मिट्टी परीक्षण हेतु नमूना लेते वक्त जरूर बरतें ये सावधानियाँ

Things to remember while taking a soil's sample
  • पेड़ के नीचे, मेड से, निचले स्थानों से, जहां खाद का ढेर हो, जहां पानी इकट्ठा होता हो आदि स्थानों से नमूना नहीं लें। 
  • मिट्टी परीक्षण के लिए नमूना इस तरीके से लें कि वह स्थान पूरे खेत का प्रतिनिधित्व करता हो, इसके लिए कम से कम 500 ग्राम नमूना अवश्य लेना चाहिए।
  • मिट्टी की ऊपरी सतह से कार्बनिक पदार्थों जैसे टहनियाँ, सुखी पत्तिया, डण्ठल एवं घास आदि को हटाकर खेत के क्षेत्र के अनुसार 8-10 स्थानों का नमूना लेने हेतु चुनाव करें।
  • चयनित स्थानों पर लगाई जाने वाली फसल के जड़ की गहराई जितनी गहराई से ही मिट्टी का नमूना लेना चाहिए।
  • मिट्टी का नमूना किसी साफ बाल्टी या तगारी में एकत्रित करना चाहिए।
  • मिट्टी के इस नमूने को लेबलिंग ज़रूर कर लें।
Share

मिट्टी परीक्षण में जैविक कार्बन का महत्व

Importance of Organic Carbon in soil testing
  • यह मृदा में कार्बनिक पदार्थ विच्छेदन व संश्लेषण प्रतिक्रियाओं द्वारा ह्यूमस बनाता है, जो मृदा स्वास्थ्य में सुधार के साथ मृदा की उर्वरता भी बनाये रखता है।
  • भूमि में इसकी अधिकता से मिट्टी की भौतिक और रासायनिक गुणवत्ता बढ़ती है। भूमि की भौतिक गुणवत्ता जैसे मृदा संरचना, जल ग्रहण शक्ति आदि जैविक कार्बन से बढ़ती है।
  • इसके अतिरिक्त पोषक तत्वों की उपलब्धता स्थानांतरण एवं रुपांतरण और सूक्ष्मजीवी पदार्थों व जीवों की वृद्धि के लिए भी जैविक कार्बन बहुत उपयोगी होता है।
  • यह पोषक तत्वों की लीचिंग (भूमि में नीचे जाना) को भी रोकता है।
Share

मिट्टी परीक्षण में मिट्टी के पी.एच. मान एवं विद्युत चालकता का महत्व

मिट्टी के पी एच मान का महत्त्व?

  • इसके द्वारा मिट्टी की अभिक्रिया का पता चलता है, कि मिट्टी सामान्य, अम्लीय या क्षारीय प्रकृति की है। मृदा पी.एच. घटने या बढ़ने से पादपों की वृद्धि पर असर पड़ता है।
  • समस्याग्रस्त क्षेत्रों में फसल की उपयुक्त किस्मों की संस्तुति की जाती है। जो कि अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो। 
  • मिट्टी पी.एच. मान 6.5 से 7.5 की बीच होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों को सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है। पी.एच. मान 6.5 से कम होने पर भूमि अम्लीय और 7.5 से अधिक होने पर भूमि क्षारीय होती है।
  • अम्लीय भूमि के लिए चूना एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की संतुति की जाती है। 

विद्युत चालकता (लवणों की सांद्रता) का महत्त्व?

  • मृदा विद्युत चालकता (ईसी) एक अप्रत्यक्ष माप है जो मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों के साथ बहुत गहरा संबंध रखता है। मृदा विद्युत चालकता मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता का एक संकेत है। 
  • मिट्टी में लवणों की अधिक सान्द्रता पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया पर हानिकारक प्रभाव छोड़ती है। 
  • मृदा विद्युत चालकता स्तर का बहुत कम होना कम उपलब्ध पोषक तत्वों को इंगित करते हैं, और बहुत अधिक ईसी स्तर पोषक तत्वों की अधिकता का संकेत देते हैं। 
  • कम ईसी वाले अक्सर रेतीली मिट्टी में कम कार्बनिक पदार्थ के स्तर के साथ पाए जाते हैं, जबकि उच्च ईसी स्तर आमतौर पर मिट्टी में उच्च मिट्टी सामग्री (अधिक क्ले) के साथ पाए जाते हैं।
  • मृदा कण में ‘बनावट, लवणता और नमी’ मिट्टी के गुण हैं जो ईसी स्तर को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
Share

