मिट्टी के पी एच मान का महत्त्व?
- इसके द्वारा मिट्टी की अभिक्रिया का पता चलता है, कि मिट्टी सामान्य, अम्लीय या क्षारीय प्रकृति की है। मृदा पी.एच. घटने या बढ़ने से पादपों की वृद्धि पर असर पड़ता है।
- समस्याग्रस्त क्षेत्रों में फसल की उपयुक्त किस्मों की संस्तुति की जाती है। जो कि अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो।
- मिट्टी पी.एच. मान 6.5 से 7.5 की बीच होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों को सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है। पी.एच. मान 6.5 से कम होने पर भूमि अम्लीय और 7.5 से अधिक होने पर भूमि क्षारीय होती है।
- अम्लीय भूमि के लिए चूना एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की संतुति की जाती है।
विद्युत चालकता (लवणों की सांद्रता) का महत्त्व?
- मृदा विद्युत चालकता (ईसी) एक अप्रत्यक्ष माप है जो मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों के साथ बहुत गहरा संबंध रखता है। मृदा विद्युत चालकता मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता का एक संकेत है।
- मिट्टी में लवणों की अधिक सान्द्रता पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया पर हानिकारक प्रभाव छोड़ती है।
- मृदा विद्युत चालकता स्तर का बहुत कम होना कम उपलब्ध पोषक तत्वों को इंगित करते हैं, और बहुत अधिक ईसी स्तर पोषक तत्वों की अधिकता का संकेत देते हैं।
- कम ईसी वाले अक्सर रेतीली मिट्टी में कम कार्बनिक पदार्थ के स्तर के साथ पाए जाते हैं, जबकि उच्च ईसी स्तर आमतौर पर मिट्टी में उच्च मिट्टी सामग्री (अधिक क्ले) के साथ पाए जाते हैं।
- मृदा कण में ‘बनावट, लवणता और नमी’ मिट्टी के गुण हैं जो ईसी स्तर को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।