अनेक प्रमुख कीटों की प्रावस्थायें व मिट्टी जनित रोगों के कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो फ़सलों को विभिन्न प्रकार से क्षति पहुंचाते हैं। प्रमुख रूप से दीमक, सफेद गिडार (व्हाइट ग्रब), कटवर्म, सूत्रकृमि, आदि को मिट्टी उपचार द्वारा नष्ट किया जा सकता है।
फफूंदी/जीवाणु रोगों के भी मिट्टी जनित कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो अनुकूल परिस्थितियों में पौधे की विभिन्न प्रावस्थाओं को संक्रमित कर फसल उत्पादन में बाधक बन हानि पहुंचाते हैं।
मिट्टी उपचार करने से मिर्ची के पौधे का सम्पूर्ण विकास, सम्पूर्ण पोषण वृद्धि तथा भरपूर गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त होता है।
मिट्टी की संरचना सुधारने के साथ-साथ रसचूसक कीटों और रोगों का भी आक्रमण कम हो जाता है।
कीट व रोगों के आक्रमण करने के बाद उपचार करने से कृषि रक्षा रसायनों का अधिक उपयोग किया जाता है, फलस्वरूप अधिक व्यय हो जाने के कारण उत्पादन लागत में वृद्धि होती है।