मिर्च के खेत की तैयारी एवं मिट्टी उपचार

  • मिर्च की पौध की रोपाई से पूर्व खेत में सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करनी चाहिये। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, कीट की प्युपा अवस्था तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जाते हैं।
  • इस क्रिया के बाद हैरो या देशी हल से 3 से 4 बार जुताई करने के बाद पाटा चला कर खेत को समतल कर लेना चाहिये। अंतिम जुताई के बाद ग्रामोफ़ोन की पेशकश ‘मिर्च समृद्धि किट‘ जिसकी मात्रा 5.3 किलो है, को 100 किलो अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिलाकर खेत में बिखेर दें और इसके बाद हल्की सिंचाई कर दें। 
  • यह ‘मिर्च समृद्धि किट’ आपके मिर्च की फसल का सुरक्षा कवच बनेगा। इस किट में आपको वो सबकुछ एक साथ मिलेगा जिसकी जरुरत मिर्च की फसल को होती है। इस किट में कई उत्पाद संलग्न हैं। 
  • ‘मिर्च समृद्धि किट’ में तीन प्रकार के बैक्टीरिया ‘नाइट्रोजन फिक्सेशन बैक्टीरिया, पीएसबी और केएमबी से मिलकर बना है। यह अघुलनशील जिंक को घुलनशील बनाता है और पौधों को यह उपलब्ध करवाता है। यह पौधों की वृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
  • मिर्च समृद्धि किट मिट्टी और बीज में होने वाले रोगजनकों को मारता है और फूल, फल, पत्ती आदि की वृद्धि में मदद करता है साथ ही साथ सफेद जड़ के विकास में भी मदद करता है।
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खेत में मिर्च की रोपाई विधि और रोपाई के समय उर्वरक प्रबंधन

Transplanting method and fertilizer management of Chilli
  • खेत में सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करनी चाहिये। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, कीट की प्युपा अवस्था तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जाते हैं। इसके बाद हैरों या देशी हल से 3-4 जुताई करके, पाटा चलाकर खेत को समतल कर लेना चाहिये।
  • अंतिम जुताई के बाद ग्रामोफ़ोन की पेशकश ‘मिर्च समृद्धि किट’ जिसकी मात्रा 6.3 किलो है, को 5 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिलाकर अंतिम जुताई या बुआई के समय साथ में मिला दे। इसके बाद हल्की सिंचाई कर दे।
  • बुआई के 30 से 40 दिनों बाद मिर्च की पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। वर्षाकालीन मिर्च के पौध की रोपाई का उपयुक्त समय मध्य जून से मध्य जुलाई तक होता है।
  • रोपाई के पूर्व नर्सरी में और खेत में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए, ऐसा करने से पौध की जड़ नहीं टूटती, वृद्धि अच्छी होती है और पौध आसानी से लग जाती है।
  • पौध को जमीन से निकालने के बाद सीधे धूप मे नहीं रखना चाहिये।
  • जड़ों के अच्छे विकास के लिए 5 ग्राम माइकोरायज़ा प्रति लीटर की दर से एक लीटर पानी में घोल बना लें। इसके बाद मिर्च के पौध की जड़ों को इस के घोल में 10 मिनट के लिए डूबा के रखना चाहिए। यह प्रक्रिया अपनाने के बाद ही खेत में पौध रोपण करें ताकि मिर्च की पौध खेत में भी स्वस्थ रहे।
  • मिर्च के पौध की रोपाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी० और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी० चाहिये। रोपाई के तुरन्त बाद खेत में हल्का पानी देना चाहिए।
  • मिर्च की पौध के रोपाई के समय 45 किलो यूरिया, 200 किलो एस.एस.पी और 50 किलो एम.ओ.पी. उर्वरक को बेसल डोज के रूप में प्रति एकड़ की दर से खेत में बिखेर देना चाहिए।
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मिर्च की फसल में जीवाणु पत्ती धब्बा रोग के लक्षण

Bacterial leaf spot disease in Chilli crop
  • पहले लक्षण नए पत्तों पर छोटे पीले- हरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देते है तथा ये पत्तियां विकृत और मुड़ी हुई होती है।  
  • बाद में पत्तियों पर छोटे गोलाकार या अनियमित, गहरे भूरे या काले चिकने धब्बे दिखाती देते हैं। जैसे ही ये धब्बे आकार में बड़े होते है, इनमें बीच का भाग हल्का और बाहरी भाग गहरा हो जाता है। 
  • अंत में ये धब्बे छेदों में बदल जाते है क्योंकि पत्तों के बीच का हिस्सा सूख कर फट जाता है।  
  • गंभीर संक्रमण होने पर प्रभावित पत्तियां समय से पहले झड़ जाती हैं।
  • फलों पर गोल, उभरे हुए, पीले किनारों के साथ जलमग्न धब्बे बन जाते है। 
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मिर्च की फसल में एफिड (माहु) कीट की पहचान और बचाव

