मायकोराइज़ा का उपयोग कब और कैसे करें

  • यह पौधों को मज़बूती प्रदान करता हैं जिससे कई प्रकार के रोग, पानी की कमी आदि के प्रति पौधे सहिष्णु हो जाते हैं।
  • फसल की प्रतिरक्षा शक्ति में वृद्धि करता है जिसके परिणाम स्वरूप उत्पादन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
  • माइकोराइजा पौधे के जड़ क्षेत्र को बढ़ाता है और इसके कारण जड़ों में जल अवशोषण की क्षमता बढ़ जाती है।

माइकोराइजा का उपयोग तीन प्रकार से किया जा सकता है

  • मिट्टी उपचार: 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में मिलाकर @ 4 किलो माइकोराइजा को मिला कर फिर यह मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल बुआई/रोपाई से पहले मिट्टी में मिला दें।
  • भुरकाव: बुआई के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में माइकोराइजा को 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में मिलाकर @ 4 किलो माइकोराइजा को मिला कर फिर यह मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल बुआई/रोपाई से पहले मिट्टी में बुरकाव करें।
  • ड्रिप सिंचाई द्वारा: माइकोराइजा को ड्रिप सिचाई के रूप में बुआई के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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