सोयाबीन की फसल में अत्यधिक जल भराव से जड़ गलन की समस्या एवं बचाव के उपाय

Root rot problem and preventive measures due to excessive water logging in soybean crops

जलभराव की स्थिति में पानी आवश्यकता से अधिक मात्रा में खेत में मौजूद होता है। खेत में अतिरिक्त जल से निम्न हानि होती है-

सोयाबीन की फसल में अत्यधिक जल भराव के कारण, वायु संचार में बाधा एवं मृदा तापक्रम में गिरावट आती है, साथ ही लाभदायक जीवाणुओं की सक्रियता कम हो जाती है, एवं नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्रिया सही से नहीं हो पाती है। इस कारण पौधो की जड़ों को पूरी मात्रा में हवा, पानी, पोषक तत्व एवं खाली स्थान नहीं मिल पाता है। अधिक जल भराव के कारण हानिकारक लवण एकत्रित होते है, जिससे जड़ सड़न की समस्या देखने को मिलती है l

खेत में जलभराव को कम करने के लिए जल निकास जरूरी है। ये ऐसी फसल है जो न तो सूखा सहन कर सकती है और न ही अधिक पानी सहन कर सकती है। इसलिए जल निकासी के लिए बुवाई के समय ही नालियां तैयार कर लेना चाहिए व खेत में जलभराव होने की स्थिति में खेत से अतिरिक्त जल निकास नालियां बनाकर जल को खेत से बाहर निकाल दें।

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जानिए, सोयाबीन की फसल में सल्फर क्यों है जरूरी?

👉🏻गत वर्षों से संतुलित उर्वरकों के अन्तर्गत केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश के उपयोग पर ही बल दिया जा रहा था। सल्फर के उपयोग पर विशेष ध्यान न दिये जाने के कारण मृदा परीक्षण के दौरान मिट्टी में गंधक (सल्फर) की कमी पाई गई। आज उपयोग में आ रहे सल्फर रहित उर्वरकों जैसे यूरिया, डीएपी, एनपीके तथा म्यूरेट आफ पोटाश के उपयोग से सल्फर की कमी निरंतर बढ रही है। इस नतीजे को ध्यान में रखते हुए सल्फर का खेत में डालना बहुत जरूरी है। 

👉🏻पौधों के उचित वृद्धि तथा विकास के लिये आवश्यक 18 तत्वों में से गंधक एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा को बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक है। सल्फर द्वितीयक पोषक तत्व है इसकी बड़ी मात्रा में पौधों को आवश्यकता होती है। 

👉🏻सोयाबीन की उच्च पैदावार के लिए उचित पोषण प्रबंधन बहुत ही आवश्यक है सोयाबीन में सल्फर की मांग बीज भराव के दौरान अधिकतम होती है, क्योंकि सोयाबीन के बीज में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसलिए बीज बनने के दौरान सोयाबीन में समुचित प्रोटीन निर्माण के लिए सल्फर और नाइट्रोजन पोषण में संतुलन बहुत ही महत्वपूर्ण है।

👉🏻सोयाबीन की फसल में सल्फर आपूर्ति के लिए मुख्यतः – बेंटोनाइट सल्फर और परंपरागत सल्फर युक्त उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है, सोयाबीन जैसी कम दिनों की फसलों में सल्फर की तुरंत और लगातार आपूर्ति के लिए, ग्रोमर सल्फर 90% जीआर या ग्रोमर सल्फा मैक्स 90% जीआर @ 5 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग कर सकते है।

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सोयाबीन की फसल में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन कैसे करें?

किसान भाइयों, सोयाबीन की उच्च पैदावार के लिए उचित पोषण प्रबंधन और उर्वरकों का प्रयोग बहुत आवश्यक है। सोयाबीन में पोषक तत्वों की मांग फसल बढ़वार से लेकर बीज भराव तक अधिकतम होती है। 

बुवाई के 1 सप्ताह पूर्व खेत की तैयारी करते समय गोबर की खाद 4 टन + कालीचक्र (मेट्राजियम) @ 2 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी में डालें।

बुवाई के समय सोयाबीन समृद्धि किट (एक किट प्रति एकड़) “किट में शामिल उत्पाद हैं – प्रो कॉम्बिमैक्स (एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया) – 1 किलोग्राम + समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक (ट्राईकॉट मैक्स )- 4 किलोग्राम), सोयाबीन के लिए राइजोबियम (जैव वाटिका आर सोया)” – 1 किलोग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से अवश्य प्रयोग करें। 

साथ ही एमओपी 20 किलोग्राम, डीएपी 40 किलोग्राम, या (एसएसपी के साथ डीएपी 25 किलोग्राम), एसएसपी 50 किलोग्राम, अमोनियम सल्फेट/यूरिया एसएसपी के साथ 15/8 किलोग्राम), केलडान (कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड) 5 किलोग्राम या दंतोत्सु (क्लोथियानिडिन 50% डब्ल्यूडीजी 100 ग्राम, जिंक सल्फेट 3 किलोग्राम, सल्फर 90% डब्ल्यू जी 5 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से अवश्य प्रयोग करें।

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सोयाबीन में बीज उपचार कर स्वस्थ फसल पाएं

👉🏻किसान भाइयों, सोयाबीन की फसल में बुवाई से पहले बीजों का उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।

👉🏻सोयाबीन की फसल में बीज उपचार जैविक एवं रसायनिक दोनों विधियों से किया जा सकता है।  

👉🏻सोयाबीन में बीज उपचार फफूंदनाशी एवं कीटनाशी दोनों से किया जाता है। 

👉🏻फफूंदनाशी से बीज उपचार करने के लिए करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी) @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या वीटा वैक्स अल्ट्रा (कार्बोक्सिन 17.5%+ थायरम 17.5% एफएफ) @ 2.5 मिली/किलो बीज या कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी) @ 5-10 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित करें। 

👉🏻कीटनाशी से बीज उपचार करने के लिए थायो नोवा सुपर (थायोमिथोक्साम 30% एफएस) @ 4 मिली/किलो बीज या गौचो (इमिडाक्लोरोप्रिड 48% एफएस) @ 1.25 मिली/किलो बीज से बीज उपचार करें। 

👉🏻सोयाबीन फसल में नाइट्रोज़न स्थिरीकरण को बढ़ाने के लिए राइजोबियम [जैव वाटिका -आर सोया] @ 5 ग्राम किलो बीज से उपचारित करें।  

👉🏻फफूंदनाशी से बीज उपचार करने से सोयाबीन उकठा रोग, जड़ सड़न रोग से सुरक्षित रहती है। 

बीज का अंकुरण सही ढंग से होता है अंकुरण प्रतिशत बढ़ता है, फसल का प्रारंभिक विकास समान रूप से होता है।

👉🏻राइज़ोबियम से बीज़ उपचार सोयाबीन की फसल की जड़ो में गाठो (नॉड्यूलेशन) को बढ़ाता है एवं अधिक नाइट्रोज़न का स्थिरीकरण करती है।  

👉🏻कीटनाशकों से बीज उपचार करने से मिट्टी जनित कीटो जैसे-सफ़ेद ग्रब, चींटी, दीमक आदि से सोयाबीन की फसल की रक्षा होती है। 

👉🏻प्रतिकूल परिस्थितियों (कम/उच्च नमी) में भी अच्छी फसल प्राप्त होती है।

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