आपकी मिर्च फसल के लिए अगली गतिविधि

रोपाई के 120-130 दिन बाद- अच्छे फल के विकास लिए और इल्ली एवं कवक रोगों को नियंत्रित करने के लिए

इल्ली एवं कवक रोगों को नियंत्रित करने के लिए जिब्बरेलिक एसिड (मेक्सयील्ड) 300 मिली+ फ्लॉनिकामिड़ 50% WG (उलाला) 60 मिली+ (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC) कस्टोडिया 250 मिली प्रति एकड़ पानी में मिलकर छिड़काव करे |

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रोपाई के बाद 100 से 115 दिनों में – फल तुड़ाई के दौरान कीट- रोगों का प्रबन्धन के लिए

पत्तियों का मुड़ना, फलों पर छेद या पौधे पर किसी भी कवक के विकास जैसे लक्षणों के लिए पौधों को ध्यान से देखें। यदि यह लक्षण फल लेने की अवधि के दौरान दिखाई देते हैं तो 00:00:50 1 किलो + इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी (एमनोवा) 100 ग्राम + डायफेनथियुरॉन 50% डब्ल्यूपी (पेजर) 250 ग्राम + कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 46% WP (कोनिका) 300 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलकर छिड़काव करे

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रोपाई के 80 से 95 दिन बाद – फलों का आकार बढ़ाने के साथ-साथ मोज़ेक, कैटरपिलर और एन्थ्रेक्नोज रोगों को नियंत्रित करने के लिए

फल के विकास के साथ-साथ आकार को बढ़ाने और मोजेक, इल्ली और एन्थ्रेक्नोज रोग को नियंत्रित करने के लिए 00:00:50 1 किलो + इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल (मीडिया) 100 मिली + स्पिनोसैड 45% SC (ट्रेसर) 60 मिली + टेबुकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लोक्सिरोबिन 25% PG (नेटिवो) 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाएं और छिड़काव करे।

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रोपाई के 75 से 90 दिन बाद – उर्वरकों की तीसरी खुराक

नीचे दिए गए उर्वरकों को आपस में मिलाकर मिट्टी में मिलाएं | यूरिया 45 + MOP 50 किलो + NPK बैक्टीरिया (फोस्टर प्लस बीसी 15) 100 ग्राम + ह्यूमिक एसिड (मैक्सरुट) 250 ग्राम + कैल्शियम नाइट्रेट (ग्रोमोर) 5 किलो प्रति एकड़ ।

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रोपाई के बाद 60 से 70 दिनों में – फल छेदक और फूलों के गिरने की समस्या का प्रबंधन के लिए

फल छेदक की रोकथाम और फल- फुलों के गिरने को रोकने के लिए एमिनो एसिड (प्रो एमिनोमैक्स) 250 ग्राम + एसिटामिप्रिड 20% एसपी (नोवासेटा) 100 ग्राम + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी (कोराजन) 60 मिली + हेक्साकोनाजोल 5% एससी (नोवाकोन) 400 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।

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रोपाई के बाद 46 से 50 दिनों में – फूल लगने में मदद के लिए और इस समय फसल में, मकड़ी एवं चूर्णिल आसिता रोग के नियंत्रण के लिए

फूल लगने में मदद के लिए और इस समय फसल में, मकड़ी एवं चूर्णिल आसिता रोग के नियंत्रण के लिए होमोब्रेसीनोलाइड (डबल) 100 मिली + एबामेक्टिन 1.9% EC (अबासीन) 150 मिली + (टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG) (स्वाधीन) 500 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

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रोपाई के बाद 41 से 45 दिनों में -खड़ी फसल में उर्वरको की तीसरी खुराक

बेहतर विकास और विकास के लिए यूरिया 45 किग्रा + डीएपी 50 किग्रा + मैग्नेशियम सल्फेट 5 किग्रा + माइक्रोन्यूट्रिंट कॉम्बी मिट्टी मिक्स (एग्रोमिन) 5 किग्रा + कैल्शियम नाइट्रेट 5 किग्रा प्रति एकड़ मिट्टी पर करे ।

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रोपाई के बाद 26 से 30 दिनों में -थ्रिप्स एवं एफिड कीट के प्रबधन के लिए

 पौधों की ऊंचाई बढ़ने, पत्तियों का आकार बढ़ने के साथ साथ इस फसल अवस्था में रस चूसने वाले कीट (माहु एवं सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग) के प्रकोप को रोकने के लिए जिब्बरेलिक एसिड (नोवामेक्स) 300 मिली+ (थियामेथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5 % ZC) (नोवालक्सम) 80 मिली+ (मेटालैक्सिल 4% + मैनकोज़ेब 64% WP) (संचार) 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।

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रोपाई के 21 से 25 दिन बाद – सिंचाई और दूसरा मिट्टी उपयोग

वानस्पतिक अवस्था के दौरान फसल को दूसरी सिंचाई दें। जड़ सड़न, विल्ट जैसी बीमारियों से बचाव के लिए अतिरिक्त पानी को बाहर निकालें। नीचे दिए गए उर्वरकों को आपस में मिलाकर मिट्टी में मिलाएं | यूरिया – 45 किलो + डीएपी 50 किलो + मैग्नीशियम सल्फेट (ग्रोमोर)- 10 किलो + ज़िंक सल्फेट (ग्रोमोर) 5 किलो + सल्फर 90% WG (ग्रोमोर) 5 किलो प्रति एकड़

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रोपाई के बाद 11 से 15 दिनों में -थ्रिप्स एवं एफिड कीट के प्रबधन के लिए

वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ाने और इस समय फसल में तेला कीट एवं उकठा रोग का प्रकोप को रोकने के लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट (विगरमैक्स जेल) 400 मिली + थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W (मिलड्यूविप) 300 ग्राम + थियामेंथोक्साम 25% WG (थायोनोवा 75)- 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।

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