How to identify and protect Aphid insect in Chili crop
  • एफिड छोटे, नरम शरीर के कीट है जो पीले, भूरे या काले रंग के हो सकते हैं। 
  • ये आमतौर पर छोटी पत्तियों और टहनियों के कोनों पर समूह बनाकर पौधे से रस चूसते है तथा चिपचिपा मधुरस (हनीड्यू) छोड़ते हैं जिससे फफूंदजनित रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती है। 
  • गंभीर संक्रमण के कारण पत्तियां और टहनियां कुम्हला सकती है या पीली पड़ सकती हैं। 
  • एफिड कीट से बचाव हेतु थायोमेथोक्सोम 25 डब्लू जी 100 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL 80 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
  • जैविक माध्यम से बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें या उपरोक्त कीटनाशक के साथ मिला कर भी प्रयोग कर सकते हैं।
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नर्सरी में ऐसे करें मिर्च के बीजों की बुआई

नर्सरी में मिर्च के बीजों की बुआई के समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है। इससे नर्सरी में अच्छी पौध तैयार होती है।

  • मिर्च की पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले बीजों की बुआई 3 गुणा 1.25 मीटर आकार की क्यारियों में करनी चाहिए।
  • ये क्यारियां ज़मीन से 8-10 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए ताकि पानी इक्कठा होने से बीज व पौध न सड़ जाये।
  • 150 किलो सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएँ ताकि मिट्टी की संरचना के साथ पौधे का विकास अच्छा हो और हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाए।
  • एक एकड़ के खेत के लिए 60-80 ग्राम मिर्च के बीजों की आवश्यकता नर्सरी में होती है।
  • क्यारियों में 5 सेमी की दूरी पर 0.5- 1 सेमी गहरी नालियां बनाकर बीजों की बुआई करें।
  • बुआई के बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे।
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मिर्च की नर्सरी लगाने के लिए स्थान का चुनाव कैसे करें?

How to choose a location for planting chili nursery

मिर्च की नर्सरी लगाने के लिए स्थान का चुनाव करते समय कुछ बातों का ध्यान रख कर हम इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

  • ज़मीन उपजाऊ, दोमट, खरपतवार रहित व अच्छे जल निकास वाली हो।
  • अम्लीय या क्षारीय ज़मीन का चयन न करें।
  • नर्सरी के पास बहुत बड़े पेड़ न हों।
  • नर्सरी में लंबे समय तक धूप रहती हो।
  • पौधशाला के पास सिंचाई की सुविधा मौजूद हो।
  • चुना हुआ क्षेत्र ऊंचा हो ताकि पानी न ठहरे।
  • एक स्थान पर बार-बार नर्सरी का निर्माण न करें।
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जानें मिर्च की बेहतरीन किस्मों के बारे में

  • हायवेग सानिया: मिर्च की यह किस्म जीवाणु उकठा एवं मोज़ेक वायरस के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है तथा इसकी प्रथम तुड़ाई 50- 55 दिनों में की जाती है। यह किस्म अधिक तीखा होने के साथ साथ चमकीला हरा तथा पीलापन लिए हुए होता है। इसके फल 13-15 सेमी लम्बाई, 1.7 सेमी मोटाई व लगभग 14 ग्राम वजन के होते हैं।
  • मायको नवतेज (एम.एच.सी.पी- 319): यह पाउडरी मिल्ड्यू/भभूतिया और सूखे के प्रति सहनशील किस्म है। यह हाइब्रिड किस्म मध्यम से उच्च तीखापन लिए होती है जो लंबी संग्रहण क्षमता रखती है। इसमें मिर्च की लम्बाई 8-10 सेमी होती है।
  • मायको 456: इस किस्म में उच्च तीखापन होता है तथा मिर्च की लम्बाई 8-10 सेमी होती है।
  • हायवेग सोनल: मध्यम तीखेपन के साथ मिर्च की लम्बाई 14 सेमी होती है, जो सुखाने के लिए अच्छी किस्म है।
  • सिजेंटा एच.पी.एच -12: इसमें बीज की मात्रा और तीखापन अधिक होता है। इसके पौधे और शाखाएं झाड़ीनुमा मजबूत होते हैं।
  • ननहेम्स US- 1003: हल्के हरे रंग के फलों के साथ मध्यम लम्बाई का पौधा होता है, जिनके फलों की गुणवत्ता अच्छी होती है।
  • ननहेम्स US- 720: गहरे हरे रंग के मिर्च हैं जो मध्यम तीखी होती है।
  • ननहेम्स इन्दु: यह किस्म मौजेक वायरस और भभूतिया रोग के प्रति माध्यम प्रतिरोधी है तथा इसमें संग्रहण क्षमता अच्छी होती है।
  • स्टारफिल्ड जिनि: यह किस्म वायरस के प्रति सहनशील है।
  • वी.एन.आर चरमी (G-303): यह किस्म हल्के हरे रंग की, मध्यम तीखापन वाली और इसमें मिर्च की लम्बाई 14 सेमी जैसे विशेषताएँ होती हैं। इसकी पहली तुड़ाई 55-60 दिनों में की जाती है।
  • स्टारफिल्ड रोमी- 21: वायरस के प्रति सहनशील और अधिक उत्पाद देती है। लाल मिर्च के लिए बेहतरीन किस्म है।
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जानें मिर्च की नर्सरी में किये जाने वाले मिट्टी उपचार के फायदे

