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सोयाबीन की बुआई के पूर्व ऐसे खेत का चयन करें जहाँ अधिक वर्षा की स्थिति में पर्याप्त जल निकासी की व्यवस्था हो।
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पथरीली भूमि को छोड़कर कर सभी जगह सोयाबीन को बोया जा सकता है। खेत को समतल करके बुआई करने से पानी का निकास अच्छा होगा और पैदावार भी अच्छी प्राप्त होगी। मध्यम दोमट भूमि सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त होती है।
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खाली खेत की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से 10 से 12 इंच गहराई तक करना चाहिए। एक बार हल चलाकर खेत को अच्छे से तैयार कर लें।
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इसके बाद मिट्टी जनित कीटों के नियंत्रण के लिए मेट्राजियम कल्चर से मिट्टी उपचार करें। इस उपचार के द्वारा सफ़ेद ग्रब जैसे कीटों का नियंत्रण बहुत अच्छे से किया जा सकता है।
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इसी के साथ पुरानी फसल के अवशेषों को सड़ाने के लिए डीकम्पोजर कल्चर का उपयोग करें। इसके कारण पुरानी फसल के अवशेष बहुत आसानी से उपयोगी खाद में बदल जाते हैं। इसका लाभ फसल को रोग मुक्त रखने में भी मिलता है।
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बुआई के लिए ऐसी किस्म का चयन करें जो रोग एवं कीट प्रतिरोधी हो। बीजों का चयन करने के बाद बुआई के पहले बीजों की अंकुरण क्षमता परीक्षण अवश्य करें।
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इससे सोयाबीन के बीज़ स्वस्थ हैं या नहीं यह भी पता चल जाता है साथ ही बुआई के लिए बीज की मात्रा की गणना करने में भी मदद मिलती है।
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बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार एवं बीज उपचार अवश्य करना चाहिए, ऐसा करने से मिट्टी एवं बीज़ जनित रोगों का नियंत्रण किया जा सकता है।
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