जानें मध्यप्रदेश में अगले 7 दिन कैसा रहेगा मौसम, कहाँ कहाँ होगी बारिश?

Weekly Madhyapradesh weather update

वीडियो के माध्यम से जानें कैसा रहेगा मध्यप्रदेश में मौसम का हाल पूरे सप्ताह।

वीडियो स्रोत: मौसम तक

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अश्वगंधा से भी पावरफुल इस लत्तेदार औषधीय पौधे की खेती से होगा मोटा मुनाफा

Kaunch plant

आयुर्वेद का सेवन करने वाले लोग अश्वगंधा को बहुत पावरफुल जड़ी बूटी मानते हैं। एक ऐसा ही पावरफुल जड़ी बूटी है कौंच जिसके सेवन से कई शारीरिक लाभ तो मिलते ही हैं साथ ही साथ इसकी खेती करने से मोटा मुनाफ़ा भी हासिल होता है। कौंच एक झाड़ीनुमा पौधा है जिसकी खेती में लगत बेहद कम लगती है और मुनाफा बहुत ज्यादा होता है।

कौंच एक लत्तेदार पौधा है और इसे बढ़ने के लिए सहारे की आवश्यकता होती है। इसी वजह से कृषि विशेषज्ञ इसे बगीचे में लगाने को कहते हैं। ऐसा करने से जाल लगाने के लिए अतिरिक्त खर्च नहीं होगा और खेत में आप अन्य फसल लगा पाएंगे।

कौंच दरअसल एक वर्षीय लता है, अर्थात बुआई के बाद इसमें फल लगने में एक वर्ष का वक़्त लगता है। इसकी फली की मांग बहुत ज्यादा है इसीलिए इसका दाम अच्छा मिल जाता है। इसकी खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, गुजरात और राजस्थान में की जाती है।

कौंच के कई औषधीय फायदे हैं इसीलिए इसके बीजों का इस्तेमाल करने से अनिद्रा, शारीरिक कमजोरी, थकान जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं साथ ही यह आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ा देता है।

स्रोत: टीवी 9 भारतवर्ष

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मिर्च की रोपाई से पहले रोपाई उपचार है जरूरी, जानें इसका महत्व

How to do transplantation treatment and its importance before transplanting chilli
  • नर्सरी में बुआई के 35 से 40 दिनों बाद मिर्च की पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। रोपाई का उपयुक्त समय मध्य जून से मध्य जुलाई तक है। पौधे नर्सरी से उखाड़ने से पूर्व हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए, ऐसा करने से पौध की जड़ को नुकसान नहीं होता, और पौध आसानी से लग जाती है। पौध को नर्सरी से निकालने के बाद सीधे धूप मे नहीं रखना चाहिये।

  • नर्सरी से मिर्च की पौध को उखाड़ कर खेत में लगाने से पहले पौध का उपचार करना अतिआवश्यक है। अतः जड़ों के अच्छे विकास के लिए 5 ग्राम माइकोरायज़ा प्रति लीटर की दर से एक लीटर पानी में घोल बना लें, इसके बाद मिर्च की पौध की जड़ों को इस के घोल में 10 मिनट के लिए डूबा के रखें। यह प्रक्रिया अपनाने के बाद ही खेत में पौध प्रत्यारोपण करें। रोपाई के तुरन्त बाद खेत में हल्का पानी देना चाहिए।

  • मिर्च की पौध की रोपाई में लाइन से लाइन एवं पौधे से पौधे की दूरी 90-120 X 45-60 सेमी रखनी चाहिए।

