

देवास

लोहरदा

3900

4801

धार

मनावर

3500

5000

मंदसौर

मंदसौर

3500

4801

इंदौर

महू

4300

4300

नीमच

नीमच

4130

4951

राजगढ़

पचौरी

3900

4965

मंदसौर

पिपल्या

2600

5000

रतलाम

रतलाम

3000

5040

खरगोन

सनावद

4200

4700

इंदौर

सांवेर

2700

4925

श्योपुर

श्योपुरबडोद

4000

4390

श्योपुर

श्योपुरकलां

2800

4665

स्रोत: एगमार्कनेट

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे लहसुन के भाव?

Indore garlic Mandi bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बदनावर, देवास, जावद, पिपरिया एवं शुजालपुर आदि में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

धार

बदनावर

200

2000

देवास

देवास

100

400

नीमच

जावद

488

488

होशंगाबाद

पिपरिया

600

1800

शाजापुर

शुजालपुर

300

3145

झाबुआ

थांदला

800

1200

स्रोत: एगमार्कनेट

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टमाटर, मिर्च में फूल एवं फल पीले होकर गिरने का कारण एवं रोकथाम के उपाय

टमाटर और मिर्च के पौधों में फूल व फल गिरने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- परागण की कमी, पोषक तत्वों की कमी, जल एवं नमी की कमी, कीट तथा बीमारियां आदि। 

फल एवं फूलों को झड़ने से रोकने के उपाय

    • पोषक तत्वों का छिड़काव:- पौधों में समय-समय पर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाना चाहिए। जिसमें मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे – बोरान, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि शामिल होने चाहिए। 

    • सिंचाई:- आवश्यकता अनुसार एक निश्चित अंतराल से फसलों में सिंचाई करते रहना चाहिए, जिससे पर्याप्त मात्रा में नमी बनी रहे। ध्यान रहे जरूरत से ज्यादा सिंचाई भी नुकसानदायक हो सकती है।

    • गुड़ाई:- कपास की फसल में समय-समय पर निराई व अन्य अंतर फसल का कार्य करते रहना चाहिए, ताकि खेत खरपतवारों से मुक्त रहे। इसके साथ ही गोबर की अच्छी पकी हुई खाद या केंचुआ खाद (Vermicompost) का इस्तेमाल समय-समय पर करना जरूरी है।

    • कीट नियंत्रण : फसलों  में कीट व बीमारी अधिक मात्रा में हानि पहुंचाते हैं। इसलिए समय पर देखरेख करें और कीट नियंत्रण करें। 

    • हार्मोन का संतुलन बनाए रखना : सामान्य फसल में हार्मोन के असंतुलन के कारण भी अधिक नुकसान होता है, तो हार्मोन का संतुलन बनाए रखें। इसमें नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001%) @ 180 मिली प्रति एकड़, @ 150 से 200 लीटर पानी  के हिसाब से छिड़काव करें।

परागण कर्ता का उपयोग

इन फसलों के परागण  के लिए मधुमक्खी या अन्य कीटों का होना आवश्यक है। खेतों में इन कीटों की उपस्थिति में किसी भी प्रकार का छिड़काव या अन्य कृषि कार्य ना करें। इससे  परागण  के कार्य सरलता से व समय पर होता है। 

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे लहसुन के भाव?

Indore garlic Mandi bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बदनावर, भोपाल, दलौदा, देवास एवं थांदला आदि में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

धार

बदनावर

200

1100

भोपाल

भोपाल

500

1800

मंदसौर

दलौदा

1200

5200

देवास

देवास

100

400

मंदसौर

गारोठ

900

1100

जबलपुर

जबलपुर

1400

2000

नीमच

जावद

488

488

होशंगाबाद

पिपरिया

600

1800

मंदसौर

पिपल्या

1300

1300

मंदसौर

सीतमऊ

400

2100

झाबुआ

थांदला

800

1200

स्रोत: एगमार्कनेट

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे प्याज़ के ताजा भाव?

onion Mandi Bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे छिंदवाड़ा, देवरी, धामनोद, खरगोन, कालापीपल मंदसौर, रतलाम एवं नीमच में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में प्याज़ के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

