थ्रिप्स के हमले से मिर्च की पौध को कैसे रखें सुरक्षित?

Keep Chili plants safe from Thrips attack
  • थ्रिप्स कीट के वयस्क (एडल्ट) और शिशु (निम्फ) दोनों ही रूप पौधें को नुकसान पहुँचाते हैं। इनके वयस्क रूप छोटे, पतले और भूरे रंग के पंख वाले होते है, वही निम्फ सूक्ष्म आकार के पीलापन लिए हुए होते है।
  • थ्रिप्स से संक्रमित मिर्च की पत्तियों में झुर्रियां दिखाई देती हैं तथा ये पत्तियाँ ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।
  • इसके प्रभाव के प्रारंभिक अवस्था में पौधों का विकास, फूल का उत्पादन एवं फलों का बनना रुक जाता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफॉस 50% EC @ 30 मिली या एसीफेट 75% SP @ 18 ग्राम या फिप्रोनिल 5% SC @ 25 मिली प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

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मिर्च की नर्सरी में आर्द्र गलन रोग की पहचान और बचाव के उपाय

  • यह बीमारी नर्सरी में दो चरणों में आ सकती है। पहले चरण में अंकुरण से पहले मिर्च का बीज फंगस से सड़ जाता है, दूसरे चरण में अंकुरण के बाद तने का आधार सड़ने लगता है।
  • जिससे कमजोर और चिपचिपे तने पर पानी से भरे, कत्थई या काले घाव दिखाई देने लगते है।
  • इसके बाद की अवस्था में तना सिकुड़ जाता है और पौधा जमीन पर गिर कर मर जाता है।
  • इसके बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा विरिडी 5 ग्राम या कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% WP 3 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार करें।
  • इसके बचाव के लिए 30 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल 70% WP या 30 ग्राम मेटालैक्सील 4% + मैंकोजेब 64% WP नाम की दवा को 15 लीटर पानी में मिलाकर मिट्टी में छिड़काव करें।
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नर्सरी में ऐसे करें मिर्च के बीजों की बुआई

नर्सरी में मिर्च के बीजों की बुआई के समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है। इससे नर्सरी में अच्छी पौध तैयार होती है।

  • मिर्च की पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले बीजों की बुआई 3 गुणा 1.25 मीटर आकार की क्यारियों में करनी चाहिए।
  • ये क्यारियां ज़मीन से 8-10 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए ताकि पानी इक्कठा होने से बीज व पौध न सड़ जाये।
  • 150 किलो सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएँ ताकि मिट्टी की संरचना के साथ पौधे का विकास अच्छा हो और हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाए।
  • एक एकड़ के खेत के लिए 60-80 ग्राम मिर्च के बीजों की आवश्यकता नर्सरी में होती है।
  • क्यारियों में 5 सेमी की दूरी पर 0.5- 1 सेमी गहरी नालियां बनाकर बीजों की बुआई करें।
  • बुआई के बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे।
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मिर्च की नर्सरी लगाने के लिए स्थान का चुनाव कैसे करें?

How to choose a location for planting chili nursery

मिर्च की नर्सरी लगाने के लिए स्थान का चुनाव करते समय कुछ बातों का ध्यान रख कर हम इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

  • ज़मीन उपजाऊ, दोमट, खरपतवार रहित व अच्छे जल निकास वाली हो।
  • अम्लीय या क्षारीय ज़मीन का चयन न करें।
  • नर्सरी के पास बहुत बड़े पेड़ न हों।
  • नर्सरी में लंबे समय तक धूप रहती हो।
  • पौधशाला के पास सिंचाई की सुविधा मौजूद हो।
  • चुना हुआ क्षेत्र ऊंचा हो ताकि पानी न ठहरे।
  • एक स्थान पर बार-बार नर्सरी का निर्माण न करें।
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जानें मिर्च की नर्सरी में किये जाने वाले मिट्टी उपचार के फायदे

  • अनेक प्रमुख कीटों की प्रावस्थायें व मिट्टी जनित रोगों के कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो फ़सलों को विभिन्न प्रकार से क्षति पहुंचाते हैं। प्रमुख रूप से दीमक, सफेद गिडार (व्हाइट ग्रब), कटवर्म, सूत्रकृमि, आदि को मिट्टी उपचार द्वारा नष्ट किया जा सकता है।
  • फफूंदी/जीवाणु रोगों के भी मिट्टी जनित कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो अनुकूल परिस्थितियों में पौधे की विभिन्न प्रावस्थाओं को संक्रमित कर फसल उत्पादन में बाधक बन हानि पहुंचाते हैं।
  • मिट्टी उपचार करने से मिर्ची के पौधे का सम्पूर्ण विकास, सम्पूर्ण पोषण वृद्धि तथा भरपूर गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त होता है।
  • मिट्टी की संरचना सुधारने के साथ-साथ रसचूसक कीटों और रोगों का भी आक्रमण कम हो जाता है।
  • कीट व रोगों के आक्रमण करने के बाद उपचार करने से कृषि रक्षा रसायनों का अधिक उपयोग किया जाता है, फलस्वरूप अधिक व्यय हो जाने के कारण उत्पादन लागत में वृद्धि होती है।
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मिर्च की फसल में वैज्ञानिक विधि से नर्सरी प्रबंधन कैसे करें?

