आज से बदल जाएगा मध्य प्रदेश का मौसम, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather Forecast

मध्य प्रदेश समेत मध्य भारत के कई क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश की गतिविधियां आज से थम जायेगी। दरअसल आज से वेदर सिस्टम उत्तर एवं मध्य भारत से आगे बढ़ते हुए अब उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में पहुंचेगा और बारिश का दौर भी मध्य और उत्तरी भारत से खत्म हो जाएगा।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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अगर जानवरों में आ रहे हों ये लक्षण तो यह TB रोग का हो सकता है प्रकोप

Symptoms of TB in animals
  • जिस प्रकार मनुष्य में TB रोग होता है ठीक उसी प्रकार जानवरों में भी यह रोग होता है।
  • इस रोग के कारण पशु कमजोर और सुस्त हो जाते हैं। कभी-कभी तो इसके कारण पशुओं के नाक से खून निकलने लगता है और सूखी खांसी भी हो सकती है।
  • इसके कारण पशुओं में खाने के रूचि भी काफी कम हो जाती है तथा फेफड़ों में सूजन भी हो जाती है।
  • इस रोग से ग्रसित पशुओं को बाकी स्वस्थ पशुओं से दूर रखना चाहिए।
  • पशुओं में इसके लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएँ।
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तरबूज की उपज के लिए राजस्थान के दो रियासतों में क्यों छिड़ गई थी युद्ध?

When the war broke out in two princely states of Rajasthan for the production of watermelon

तरबूज की खेती आजकल कई किसान करते हैं और इससे अच्छा लाभ भी उन्हें मिलता है। पर क्या आप जानते हैं की तरबूज की खेती की वजह से इतिहास में एक बार दो रियासतों के बीच युद्ध छिड़ गई थी? जी हाँ ये वाक्या दरअसल राजस्थान में सन 1644 ईस्वी में पेश आया था जब तरबूज की फसल के लिए बीकानेर और नागौर रियासतों के बीच युद्ध छिड़ गई और इसमें हजारों सैनिकों की जान भी चली गई थी।

बीकानेर और नागौर रियासत की सीमा पर उगे तरबूज की फसल के लिए दो खेत मालिकों के बीच हुई कहासुनी इस युद्ध के शुरुआत का कारण बनी। दरअसल बीकानेर रियासत के आखिरी गांव में तरबूज की फसल लगाई गई। इस तरबूज की बेल फैलते-फैलते दूसरी रियासत के गांव में चली गई। जब तरबूज के फल उगने लगे तब इसी फल पर दावेदारी के लिए यह युद्ध हुई। इस युद्ध में जीत बीकानेर रियासत की हुई और नागौर के सैनिक बुरी तरह हार गए थे।

स्रोत: न्यूज़ 18

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मध्यप्रदेश के मंडियों में 12 मार्च को क्या रहा अलग अलग फसलों का भाव

Mandi Bhaw Madhya Pradesh

 

मंडी फसल मॉडल भाव प्रति क्विंटल
रतलाम लहसुन देसी 35 मिमी + 4300
रतलाम लहसुन देसी 40 मिमी + 4801
अलोट सोयाबीन 5200
अलोट गेहूँ 1620 – 1751
अलोट चन्ना 4203 – 4891
अलोट मैथी 5600
अलोट सरसो 5051 – 5075
अलोट असालिया 5601
अलोट धनिया 6461 – 6701
अलोट प्याज 650 1420
रतलाम प्याज 951
अलोट लहसुन 1225 – 5151
हरसूद सोयाबीन 5200 – 5225
हरसूद सरसो 4651 – 4700
हरसूद गेहूँ 1681
हरसूद चन्ना 4735
हरसूद तुवर 6080
हरसूद मुंग 5600
रतलाम गेहूँ लोकवान 1795
रतलाम इटालियन चना 4960
रतलाम मेथी 5600
रतलाम पीला सोयाबीन 5152
रतलाम गेहूँ शरबती 2925
रतलाम गेहूं लोकवान 1865
रतलाम गेहूं मिल 1730
रतलाम मक्का 1300
रतलाम शंकर चन्ना 5100
रतलाम इतालवी चन्ना 5000
रतलाम डॉलर चन्ना 6800
रतलाम तुवर 1604
रतलाम उड़द 3000
रतलाम मटर 5500
रतलाम पीला सोयाबीन 5015
सेलाना मंडी- रतलाम सोयाबीन 5100
रतलाम गेहूँ 1876
रतलाम चन्ना 4565
रतलाम डॉलर चन्ना 7000
रतलाम मटर 3299
रतलाम मसूर 7000
रतलाम मेधी दाना 5699
रतलाम कापस 6452
रतलाम मक्का 1331
रतलाम रायड़ा 4901
पिपरिया गेहूँ 1460 – 1695
पिपरिया चन्ना 4430 -4980
पिपरिया मक्का 124 – 1310
पिपरिया मुंग 4000-6725
पिपरिया बाजरा 971-1020
पिपरिया तुवर 4600-7141
पिपरिया धन 2300-2830
पिपरिया मसूर 4020-5152
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मिट्टी परीक्षण हेतु नमूना लेते वक्त जरूर बरतें ये सावधानियाँ