छिंदवाड़ा

छिंदवाड़ा

700

900

सागर

देवरी

600

900

धार

धामनोद

950

1200

जबलपुर

जबलपुर

1100

1500

शाजापुर

कालापीपल

135

1350

खरगोन

खरगोन

500

1200

धार

मनावर

830

1030

मंदसौर

मंदसौर

400

1600

नीमच

नीमच

382

382

रतलाम

रतलाम

330

1660

शाजापुर

शुजालपुर

800

800

सिंगरोली

सिंगरोली

1000

1000

झाबुआ

थांदला

900

1000

स्रोत: एगमार्कनेट

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वाराणसी में बनेगा पशुओं के लिए पहला इलेक्ट्रिक शवदाह गृह

अभी तक आपने मनुष्यों के लिए बनाए गए शवदाह गृह के बारे में सुना होगा। वहीं अब मनुष्यों की तहर पशुओं के लिए भी शवदाह गृह बनेगा। यह शवदाह गृह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बनाया जा रहा है, जो कि राज्य का पहला इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह होगा। बता दें कि यह इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह वाराणसी के जाल्हूपुर गांव में बनवाया जा रहा है।

पशुओं के मरने के बाद उनके शव को डिस्पोजल करने की व्यवस्था अब तक नहीं थी। जिसके कारण ज्यादातर पशुपालक अपने मरे हुए पशुओं को सड़क के किनारे फेंक देते थे, या फिर चुपके से नदी में प्रवाहित कर देते थे। जिसके चलते दुर्गंध के साथ-साथ प्रदूषण भी बढ़ रहा था। 

हालांकि अब इस इलेक्ट्रिक शवदाह गृह के तैयार होने के बाद से 1 दिन में 10 से 12 पशुओं का डिस्पोजल किया जा सकेगा। वहीं डिस्पोजल के बाद बची राख का इस्तेमाल खाद के रूप में किया जाएगा। इस तरह राज्य सरकार की इस पहल के जरिए बढ़ते प्रदूषण को रोकने के साथ ही किसानों को भी फायदा होगा। 

स्रोत: आज तक

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

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मध्यप्रदेश मंडियों में क्या चल रहे टमाटर के भाव?

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे अलीराजपुर, ब्यावरा, देवास एवं इंदौर आदि में क्या चल रहे हैं टमाटर के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में टमाटर के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अलीराजपुर

अलीराजपुर

1500

2200

राजगढ़

ब्यावरा

1000

1500

देवास

देवास

300

1000

इंदौर

इंदौर

800

2400

बड़वानी

सेंधवा

1000

1600

स्रोत: एगमार्कनेट प्रोजेक्ट

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मल्चिंग क्या है एवं इसके फायदे क्या हैं?

किसान भाइयों, फसल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पौधे के चारों ओर घास या प्लास्टिक की एक परत बिछाई जाती है, जिसे मल्चिंग कहते हैं। मल्चिंग (पलवार) दो प्रकार की होती है- जैविक एवं प्लास्टिक मल्चिंग l 

प्लास्टिक मल्चिंग विधि:- जब खेत में लगे पौधों को चारों तरफ से प्लास्टिक शीट द्वारा अच्छी तरह से ढक दिया जाता है, जिसे पौधों की सुरक्षा होती है और फसल उत्पादन भी बढ़ता है। इस विधि को प्लास्टिक मल्चिंग कहा जाता है l यह शीट कई प्रकार और कई रंग में उपलब्ध होती है।

जैविक मल्चिंग विधि:- जैविक मल्चिंग में पराली एवं पत्तों इत्यादि का उपयोग किया जाता है। इसे प्राकृतिक मल्चिंग भी कहा जाता है। इसका उपयोग प्रायः जीरो बजट खेती में किया जाता है। इसलिए पराली को न जलाएं बल्कि इसका उपयोग मल्चिंग में करें। मल्चिंग के उपयोग से आपको पराली की समस्या से निजात मिलेगी और उपज भी अधिक मिलेगी।

लाभ:-  मृदा में नमी संरक्षण एवं तापमान नियंत्रण में सहायक, हवा एवं पानी से मिट्टी के कटाव कम करना, पौधों के वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना, उत्पादकता में सुधार, भूमि की उर्वरा शक्ति एवं स्वास्थ्य में सुधार, खरपतवारों की वृद्धि को रोकना। 

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