Control of tobacco caterpillar in Tomato

  • गर्मियों में गहरी जुताई करना चाहिए |
  • रोग ग्रस्त भागों को इकट्ठा और नष्ट करें|
  • फेरोमोन ट्रेप 5 प्रति एकड़ लगाए | ताकि इसके व्यस्क के आगमन का पता चल सके |
  • प्रोफेनोफॉस  50% ईसी @ 400 मिलीलीटर / एकड़ या क़्वीनाल्फास 25% ईसी  @ 400 मिलीलीटर / एकड़ का स्प्रे करे |
  • अधिक प्रकोप होने पर एमामेक्टीन बेंज़ोएट @ 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर |

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Flower Promotion in bottle gourd

  • लौकी में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है|
  • लौकी के उत्पादन में फूलों की संख्या बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है|
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है|
  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली./एकड़ का स्प्रे करें|
  • समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली. /एकड़ का उपयोग करें|
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • 2 ग्राम /एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते है|

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Control of mosaic virus in watermelon

  • इस रोग के प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर आते हैं जो बाद में तने और फल पर भी फैल जाते हैं |  
  • प्रभावित पौधे के फल का आकार बदल जाता हैं और फल छोटे रहते है और डंठलों के पास से टूट जाते हैं |
  • यह रोग माहु नामक कीट द्वारा फैलता हैं |
  • इस रोग से बचने के लिए, फसल चक्र अपनाना चाहिए तथा बुवाई के लिए रोग मुक्त बीज लेने चाहिए |
  • रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़कर कर नष्ट कर देना चाहिये।  
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @70-100 मिली/एकड़ का छिड़काव करें |

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Seed treatment of coriander

  • बीजों को 12 घंटे तक पानी में भिगोएँ।
  • बीज को कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम  37.5 @ 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|

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Control of mosaic in tomato

  • पत्तियों का सामान्य हरा रंग हल्के-पीले अनियमित धब्बों में परिवर्तित हो जाता है।
  • पत्तियां चितकबरी, क्लोरोफिल विहीन, सिकुड़कर छोटी हो जाती है एवं फल नष्ट हो जाते है।
  • बीजों को हमेशा स्वस्थ पौधे से ही एकत्र करें।
  • पौधशाला में बीजों/पौधों को निर्जलीकृत की हुई मृदा में उगाया चाहिये।
  • रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़कर कर नष्ट कर देना चाहिये।
  • इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) @ 100-120 मिली प्रति एकड़ अथवा एसीफेट (75% SP ) @ 140- 200 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करके रोग फैलाने वाले कीट का नियंत्रण करें|

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Sowing time in coriander

  • पत्तियों की खेती के लिए जून-जुलाई में धनिया की बुवाई की जाती हैं|
  • बीज की फसल लेने के लिए धनिया अक्टूबर-नवंबर में बोया जाता हैं|

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Control of fusarium wilt in muskmelon

  • फ्यूजेरियम विल्ट के पहले लक्षण पुरानी पत्तियो पर दिखाई देते हैं। पत्तिया पीलापन लिए हुए सुख जाती हैं। इस बीमारी के लक्षण दिन में गर्मी के समय स्पष्ट रूप से दिखाई देते है।
  • तने में  भूरे रंग की दरारें दिखाई देती हैं, जिसमे से लाल-भूरे रंग का गाढ़ा रिसाव निकलता हैं।
  • बुवाई के लिए स्वस्थ बीजो का प्रयोग करें।
  • खेत की गहरी जुताई, खरपतवार प्रबंधन, तथा उचित जलनिकास आवश्यक हैं |
  • फ्यूजेरियम विल्ट के प्रभावी नियंत्रण के लिए प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी @ 200 मिली / एकड़ या थियोफैनेट-मिथाइल 500 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करें।

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Control of damping off in tomato

  • प्रायः फंगस का आक्रमण अंकुरित बीजों के द्वारा शुरू होता है, जो धीरे-धीरे नई जड़ से फैलकर तनों के निचले भागों एवं विकसित हो रही मूसला जड़ों पर होता है।
  • इससे संक्रमित पौधों के तनों के निचले भाग पर हल्के-हरे, भूरे एवं पानी के रंग के जले हुये धब्बे दिखाई देते है।
  • पौधशाला की सतह कम से कम 10 से.मी. ऊँची बनना चाहिये।
  • बीज को कार्बेन्डाजिम 50% WP @ 2 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।
  • पौधशाला में आर्द्रगलन के नियंत्रण के लिये मैनकोज़ेब 75% WP @ 400-600 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बनाकर अच्छी तरह से जड़ो के पास ड्रेंचिंग करे।

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Fertilizer and manure in Sorghum

  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद/कम्पोस्ट @ 4-5 टन/एकड़ की दर से डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से  मिलाएँ।
  • ज्वार के लिए यूरिया की 40 किलोग्राम/एकड़ का प्रयोग करें। बोने से पहले आधी मात्रा का प्रयोग करें। यदि बेसल डोज संभव नहीं है तो बुवाई के समय और बुवाई के 30 दिन बाद प्रयोग करें। और सिंचाई करें।
  • डी ए पी की 45 किग्रा प्रति एकड़ मात्रा का प्रयोग करें।
  • एम.ओ.पी. की  40 – 60 किलो ग्राम प्रति एकड़ मात्रा  प्रयोग करें।
  • 10 किलो ग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ का प्रयोग करें। 

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Nursery preparation in brinjal

  • भारी मृदा में ऊँची क्यारियों का निर्माण करना जरूरी होता हैं ताकि पानी भराव की समस्या को दूर कर सके|
  • रेतीली भूमि में बीजों की बुवाई समतल सतह तैयार करके की जाती है।
  • प्रातः ऊँची क्यारियों का आकार 3 x1 मी. और ऊँचाई 10 से 15 से.मी. के लगभग होता है।
  • दो क्यारियों के बीच की दूरी प्रायः 70 से.मी. के लगभग होना चाहिये ताकि अंतरसस्य क्रियाएँ जैसे सिंचाई एवं निदाई आसानी से की जा सके।
  • पौधशाला क्यारियों की ऊपरी सतह साफ़ एवं समतल होना चाहिये ।
  • पूणतः पकी गोबर की खाद या पात्तियों की सड़ी हुई खाद को क्यारियों का निर्माण करते समय मिलाना चाहिये।
  • पौधशाला में आर्द्रगलन से पौधों को मरने से रोकने के लिये मैनकोज़ेब 75% WP @ 400-600 ग्राम / एकड़ की दर से घोल बनाकर अच्छी तरह से क्यारियों में ड्रेंचिंग करे|

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