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कपास की फसल में इस कीट का प्रकोप आम तौर पर अंकुरण की शुरुआती अवस्था में ही हो जाता है। इसके मादा कीट पत्तियों के दोनों और गुच्छों में लगभग 2000 अंडे देती है।
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ये इल्ली कपास की पत्तियों के हरे पदार्थ को खाते हैं जिससे पत्तियां भूरे या गहरे भूरे या काले रंग में बदल जाते हैं।
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इसके प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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इस कीट से प्रभावित पौधों को खेत से निकाल कर बाहर कर दें एवं कीटनाशक के छिड़काव के कुछ समय बाद फसल की अच्छी वृद्धि के लिए विगरमैक्स जेल @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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