How to manage scientific nursery in chili
  • मिर्च की पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले बीजों की बुआई 3 गुणा 1.5 मीटर आकार की भूमि में करनी चाहिए तथा इसमें क्यारियां जमीन से 8-10 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए ताकि पानी इकट्ठा होने से बीज व पौध सड़ न जाये।
  • एक एकड़ क्षेत्र के लिए 100 ग्राम मिर्च के बीजों की आवश्यकता होती है। 150 किलो अच्छी सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुंद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएं ताकि मिट्टी की संरचना के साथ पौधे का विकास अच्छा हो और हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाए।
  • बुआई के 8-10 दिन बाद एफिड व जैसिड कीट आने पर 10 ग्राम थाइमेथोक्सोम 25% WG 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें तथा 20-22 दिन बाद दूसरा छिड़काव 5 ग्राम फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG को 15 लीटर पानी संग छिड़काव करें।
  • बुआई के 15-20 दिन बाद आर्द्र गलन की समस्या नर्सरी में आती है, अतः 0.5 ग्राम थियोफिनेट मिथाइल 70 WP का छिड़काव या डेंचिंग प्रति वर्ग मीटर करें या 30 ग्राम मेटालैक्सील 4% + मैंकोजेब 64% WP को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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Problems and solutions of sucking pest in chilli:-

मिर्ची की फसल में रस चूसने वाले कीटों जैसे एफिड,जैसिड और थ्रिप्स की मुख्य समस्या रहती हैं | यह कीट मिर्ची की फसल में पोधो के हरे भागो से रस चूस कर नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे पत्तिया मुड़ जाती हैं और जल्दी गिर जाती हैं | रस चूसक कीटों के संक्रमण से फंगस और वायरस द्वारा फैलने वाली बीमारियों की संभावना बढ़ सकती हैं | अतः इन कीटों  का समय पर नियंत्रण करना आवश्यक हैं:-

नियंत्रण:- प्रोफेनोफोस 50% EC @ 400 मिली/एकड़ या 

एसीफेट 75% SP @ 250 ग्राम/एकड़ या 

लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200-250 मिली/एकड़ या

फिप्रोनिल 5% SC @ 300-350 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए | अधिक जानकारी के लिए आप हमारे टोल फ्री न. 1800-315-7566 पर कॉल करे |

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Chilli nursery spray schedule

अच्छी पैदावार के लिए नर्सरी का ठीक से तैयार होना अति आवश्यक है अगर नर्सरी में पौध रोग रहित एवं स्वस्थ रहेगी तभी खेत में रोपाई के बाद तैयार मिर्च का पौधा भी मजबूत रहेगा इसलिए नर्सरी में पौधे की उचित देखभाल अवश्य करे | अच्छी पौधे तैयार करने हेतु ग्रामोफोन मिर्च की नर्सरी में तीन बार स्प्रै करने की सलाह देता हैं जो इस प्रकार है

  • पहला स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8 ग्राम/पम्प + एमिनो एसिड 20 मिली/पम्प (पत्तियों का रस चूसने वाले कीटो के नियंत्रण में सहायक) |
  • दुसरा स्प्रे – मेटलैक्सिल-M (मेफानोक्सम) 4% + मैनकोज़ब 64% डब्ल्यूपी 30 ग्राम/पम्प + 19:19:19 @ 100 ग्राम/पम्प ( डम्पिंग ऑफ के नियंत्रण में सहायक ) |
  • तीसरा स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8-10 ग्राम/पम्प + हुमिक एसिड 10-15 ग्राम/पम्प
  • समयानुसार अन्य कीट व रोग लगने पर उनका नियंत्रण करें |

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Nursery Management in Chilli

अच्छी पैदावार के लिए नर्सरी का ठीक से तैयार होना अति आवश्यक है अगर नर्सरी में पौध रोग रहित एवं स्वस्थ रहेगी तभी खेत में रोपाई के बाद तैयार मिर्च का पौधा भी मजबूत रहेगा इसलिए नर्सरी में पौधे की उचित देखभाल अवश्य करे | अच्छी पौधे तैयार करने हेतु ग्रामोफोन मिर्च की नर्सरी में तीन बार स्प्रै करने की सलाह देता हैं जो इस प्रकार है

  • पहला स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8 ग्राम/पम्प + एमिनो एसिड 20 मिली/पम्प (पत्तियों का रस चूसने वाले कीटो के नियंत्रण में सहायक) |
  • दुसरा स्प्रे – मेटलैक्सिल-M (मेफानोक्सम) 4% + मैनकोज़ब 64% डब्ल्यूपी 30 ग्राम/पम्प + 19:19:19 @ 100 ग्राम/पम्प ( डम्पिंग ऑफ के नियंत्रण में सहायक ) |
  • तीसरा स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8-10 ग्राम/पम्प + हुमिक एसिड 10-15 ग्राम/पम्प
  • समयानुसार अन्य कीट व रोग लगने पर उनका नियंत्रण करें |

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How to prepare Nursery for chilli

  • मिर्च के लिए नर्सरी तैयार करने का समय 1 मई से 30 मई हैं |
  • सबसे पहले मिट्टी को जुताई कर बारीक कर ले।
  • एक एकड़  क्षेत्रफल के लिए 60 मीटर वर्ग क्षेत्रफल की आवश्यकता होती है इस जगह को 3 मीटर लंबाई तथा 1.25 मीटर चौड़ाई के 16 से18 नर्सरी बेड में विभाजित कर लेते हैं
  • 60 मीटर वर्ग क्षेत्र के लिए 750 gm डीएपी 150 किलो गोबर की खाद की आवश्यकता होती हैं |
  • फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए थियोफैनेट मिथाइल 0.5 ग्राम / वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में मिलाइये।
  • मिर्च  के लिये उपयुक्त  बीज की दर 100 ग्राम / एकड़ हैं |

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