प्याज भंडारण में मददगार होगा बिना किसी खर्च से बना यह देशी जुगाड़

onion storage

बहुत सारे किसान प्याज की उपज प्राप्ति के बाद इसे बेचने के बजाय इसका भंडारण कर के रखना चाहते हैं ताकि जब प्याज के रेट बढे तब वे इसका अच्छा दाम ले सकें। पर भंडारण करने में भी किसानों को काफी खर्च करना पड़ जाता है। बहरहाल वीडियो में एक किसान ने भंडारण का देशी तरीका बताया है जिसमे कोई बड़ा खर्च भी नहीं करना पड़ता है। विस्तृत जानकारी के लिए देखें वीडियो।

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

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कपास में इन लक्षणों से पहचानें कोणीय धब्बा रोग, करें नियंत्रण

Symptoms and control of angular spot disease in cotton crop
  • कपास का कोणीय धब्बा रोग जिसे बैक्टीरियल ब्लाइट, बॉल रॉट और ब्लैक लेग भी कहा जाता है, एक संभावित विनाशकारी जीवाणु रोग है।

  • कोणीय धब्बा रोग मुख्यतः पत्तियों को प्रभावित करता है। इसके कारण पत्तियों पर जलसक्त धब्बे दिखाई देते हैं एवं यह धब्बे शुरुआती समय में पत्तियों पर दिखाई देते हैं।

  • यह धब्बे पत्तियों की ऊपरी सतह पर दिखाई देता है और बाद में पूरी पत्ती पर फैल जाता है। इन धब्बों का आकर धीरे-धीरे बढ़ कर कोणीय आकार का हो जाता है। धब्बे जैसे जैसे पुराने होते जाते हैं वैसे वैसे भूरे-काले हो जाते है।

  • रासायनिक प्रबधन: कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ या स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W @ 20 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।

  • जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।

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सोयाबीन में सल्फर का होता है महत्व, उपयोग पूर्व बरतें सावधानियाँ

Sulfur is important in soybean
  • सोयाबीन की फसल में सल्फर (गंधक) की कमी के लक्षण सर्वप्रथम नई पत्तियों पर दिखाई देते हैं। इसके कारण पत्तियाँ पीली व हरे रंग की हो जाती हैं वहीं पुरानी पत्तियां सामान्य रहती हैं। कुछ समय बाद पत्तियॉं एवं पर्ण छोटे आकार के हो जाते हैं एवं सम्पूर्ण पौधा पीला पड़ जाता है। तने पतले तथा कमजोर व जड़ कड़ी हो जाती है, जिससे पौधों की वृद्धि रूक जाती है।

  • गंधक (सल्फर) का जैव रसायनिक महत्व: गंधक (सल्फर) कुछ महत्वपूर्ण एमिनों अम्ल का आवश्यक घटक है। हरित लवक निर्माण मे इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है। तेल के जैव उत्पादन, सोयाबीन फसल में ग्रंथिका निर्माण, जैविक नत्रजन स्थिरीकरण में तथा स्वस्थ दानों के निर्माण में गंधक (सल्फर) सहायक है।

  • सोयाबीन की फसल में सल्फर का उपयोग करने के पहले कुछ सावधानियां रखनी बहुत आवश्यक है। सबसे पहले सल्फर का उपयोग बुवाई के समय या बुवाई के बाद 40 दिनों तक कर सकते है। सल्फर के उपयोग के पूर्व इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो। कम बारिश की स्थिति में, सल्फर उपयोग करने के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें।

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मध्य प्रदेश में मानसून ने पकड़ी रफ्तार, आज भी भारी बारिश की संभावना

monsoon

मध्य प्रदेश के कई जिले में बारिश शुरू हो गई है और यह अब और बढ़ेगी। 23 जुलाई के आसपास बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भाग में निम्न दबाव का क्षेत्र बनेगा जिसके प्रभाव से उड़ीसा, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश में भारी बारिश की संभावना है। दिल्ली में भी 23 और 24 जुलाई को बारिश हो सकती है। 22 से 24 जुलाई के बीच राजस्थान तथा पश्चिमी मध्य प्रदेश में भी अच्छी बारिश के आसार।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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20 जुलाई को इंदौर मंडी में क्या रहे प्याज के भाव?

