कपास की फसल में सफेद मक्खी नियंत्रण के उपाय

सफेद मक्खी:- इस कीट के शिशु और व्यस्क दोनों ही पत्तों की निचली सतह पर चिपककर रस चूसते हैं। भूरे रंग की शिशु अवस्था पूरी होने के बाद, उसी जगह पर रहकर प्यूपा में बदल जाते हैं। जिन पर काली फंफूदी लग जाती है। इस कारण ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं। यह कीड़े न केवल रस चूसकर फसल को नुकसान करते हैं।

सफेद मक्खी पौधों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ती हैं जिससे फफूंद जनित रोग की सम्भावना बढ़ जाती है। इसका प्रकोप होने पर पौधों की पत्तियां सुकड़कर मुड़ने लगती है।

नियंत्रण के उपाय – 

  • नोवाफेन (पायरिप्रोक्सीफेन 05% + डायफेंथियूरोन 25% एसई) @ 400 मिली + स्टिकर (सिलिकोमैक्स) @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

  • जैविक नियंत्रण के लिए, बवे-कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 500 ग्राम/एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से  छिड़काव करें।

  • इसके अलावा किसान भाई कीट प्रकोप की सूचना के लिए पीले चिपचिपे ट्रैप (येलो स्टिकी ट्रैप ) @ 8 -10, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में स्थापित करें। यह कीट प्रकोप को इंगित करेगा जिसके आधार पर किसान भाई ऊपर बताय गए उपाय अपनाकर फसल को कीट प्रकोप से बचा सकते हैं।

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