- मिट्टी परीक्षण से मिट्टी में उपस्थित तत्वों का सही सही पता लगाया जाता है। इनकी जानकारी के बाद मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्व के अनुसार ही खाद व उर्वरक की मात्रा सम्बन्धी सिफारिश की जाती है।
- यानी मिट्टी परीक्षण जाँच के बाद संतुलित मात्रा में उर्वरक देकर खेती में अधिक लाभ लिया जा सकता है और उर्वरक लागत को कम किया जा सकता है।
- मिट्टी परीक्षण से मिट्टी पीएच, विघुत चालकता, जैविक कार्बन के साथ साथ मुख्य पोषक तत्वों और सूक्ष्म पोषक तत्वों का पता लगाया जा सकता है।
- मिट्टी पी.एच.मान से मिट्टी की सामान्य, अम्लीय या क्षारीय प्रकृति का पता लगाया जा सकता है। मिट्टी पी.एच. घटने या बढ़ने से पादपों की वृद्धि पर असर पड़ता है।
- मिट्टी पी.एच. पता चल जाने के बाद समस्या ग्रस्त क्षेत्रों में फसल की उपयुक्त उन किस्मों की सिफारिश की जाती है जो अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो।
- मिट्टी पी.एच. मान 6.5 से 7.5 के बीच होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों का सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है तथा अम्लीय भूमि के लिए चूने एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की सलाह दी जाती है।
- मिट्टी परीक्षण से विद्युत चालकता जानी जा सकती है, इससे यह जानकारी मिल जाती है कि मिट्टी में लवणों की सांद्रता या मात्रा किस स्तर पर है।
- मिट्टी में लवणों की अधिक सान्द्रता होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों के अवशोषण में कठिनाई आती है।
- मिट्टी परीक्षण से जैविक कार्बन जाँच कर मिट्टी की उर्वरता का पता चलता है।
- मिट्टी के भौतिक गुण जैसे मृदा संरचना, जल ग्रहण शक्ति आदि जैविक कार्बन से बढ़ते है।
- जैविक कार्बन पोषक तत्वों की लीचिंग (भूमि में नीचे जाना) को भी रोकता है।
- इसके अतिरिक्त पोषक तत्वों की उपलब्धता स्थानांतरण एवं रुपांतरण और सूक्ष्मजीवों की वृद्धि के लिए भी जैविक कार्बन बहुत उपयोगी होता है।
- मिट्टी की उर्वरा क्षमता के आधार पर कृषि उत्पादन एवं अन्य उपयोगी योजनाओं को लागू करने में सहायता मिलती है।
- अतः इन सभी जानकारियों से मालूम होता है कि मिट्टी परीक्षण कितना आवश्यक है।
मिट्टी परीक्षण में मिट्टी के पी.एच. मान एवं विद्युत चालकता का महत्व
मिट्टी के पी एच मान का महत्त्व?
- इसके द्वारा मिट्टी की अभिक्रिया का पता चलता है, कि मिट्टी सामान्य, अम्लीय या क्षारीय प्रकृति की है। मृदा पी.एच. घटने या बढ़ने से पादपों की वृद्धि पर असर पड़ता है।
- समस्याग्रस्त क्षेत्रों में फसल की उपयुक्त किस्मों की संस्तुति की जाती है। जो कि अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो।
- मिट्टी पी.एच. मान 6.5 से 7.5 की बीच होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों को सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है। पी.एच. मान 6.5 से कम होने पर भूमि अम्लीय और 7.5 से अधिक होने पर भूमि क्षारीय होती है।
- अम्लीय भूमि के लिए चूना एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की संतुति की जाती है।
विद्युत चालकता (लवणों की सांद्रता) का महत्त्व?