  • मिर्च की रोप उपचार के लिए मायकोराइज़ा का उपयोग करने के बहुत लाभ हैं। माइकोराइजा एक ऐसा सहजीवी कवक है जो पौधे की जड़ों और उनके आस-पास की मिट्टी के बीच एक विशाल संबंध बनाने में सक्षम है, जिससे यह जड़ों के कार्य क्षेत्र का विस्तार करता है, और यह पौधे के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व की उपलब्धता को भी बढ़ाता है।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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मध्य प्रदेश के इन इलाकों में भारी बारिश की संभावना, जानें मौसम पूर्वानुमान

monsoon

मध्य भारत में मानसून काफी सक्रीय बना हुआ है जिसके कारण मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अच्छी वर्षा हुई है और बारिश का दौर इन क्षेत्रों में अभी जारी रहने की संभावना बनी हुई है। बिहार, उत्तर प्रदेश झारखंड में भी भारी बारिश के आसार हैं। कोंकण गोवा, कर्नाटक तथा केरल में भी तेज बारिश की संभावना है। दिल्ली पंजाब हरियाणा उत्तरी राजस्थान सहित उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी बारिश तेज हो सकती है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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14 जून को मध्य प्रदेश की मंडियों में क्या रहे अलग अलग फसलों के भाव

Madhya pradesh Mandi bhaw

मंडी

फसल

न्यूनतम

अधिकतम

मॉडल

हरसूद

सोयाबीन

4500

6791

6701

हरसूद

तूवर

4775

5600

5400

हरसूद

गेहूँ

1600

1800

1640

हरसूद

चना

4000

4650

4625

हरसूद

मूंग

5500

6071

5953

रतलाम

गेहूँ शरबती

2470

3670

3200

रतलाम

गेहूँ लोकवन

1670

2121

1831

रतलाम

मक्का

1500

1520

1500

रतलाम

विशाल चना

4551

4700

4649

रतलाम

इटालियन चना

4400

5001

4721

रतलाम

डॉलर चना

5000

8600

7891

रतलाम

यलो सोयाबीन

6000

6910

6470

रतलाम

मटर

4002

4700

4390

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इंदौर मंडी में 14 जून को क्या रहे प्याज के भाव?

What were the prices of onions in Indore's mandi today

वीडियो के माध्यम से देखें, मध्य प्रदेश के इंदौर मंडी में आज क्या रहे प्याज के भाव ?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

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ऐसे करें कपास की फसल में पत्ते काटने वाली इल्ली का नियंत्रण

How to control foliar caterpillar in cotton crop
  • कपास की फसल में इस कीट का प्रकोप आम तौर पर अंकुरण की शुरुआती अवस्था में ही हो जाता है। इसके मादा कीट पत्तियों के दोनों और गुच्छों में लगभग 2000 अंडे देती है।

  • ये इल्ली कपास की पत्तियों के हरे पदार्थ को खाते हैं जिससे पत्तियां भूरे या गहरे भूरे या काले रंग में बदल जाते हैं।

  • इसके प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • इस कीट से प्रभावित पौधों को खेत से निकाल कर बाहर कर दें एवं कीटनाशक के छिड़काव के कुछ समय बाद फसल की अच्छी वृद्धि के लिए विगरमैक्स जेल @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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किसान को दिखा मिर्च समृद्धि ड्रिप किट का कमाल, मिली जबरदस्त शुरूआती बढ़वार

Chilli Samridhi Drip Kit

भारतीय कृषक खेतों में खूब मेहनत करते हैं, पर ज्यादातर किसान इसलिए अपनी मेहनत का अच्छा फल नहीं प्राप्त कर पाते क्योंकि वे अपनी जानकारी के अनुसार पारंपरिक कृषि पर जोर देते हैं। जबकि आज के जमाने में कृषि क्षेत्र में कई बड़े अनुसंधान हुए हैं जिसके परिणाम स्वरूप कई नए कृषि उत्पादों की मदद से कृषि आधुनिक होने के साथ साथ लाभकारी भी हो गई है। मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के हाथोला गांव के निवासी किसान कैलाश मुकाती जी ने ग्रामोफ़ोन की सानिध्य में अपनी पारंपरिक कृषि को आधुनिक बनाया जिसका लाभ अब उन्हें देखने को मिल रहा है।

