मिर्च की नर्सरी में पौध गलन (आर्द्र गलन) एक बड़ी समस्या

👉🏻किसान भाइयों, भूमि मे अत्यधिक नमी एवं मध्यम तापमान इस रोग के विकास के मुख्य कारक होते है।  

👉🏻मिर्च के पौधे में गलन को आर्द्र विगलन या डम्पिंग ऑफ के नाम से भी जाना जाता है।

👉🏻मुख्यतः इस रोग का प्रकोप नर्सरी अवस्था में देखा जाता है।

👉🏻बीज अंकुरण होने के बाद, रोगाणु मिट्टी की सतह पर अंकुरों के तने और जड़ के मध्य वाले क्षेत्र पर हमला करते हैं। जिससे यह हिस्सा सड़ जाता है और अंततः अंकुर गिरकर मर जाता है l

👉🏻इस रोग के निवारण के लिए बुवाई समय स्वस्थ बीज का चयन करना चाहिये। 

👉🏻कार्मानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63%) @ 30 ग्राम/पंप  या मिल्ड्यू विप (थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू /डब्ल्यू ) @ 50 ग्राम/पंप या संचार (मेटालेक्सिल 8% + मैनकोज़ेब 64% डब्ल्यूपी) @ 60 ग्राम/पंप की दर से  छिड़काव करें l

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मिर्च की नर्सरी में पहला जरुरी छिड़काव

👉🏻किसान भाइयों, मिर्च की नर्सरी में बीज बुवाई के बाद 10-15 दिनों की अवस्था में छिड़काव करना बहुत आवश्यक होता है। 

👉🏻इस छिड़काव से पौध गलन जड़ गलन जैसे रोगों से मिर्च की फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है, साथ ही नर्सरी की प्रारंभिक अवस्था में लगने वाले कीटों का आसानी से नियंत्रण भी किया जा सकता है।  

मिर्च की नर्सरी में 10-15 दिनों की अवस्था में उपचार :

👉🏻कीटों के प्रकोप से बचने के लिए थायोनोवा (थायमेथोक्साम 25 % डब्ल्यूपी) @ 10 ग्राम/पंप या बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 5 -10 ग्राम/लीटर की दर से छिड़काव करें, एवं किसी भी तरह की फफूंदी जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए मिल्ड्यू विप (थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू /डब्ल्यू) @ 30 ग्राम/पंप या कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरडी) + मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस) @ 5-10 ग्राम/लीटर, नर्सरी की अच्छी बढ़वार के लिए मैक्सरुट (ह्यूमिक एसिड) @ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करना लाभप्रद रहता है।

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मिर्च की नर्सरी तैयार करते समय रखी जाने वाली सावधानियां

👉🏻किसान भाइयों, मिर्च की नर्सरी तैयार करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि जिस जगह पर नर्सरी लगाई जा रही है, वह पूरी तरह से साफ होनी चाहिए और जल भराव की समस्या नहीं होनी चाहिए।

👉🏻अच्छी फसल उगाने के लिए पौधे का स्वस्थ होना जरूरी होता है। इसलिए पौधशाला की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ होने चाहिए।  

👉🏻पौधशाला में नमी अधिक होने पर पद गलन रोग की आशंका बनी रहती है।

👉🏻पहले नर्सरी की मिट्टी और बीजों का उपचार करें, उसके बाद ही बुवाई करें।  

👉🏻हर सप्ताह खरपतवार और अवांछनीय पौधों को हटाये।

👉🏻आवश्यकतानुसार नर्सरी की सिंचाई करें।

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मिर्च की नर्सरी में आवश्यक है मिट्टी का उपचार

👉🏻किसान भाइयों, नर्सरी में मिट्टी का उपचार करके मिर्च की बुवाई करने से मिर्च की रोप बहुत अच्छी एवं रोग मुक्त होती है। 

👉🏻10 किलो सड़ी हुई खाद के साथ DAP @ 1 किलो और मैक्सरूट @ 50 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से नर्सरी बेड का मिट्टी उपचार करें। 

👉🏻बेड को चींटियों और दीमक से बचाने के लिए कार्बोफ्यूरान @ 15 ग्राम प्रति बेड के हिसाब से उपयोग करें इसके पश्चात बीज बुवाई करें। 

👉🏻बुवाई की प्रक्रिया पूरी करने के बाद आवश्यकतानुसार नर्सरी में सिंचाई करते रहें। 

👉🏻मिर्च की नर्सरी अवस्था में खरपतवार के निवारण के लिए आवश्यकता अनुसार निराई भी जरूर करें।

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मिर्च की नर्सरी में खरपतवार का प्रबंधन

How to choose a location for planting chili nursery
  • खरपतवारों का यदि उचित समय पर नियंत्रित नहीं किया जाए तो यह सब्जियों की उपज एवं गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
  • खरपतवारों की वजह से 50-70 प्रतिशत तक हानि हो सकती है।
  • खरपतवार मिर्ची के उत्पादन को कई तरह से प्रभावित करते हैं जैसे संक्रमण फैलाने वाले कीट एवं फफूंद को आश्रय देते हैं।
  • मिर्च के बीजों की बुआई के 72 घंटों के भीतर 3 मिली पेंडीमेथालिन 38.7 CS प्रति लीटर पानी में मिलाकर मिट्टी में छिड़काव कर देना चाहिए।
  • समय समय पर खरपतवार उग जाने पर हाथों से ही उखाड़ कर नर्सरी को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए।
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नर्सरी में ऐसे करें मिर्च के बीजों की बुआई