मिट्टी परीक्षण के लिए नमूना लेने की प्रक्रिया

  • मिट्टी का नमूना कुछ इस प्रकार लेना चाहिए कि वह उस पूरे क्षेत्र या खेत का प्रतिनिधित्व करे, इसके लिए कम से कम 500 ग्राम नमूना अवश्य लेना चाहिए।
  • मिट्टी की ऊपरी सतह से कार्बनिक पदार्थों जैसे टहनियाँ, सुखी पत्तिया, डण्ठल एवं घास आदि को हटाकर खेत के क्षेत्र के अनुसार 8-10 स्थानों का नमूना लेने हेतु चुनाव करें।
  • चयनित स्थानों पर उथली जड़ वाली फसल में 10-15 सेमी तथा गहरी जड़ वाली फसल में 25-30 सेमी की गहराई तक अंग्रेजी के V आकार का गड्ढा बनाएं।
  • इसके बाद पूरी गहराई तक मिट्टी की एक इंच मोटी एक समान परत काट कर साफ बाल्टी या तगारी में एकत्रित कर लें।
  • इसी प्रकार अन्य चयनित स्थानों से भी नमूने एकत्रित करें और इसके मिश्रण को चार भाग में बाँट लें।
  • इन चार भागों के आमने सामने के एक एक भाग को बाहर कर दें तथा बचे हुए हिस्से का ढेर बना कर फिर से वही प्रक्रिया दोहरायें जब तक आधा किलो मिट्टी का नमूना न बच जाए।
  • मिट्टी के इस नमूने को एकत्रित कर पॉलीथीन में डाल कर लेबलिंग कर लें ।
  • लेबलिंग में किसान का नाम, खेत की अवस्थिति, मिट्टी का नमूना लेने की तारीख़ तथा पिछली, वर्तमान और आगे बोने वाली फसल का नाम लिख दें।

मिट्टी परीक्षण के लिए नमूना लेने की प्रक्रिया से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए यह वीडियो देखे-

Share

मिट्टी परीक्षण से हमें किस प्रकार की जानकारियाँ मिलती हैं?

मिट्टी परीक्षण से मिट्टी में उपस्थित तत्वों का सही सही पता लगाया जा सकता है। इनकी जानकारी के बाद इसकी मदद से मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्व की मात्रा को संतुलित मात्रा में उर्वरक देकर खेती के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है। इससे फसल की पैदावार अच्छी होती है।

मिट्टी परीक्षण से निम्नलिखित तथ्यों का पता लगाया जा सकता है।

  • मिट्टी पीएच
  • विघुत चालकता (लवणों की सांद्रता)
  • जैविक कार्बन
  • उपलब्ध नाइट्रोजन
  • उपलब्ध फास्फोरस
  • उपलब्ध पोटाश
  • उपलब्ध कैल्शियम
  • उपलब्ध जिंक
  • उपलब्ध बोरोन
  • उपलब्ध सल्फर
  • उपलब्ध आयरन
  • उपलब्ध मैगनीज
  • उपलब्ध कॉपर
Share

मिट्टी परीक्षण करने का मुख्य उद्देश्य

  • फसलों में रासायनिक खादों के प्रयोग की सही मात्रा निर्धारित करने के लिए।
  • ऊसर तथा अम्लीय भूमि के सुधार तथा उसे उपजाऊ बनाने का सही ढंग जानने के लिए।
  • फसल लगाने हेतु भूमि की अनुकूलता तय करने के लिए।
Share

Objectives of Soil testing

मिट्टी परीक्षण के उद्देश्य:-

  • फसलों में रासायनिक खादों के प्रयोग की सही मात्रा निर्धारित करने के लिए।
  • ऊसर तथा अम्लिय भूमि के सुधार तथा उसे उपजाऊ बनाने का सही ढंग जानने के लिए।
  • फसल लगाने हेतु भूमि की अनुकूलता तय करने के लिए।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share