लहसुन के भंडारण के समय जरूर बरतें ये सावधानियां

What are the precautions to be taken for storing of garlic
  • आजकल सभी स्थानों पर लहसुन की कटाई लगभग पूर्ण हो चुकी है और किसान लहसुन को भंडारित करके रख रहे हैं।

  • लहसुन का भंडारण करने की स्थिति में किसान को कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी होती है।

  • भंडारण के पहले लहसुन को धूप में अच्छे से सुखा लें। ऐसा करने से लहसुन में नमी बिलकुल खत्म हो जाएगी। दरअसल थोड़ी भी नमी होने से लहसुन के ख़राब होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

  • यदि आपके पास पर्याप्त जगह हो और आप लहसुन को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखना चाहते हों तो तने से कंद को न काटें, जब जरूरत हो तभी काटें। उन्हें एक गुच्छे में बांध कर फैला कर रख दें।

  • यदि कटाने की आवश्यकता हो तो सबसे पहले उन्हें 8-10 दिन तक तेज धूप में सूखने दें।

  • लहसुन के कंद की जड़ को तब तक सूखने दें जब तक जड़े बिखर न जाए।

  • इसके बाद कंद से तने के बीच में 2 इंच की दूरी रख कर ही काटें ताकी उनकी परत हटने पर कली ना बिखरे और कंद ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे।

  • कई बार कुदाली या फावड़े से कंद को चोट लग जाती है। लहसुन के कंद की छटाई करते वक्त दाग लगे हुए कंद को अलग निकाल दें, बाद में इन्हीं दागी कंदो में सड़न पैदा हो कर अन्य दूसरे कंदों में भी सड़न फैल जाती है।

कृषि, फसल भंडारण एवं फसल बिक्री से संबंधित हर जानकारी आपको मिलती रहेगी ग्रामोफ़ोन एप पर। अपनी फसल बिक्री के लिए ग्राम व्यापार पर जाएँ और बिक्री सूची बनाएं।

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मध्य भारत में प्री-मानसून की गतिविधियां शुरू, रुक रुक कर होगी बारिश

Weather report

मध्य भारत में प्री-मानसून की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। चक्रवातीय प्रवाह से महाराष्ट्र के कुछ इलाकों, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ में हल्की बारिश होने की संभावना है। इन इलाकों में बादल छाए रहेंगे। हालांकि इन इलाकों में मौसम गर्म रहेगा लेकिन रुक रुक कर बारिश मध्य प्रदेश के पूर्वी और दक्षिणी जिलों में हल्की और छिटपुट बारिश होगी।भी जारी रहने की संभावना है।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

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मूंग की फसल में इन उपायों को अपनाने से होगी फूल वृद्धि

What are the preventions to follow for flower growth in green gram crop
  • मूंग की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण फूल गिरने की समस्या होती है।

  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण फसल उत्पादन बहुत प्रभावित होता है।

मूंग में अधिक फूल वृद्धि के लिए निम्र उत्पादों का छिड़काव करें

  • इस समस्या के निवारण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पिक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में अगले 3-4 दिन हो सकती है बारिश

Weather report

मध्य भारत के दक्षिणी- पूर्व मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के दक्षिणी और मध्य जिलों में आने वाले दिनों में बारिश की गतिविधियां बढ़ेगी। अगले 24 घंटों में इन इलाकों में 1-2 घंटे तक बारिश होगी और कुछ समय बाद थम जाएगी। यह गतिविधियां इन सभी इलाकों में देखने को मिलेगी और अगले 3-4 दिनों के दौरान इन इलाकों में तापमान कम ही रहेंगे।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

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किसान रेल से किसानों को हो रहा है लाभ, पौने दो लाख टन उपज का हुआ परिवहन

Kisan Rail

साल 2020 में कोरोना महामारी की वजह से लगे देशव्यापी लॉकडाउन के समय किसानों को अपनी उपज को दूसरे स्थानों तक पहुँचाने में बहुत परेशानी हुई थी। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए किसान रेल चलाये गए।

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले बुधवार को बताया कि किसानों को फायदा पहुंचाने वाले इस किसान रेल ने अब तक 455 फेरे लगाए हैं। इन 455 फेरों के दौरान किसान रेल ने करीब पौने दो लाख टन तक की उपज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया है।

स्रोत: कृषक जगत

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

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डम्पिंग ऑफ रोग से फसलों को होता है काफी नुकसान, जानें इसका निदान