नर्सरी में मिर्च के बीजों की बुआई के समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है। इससे नर्सरी में अच्छी पौध तैयार होती है।

  • मिर्च की पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले बीजों की बुआई 3 गुणा 1.25 मीटर आकार की क्यारियों में करनी चाहिए।
  • ये क्यारियां ज़मीन से 8-10 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए ताकि पानी इक्कठा होने से बीज व पौध न सड़ जाये।
  • 150 किलो सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएँ ताकि मिट्टी की संरचना के साथ पौधे का विकास अच्छा हो और हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाए।
  • एक एकड़ के खेत के लिए 60-80 ग्राम मिर्च के बीजों की आवश्यकता नर्सरी में होती है।
  • क्यारियों में 5 सेमी की दूरी पर 0.5- 1 सेमी गहरी नालियां बनाकर बीजों की बुआई करें।
  • बुआई के बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे।
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जानें मिर्च की नर्सरी में किये जाने वाले मिट्टी उपचार के फायदे

  • अनेक प्रमुख कीटों की प्रावस्थायें व मिट्टी जनित रोगों के कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो फ़सलों को विभिन्न प्रकार से क्षति पहुंचाते हैं। प्रमुख रूप से दीमक, सफेद गिडार (व्हाइट ग्रब), कटवर्म, सूत्रकृमि, आदि को मिट्टी उपचार द्वारा नष्ट किया जा सकता है।
  • फफूंदी/जीवाणु रोगों के भी मिट्टी जनित कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो अनुकूल परिस्थितियों में पौधे की विभिन्न प्रावस्थाओं को संक्रमित कर फसल उत्पादन में बाधक बन हानि पहुंचाते हैं।
  • मिट्टी उपचार करने से मिर्ची के पौधे का सम्पूर्ण विकास, सम्पूर्ण पोषण वृद्धि तथा भरपूर गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त होता है।
  • मिट्टी की संरचना सुधारने के साथ-साथ रसचूसक कीटों और रोगों का भी आक्रमण कम हो जाता है।
  • कीट व रोगों के आक्रमण करने के बाद उपचार करने से कृषि रक्षा रसायनों का अधिक उपयोग किया जाता है, फलस्वरूप अधिक व्यय हो जाने के कारण उत्पादन लागत में वृद्धि होती है।
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मिर्च की फसल में वैज्ञानिक विधि से नर्सरी प्रबंधन कैसे करें?

How to manage scientific nursery in chili
  • मिर्च की पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले बीजों की बुआई 3 गुणा 1.5 मीटर आकार की भूमि में करनी चाहिए तथा इसमें क्यारियां जमीन से 8-10 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए ताकि पानी इकट्ठा होने से बीज व पौध सड़ न जाये।
  • एक एकड़ क्षेत्र के लिए 100 ग्राम मिर्च के बीजों की आवश्यकता होती है। 150 किलो अच्छी सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुंद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएं ताकि मिट्टी की संरचना के साथ पौधे का विकास अच्छा हो और हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाए।
  • बुआई के 8-10 दिन बाद एफिड व जैसिड कीट आने पर 10 ग्राम थाइमेथोक्सोम 25% WG 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें तथा 20-22 दिन बाद दूसरा छिड़काव 5 ग्राम फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG को 15 लीटर पानी संग छिड़काव करें।
  • बुआई के 15-20 दिन बाद आर्द्र गलन की समस्या नर्सरी में आती है, अतः 0.5 ग्राम थियोफिनेट मिथाइल 70 WP का छिड़काव या डेंचिंग प्रति वर्ग मीटर करें या 30 ग्राम मेटालैक्सील 4% + मैंकोजेब 64% WP को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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मिर्च की उन्नत किस्मों की जानकारी

हायवेग सानिया

  • मिर्च की यह किस्म जीवाणु उकठा एवं मोज़ेक वायरस के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।
  • यह किस्म अधिक तीखा होने के साथ साथ चमकीला हरा तथा पीलापन लिए हुए होता है। इसके फल 13-15 सेमी लम्बाई, 1.7 सेमी मोटाई व लगभग 14 ग्राम वजन के होते हैं।
  • इस किस्म की प्रथम तुड़ाई 50- 55 दिनों में होती है।

मायको नवतेज (एम एच सी पी-319)

  • यह पाउडरी मिल्डू/भभूतिया और सूखे के प्रति सहनशील किस्म है।
  • यह  हाइब्रिड किस्म मध्यम से उच्च तीखापन लिए होती है जो लंबी संग्रहण क्षमता रखती है।

मिर्च की अन्य उच्च उपज वाली किस्मों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह वीडियो देखें-

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मिर्च में मोजेक वायरस का प्रबंधन

  • मोजेक वायरस से ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट कर दें। 
  • प्रतिरोधक किस्मों जैसे पूसा ज्वाला, पन्त सी-1, पूसा सदाबहार, पंजाब लाल इत्यादि को लगाएँ। 
  • वैक्टर को कम करने के लिए एसिटामिप्रीड 20% एसपी @ 130 ग्राम/एकड़ का नियमित अंतराल पर छिड़काव करें या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्ल्यूजी @ 40 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
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