What were the prices of onions in Indore's mandi today

वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 20 जुलाई के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

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सोयबीन में बढ़ेगा चारे का प्रकोप, चारामार के उपयोग में जरूर रखें ये सावधानियाँ

What precautions should be taken while using weedicide in soybean crop

सोयाबीन की फसल में इस समय चारे यानी की खरपतवार का प्रकोप बढ़ रहा है। ऐसे में आप अच्छे ब्रांड्स के चारामार का उपयोग कर सकते हैं। चारामार के उपयोग के समय कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है।

  • चारे की दो से तीन पत्ती की अवस्था में ही चारामार का उपयोग करें।

  • चारामार के उपयोग के पूर्व यह सुनिश्चित करें की खेत में पर्याप्त नमी हों।

  • चारामार के छिड़काव के लिए ऐसे स्प्रे पंप का इस्तेमाल करें जिसमे कट नोज़ल हो। इससे चारामार दवा का फसल पर कोई विपरीत असर नहीं होता है। आप एक एकड़ के लिए 150-200 लीटर पानी का उपयोग करें।

  • चारे पर इसका अच्छा असर हो इसके लिए चारामार दवाई में चिपको मिलाकर उपयोग करें। इस बात का ध्यान रखें की जिस खरपतवार नाशक का उपयोग कर रहे हैं वह चौड़ी एवं सकरी दोनों तरह की खरपतवारों का नियंत्रण करता हो।

  • चारामार दवाई का घोल बनाते समय इसे सही क्रम मे मिलाएं तथा इसकी जानकारी के लिए साथ मिले पर्चे या डब्बे पर लिखी विधी को अच्छे से पढ़ें। चारामार खरीदने से पहले उसके अवसान की तिथि एवं उपयोग का तरीका ठीक से पढ़ लेना चाहिए।

  • फसल एवं खरपतवार की आवश्यकता अनुसार शाकनाशी का चुनाव करें। चारामार के साथ किसी भी कीटनाशक एवं कवकनाशक को साथ में ना मिलाएं।

  • चारामार दवाई का घोल बनने के लिए साफ पानी का इस्तमाल करें एवं छिड़काव के बाद स्प्रे पंप की अच्छे से साफ पानी से सफाई कर लें।

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बेहद कम कीमत पर ट्रैक्टर व अन्य महंगे कृषि यंत्रों का करें इस्तेमाल

Use tractors and other expensive agricultural equipment at a very low cost

बिना मशीन का इस्तेमाल किये खेती करना अब काफी मुश्किल हो गया है। पर ट्रैक्टर और अन्य बड़े बड़े कृषि यंत्र खरीदना हर किसान के लिए संभव नहीं है। इसीलिए सरकार कई ऐसी योजनाएं चला रही है जिसके माध्यम से किसान बड़े बड़े कृषि यंत्र किराए पर लेकर अपने कृषि कार्य कर सकते हैं और फिर उसे लौटा सकते हैं। वीडियो के माध्यम से जानते हैं ऐसी ही कृषि योजनाओं के बारे में विस्तार से।

स्रोत: किसान समाधान

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

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लोन ले कर लगाएं सोलर पावर प्लांट और बिजली की चिंताओं से हो जाएँ मुक्त

Install solar power plant by taking a loan and be free from electricity worries

केंद्र सरकार की कुसुम योजना एक ऐसी योजना है जिसकी सहायता से किसान सौर उर्जा यंत्र व पंप लगा सकते हैं और अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। यही नहीं किसान सोलर पैनल लगा कर उससे पैदा होने वाली बिजली का उपयोग भी अपनी खेती में कर सकते हैं।

कई राज्य में सोलर उपकरण, पंप और पैनल लगाने के लिए सब्सिडी और ऋण भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में झारखंड में भी किसानों द्वारा सोलर पावर प्लांट लगाने पर ऋण मिल रहे हैं। यह ऋण नाबार्ड व केनरा बैंक के माध्यम से किसान ले सकते हैं। झारखंड सरकार इस योजना के साथ पहले चरण में 50 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। बता दें की इस योजना के तहत अभी तक 65 किसानों ने आवेदन कर दिया है।

स्रोत: कृषि जागरण

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मिर्च में हो रहा एन्थ्रेक्नोज रोग का प्रकोप, ऐसे करें नियंत्रण

How to control anthracnose disease in chilli crop
  • मिर्च की फसल में इस बीमारी के लक्षण पौधे में पत्ती, तना और फल पर दिखाई देते हैं।

  • इसके कारण मिर्च के फल पर छोटे, गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में धीरे- धीरे फैलकर आपस में मिल जाते हैं।

  • इसके कारण फल बिना पके ही गिरने लगते हैं और फसल से प्राप्त उपज में भारी नुकसान होता है।

  • यह एक कवक जनित रोग है जो सबसे पहले मिर्च के फल के डंठल पर आक्रमण करता है और बाद में पूरे पौधे पर फैल जाता है।

  • रासायनिक नियंत्रण: इस रोग के नियंत्रण के लिए टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 250 मिली/एकड़ या कैपटान 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC @ 200 मिली/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 70% WP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक प्रबंधन: जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में करें। स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम की दर छिड़काव करें।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में तेज बारिश की संभावना, जानें मौसम पूर्वानुमान

weather forecast

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा तथा महाराष्ट्र के कई जिलों में तेज बारिश के आसार। दिल्ली में लगातार बारिश की गतिविधियां जारी है। यह इस मानसून की सबसे भारी बारिश है। पूर्वी राजस्थान में भी बढ़ सकती है बारिश। पश्चिमी तट पर भी भारी बारिश जारी रहेगी। पूर्वोत्तर में भी तेज बारिश संभव है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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