Dumping of disease causes great damage to crops, know its prevention
  • यह रोग किसी भी फसल के शुरुआती दौर में अंकुरण के समय लगता है।

  • इस रोग के कारण जड़ गलने लग जाती है और पौधे नष्ट होने लग जाते हैं।

  • मौसम की अनुकूलता, अधिक नमी एवं तापमान में परिवर्तन इस रोग का मुख्य कारण है।

  • इसके प्रबंधन के लिए थियोफैनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालेक्सिल 4% + मेंकोजेब 64% WP@ 500 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से उपयोग करें।

फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले घातक रोगों से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन दबा के अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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मिर्च की नर्सरी की तैयारी के पहले मिट्टी का सौरीकरण जरूर करें, जानें विधि

How to do solarization of soil before preparation of Chilli nursery
  • मिर्ची की नर्सरी मई माह के शुरुआती सप्ताह में लगायी जाती है।

  • इसके लिए खेत के चयन व खेत की तैयारी आदि का कार्य अप्रैल माह में करना बहुत आवश्यक होता है।

  • मिर्च की नर्सरी लगाने के लिए सबसे पहले मिट्टी का सौरीकरण करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इस क्रिया में हल और पाटा चलाकर मिट्टी को ऊपर नीचे करके उसके बाद मिट्टी को पानी से गीला करना होता है।

  • इसके बाद लगभग 5-6 सप्ताह के लिए पूरे नर्सरी क्षेत्र पर 200 गेज (50 माइक्रोन) की पारदर्शी पॉलीथीन फैलाना होता है।

  • पॉलिथीन के किनारों को गीली मिट्टी की सहायता से ढंकना चाहिए जिससे हवा का प्रवेश पॉलीथिन के अंदर न होने पाए।

  • 5-6 सप्ताह के बाद पॉलीथिन शीट को हटा देना चाहिए।

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अगले 24 घंटे में मध्य प्रदेश इन जिलों में हो सकती है बारिश

Weather report

मध्य प्रदेश के कई जिलों में पिछले 24 घंटों में तेज हवाओं के साथ बिजली चमकने की खबर आई है साथ ही बारिश भी हुई है। दक्षिण-पश्चिम मध्य प्रदेश के ऊपर चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इसके साथ अरब सागर में नमी बढ़ रही है इसके कारण भी मध्य प्रदेश में बारिश हो रही है।

अगर अगले 24 घटें की बात करें तो मध्य प्रदेश के सागर, होशंगाबाद, बालाघाट, छिंदवाड़ा, सिवनी, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, सतना, ग्वालियर, उमरिया और कटनी जिले के कुछ इलाकों में बारिश होने की संभावना बन रही है।

स्रोत : एम पी न्यूज़

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करेले की फसल में आएगी पौध गलन की समस्या, कर लें निवारण की तैयारी

How to manage plant rotting problem in bitter gourd crop
  • पौध गलन रोग अक्सर तापमान अचानक गिरने या फिर बढ़ने के कारण होता है और इसके फंगस जमीन में पनपते हैं।

  • यह एक मिट्टी जनित रोग है जो करेले के पौधे के तने को काला कर देता है जिससे तना गल जाता है। इस रोग में तने के मध्य भाग से चिपचिपा पानी निकलने लगता है जिसके कारण मुख्य पोषक तत्व पौधे के ऊपरी भाग तक नहीं पहुंच पाते हैं और इस वजह से पढ़े मर जाते हैं।

  • इनके निवारण के लिए एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाजोल 18.3% SC@ 300 मिली/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • ध्यान रखें की फसल की बुआई हमेशा मिट्टी उपचार एवं बीज़ उपचार करके ही करें।

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करेले की फसल में बुआई के 10-15 दिनों में फसल प्रबंधन है जरूरी

Crop management in 10–15 days of sowing in bitter gourd crop
  • करेले की फसल की इस अवस्था में कीट प्रकोप, कवक रोगों का प्रकोप एवं वृद्धि तथा विकास से संबंधित समस्या आती है।

  • इन सभी समस्या के निवारण के लिए करेले की फसल में 10-15 दिनों में फसल प्रबंधन करना बहुत आवश्यक है।

  • कीट प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए एसिटामिप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से कवक रोगों के नियंत्रण के लिए छिड़काव करें।

  • कवक रोगों के जैविक नियंत्रण के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • अच्छी फसल वृद्धि एवं विकास के लिए विगरमैक्स जेल @ 400 ग्राम/एकड़ + 19:19:19 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव के रूप में उपयोग करें।

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