जलभराव की स्थिति में पानी आवश्यकता से अधिक मात्रा में खेत में मौजूद होता है। खेत में अतिरिक्त जल से निम्न हानि होती है-
सोयाबीन की फसल में अत्यधिक जल भराव के कारण, वायु संचार में बाधा एवं मृदा तापक्रम में गिरावट आती है, साथ ही लाभदायक जीवाणुओं की सक्रियता कम हो जाती है, एवं नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्रिया सही से नहीं हो पाती है। इस कारण पौधो की जड़ों को पूरी मात्रा में हवा, पानी, पोषक तत्व एवं खाली स्थान नहीं मिल पाता है। अधिक जल भराव के कारण हानिकारक लवण एकत्रित होते है, जिससे जड़ सड़न की समस्या देखने को मिलती है l
खेत में जलभराव को कम करने के लिए जल निकास जरूरी है। ये ऐसी फसल है जो न तो सूखा सहन कर सकती है और न ही अधिक पानी सहन कर सकती है। इसलिए जल निकासी के लिए बुवाई के समय ही नालियां तैयार कर लेना चाहिए व खेत में जलभराव होने की स्थिति में खेत से अतिरिक्त जल निकास नालियां बनाकर जल को खेत से बाहर निकाल दें।
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