- मृदा विद्युत चालकता (ईसी) एक अप्रत्यक्ष माप है जो मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों के साथ बहुत गहरा संबंध रखता है। मृदा विद्युत चालकता मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता का एक संकेत है।
- मिट्टी में लवणों की अधिक सान्द्रता पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया पर हानिकारक प्रभाव छोड़ती है।
- मृदा विद्युत चालकता स्तर का बहुत कम होना कम उपलब्ध पोषक तत्वों को इंगित करते हैं, और बहुत अधिक ईसी स्तर पोषक तत्वों की अधिकता का संकेत देते हैं।
- कम ईसी वाले अक्सर रेतीली मिट्टी में कम कार्बनिक पदार्थ के स्तर के साथ पाए जाते हैं, जबकि उच्च ईसी स्तर आमतौर पर मिट्टी में उच्च मिट्टी सामग्री (अधिक क्ले) के साथ पाए जाते हैं।
- मृदा कण में ‘बनावट, लवणता और नमी’ मिट्टी के गुण हैं जो ईसी स्तर को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
How to improve production by improving soil health
मिट्टी की सेहत कैसे सुधारे-
फसलों के उत्पादन को 50 % तक बढ़ाने के लिए हमें मिट्टी में तीन महत्वपूर्ण उपाय करने चाहिए |
- मिट्टी में पोषक तत्वो की मात्रा को बढ़ाना |
- मिट्टी की भौतिक अवस्था में सुधार करना |
- मिट्टी में pH के संतुलन को बनाये रखना |
- मिट्टी में पोषक तत्व की मात्रा को बढ़ाने हेतु –
- पिछली फसल की कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष को आग लगा कर नष्ट नहीं करना चाहिये |
- कटाई के उपरान्त खेत की दो बार जुताई करे, जिससे फसल के अवशेष विघटित होकर पौधों को पोषक तत्व प्रदान करेंगे |
- खेत की जुताई के समय FYM 10 टन/एकड़ या वर्मीकम्पोस्ट 2.5 टन/एकड़ + एस.एस.पी. 100 किलो/एकड़ की दर से मिला कर दे |
- 1 kg माइक्रोन्यूट्रिएंट + PSB 2 kg+ KMB 2 kg + NFB 2 kg + ZnSB 4 kg + ट्राइकोडर्मा 3 kg/एकड़ बुवाई के समय देने से पोषक तत्व की मात्रा में वृद्धि होती हैं |
- मिट्टी की भौतिक अवस्था में सुधार हेतु –
- यदि किसान के पास पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो तो फसल की कटाई के बाद खेत की जुताई करे और स्पीड कम्पोस्ट की 4kg/एकड़ की दर से मिट्टी में बिखेर कर सिचाई कर दे |
- 15 – 20 दिन में स्पीड कम्पोस्ट की सहायता से फसल अवशेष अच्छी तरह से विघटित होकर मिट्टी की संरचना को सुधारते हैं|
- मिट्टी के pH संतुलन हेतु –
- मिट्टी के pH को नियंत्रित करने लिए धीमी गति से रिलीज होने वाले पोषक तत्वों का उपयोग करना चाहिए |
- अधिक क्षार तथा अम्ल स्वभाव के उर्वरको का उपयोग संतुलित मात्रा में करना चाहिए |
- फसलों के अच्छे उत्पादन हेतु मिट्टी का pH 6.0 से 7.0 तक होना चाहिए |
- अम्लीय मिट्टी के सुधार हेतु चूने (कैल्शियम कार्बोनेट) की मात्रा मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार डालना चाहिए |
- क्षारीय मिट्टी के सुधार हेतु जिप्सम की मात्रा मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार डालना चाहिए |
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Why & how to apply FYM in soil?
- देश भर में अधिकांश कृषि योग्य भूमि में 11% से 76% तक कार्बनिक कार्बन की कमी हैं |
- गोबर की खाद कार्बनिक कार्बन का एक अच्छा स्रोत है|
- मृदा जैविक कार्बन मिट्टी की उर्वरता का प्रमुख कारक है, जो पौधों की उचित बढ़वार के लिए, मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे, जल धारण क्षमता, सरंध्रता आदि में सुधार करते हैं।
- गोबर की खाद एक कार्बनिक खाद हैं, जो कृषि में उर्वरक की तरह उपयोग की जाती हैं यह खेत की उर्वरता को बढ़ाता हैं | औसत रूप से अच्छी खाद में 0.5% नाइट्रोजन, 0.2% फास्फोरस 0.5% पोटाश होता हैं।
- यह सूक्ष्म पोषक तत्व एवं पादप पोषक तत्वों की मिट्टी में पूर्ति करते हैं तथा इन तत्वों की उपलब्धता को भी बढ़ाते हैं |
- यह मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे, जल धारण क्षमता, सरंध्रता आदि में सुधार करते हैं।
- वर्षा के पानी के कारण लीचिंग की वजह से मिट्टी में मौजुद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं | इसलिए अच्छी तरह से तैयार या पकी हुई खाद 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में जुताई से पहले ठीक तरह से मिला देना चाहिए।
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