Things to remember while taking a soil's sample
  • पेड़ के नीचे, मेड से, निचले स्थानों से, जहां खाद का ढेर हो, जहां पानी इकट्ठा होता हो आदि स्थानों से नमूना नहीं लें। 
  • मिट्टी परीक्षण के लिए नमूना इस तरीके से लें कि वह स्थान पूरे खेत का प्रतिनिधित्व करता हो, इसके लिए कम से कम 500 ग्राम नमूना अवश्य लेना चाहिए।
  • मिट्टी की ऊपरी सतह से कार्बनिक पदार्थों जैसे टहनियाँ, सुखी पत्तिया, डण्ठल एवं घास आदि को हटाकर खेत के क्षेत्र के अनुसार 8-10 स्थानों का नमूना लेने हेतु चुनाव करें।
  • चयनित स्थानों पर लगाई जाने वाली फसल के जड़ की गहराई जितनी गहराई से ही मिट्टी का नमूना लेना चाहिए।
  • मिट्टी का नमूना किसी साफ बाल्टी या तगारी में एकत्रित करना चाहिए।
  • मिट्टी के इस नमूने को लेबलिंग ज़रूर कर लें।
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मध्य प्रदेश के इन जिलों में अगले 48 घंटे में हो सकती है बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

पिछले 24 घंटे से मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में बारिश की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। यह गतिविधियां आज और कल भी जारी रह सकती हैं। कल के बाद से ये गतिविधियां थम जाएंगी। इसके साथ ही सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक हल्की बारिश जारी रह सकती है। विदर्भ सहित केरल और दक्षिणी तमिलनाडु में भी छिटपुट बारिश के आसार बन रहे हैं।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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इस साल समर्थन मूल्य पर सबसे ज्यादा गेहूँ की खरीदी करेगा मध्य प्रदेश

MP will have maximum wheat procurement on support price in entire country

केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की बैठक में देश के अलग अलग राज्यों द्वारा एमएसपी पर गेहूँ खरीदने हेतु लक्ष्य तय किये गये। इस बैठक में मध्य प्रदेश को 135 लाख टन गेहूँ खरीदने का लक्ष्य दिया गया है। बता दें कि यह लक्ष्य देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है।

मध्य प्रदेश के बाद पंजाब को 130 लाख टन गेहूँ खरीदने का लक्ष्य दिया गया है। अन्य राज्यों में हरियाणा को 80 लाख टन, उत्तर प्रदेश को 55 लाख टन, राजस्थान को 22 लाख टन, उत्तराखंड को 2.20 लाख टन, गुजरात को 1.5 लाख टन और बिहार को 1 लाख टन गेहूँ खरीदने का लक्ष्य दिया गया है।

स्रोत: कृषक जगत

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मूंग की फसल का एफिड के प्रकोप से ऐसे करें बचाव

How to control Aphid in Green gram
  • एफिड छोटे व नरम शरीर वाले कीट होते है जो पीले, भूरे, हरे या काले रंग के हो सकते हैं।
  • ये आमतौर पर मूंग के पौधे की छोटी पत्तियों और टहनियों के कोनों पर समूह बनाकर रहते हैं और रस चूसते है। इसके साथ ही ये एक चिपचिपा मधु रस (हनीड्यू) छोड़ते हैं जिससे फफूंदजनित रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
  • इसके गंभीर संक्रमण के कारण पत्तियां और टहनियां कुम्हला सकती हैं या पीली पड़ सकती हैं।
  • एफिड कीट से बचाव हेतु थायोमेथोक्सोम 25% WG@100 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@100 मिली/एकड या फ्लूनेकामाइड 50% WG @ 60 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक रूप से बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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गेहूँ की फसल में लगने वाले लूज़ स्मट रोग की ऐसे करें रोकथाम

How to prevent loose smut disease in wheat
  • गेहूँ की फसल में लगने वाला यह रोग दरअसल एक बीज़ जनित रोग है और यह अस्टीलैगो सेजेटम नामक एक कवक की वजह से होता है।
  • इस रोग से संक्रमित बीज ऊपर से देखने में बिल्कुल स्वस्थ बीजों की तरह ही दिखाई देते हैं।
  • इस रोग के लक्षण बाली आने पर ही दिखाई देते हैं। रोगी पौधों की बालियों में दानों की जगह रोग जनक के रोगकंड (स्पोर्स) काले पाउडर के रूप में नजर आते हैं जो हवा से उड़कर अन्य स्वस्थ बालियों में बन रहे बीजों को भी संक्रमित कर देते हैं।
  • इस रोग के नियंत्रण का सबसे अच्छा उपाय बीज़ उपचार ही है।
  • इसके आलावा इस रोग के नियंत्रण के लिए कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 600 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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मध्यप्रदेश सरकार का बड़ा फैसला, अब सस्ते हो जाएंगे कृषि यंत्र

agricultural machinery will become cheap in Madhya Pradesh

कम्बाइन हार्वेस्टर, ट्रेक्टर, पॉवर टिलर व अन्य कृषि यंत्रों के दाम बहुत ज्यादा होते हैं और इन यंत्रों पर टैक्स भी काफी लगता है जिस कारण बहुत सारे किसान इसका उपयोग करने में असमर्थ रहते हैं। किसानों की इस समस्या को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है।

दरअसल मध्यप्रदेश सरकार कृषि यंत्रों पर लिए जाने वाले भारी भरकम टैक्स को कम करने का निर्णय लिया है। इस मसले पर हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया की कृषि यंत्रों पर लिए जाने वाले टैक्स को अब 9% घटा दिया गया है | बता दें की पहले मध्यप्रदेश में कृषि यंत्रों की खरीदी पर किसानों को 10% टैक्स देना पड़ता था पर अब इसे घटा कर महज 1% कर दिया गया है |

स्रोत: किसान समाधान

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