पिछले दिनों ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञ कैलाश जी के मिर्च के खेत का मुआयना करने पहुंचे थे जिसकी खेती उन्होंने पूरी तरह ग्रामोफ़ोन की सलाह पर की है। कैलाश जी ने इस दौरान बताया की वे फसल की बढ़वार देख कर वे पूरी तरह संतुष्ट हैं। उन्होंने अपनी फसल में ग्रामोफ़ोन मिर्च ड्रिप किट का इस्तेमाल किया था जिसके फलस्वरूप पौधों का विकास दूसरे आसपास के किसानों के पौधों की तुलना में ज्यादा बेहतर हुई है।

किसान भाई ने ड्रिप किट के इस्तेमाल से विकसित पौधे और बिना ड्रिप किट के इस्तेमाल से विकसित पौधे की तुलना करते हुए बताया की जड़, तना, पत्तियां सब कुछ ड्रिप किट के कारण बेहतर विकास प्राप्त कर रही है और फल भी आने लगे हैं।

ग़ौरतलब है की ग्रामोफ़ोन मिर्च ही नहीं बल्कि अन्य फ़सलों जैसे मक्का, कपास, सोयाबीन, मूंग आदि के लिए भी समृद्धि किट और ड्रिप किट निकाल चुका है जिसका परिणाम बहुत अच्छा देखने को मिल रहा है। कैलाश मुकाती के साथ साथ अन्य कई किसानों ने इसके इस्तेमाल से बेहतर परिणाम प्राप्त किये हैं। अगर आप भी इनमें से किसी किट का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें।

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बुआई के पूर्व सोयाबीन की फसल में की जाने वाली तैयारियां

Preparations to be done in soybean crop before sowing
  • सोयाबीन की बुआई के पूर्व ऐसे खेत का चयन करें जहाँ अधिक वर्षा की स्थिति में पर्याप्त जल निकासी की व्यवस्था हो।

  • पथरीली भूमि को छोड़कर कर सभी जगह सोयाबीन को बोया जा सकता है। खेत को समतल करके बुआई करने से पानी का निकास अच्छा होगा और पैदावार भी अच्छी प्राप्त होगी। मध्यम दोमट भूमि सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त होती है।

  • खाली खेत की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से 10 से 12 इंच गहराई तक करना चाहिए। एक बार हल चलाकर खेत को अच्छे से तैयार कर लें।

  • इसके बाद मिट्टी जनित कीटों के नियंत्रण के लिए मेट्राजियम कल्चर से मिट्टी उपचार करें। इस उपचार के द्वारा सफ़ेद ग्रब जैसे कीटों का नियंत्रण बहुत अच्छे से किया जा सकता है।

  • इसी के साथ पुरानी फसल के अवशेषों को सड़ाने के लिए डीकम्पोजर कल्चर का उपयोग करें। इसके कारण पुरानी फसल के अवशेष बहुत आसानी से उपयोगी खाद में बदल जाते हैं। इसका लाभ फसल को रोग मुक्त रखने में भी मिलता है।

  • बुआई के लिए ऐसी किस्म का चयन करें जो रोग एवं कीट प्रतिरोधी हो। बीजों का चयन करने के बाद बुआई के पहले बीजों की अंकुरण क्षमता परीक्षण अवश्य करें।

  • इससे सोयाबीन के बीज़ स्वस्थ हैं या नहीं यह भी पता चल जाता है साथ ही बुआई के लिए बीज की मात्रा की गणना करने में भी मदद मिलती है।

  • बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार एवं बीज उपचार अवश्य करना चाहिए, ऐसा करने से मिट्टी एवं बीज़ जनित रोगों का नियंत्रण किया जा सकता है।

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मध्य प्रदेश के इन जिलों में बारिश का दौर रहेगा जारी, जानें मौसम पूर्वानुमान

Monsoon

मध्य भारत कई क्षेत्रों में बारिश जारी रहने की संभावना है। ख़ास कर के मध्य प्रदेश के दक्षिणी व पूर्वी जिले, छत्तीसगढ़ और झारखंड में भारी बारिश हो सकती है। मुंबई में भारी बारिश की संभावना अब कम हो गई है। पंजाब हरियाणा दिल्ली तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी मानसून जल्दी ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दस्तक दे सकता है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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