  • अनेक प्रमुख कीटों की प्रावस्थायें व मिट्टी जनित रोगों के कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो फ़सलों को विभिन्न प्रकार से क्षति पहुंचाते हैं। प्रमुख रूप से दीमक, सफेद गिडार (व्हाइट ग्रब), कटवर्म, सूत्रकृमि, आदि को मिट्टी उपचार द्वारा नष्ट किया जा सकता है।
  • फफूंदी/जीवाणु रोगों के भी मिट्टी जनित कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो अनुकूल परिस्थितियों में पौधे की विभिन्न प्रावस्थाओं को संक्रमित कर फसल उत्पादन में बाधक बन हानि पहुंचाते हैं।
  • मिट्टी उपचार करने से मिर्ची के पौधे का सम्पूर्ण विकास, सम्पूर्ण पोषण वृद्धि तथा भरपूर गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त होता है।
  • मिट्टी की संरचना सुधारने के साथ-साथ रसचूसक कीटों और रोगों का भी आक्रमण कम हो जाता है।
  • कीट व रोगों के आक्रमण करने के बाद उपचार करने से कृषि रक्षा रसायनों का अधिक उपयोग किया जाता है, फलस्वरूप अधिक व्यय हो जाने के कारण उत्पादन लागत में वृद्धि होती है।
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मिर्च की उन्नत किस्मों की जानकारी

हायवेग सानिया

  • मिर्च की यह किस्म जीवाणु उकठा एवं मोज़ेक वायरस के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।
  • यह किस्म अधिक तीखा होने के साथ साथ चमकीला हरा तथा पीलापन लिए हुए होता है। इसके फल 13-15 सेमी लम्बाई, 1.7 सेमी मोटाई व लगभग 14 ग्राम वजन के होते हैं।
  • इस किस्म की प्रथम तुड़ाई 50- 55 दिनों में होती है।

मायको नवतेज (एम एच सी पी-319)

  • यह पाउडरी मिल्डू/भभूतिया और सूखे के प्रति सहनशील किस्म है।
  • यह  हाइब्रिड किस्म मध्यम से उच्च तीखापन लिए होती है जो लंबी संग्रहण क्षमता रखती है।

मिर्च की अन्य उच्च उपज वाली किस्मों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह वीडियो देखें-

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मिर्च महोत्सव: पूरे देश में प्रसिद्ध होगी निमाड़ की मिर्ची, किसानों को होगा फायदा

chilli festival

मध्यप्रदेश के निवासी पहले से निमाड़ की प्रसिद्ध तीखी मिर्ची के बारे में जानते हैं पर अब इसकी प्रसिद्धि देश और दुनिया में भी फैलने लगी है। आगामी 29 फरवरी और 1 मार्च के दौरान मिर्च महोत्सव होने वाला है। यह दो दिवसीय राज्य स्तरीय महोत्सव कसरावद में आयोजित होगा जिसका मुख्य लक्ष्य राज्य सरकार द्वारा निमाड़ी मिर्च की ब्रांडिंग करना है।

इस महोत्सव का सीधा फायदा क्षेत्र में मिर्ची की खेती करने वाले किसानों को होगा। इससे निमाड़ और इसके आसपास के क्षेत्रों में उगाई जाने वाली मिर्ची की ब्रांडिंग होगी और देश विदेश में नए बाजार खुलेंगे।

इस आयोजन में 25 से अधिक कृषि वैज्ञानिक किसानों को मिर्ची की फसल के उत्पादन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ देंगे। यहाँ आपका अपना ग्रामोफोन भी आपकी सेवा के लिए उपस्थित रहेगा। आप इस महोत्सव में हमारे कृषि विषेशज्ञों से भी किसी भी प्रकार की कृषि संबंधित सलाह ले सकते हैं।

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